Potash Deficiency and Their Control in Cotton

कपास में पोटाश की कमी एवं निदान :-

फुल खिलने से पहले, कपास में पोटेशियम की कमी पुरानी पत्तियों पर पीलापन के रूप में दिखाई देती । पत्तियों का पीलापन  धीरे धीरे लाल/सुनहरे रंग में बदलने लगता हैं इसके बाद उत्तक क्षय हो कर रोग के समान लक्षण दिखने लगते हैं| पत्तियाँ लटक जाती हैं और गूलर ठीक से नहीं खिलते हैं| पत्तियाँ मुड़ जाती हैं ओर सुख जाती हैं |

निदान :- 00:52:34 या 00:00:50 @100 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे दो से तीन बार करें|

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Phosphorus Deficiency in Cotton

कपास में फास्फोरस की कमी:-

फॉस्फोरस की कमी वाले पौधों की पत्तियां का आकार छोटी तथा गहरे हरे रंग की रहती हैं। कमी के लक्षण सबसे पहले कपास की निचली या पुरानी पत्तियों में पर दिखते होता है। पत्तियों के हरे रंग की गहराई बढ़ती है, जिससे फॉस्फोरस की कमी हो जाती है| फॉस्फोरस की अत्यधिक कमी न केवल पौधे के आकार को कम करती है, बल्कि द्वितीयक शाखाओं की कमी और घेटों की संख्या भी कम होती है। इसकी कमी से  फूल खिलने, फलने और परिपक्वता में देरी होती है| छोटी पत्तियां अधिक गहरे हरे रंग की दिखाती हैं। पुराने पत्ते आकार में छोटे हो जाते हैं और बैंगनी और लाल रंगद्रव्य विकसित होते हैं।

निदान :- 12:61:00 या 00:52:34  @100 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Nitrogen deficiency in Cotton

कपास में नाइट्रोजन की कमी:-

नाइट्रोजन की कमी से पत्तियां पीले हरे रंग की हो जाती है तथा पत्तियों का आकार भी छोटा रह जाता है । यह कपास में नाइट्रोजन की कमी का सबसे मुख्य लक्षण है। कोशिकाएं एंथोकाइनिन नामक लाल रंगद्रव्य के विकास के साथ असंगठित हो जाती हैं। नाइट्रोजन की कमी वाले पौधे का वानस्पतिक विकास भी कम होता है तथा पौधा बौना रह जाता है ।

निदान :- 19:19:19 @100 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Integrated Management of Pink Bollworm in Cotton

ऐसे करें कपास में गुलाबी इल्ली का समेकित प्रबंधन –

  • कपास की फसल को जनवरी महीने तक हर हालत में समाप्त कर दे |
  • गुलाबी इल्ली के पतंगों की गतिविधि की निगरानी के लिए बुवाई के 45 दिन बाद खेत में फेरोमोन ट्रैप 5 प्रति हेक्टेर की दर से स्थापित कर दे |
  • गुलाबी इल्ली की उपस्थिति जानने के लिए कली तथा पुष्पन अवस्था पर फसल का निरीक्षण करें तथा पुष्प के अन्दर सुंडी की उपस्थिति का आकलन करें |
  • मान्यता प्राप्त व सिफारिश की हुई किटनाशक का उपयोग करें |
  • कीटनाशको का मिश्रण करके छिडकाव ना करें |
  • सफ़ेद मक्खी का संक्रमण टालने हेतु नवम्बर माह के पहले कोई भी सिंथेटिक पायरेथ्रोइड इस्तेमाल ना करें |
  • फसल के विभिन्न पोधो से 20 हरे गुलरो को तोड़कर गुलाबी इल्ली की उपस्थिति और क्षति का निरिक्षण करें |
  • साफ़ सुथरी और कीटग्रस्त कपास को चुनकर अलग -अलग रखे |

 

गुलाबी इल्लियों के प्रबंधन के लिए सिफारिश किए गए कीटनाशक :-

 

महिना कीटनाशक मात्रा  प्रति 10 ली .पानी *
सितम्बर क्विनॉलफॉस 25 EC

थियोडिकार्ब 75 WP

20 मिली

20 ग्राम

अक्टूबर क्लोरोपाइरीफास 20 EC

थियोडिकार्ब 75 WP

25 मिली

20 ग्राम

नवंबर फेनवेलेरेट 20 EC

साइपरमेथ्रिन 25 EC

10 मिली

10 मिली

 

