किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए सरकार ने प्याज़ के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाया

Gramophone's onion farmer

प्याज़ की खेती करने वाले किसानों के हितों का ध्यान रखते हुए सरकार ने 26 फरवरी के दिन प्याज़ के निर्यात पर लगाया गया छह माह पुराना प्रतिबंध हटा दिया है। इससे किसानों को अपनी प्याज़ की फसल के लिए बड़ा बाजार मिलेगा और उन्हें मुनाफ़ा भी ज्यादा मिलेगा। 

ग़ौरतलब है की सितंबर 2019 में प्याज़ की बढ़ी हुई कीमतों को देखते हुए सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। पर अब स्थितियाँ बदल गई हैं और प्याज़ के रेट स्थिर हो गए हैं। इसके साथ साथ देश में प्याज़ की बम्पर पैदावार भी हुई है जिसे देखते हुए खाद्य मंत्री रामविलास पासवान प्याज़ के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाने की घोषणा की है।

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रोपाई के समय रखें इन बातों का ध्यान, खीरे की फसल से मिलेगा ज़बरदस्त उत्पादन

  • इसके बीजों की बुआई मेढ़ो पर की जाती है और पौधों के बीच की दूरी 1 से 1.5 मीटर के लगभग रखी जाती है।
  • जब खीरे को मण्डप आकार वाले ढाँचे का सहारा देकर उगाया जाता है तब इसे 3*1 मीटर की दूरी पर उगाया जाता है।
  • बीजों की बुआई 0.5 से 75 मीटर की दूरी पर की जाती है तो प्रत्येक गड्ढे में 4-6 बीज को बोया जाता है।
  • गड्ढे के सभी बीजों के उग जाने के बाद उसमे से दो पौधे को ही वृद्धि के लिए रखा जाता है।
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 गेहूं का भंडारण करते समय रखें इन बातों का ख्याल

  • सुरक्षित भंडारण हेतु गेहूं के दानों में 10-12% से अधिक नमी नहीं होनी चाहिए।
  • अनाज को बोरियों, कोठियों या कमरे में रखने के बाद एल्युमिनियम फास्फाइड 3 ग्राम की दो गोली प्रति टन की दर से रखकर बंद कर देना चाहिए।
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मार्च-अप्रैल में फसलों की इन किस्मों की करें बुवाई, तो ज़रूर बढ़ेगी पैदावार

क्र.  फसल का नाम        प्रमुख किस्म के नाम (कम्पनी का नाम)
1. करेला नागेश (हाइवेज),अमनश्री, US1315 (ननहेमस),आकाश (VNR)
2. लौकी आरती
3. कद्दू कोहीनूर (पाहुजा), VNR 11 (VNR)
4. भिंडी राधिका, विंस प्लस (गोल्डन), सिंघम (ननहेम्स), शताब्दी (राशि)
5. धनिया सुरभी (नामधारी), LS 800 (पाहुजा)
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मिर्च में मोजेक वायरस का प्रबंधन

  • मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें। 
  • प्रतिरोधक किस्मों जैसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादि को लगाएँ। 
  • वैक्टर को कम करने के लिए एसिटामिप्रीड 20% एसपी @ 130 ग्राम/एकड़ का नियमित अंतराल पर छिड़काव करें या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 40 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
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मिर्च में मोजेक वायरस की पहचान

image source - https://www.indiamart.com/proddetail/heavy-duty-agro-shade-net-house-15933969848.html
  • इस वायरस के संपर्क में आने से पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे निकलते हैं।
  • इसके कारण हलके गड्ढे और फफोले भी दिखाई पड़ते हैं।
  • कभी-कभी पत्ती का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाता है।
  • यह सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है।
  • इस वायरस से ग्रषित पौधों में फूल और फल कम लगते हैं।
  • इसके कारण फल भी विकृत और खुरदुरे हो जाते हैं।
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ऐसे करें सब्जियों के लिए रोग मुक्त नर्सरी का निर्माण

  • बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें
  • बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशासित फफूंदनाशक से करना चाहिए
  • एक ही प्लॉट में बार-बार नर्सरी नहीं बनाना चाहिए 
  • नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिए तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिए
  • मृदा सौर्यीकरण करना चाहिए जिसके अंतर्गत गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है
  • आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव नियंत्रण एजेंट ट्राइकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ के अनुसार देना चाहिए।
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मिश्रित खेती के अंतर्गत लगायी जाने वाली फसलें

 

क्र. मुख्य फसल         अंतरसस्य फसले 
1. सोयाबीन  मक्का, अरहर
  • इंटरकल्चरल या मिश्रित फसलों के लिए, सब्जियों की वृद्धि दर, जड़ों का वितरण, पौष्टिक प्रकृति, कीटों के प्रकोप और बीमारी, बाजार की मांग आदि पर विचार किया जाना चाहिए।
  • फसल प्रणाली स्थायी नहीं होनी चाहिए और यह मौसम, कीट और बीमारियों के प्रकोप, बाजार मूल्य और मांग तथा उत्पादक के अनुसार बदलना चाहिए।
2. भिड़ी    धनियाँ, पालक 
3. कपास  मूँगफली, उड़द, हरी मूंग, मक्का
4. मिर्ची  मूली, गाजर 
5. आम  हल्दी, प्याज 

 

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Gramophone organised its ‘Field Day’

ग्रामोफ़ोन के फील्ड डे पर उमड़ी किसानो की भीड़ – 08 दिसंबर, 2018 को, ग्रामोफोन ने अपना ‘फील्ड डे’ आयोजित किया जहां सामान्य तौर उपयोग की जाने वाली कृषि पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई आधुनिक कृषि पद्धतियों से किया गया। ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों ने किसान को हर कदम पर निर्देशित किया और फसल चक्र की समीक्षा की जिस वजह से फसल की गुणवत्ता बहुत अच्छी है और परिणाम काफी उत्साहजनक हैं। बैंकपुरा गांव (धामनोद) के किसान मनीष अग्रवाल ग्रामोफ़ोन के बारे में कहते है की, “मैं इस सीजन में ग्रामोफोन के विशेषज्ञों से मदद ले रहा हूं और अन्य क्षेत्रों की तुलना में, मेरी फसल स्वस्थ है और मुझे उम्मीद है कि इस बार 30-40% ज़्यादा उत्पादन होगा”।

आइये देखते है सामान्य किसान द्वारा की खेती की फसल की गुणवत्ता का ग्रामोफ़ोन द्वारा आधुनिक पद्धतियों से उगाई गई फसल का तुलनात्मक अध्ययन

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Today’s Gramophone Farmer

नाम:- सुरेश वर्मा

गाँव:- कनारदी

तहसील:- तराना

जिला:- उज्जैन

समस्या:- टमाटर की नर्सरी में पत्ती झुलसा रोग|

नियंत्रण:- मेटॉलेक्ज़ील 8% + मेंकोजेब 64% @ 50 ग्राम का स्प्रे करें |

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