Do’s and Don’ts for Brinjal Cultivation

बैगन की खेती क्या करें और क्या न करें:- 

क्या करें:-

  • समय पर बुवाई|
  • खेत की स्वच्छता बनाए रखे |
  • केवल जब आवश्यक हो तभी कीटनाशकों का उपयोग करें|
  • उपयोग से पहले बैगन के फल को धोएं|

क्या न करें:-

  • कीटनाशक की अनुशंसित खुराक से ज्यादा नहीं डालें|
  • एक ही कीटनाशक लगातार नहीं दोहराएं|
  • कीटनाशकों के मिश्रण का प्रयोग न करें|
  • सब्जियों पर मोनोक्रोटोफ़ॉस जैसे अत्यधिक खतरनाक कीटनाशक का प्रयोग नहीं करें|
  • कटाई से ठीक पहले कीटनाशकों का प्रयोग नहीं करें|
  • कीटनाशकों के प्रयोग के बाद 3-4 दिन तक सब्ज़ी का उपयोग नहीं करें|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Aphids Attack in Chilli Crop

मिर्च में माहु का प्रकोप:-

  • शिशु एवं वयस्क कोमल, नाशपाती के आकार के काले रंग के होते हैं।
  • कोमल डालियों, पत्तो एवं पत्तो के निचले भाग में यह कीट रहते है।
  • यह कीट रस चूसकर,  वृद्धि कर रहे भागों पर नुकसान पहुँचाते है।
  • यह कीट मीठा पदार्थ का रिसाव करते हैं जो चिटीयों को आकर्षित करते है व काली फफूंद को विकसित करते है।

नियंत्रण :- निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  

  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प
  4. फिप्रोनिल 5% @ 50 मिली प्रति पम्प

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Management of Thrips in Cotton

कपास में थ्रिप्स का प्रबंधन:-

  • थ्रिप्स के शिशु एवं वयस्क पत्तियों के ऊपर एवं नीचे से उत्तकों को फाड़ कर रस चूसते हैं | वे लार उत्तकों में छोड़ते हैं और पौधों की कोशिकाओं का रस को चूसते हैं जिसके परिणामस्वरूप चांदी जैसे या भूरे रंग के उत्तकक्षय धब्बे बनते हैं।
  • थ्रिप्स से ग्रसित छोटे पौधे की बढ़वार धीमे हो जाते हैं और पत्तियां के ऊपर चमकदार कर्ल बन जाती हैं और सफेद चमकदार पैच के साथ विकृत हो जाती हैं। पत्तियों की सतह के नीचे जंग जैसे पेंच विकसित होती है|
  • फसल के वनस्पति विकास के दौरान अधिक प्रकोप होने पर कली देर से बनती हैं|
  • फल वाली अवस्था में अधिक थ्रिप्स लगने से घेटे गिरते हैं और फसल देर से आती है और उपज काम होती है | घेंटे बनते समय थ्रिप्स लगने से रेशे के गुणवत्ता कम हो जाती है |

प्रबंधन:-

  • बीज उपचार :- कपास के बीज को इमिडाक्लोप्रिड 60 एफएस @ 10 मिलीग्राम / किलोग्राम या थायोमेथॉक्सम 70 डब्ल्यूएस @ 5 ग्राम / किलोग्राम बीज से उपचारित करने से रस चूसक कीटों का प्रकोप शुरुआती अवस्था में कम हो जाता है |
  • कपास की फसल को खरपतवार मुक्त रखने से थ्रिप्स का फैलाव कम होता हैं|
  • जब थ्रिप्स का प्रकोप अधिक हो एवं मौसम साफ़ हो तब कीटनाशी का प्रयोग करना चाहिए|
  • फसल की शुरुआती अवस्था में खेत पर तैयार नीम सीड करनैल एक्सट्रेक्ट या नीम तेल @ 75 ml प्रति पंप तथा अच्छे फैलाव के लिए इसमें वाशिंग पाउडर 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के अनुसार मिला कर स्प्रे करने से थ्रिप्स की संख्या को रोका हैं|
  • कीटनाशक का प्रयोग:- निम्न में से किसी एक कीटनाशक का स्प्रे करें |
  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 15 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प
  4. थायोमेथॉक्सम 25% @ 5 ग्राम प्रति पम्प
  5. फिप्रोनिल 5% @ 50 मिली प्रति पम्प

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Management of melon worm in watermelon

