- बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें।
- बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशासित फफूंदनाशक से करना चाहिए।
- एक ही प्लॉट में बार-बार नर्सरी नहीं बनाना चाहिए।
- नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिए तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिए।
- मृदा सौर्यीकरण करना चाहिए जिसके अंतर्गत गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है।
- आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव नियंत्रण एजेंट ट्राइकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ के अनुसार देना चाहिए।
Nursery preparation in brinjal
- भारी मृदा में ऊँची क्यारियों का निर्माण करना जरूरी होता हैं ताकि पानी भराव की समस्या को दूर कर सके|
- रेतीली भूमि में बीजों की बुवाई समतल सतह तैयार करके की जाती है।
- प्रातः ऊँची क्यारियों का आकार 3 x1 मी. और ऊँचाई 10 से 15 से.मी. के लगभग होता है।
- दो क्यारियों के बीच की दूरी प्रायः 70 से.मी. के लगभग होना चाहिये ताकि अंतरसस्य क्रियाएँ जैसे सिंचाई एवं निदाई आसानी से की जा सके।
- पौधशाला क्यारियों की ऊपरी सतह साफ़ एवं समतल होना चाहिये ।
- पूणतः पकी गोबर की खाद या पात्तियों की सड़ी हुई खाद को क्यारियों का निर्माण करते समय मिलाना चाहिये।
- पौधशाला में आर्द्रगलन से पौधों को मरने से रोकने के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से क्यारियों में ड्रेंचिंग करे|
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- बीजो की बुआई क्यारियों में की जाती है | क्यारियों की ऊचाई 10 से 15 सेंटीमीटर तथा आकार 3*6 मीटर होना चाहिए |
- दो क्यारियों के बीच की दुरी 70 सेंटीमीटर होनी चाहिये | जिससे अन्तरसस्य क्रियाये आसानी से की जा सके |
- नर्सरी की क्यारियों की सतह भुरभुरी एवं समतल होनी चाहियें |
- नर्सरी क्यारियों को बनाते समय गोबर की खाद 8-10 किलो/मीटर2 की दर से मिलाना चाहियें |
- भारी भूमि में ऊची क्यारियों का निर्माण करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता है |
- आद्रगलन बीमारी द्वारा पौध को होने वाली हानि से बचाने के लिए कार्बेन्डाजिम 50% डब्ल्यूपी का 15-20 ग्राम/10 लि. पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से भूमि में मिलाना चाहियें | या थायोफिनेट मिथाइल का 0.5 ग्राम/मीटर2 की दर से ड्रेंचिंग करे |
- पौधों को कीटो के आक्रमण से बचाने के लिए थायोमेथोक्सम का 0.3 ग्राम/मीटर2 की दर से नर्सरी तैयारी के समय डाले |
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- मिर्च के लिए नर्सरी तैयार करने का समय 1 मई से 30 मई हैं |
- सबसे पहले मिट्टी को जुताई कर बारीक कर ले।
- एक एकड़ क्षेत्रफल के लिए 60 मीटर वर्ग क्षेत्रफल की आवश्यकता होती है इस जगह को 3 मीटर लंबाई तथा 1.25 मीटर चौड़ाई के 16 से18 नर्सरी बेड में विभाजित कर लेते हैं
- 60 मीटर वर्ग क्षेत्र के लिए 750 gm डीएपी 150 किलो गोबर की खाद की आवश्यकता होती हैं |
- फफूंद जनित रोगों से बचाव के लिए थियोफैनेट मिथाइल 0.5 ग्राम / वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाइये।
- मिर्च के लिये उपयुक्त बीज की दर 100 ग्राम / एकड़ हैं |
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- फफूंद जनित रोग तथा कीट आदि से बचाव के लिए मिर्च फसल की नर्सरी तैयार करने से पहले ग्रीष्म कालीन सौरीकरण किया जाना चाहिए|
- सौरीकरण के लिए उपयुक्त समय अप्रैल-मई होता हैं क्योकि इस समय वातावरण का तापमान 40ºC तक बढ़ जाता हैं।
- सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें।
- इसके बाद लगभग 5-6 सप्ताह के लिए पूरे नर्सरी क्षेत्र पर 200 गेज (50 माइक्रोन) की पारदर्शी पॉलीथीन फैलाएं।
- पॉलिथीन के किनारो को गीली मिट्टी की सहायता से ढंकना चाहिए जिससे हवा का प्रवेश पॉलीथीन के अंदर न होने पाए।
- 5-6 सप्ताह के बाद पॉलीथिन शीट को हटा दें|
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- बीजों की बुवाई क्यारियों में की जाती हैं। प्रायः 4 – 6 सप्ताह पुरानी पौध को रोपित किया जाता हैं।
- क्यारियों की ऊंचाई 10 से 15 से.मी. होती है तथा आकार 3 x 6 मी. होता हैं।
