आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 1 से 2 दिनों में -फसल को प्राथमिक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- डीएपी 40 किग्रा, एमओपी 20 किग्रा + पीके बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स) 1 किग्रा + राइजोबियम (जैवटिका आर) 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड + समुद्री शैवाल + अमीनो + माइक्रोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा प्रति एकड़ की दर से इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में फैलाएं|

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तरबूज में ब्लॉसम एंड रॉट के प्रकोप से होने वाली क्षति एवं बचाव के उपाय

Damages of Blossom and rot in watermelon crop
  • इस रोग के प्रकोप के कारण तरबूज के फल के पिछले किनारे में गहरी सड़ी-गली और सिकुड़न जैसी संरचना बन जाती है।
  • सामान्यत: यह पानी देने का अंतराल कम या अधिक होने के कारण होता है।
  • जब खेत की मिट्टी बहुत सूखी हो जाती है, तब कैल्शियम मिट्टी में रह जाता है और पौधों को प्राप्त नही हो पाता है।
  • इसके निवारण के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @10 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • तरबूज में ब्लॉसम एंड रॉट के प्रकोप से होने वाली क्षति एवं बचाव के उपाय।
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टमाटर में खाद और उरर्वकों मात्रा

  • टमाटर की अच्छी उपज के लिये उर्वरक की आवश्यकता अधिक होती है।
  • रोपण के एक माह पहले गोबर की खाद को 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाया जाता है।
  • डीएपी 50 किलो/एकड़, युरिया 80 किलों प्रति एकड़ एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 33 किलो /एकड़
  • पौध रोपण के पहले  युरिया की आधी मात्रा और डीएपी एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूर्ण मात्रा खेत में मिलाया जाता है।
  • पौध रोपण के 20-25 दिनों के उपरांत युरिया की दूसरी मात्रा एवं तीसरी मात्रा 45-60 दिनों में देना चाहिये।
  • जिंक सल्फेट 10 किलो/एकड़ एवं बोरॉन 4 किलो/एकड़ की मात्रा उपज में वृद्धि के साथ फलों की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

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Nutrient Management in Okra Crop

भिन्डी में पौषक तत्व प्रबंधन:-

  • 15 से 20 टन/हे. अच्छी पकी हुई गोबर की खाद, 80 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (200 किलो यूरिया), 60 कि.ग्रा. फॉस्फोरस (400 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट) तथा 60 कि.ग्रा. पोटाश (100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश ) प्रति हेक्टेयर के हिसाब से देना चाहिये।
  • गोबर की खाद, फॉस्फोरस एवं पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा तथा नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा खेत की अन्तिम तैयारी करते समय मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिये।
  • नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बीज बोने के 20 दिन बाद तथा शेष एक तिहाई मात्रा बुवाई के 40 दिन बाद कतरों में देना चाहिये।
  • संकर किस्मों के लिये अनुमोदित मात्रा-150 कि.ग्रा. नाइट्रोजन (300 किलो यूरिया), 120 कि.ग्रा. फॉस्फोरस( 800 किलो सिंगल सुपर फॉस्फेट) व 75 कि.ग्रा पोटाश (100 किलो म्यूरेट ऑफ़ पोटाश) प्रति/हेक्टेयर है।
  • इनमें से 30% नत्रजन, 50% स्फूर व पोटाश की मात्रा मूल खाद के रूप में दें।
  • बाकी 50% फॉस्फोरस, 40% नाइट्रोजन व 25% पोटाश की मात्रा बीज बोने 28 दिन बाद तथा शेष मात्रा बुवाई के 30 दिन बाद खेत में मिला दें।

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Nutrition management in cowpea

  • उर्वरक की उपलब्धता के आधार पर 2.5-3.5 टन/एकड़  गोबर की खाद की मात्रा खेत की तैयारी के समय भूमि में अच्छी तरह मिला दें।
  • खेत की तैयारी के समय 24 किलो ग्राम कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, 48 किलो ग्राम सिंगल सुपर फाँस्फेट एवं 20 किलो ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ की दर से मिलाये।
  • नत्रजन की आधी मात्रा, फाँस्फोरस व पोटाश की सम्पूर्ण  मात्रा को खेत तैयारी के समय देना चाहिये।
  • अगर बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित किया गया हो तो कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट 16 किलो ग्राम डाले।
  • जिंक की कमी वाले खेत में 8 किलो ग्राम/एकड़ की दर से जिंक सल्फेट डाले।
  • नत्रजन की शेष मात्रा को बुवाई के 15-20 दिन बाद दें।

