रोपाई से 21 से 25 दिन बाद – दूसरी सिचाई
वानस्पतिक अवस्था के दौरान फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी को बाहर निकालें। मिट्टी की नमी के आधार पर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर अगली सिंचाई दें।
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रोपाई से 21 से 25 दिन बाद – दूसरी सिचाई
वानस्पतिक अवस्था के दौरान फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी को बाहर निकालें। मिट्टी की नमी के आधार पर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर अगली सिंचाई दें।
Shareरोपाई से 11 से 15 दिन बाद – थ्रिप्स एवं कवक जनित रोगो का प्रबंधन
विकास को बढ़ाने और इस समय फसल में रस चूसने वाले कीट व सूखा रोग (डेम्पिंग ऑफ) के प्रकोप को रोकने के लिए ह्यूमिक एसिड (मैक्सरुट) 500 ग्राम + थियोफेनेट मिथाइल 70% w/w (मिल्डूवीप) 250 ग्राम + फिप्रोनिल 5% एससी (फैक्स) 400 मिली प्रति एकड़ 200 ग्राम पानी में मिलाकर छिड़काव करे ।
Shareरोपाई से 5 से 10 दिन बाद – थ्रिप्स के प्रकोप की पहचान
खेत में थ्रिप्स, एफ़िड्स के हमले के लिए प्रति एकड़@ 10 ब्लू और येलो स्टिकी ट्रैप स्थापित करें।
Shareरोपाई से 3 से 5 दिन बाद – पूर्व उद्धभव खरपतवार के लिए छिड़काव
पूर्व उद्धभव खरपतवार के प्रबंधन के लिए 200 लीटर पानी में पेण्डीमेथलीन 38.7% CS (धानुटॉप सुपर) 700 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे। घास उगने के बाद रोपाई के 20-25 दिन में प्रोपॅक्वीझाफॉप ५% + ऑक्सिफ्लूरोफेन (डेकल) @ 350 मिली या क्विजालोफ इथाइल 5% ईसी (टरगा सुपर) 350 मिली प्रति एकड़ मिलकर छिड़काव करें.
Shareरोपाई से 1 से 2 दिन बाद – बेसल डोज एवं प्रथम सिचाई
रोपाई के ठीक बाद पहली सिंचाई दें और जमीन से प्याज़ समृद्धि किट एवं उर्वरक की पहली खुराक डालें। यूरिया 25 किग्रा + एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया (एसकेबी फोस्टर प्लस बीसी 15) 100 ग्राम + ट्राइकोडर्मा विरिडी (रायजोकेअर) 500 ग्राम + समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा + जिंक सोल्यूब्लाज़िंग बैक्टेरिया (एसकेबी जेएनएसबी) 100 ग्राम प्रति एकड़। इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में भुरकाव करे ।
रोपाई के 1 दिन पहले या उसी दिन- पौध उपचार
मिट्टी जनित कवक से रोपाई की रक्षा करने के लिए, 20 लीटर पानी में मायकोराइज़ा (एक्सप्लोरर ग्लोरी) 100 ग्राम मिलाएं और रोपाई से पहले इस घोल में पौध की जड़ों को डुबोएं।
Shareरोपाई से 10 से 8 दिन पहले – मुख्य खेत की तैयारी
5 टन गोबर खाद में 4 किलो कम्पोस्टिंग बैक्टीरिया (स्पीड कंपोस्ट) मिलकर जो की मिट्टी में पूर्ण अपघटन के लिए उपयोग करे , फिर एसएसपी 60 किग्रा + डीएपी 25 किग्रा + एमओपी 40 किग्रा + ह्यूमिक एसिड ग्रैन्यूल्स 500 ग्राम को अच्छी तरह से मिलाएं और एक एकड़ क्षेत्र के लिए मिट्टी में भुरकाव करे ।
Shareबुवाई के 20 से 25 दिन बाद -रस चूसक कीट एवं फफूंदजनित रोग का प्रबंधन
रस चूसक कीट एवं फफूंदजनित रोग का प्रकोप रोकने के लिए मेटलैक्सिल 8% + मैंकोजेब 64% WP (संचार) 60 ग्राम + फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG (पोलिस) 5 ग्राम प्रति पंप की दर से छिड़काव करे।
Shareबुवाई के 7 से 10 दिन बाद -थ्रिप्स और उकठा रोग का प्रबंधन
जड़ों के विकास की लिए और इस समय फसल में तेला कीट व उकठा रोग के प्रकोप को रोकने के लिए ह्यूमिक एसिड (मैक्सरुट) 10 ग्राम + कार्बोन्डाजिम 12% + मेन्कोज़ेब 63% (करमानोवा) 30 ग्राम + थियामेथोक्साम 25% WG (थायोनोवा 25) 10 ग्राम / पंप की दर से छिड़काव करे।
Shareबुवाई से 1 दिन पहले- बीज़ उपचार
मृदा जनित कवक रोगो से बीज की रक्षा के लिए, बीज को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। बुवाई से तीन दिन पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।