- दो क्यारियों के बीच की दूरी 70 से.मी. होती है जिससे अंतरशस्य क्रियायें जैसे निदाई, आसानी से की जा सके।
- नर्सरी क्यारियों की सतह भूरभूरी एवं समतल होनी चाहिये।
- नर्सरी क्यारियों का निर्माण करते समय 8-10 कि.ग्रा. गोबर की खाद को प्रति वर्ग मीटर की दर से मिलाना चाहिये।
- भारी भूमि में ऊंची क्यारियों का निर्माण करके जल भराव की समस्या को दूर किया जा सकता हैं।
- आर्द्रगलन बीमारी द्वारा पौध को होने वाली हानि से बचाने के लिये थायोफेनेट मिथाइल 70% का 30 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर अच्छी तरह से भूमि में मिलाना चाहिये।
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- भारी मृदा में ऊँची क्यारियों का निर्माण करना जरूरी होता हैं ताकि पानी भराव की समस्या को दूर कर सके|
- रेतीली भूमि में बीजों की बुवाई समतल सतह तैयार करके की जाती है।
- प्रातः ऊँची क्यारियों का आकार 3 x1 मी. और ऊँचाई 10 से 15 से.मी. के लगभग होता है।
- दो क्यारियों के बीच की दूरी प्रायः 70 से.मी. के लगभग होना चाहिये ताकि अंतरसस्य क्रियाएँ जैसे सिंचाई एवं निदाई आसानी से की जा सके।
- पौधशाला क्यारियों की ऊपरी सतह साफ़ एवं समतल होना चाहिये ।
- पूणतः पकी गोबर की खाद या पात्तियों की सड़ी हुई खाद को क्यारियों का निर्माण करते समय मिलाना चाहिये।
- पौधशाला में आर्द्रगलन से पौधों को मरने से रोकने के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से क्यारियों में ड्रेंचिंग करे|
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टमाटर के लिए नर्सरी बनाना:-
- क्यारियों की लंबाई 3 मी., चौड़ाई 0.6 मी. एवं ऊंचाई 10-15 से.मी. होनी चाहिये ।
- दो नर्सरी क्यारियों के बीच की दूरी 70 से.मी. होनी चाहिये, ताकि नर्सरी के अंदर निदाई, गुड़ाई एवं सिंचाई जैसी अंतरसस्य क्रियाएं आसानी से की जा सके ।
- नर्सरी क्यारियों की सतह चिकनी (भुरभुरी) अच्छी तरह से समतल, ऊंची एवं उचित जल निकास वाली होनी चाहिये ।
- नर्सरी क्यारियों को बुआई के पूर्व मैंकोजेब के द्वारा उपचारित कर लेना चाहिये ।
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मिर्च के लिए नर्सरी बनाना:-
- खेत की जुताई कर मिट्टी को भूरभूरी बना दे।
- एक हेक्टेयर खेत के लिए 180 मि X 1.2 मि.(3 मि. X 1.2 मि के छोटे खण्ड) नर्सरी की आवश्यकता होती है।
- अच्छी तरह पकी हुई गोबर की सड़ी हुई खाद की एक बैलगाड़ी या कम्पोस्ट व 10 किलो सुपर फॉस्फेट को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
- सफेद चिटियों से बचाव के लिए मिट्टी में 30 ग्राम एलड्रिन या घुलनशील डाईएलड्रिन मिलाये।
- क्यारियों को लगभग 15 से.मी. ऊँची रखे जिससे जल निकास अच्छी हो।
- आर्द्र पतन रोग से बचाव के लिए नर्सरी की मिट्टी का रासायनिक उपचार फॉर्मेलीन (फॉर्मेलडिहाईड 40%) बीज बोने के एक सप्ताह पहले करें।
- स्वस्थ बीजों का उपयोग करें। बीजों को कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% 2 ग्राम/किलों बीज की दर से उपचारित करें।
- एक स्थान पर बार-बार नर्सरी का निर्माण न करें।
- जैविक नियंत्रक ट्राइकोडरमा विरिडी 1.2 किलो/हेक्टेयर की दर से करे।
रोपाई का उचित समय:-
- अगस्त का महीना मिर्च की बुआई के लिए सर्वोत्तम है, ततपश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है।
- अगस्त में बुआई करने पर पौधों की बढ़वार एवं उपज ज्यादा होती है।
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टमाटर के लिए रोग मुक्त नर्सरी बनाना:-
- बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें|
- बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशंसित फफूंदनाशक से करना चाहिए|
- एक ही प्लाट में बार-बार नर्सरी नहीं लेना चाहिये|
- नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिये तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/ लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिये|
- मृदा सोर्यकरण जिसमे गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है, करना चाहिए|
- आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव-नियंत्रण के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी 1.2 किलोग्राम/ हे. के अनुसार देना चाहिए|
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