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Fertilizer requirements in makkhan grass

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 6-8 टन/एकड़, यूरिया – 65 किग्रा प्रति एकड़, एसएसपी – 20 किलो प्रति एकड़, की दर से मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • हर कटाई के बाद 65 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें ।

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Zinc solubilizing bacteria in snake gourd

ज़िंक घुलनशील बेक्टेरिया प्राकृतिक उपलब्ध लाभकारी बेक्टेरिया हैं जो जमीन में मौजूद अकार्बनिक ज़िंक को कार्बनिक एसीड के जरिये घुलनशील और उपलब्ध रूप में बदलते हैं जिससे पौधों की वृध्दि में मदद मिलती हैं|

  • इसका उपयोग ज़िंक की कमी के कारण होनी वाले रोगों जैसे:- धान का खैरा रोग में और कुछ अन्य फसलों जैसे टमाटर, प्याज, गेहु, भिन्डी आदि में विशेष रूप किया जाता हैं|
  • इससे फसल की उपज एवं गुणवत्ता बढ़ती हैं|
  • हार्मोन्स गतिविधियों को बढ़ाता हैं|
  • पौध एवं जड़ों की वृध्दि को बढ़ाता हैं |
  • प्रकाश संश्लेषण को बढ़ाता हैं |
  • मिट्टी में बेक्टेरिया होने से मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाती हैं|

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Boron deficiency symptoms and control in watermelon

  • नई पत्तियों सिकुड़ी हुई होती हैं जो की सामान्य पत्तियों की तुलना में छोटी होती हैं|
  • पत्तियों में पीलापन दिखने लगता हैं जो की सिरों के आस पास ज्यादा होता है|
  • नई पत्तियों के सिरे सूखे हुए दिखाई देते हैं|
  • तने की सतह फटने लगती हैं साथ ही लताओं की लम्बाई कम हो जाती हैं |
  • पौधे का विकास रुक जाता हैं वह बोना रह जाता हैं|
  • बेल का शीर्ष मर जाता हैं और फुल और फलो दोनों की संख्या कम हो जाती हैं |
  • फलो में खोखला पन होना बोरान की कमी का मुख्य लक्षण हैं|
  • खेत में अधिक नमी होने पर या pH अधिक होने पर यह आमतोर पर देखने को मिलती हैं |

नियंत्रण:-

  • बोरॉन युक्त कैल्शियम नाइट्रेट 25 किलो प्रति एकड़ के अनुसार जमीन से दें|
  • फॉस्फोरस घुलनशील बैक्टेरिया 4 किलो प्रति एकड़ के अनुसार दें|
  • बोरॉन 20% @ 200 ग्राम प्रति एकड़ के अनुसार फूल की अवस्था पर दो बार स्प्रे करें|

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Fertilizer requirements in muskmelon

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद / कम्पोस्ट @ 10-15 टन  / एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएँ।
  • यूरिया 110 किग्रा, सिंगल सुपर फास्फेट 155 किग्रा, और म्यूरेट ऑफ पोटाश 40 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से प्रयोग करे।
  • बीज बोने से पहले एसएसपी, म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूरी मात्रा और यूरिया की एक तिहाई मात्रा डालें।
  • जड़ो के पास एवं तने से दूर यूरिया की शेष मात्रा प्रयोग करें, और प्रारंभिक विकास अवधि के दौरान मिट्टी में अच्छी तरह मिश्रित करें।
  • जब फसल 10-15 दिन पुरानी हो, तो अच्छी गुणवत्ता के साथ-साथ फसल की अच्छी वृद्धि के लिए 19:19:19 + माइक्रोन्यूट्रिएंट @ 2-3 ग्राम / लीटर पानी का छिड़काव करें।

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Fertilizer dose in bitter gourd

  • उर्वरक का प्रयोग मिट्टी की उर्वरता, जलवायु और रोपण के मौसम पर निर्भर करती है।
  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद / कम्पोस्ट @ 6-8 टन / एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • यूरिया 30-40 किलो, डीएपी 35-50 किलो,और एमओपी 20-40 किलो/एकड़ प्रयोग करे।
  • रोपण से पहले आधा यूरिया और डीएपी संपूर्ण और एमओपी प्रयोग किया जाना चाहिए। बाकी आधा यूरिया को बुआई के 15 दिन बाद और 30 दिन बाद दो बार में दें।

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