Control of Collar rot in chilli

  • रोगग्रस्त पौधे के अवशेषों को नष्ट करें|
  • जल निकास की व्यवस्था करें व फसल चक्र अपनायें|
  • नर्सरी का निर्माण ऊँची जगह पर करें|
  • बीजो का उपचार कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 64% @ 3 ग्राम / किलो बीज की दर से करें|
  • कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम या मेटालेक्ज़िल8% + मैनकोजेब 64% @ 500 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें|

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Symptoms of Collar rot in chilli

  • भूमि के पास स्तम्भ के आधार पर फफूंद उत्तक क्षय करके पौधे को सुखा देता है|
  • पौधे में विकृति उत्पन्न होना इसका मुख्य लक्षण है।
  • ऊतकों के गल जाने के कारण पौधा मर जाता हैं।
  • जमीनी के पास वाले तने  के पास में माइसेलिया इकठा हो जाता  हैं।
  • पौधे के आस पास पानी जमा होने से या पौधे में कोई यांत्रिक क्षति होने पर इस रोग की संभावना अधिक बड़ जाती हैं 

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How to increase flowering and fruiting in chilli crop

  • किसी  भी फसल में फूल वाली अवस्था बहुत ही महत्वपूर्ण होती है |
  • मिर्च में फूलो का गिरना एक आम समस्या है।
  • मिर्च के उत्पादन में फूलों की संख्या बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती है |
  • नीचे दिए गए कुछ उत्पादों के द्वारा मिर्च की फसल में फूलों को झड़ने से बचा कर उनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है परिणाम स्वरूप उपज बढ़ जाती हैं |
  • होमोब्रासिनोलॉइड 0.04% डब्लू/डब्लू 100-120 मिली/एकड़ का स्प्रे करें या होशी नामक उत्पाद का 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें
  • समुद्री शैवाल का सत् 180-200 मिली/एकड़ का उपयोग करें|
  • सूक्ष्म पोषक तत्त्व 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|

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Control of Mites in Chilli

मिर्च में मकड़ी का नियंत्रण:-

  • छोटे मकड़ी जैसे कीट होते जो अधिक संख्या में पत्तियों के नीचे जालों से ढंके रहते हैं।
  • शिशु एवं वयस्क पत्तो से रस चूसते हैं।
  • प्रभावित पत्तियाँ किनारो मे मुड़ कर उल्टी नौका जैसे बन जाती हैं।
  • पत्तियों के डंठल लम्बे एवं छोटी पत्तियाँ दाँतेदार होकर गुच्छेदार हो जाती है।
  • पत्तियाँ गहरे धूसर रंग की एवं कम हो जाती है तथा फूल आने बन्द हो जाते है।
  • अधिक प्रकोप होने पर फल कड़े एवं सफेद धारीधार हो जाते है।   

नियंत्रण:-

  • माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए,  घुलनशील सल्फर 80% का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।  
  • अधिक प्रकोप होने पर प्रोपरजाईट 57% का  400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें |
  • इस कीट को फैलने से रोकने के लिये ग्रसित सभी प्रभावित भागों को इकट्ठा करके जला कर नष्ट कर देना चाहिये।  खेत की सफाई एवं उचित सिंचाई इस कीट की वृद्वि को नियंत्रित करती है।

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Aphids Attack in Chilli Crop

मिर्च में माहु का प्रकोप:-

  • शिशु एवं वयस्क कोमल, नाशपाती के आकार के काले रंग के होते हैं।
  • कोमल डालियों, पत्तो एवं पत्तो के निचले भाग में यह कीट रहते है।
  • यह कीट रस चूसकर,  वृद्धि कर रहे भागों पर नुकसान पहुँचाते है।
  • यह कीट मीठा पदार्थ का रिसाव करते हैं जो चिटीयों को आकर्षित करते है व काली फफूंद को विकसित करते है।

नियंत्रण :- निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  

  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प
  4. फिप्रोनिल 5% @ 50 मिली प्रति पम्प

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Management of Fruit borer in chilli

