Management of Mealy Bug in Cotton

  • पुरे साल खेत खरपतवार मुक्त रखना चाहिए |
  • खेत की निगरानी रखनी चाहिए ताकि शुरुआत में ही कीट को देखा जा सके|
  • अधिकतम नियंत्रण के लिए शुरुआती अवस्था में ही प्रबंधन के उपाय करें |
  • आवश्यकता होने पर नीम आधारित वानस्पतिक कीटनाशक जैसे नीम तेल @ 75 मिली प्रति पंप या नीम निंबोली सत @ 75 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|
  • रासायनिक नियंत्रण के लिए डायमिथोएट @ 30 मिली प्रति पम्प या प्रोफेनोफॉस @ 40 मिली प्रति पम्प या ब्यूप्रोफेज़िन @ 50 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Mealy Bug in Cotton

  • मिली बग कपास के पत्तों के नीचे बड़ी संख्या में समूह बना कर एक मोम की परत बना लेते हैं |
  • मिली बग बड़ी मात्रा में मधुस्राव छोड़ता हैं जिस पर काली फफूंद जमती हैं|
  • ग्रसित पौधे कमज़ोर और काले दिखाई देते है जिससे फलन क्षमता कम हो जाती है|

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Control of Verticillium wilt in cotton

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 2 किलो प्रति एकड़ की दर से बुवाई के पहले 40- 50 किलो गोबर की खाद के साथ मिला कर जमीन में मिलवाये |
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे |
  • ट्राईकोडर्मा विरिडी @ 1 किलो + सूडोमोनास फ्लोरोसेंसे @ 1 किलो का घोल 200 लीटर पानी में मिला कर ड्रेंचिंग करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें |
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें | ( या ) 
  • कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 46% WP @ 300 ग्रामं प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करे | 

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Verticillium wilt of cotton

 

  • प्रारंभिक अवस्था में संक्रमित पौधे गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं।
  • लक्षण पत्तियों की शिराओ का कांसे के जैसे रंग में परिवर्तित होना हैं
  • अंत में पत्तियां सूख कर झुलसे के सामान लगती है।
  • इस स्तर पर, विशिष्ट लक्षण देखने को मिलता हैं जिसे “टाइगर स्ट्राइप” या “टाइगर क्लॉ” कहते हैं।
  • ग्रसित पत्तिया झड़ जाती हैं तथा रोग के लक्षण तनो एवं जड़ो पर भी दीखते हैं |

 

 

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Control of Fusarium wilt in cotton crop

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

 

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Symptoms of Fusarium wilt in cotton

  • इस रोग का  रोग कारक फ्यूसेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. हैं 
  • कपास में होने वाले सभी रोगो में यह एक मुख्य रोग के रूप में देखा जाता हैं ।
  • इस रोग में पत्तिया किनारो से मुरझाना शुरू करती हैं तथा मुख्य शिरा की ओर मुरझाती चली जाती हैं | 
  • पत्तियों की शिराये गहरी, संकरी और धब्बे वाली हो जाती हैं। तथा अंत में पौधा सुख कर मर जाता हैं | 
  • इस  रोग का मुख्य लक्षण जड़ो के पास वाले तने का अंदर से क्षतिग्रस्त होना हैं।

 

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Control of Fusarium wilt in cotton crop

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

 

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Symptoms of Fusarium wilt

  • इस रोग का  रोग कारक फ्यूसेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. हैं 
  • कपास में होने वाले सभी रोगो में यह एक मुख्य रोग के रूप में देखा जाता हैं ।
  • इस रोग में पत्तिया किनारो से मुरझाना शुरू करती हैं तथा मुख्य शिरा की ओर मुरझाती चली जाती हैं | 
  • पत्तियों की शिराये गहरी, संकरी और धब्बे वाली हो जाती हैं। तथा अंत में पौधा सुख कर मर जाता हैं
  • इस  रोग का मुख्य लक्षण जड़ो के पास वाले तने का अंदर से क्षतिग्रस्त होना हैं।

 

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How to control “Pink boll-worm”

  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करना चाहिए |
  • पुरानी फसल या पौधे के अवशेषो को नष्ट करना चाहिए |
  • मेटाराईजीयम स्पीसीज @ 750 मिली/एकड़ का स्प्रे करें| तथा दूसरा स्प्रे 15-20 दिन के अंतराल पर करें | इससे गुलाबी इल्ली का अच्छा नियंत्रण होता हैं।
  • क्विनालफॉस 25% ईसी @ 300 मिली/एकड़  प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 400 मिली/एकड़ की मात्रा का स्प्रे करे|
  • फेनप्रोपथ्रिन 10% ईसी @ 400 मिली/एकड़ की मात्रा का स्प्रे करे।

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“Pink bollworm” Nature of damage

  • यह कपास का एक मुख्य कीट हैं जो, कपास के उत्पादन तथा गुणवत्ता दोनों को नुकसान पहुँचता हैं | 
  • इस कीट की  4 अवस्थाए होती हैं, इस कीट की इल्ली कोमल गुलाबी रंग की होती हैं | इस कीट की इल्ली ही फसल को नुकसान पहुँचती हैं |
  • इस कीट के वयस्क कपास के फूलो के अंदर अंडे देते हैं इन अंडो से निकली इल्ली अंदर ही अंदर बॉल को खाती हैं इसी वजह से बाहर की तरफ कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं | 
  • बॉल को खोलकर देखने पर अंदर की रुई सड़ी हुई दिखाई देती हैं यह इल्ली बीज को काट कर दो भागो में बाँट देती हैं|
  • संक्रमित पौधे से बॉल खुलने से पहले गिर जाते हैं जिससे उत्पादन कम हो जाता हैं |

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