  • ईल्ली पत्तियों एवं फूलों को खाती हैं|
  • कभी कभी अन्डो से निकलने के तुरंत बाद इस कीट के भृंग/मेंगट तरबूज के फलो में प्रवेश कर क्षति पहुँचाते हैं |
  • प्रभावी नियंत्रण के लिए तरबूज की बुवाई से पहले ही खेत में गहरी जुताई कर कीट के कोकून को नष्ट कर दे।
  • चुकी इस कीट की संख्या गर्मी के मौसम में कम रहती हैं उसी के अनुसार बुवाई का समय निर्धारित करे.
  • खरपतवारो का उचित प्रबंधन करे।
  • साइपरमेथ्रिन 10% ईसी @ 350-500 मिली / एकड़ का छिड़काव करें।
  • या फिप्रोनिल 5% एससी @ 250-300 मिली / एकड़ का छिड़काव करें|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of fruit fly in snake gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • जिन क्षेत्रों में फल मक्खी का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है, वहां पर कार्बारिल 10% चूर्ण खेत में मिलाये|
  • डायक्लोरोवास कीटनाशक का 3 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of tobacco caterpillar in Tomato

  • गर्मियों में गहरी जुताई करना चाहिए |
  • रोग ग्रस्त भागों को इकट्ठा और नष्ट करें|
  • फेरोमोन ट्रेप 5 प्रति एकड़ लगाए | ताकि इसके व्यस्क के आगमन का पता चल सके |
  • प्रोफेनोफॉस  50% ईसी @ 400 मिलीलीटर / एकड़ या क़्वीनाल्फास 25% ईसी  @ 400 मिलीलीटर / एकड़ का स्प्रे करे |
  • अधिक प्रकोप होने पर एमामेक्टीन बेंज़ोएट @ 200 ग्राम प्रति हेक्टेयर |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें

Share

Control of mosaic virus in watermelon

  • इस रोग के प्रारंभिक लक्षण पत्तियों पर आते हैं जो बाद में तने और फल पर भी फैल जाते हैं |  
  • प्रभावित पौधे के फल का आकार बदल जाता हैं और फल छोटे रहते है और डंठलों के पास से टूट जाते हैं |
  • यह रोग माहु नामक कीट द्वारा फैलता हैं |
  • इस रोग से बचने के लिए, फसल चक्र अपनाना चाहिए तथा बुवाई के लिए रोग मुक्त बीज लेने चाहिए |
  • रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।  
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @70-100 मिली/एकड़ का छिड़काव करें |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें

Share

Control of mosaic in tomato

  • पत्तियों का सामान्य हरा रंग हल्के-पीले अनियमित धब्बों में परिवर्तित हो जाता है।
  • पत्तियां चितकबरी, क्लोरोफिल विहीन, सिकुड़कर छोटी हो जाती है एवं फल नष्ट हो जाते है।
  • बीजों को हमेशा स्वस्थ पौधे से ही एकत्र करें।
  • पौधशाला में बीजों/पौधों को निर्जलीकृत की हुई मृदा में उगाया चाहिये।
  • रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर कर नष्ट कर देना चाहिये।
  • इमिडाक्लोप्रिड (17.8% SL) @ 100-120 मिली प्रति एकड़ अथवा एसीफेट (75% SP ) @ 140- 200 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करके रोग फैलाने वाले कीट का नियंत्रण करें|

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of red pumpkin beetle in bottle gourd

  • लौकी के खेत के पास ककड़ी, तोरी, टिंडा आदि की बुवाई न करे क्योकि ये पौधे इस कीट के जीवन चक्र में सहायक होते हैं।
  • पुरानी फसल के अवशेष को नष्ट कर दें |
  • यदि फसल की प्रारंभिक अवस्था में, कीट दिखाई दे तो उसे हाथ से पकड़कर नष्ट कर दें।
  • साईपरमेथ्रिन 25% ईसी 150 मि.ली.प्रति एकड़ + डायमिथोएट 30% ईसी 300 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% डब्लू पी 450 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें|
  • डाइक्लोरवास (डीडीवीपी) 76% ईसी का 250-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करके इस कीट का नियंत्रण किया जा सकता हैं |

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share

Control of leaf miner in cowpea

  • इस कीट के लार्वा पत्तियों को अंदर से, टेडे़-मेढ़ आकृति में खाते है।  
  • माइनर का आक्रमण होने पर पत्तियों पर सफेद रंग की चमकदार धारियों का निर्माण ऊपरी सतह पर होता है।   
  • कीट से ग्रसित पौधों की फलन एवं फूलन क्षमता पर विपरित  प्रभाव पड़ता है।
  • दैहिक कीटनाशक जैसे डेल्टामेथ्रिन 2.8% ईसी @ 200 मिली/एकड़ या ट्रायजोफॉस 40% ईसी @ 350-500 मिली/ एकड़ की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।

Share