  • वयस्क कीट के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 3-4/एकड़ का उपयोग करें |
  • पहला स्प्रे प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 300 मिली/एकड़ + क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी @ 500  मिली/एकड़ |
  • दूसरा स्प्रे प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 300  मिली/एकड़ + इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 80 -100 ग्राम/एकड़ या प्रोफेनोफॉस 300 मिली/एकड़ + फ्लुनिकामिड़ @100 ग्राम/एकड़ | 
  • तीसरा स्प्रे इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 80 -100 ग्राम/एकड़ + फेन्प्रोप्रेथ्रिन 10% ईसी @ 250-300 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 80-100 ग्राम/एकड़ + डेल्टामेथ्रिन @ 150 मिली/एकड़ |  
  • चौथा स्प्रे क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 9.3% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.6% जे सी@100 मिली/एकड़ या थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 1 लीटर या किलो/एकड़ की दर से स्प्रे करे 

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Symptoms of damage “Chilli Fruit Borer”

  • मिर्ची के फल के आधार पर एक गोलाकार छेद पाया जाता हैं हुर फल और फूल परिपक्व होने से पहले ही गिर जाते हैं | 
  • सामन्यतः इल्ली की लार्वा फलो के अंदर ही विकसित होती हैं | 
  • इल्ली की छोटी अवस्था में वह फलो पर एक छेद बनाकर नए विकसित फल को खाती हैं तथा जब फल परिपक्व हो जाते हैं तब यह बीजो को खाना पसंद करती हैं इस दौरान इल्ली अपने सर की फल के अंदर रख कर बीजो को खाती हैं एवं इल्ली का बाकी शरीर फल के बाहर रहता हैं | 

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Fertigation for good quality fruit of chilli at the time of 45-80 days after transplanting

  • फास्फोरस घोलक जीवाणु तथा पोटास वाहक जीवाणु @ 250 मिली एकड़ |
  • 13:00:45 – 1 किलो प्रति दिन प्रति एकड़।
  • 00:52:34 – 1.2 किलोग्राम प्रति दिन प्रति एकड़।
  • यूरिया – 500 ग्राम प्रति दिन प्रति एकड़।
  • सल्फर 90% डब्ल्यूडीजी – 200 ग्राम प्रति दिन प्रति एकड़।
  • कैल्शियम – 5 किलो प्रति दिन प्रति एकड़ (केवल एक बार)

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Problems and solutions of sucking pest in chilli:-

मिर्ची की फसल में रस चूसने वाले कीटों जैसे एफिड,जैसिड और थ्रिप्स की मुख्य समस्या रहती हैं | यह कीट मिर्ची की फसल में पोधो के हरे भागो से रस चूस कर नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पत्तिया मुड़ जाती हैं और जल्दी गिर जाती हैं | रस चूसक कीटों के संक्रमण से फंगस और वायरस द्वारा फैलने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ सकती हैं | अतः इन कीटों  का समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं:-

नियंत्रण:- प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या 

एसीफेट 75% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या 

लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200-250 मिली/एकड़ या

फिप्रोनिल 5% SC @ 300-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए | अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर कॉल करे |

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Transplanting Precautions in Chilli

  • मिर्च की रोपाई जुलाई-सितम्बर तक की जाती है |
  • अगस्त का महीना मिर्च की रोपाई के लिए सर्वोत्तम है, तत्पश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है |
  • ट्रांसप्लांटिंग से 5-7 दिन पहले टेबुकोनाज़ोल का स्प्रे या ड्रेंचिंग करे जिससे की डम्पिंग ऑफ की समस्या न आये | ट्रांसप्लांटिंग से पहले रोपे की जड़ो को माइकोराइजा के घोल (100 ग्राम/10 लीटर पानी ) में डुबोये |
  • पौधों की स्पेसिंग ( कतार से कतार X पौधे से पौधे 3.5-5 फ़ीट X 1-1.5 फ़ीट ) को उचित अनुपात में रखना चाहिए|
  • अगर खेत में कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो कार्बोफुरोन 3G @ 8 किलो/एकड़ की दर से बुरकाव करे| साथ ही खेत में पौधे सूखने की समस्या आती हो तो ट्राइकोडर्मा 4 किलो/एकड़ की दर से बुरकाव करे |

 

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