Soil solarization in chilli nursery

  • फफूंद जनित रोग तथा कीट आदि से बचाव के लिए मिर्च फसल की नर्सरी तैयार करने से पहले ग्रीष्म कालीन सौरीकरण किया जाना चाहिए|
  • सौरीकरण के लिए उपयुक्त समय अप्रैल-मई होता हैं क्योकि इस समय वातावरण का तापमान 40ºC तक बढ़ जाता हैं।
  • सर्वप्रथम मिट्टी को पानी से गीला करें, या पानी से संतृप्त करें।
  • इसके बाद लगभग 5-6 सप्ताह के लिए पूरे नर्सरी क्षेत्र पर 200 गेज (50 माइक्रोन) की पारदर्शी पॉलीथीन फैलाएं।
  • पॉलिथीन के किनारो को गीली मिट्टी की सहायता से ढंकना चाहिए जिससे हवा का प्रवेश पॉलीथीन के अंदर न होने पाए।
  • 5-6 सप्ताह के बाद पॉलीथिन शीट को हटा दें|

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Disease Free Nursery bed preparation and Season of Transplanting for Chilli

मिर्च के लिए नर्सरी बनाना:-

  • खेत की जुताई कर मिट्टी को भूरभूरी बना दे।
  • एक हेक्टेयर खेत के लिए 180 मि X 1.2 मि.(3 मि. X 1.2 मि के छोटे खण्ड) नर्सरी की आवश्यकता होती है।
  • अच्छी तरह पकी हुई गोबर की सड़ी हुई खाद की एक बैलगाड़ी या कम्पोस्ट व 10 किलो सुपर फॉस्फेट को मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें।
  • सफेद चिटियों से बचाव के लिए मिट्टी में 30 ग्राम एलड्रिन या घुलनशील डाईएलड्रिन मिलाये।
  • क्यारियों को लगभग 15 से.मी. ऊँची रखे जिससे जल निकास अच्छी हो।
  • आर्द्र पतन रोग से बचाव के लिए नर्सरी की मिट्टी का रासायनिक उपचार फॉर्मेलीन (फॉर्मेलडिहाईड 40%) बीज बोने के एक सप्ताह पहले करें।
  • स्वस्थ बीजों का उपयोग करें। बीजों को कार्बेन्डाजिम+ मैंकोजेब 75% 2 ग्राम/किलों बीज की दर से उपचारित करें।
  • एक स्थान पर बार-बार नर्सरी का निर्माण न करें।
  • जैविक नियंत्रक ट्राइकोडरमा विरिडी 1.2 किलो/हेक्टेयर की दर से करे।

रोपाई का उचित समय:-

  • अगस्त का महीना मिर्च की बुआई के लिए सर्वोत्तम है, ततपश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है।
  • अगस्त में बुआई करने पर पौधों की बढ़वार एवं उपज ज्यादा होती है।

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Management of Chilli Thrips

मिर्च में थ्रिप्स का प्रबंधन:-

लक्षण :-

  • रोग से ग्रस्तित पत्तिया ऊपर की और मुड़ती हुई दिखाई देती है|
  • कलिया नाज़ुक हो कर गिर जाती है|
  • शुरूआती अवस्था में फसल की वृद्धि और फूलो की मात्रा में कमी आती है |

प्रबंधन:-

  • ज्वार की फसल के बाद मिर्च की फसल नहीं लगाना चाहिए |
  • मिर्च और प्याज की मिश्रित खेती ना करें|
  • बीज का उपचार इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूएस @ 12 ग्राम / किग्रा  से करें|
  • कार्बोफुरन 3% जी @ 33 किलो / हेक्टेयर या फोरेट 10% जी @ 10 किलो / हेक्टेयर जमीन से दें |
  • इनमे से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करे |

 

           कीटनाशक मात्रा
इमिडाक्लोप्रिड 17.8 % एस.एल. 100 मिलि/एकड़
डायमिथोएट 30 % ईसी 300 मिलि/एकड़
इमामेक्टिन बेन्झोएट 5 % एसजी 100 ग्राम/एकड़
प्रोफेनोफोस  50% ईसी 500 मिली/एकड़
फिप्रोनिल 5 % एससी 500 मिलि/एकड़
स्पिनोसेड  45 % एससी 70 मिली/एकड़

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Control of Fruit Rot and Dieback in Chillies

मिर्च में फल सडन एवं डायबेक रोग:-इसके लक्षण फुल आने पर नजर आते है पत्ती पर काले धब्बे नजर आते है और पौधा बीच में से टूट जाता है| फुल सुख जाते है तथा पौधा ऊपर से नीचे सूखने लगता है|

नियंत्रण:- रोग पर अच्छे नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाईल 70% @ 30 ग्राम/पंप या हेक्साकोनाज़ोल 5 % +केपटान 70% WP @ 25 ग्राम/पम्प का स्प्रे करें | पहला स्प्रे फुल आने से पहले, दुसरा फल बनाने लगे तब तथा तीसरा स्प्रे दुसरे के 15 दिन बाद करें |

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Time of Transplanting of Chilli

मिर्च की रोपाई का समय:-

  • मिर्च की रोपाई जुलाई- सितम्बर तक की जाती है|
  • अगस्त का महीना मिर्च की रोपाई के लिए सर्वोत्तम है, तत्पश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है|
  • अगस्त में रोपाई करने पर पौधों की बढ़वार एवं उपज ज्यादा होती है|

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Basal dose of fertilizers for Chilli

मिर्च के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • यदि मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 100 किलो, यूरिया 50 किलो और पोटाश 50 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई पूर्व देना चाहिए |
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

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Land Preparation of Chilli

मिर्च  के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम,भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • फास्फोरस  एवं  पोटाश की पुरी मात्रा  और नाइट्रोजन की 25 से 33  प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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Suitable Soil for Chilli Production

मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त मृदा (भूमि):-

  • सभी प्रकार की मिट्टी जहां से जल  निकास की व्यवस्था अच्छी हों की जा सकती हैं |
  • रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम हैं |
  • अधिक क्षारीय व् अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं  हैं |  
  • भूमि का पी.एच. मान 6- 7 होना चाहिये |
  • अधिक लवणीय भूमि अंकुरण एवं बढवार को कम करता हैं |   

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Suitable Climate for Chilli

मिर्च के लिए उपयुक्त जलवायु :-

  • गर्म आद्र जलवायु में उष्णकटिबंधीय एवं क्षेत्रो  में ऊगाई जाती हैं |
  • 15-30  डिग्री से तापमान,मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त है |
  • जहां पर औसत वार्षिक वर्षा- 1200 मि.मि. होते हे  वहा पर यह वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है |
  • अधिक गर्मी में फूल एवं फल झड जाते है |
  • प्रतिदिन 9-10 घंटे की धूप रहने पर फसल उत्पादन 21-24% तक बढ़ जाती हैं |

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Management of Mosaic Virus in chilli

लक्षण :-

  • रोग का मुख्य लक्षण पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे का प्रकट होना हे|
  • हलके गड्डे और फफोले भी दिखाई पड़ते है|
  • कभी-कभी पत्ते का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाती है|
  • रोगी पोधो में फूल और फल कम लगते है|
  • फल विकृत और खुरदुरे होते|

रोकथाम :-

  • ग्रसित पोधों को निकाल कर नष्ट करे|
  • प्रतिरोधक किस्मो जेसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादी को लगाये|
  • डायमिथोएट का 2 मिली/लीटर पानी में घोल बनाकर उचित अन्तराल पर छिडकाव कर कारक को रोके|

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