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Bacterial Blight of Cotton

कपास में जीवाणु धब्बा रोग:-

लक्षण-  इस बिमारी के लक्षण पत्ते, तने तथा कपास के घेटों के ऊपर दिखाई देते है इसमें पौधे के सभी वायवीय भागो पर काले तथा हल्के भूरे धब्बे नजर आते है | जैसे जैसे बीमारी विकसित होती जाती है, छोटे धब्बे बड़े घावों में मिलते जाते हैं, बैक्टीरिया पत्ती की  नसों में प्रवेश कर जाता है | धब्बो की वजह से पत्तियों का क्लोरोफिल समाप्त हो जाता है जिसकी वजह से पौधा भोजन नहीं बना पता है |

नियंत्रण –  स्ट्रैपटोमाइसीन + टेट्रासाइक्लीन @ 2 ग्राम या कासुगामायसीन @ 30 मिली./ प्रति पम्प का का छिडकाव 7-10  दिन के अंतराल में दो बार करें |

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Management of Leaf reddening in Cotton

कपास में लाल पत्ति का प्रबंधन:-

  • घेटे के विकास के समय खराब वातावरणीय स्थिति से बचने के लिए समय पर बुआई करें |
  • उचित समय पर यूरिया (1%) के एक या दो स्प्रे करें।
  • बुआई के 40-45 दिन में मैग्नीशियम सल्फेट 10-12 किलो प्रति एकड़ के अनुसार दें|
  • जल भराव से बचने के लिए उचित जलनिकासी करें |
  • रस चुसक कीटों के कारन होने वाले लालपन को रोकने के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग करें|
  • अधिक घेटे लगने पर प्रबंधन करें|
  • फूल और घेंटों के विकास के दौरान विशेष रूप से संकर किस्म में पर्याप्त पोषक तत्वों की पूर्ति करें |
  • अंतर शस्य क्रियाये, निदाई एवं अन्य कृषि कार्य समय पर करें |
  • जिन किस्मों में यह समस्या आती है उन्हें नहीं लगाना चाहिए|
  • उपलब्ध होने पर पर्याप्त सिंचाई करें |
  • मिट्टी के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र और अंतरवर्तीय फसलें अपनाए।

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Basal dose of fertilizers for Cotton

कपास के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • यदि मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 65 किलो, यूरिया 50 किलो और पोटाश 50 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई पूर्व देना चाहिए |
  • यदि बुआई पूर्व खाद नहीं दिया हो तो बुआई के 25 दिन बाद देना चाहिए|
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म  और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

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Criteria of Selection of Cotton Variety

कपास की किस्म के चयन में ध्यान रखने योग्य बातें:-

  • प्रतिरोधकता:- चयन की जाने वाली किस्म कीट व रोग रोधी होना चाहिए |
  • उपज स्थिरता:- उपज स्थिरता अच्छी किस्म का गुण होता है जिसमें विभिन्न वातावरण में भी अच्छी उपज देने की क्षमता हो|
  • परिपक्वता अवधि:- परिपक्वता एक संकेत है कि किस्म को बोने से कटाई तक कितना समय लगेगा। कपास की किस्में  परिपक्वता को अक्सर जल्दी, मध्यम, देर के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • रेशे की गुणवता :- उपज की कीमत रेशे की गुणवत्ता से सकारात्मक या नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकती है। रेशे की गुणवत्ता रेशे  की लंबाई, मजबूती और समानता आनुवंशिकी से काफी प्रभावित होती है और पर्यावरण द्वारा बहुत कम प्रभावित होती है।
  • उपलब्घ पानी :- किस्म का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे पास पानी की क्या व्यवस्था है और हमें किस तरह की किस्म चाहिए जैसे सिंचित, अर्धसिंचित एवं वर्षा आधारित |

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Land Preparation of Cotton

कपास के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम,भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|
  • फास्फोरस एवं  पोटाश की पुरी मात्रा और नाइट्रोजन की 25 से 33 प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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कपास की कीमतों में बढ़ोतरी के आसार

27% बढ़ सकता है कॉटन एक्सपोर्ट :- चीन द्वारा अमरीका से आयातित उत्पादों पर आयात शुल्क लगा देने से अमरीकन कपास मंहगी हो गई है| इसलिए चीन ने हाल में भारत से 2 लाख गाँठ कपास के आयात सौदे किये है | आगामी फसल सीजन में भारत से चीन को 25-30 लाख गाँठ निर्यात होने का अनुमान है | देश में कपास का निर्यात 70 लाख गाँठ तक पहुचने की उम्मीद है निर्यात पिछले अनुमान से करीब 27 फीसदी अधिक रहा सकता है| जानकारों का कहना है की कॉटन की एक्सपोर्ट मांग बेहतर होने से घरेलु कपास उत्पादकों को फायदा होगा |

स्त्रोत :- पत्रिका न्यूज नेटवर्क

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