Control of anthracnose in bottle gourd

  • खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर बीमारी के फैलने से रोकना चाहिये।
  • बीजों को कार्बेन्डाजिम 50% WP फफूदनाशक के द्वारा 2.5 ग्राम की दर से उपचारित करें।
  • 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75%डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

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Fertilizers dose of Bottle gourd

  • खाद और उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करता है।
  • खेत की तैयारी करते समय 11 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में मिलाना चाहिये ।
  • अंतिम जुताई के समय 30 कि. ग्राम यूरिया, 80 कि.ग्राम सिगल सुपर फास्फेट एवं 30 कि.ग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाये ।
  • शेष बचे हुये 60 कि.ग्राम यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बाँट कर डाले ।

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Irrigation in Bottle gourd

  • बीज को लगाने से पहले खेत की सिंचाई करें और उसके बाद सप्ताह में एक बार सिंचाई करें
  • फरवरी – मार्च में बोई गई फसल, की पहली सिंचाई बुवाई के 2-3 दिन बाद दी जाती है।
  • उसके बाद सिंचाई 7-8 दिन के अंतराल पर करें।

ड्रीप सिंचाई

  • ड्रिप सिस्टम स्थापित करें और इनलाइन पार्श्व ट्यूबों को 1.5 मीटर के अंतराल पर रखें। क्रमशः 4 लीटर प्रति घंटा और 3.5 लीटर प्रति घंटा क्षमता के साथ 60 सेमी और 50 सेमी के अंतराल पर ड्रिपर्स रखें।

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Fertilizer requirements in Bottle gourd

  • खेत की तैयारी करते समय 10 टन गोबर की खाद प्रति एकड़ के हिसाब से खेत में मिलाना चाहिये।
  • अंतिम जुताई के समय 30 कि. ग्राम यूरिया, 80 कि.ग्राम सिगलसुपरफास्फेट एवं 30 कि.ग्राम पोटाश प्रति एकड़ की दर से  खेत में मिलाये।
  • शेष बचे हुये 30  कि.ग्राम यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बाँट कर डाले।
  • फास्फोरस, पोटश की सम्पूर्ण मात्रा एवं नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बनाये गये प्रत्येक थाले में बोये गये बीज से 8 से 10 से.मी. के पूरी पर डाले।
  • खेत में नाइट्रोजन पोषक तत्व की कमी होने पर पत्तियाँ एवं लताएँ पीले रंग की हो जाती है, साथ ही पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
  • यदि भूमि में पोटेशियम की कमी होती है, तब पौधे की बढ़त पत्तियों का क्षेत्रफल कम हो जाता है और फूल झड़ने लगते है व फल लगने बंद हो जाते है।

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Sowing method and seed rate of Bottle gourd

  • अच्छे अकुरण के लिये बीजों को बुवाई के पहले 24-48  घंटे पानी में डूबा कर रखे।
  • एक एकड़ भूमि के लिये उन्नत किस्म के 1 से 1.5 कि. ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
  • एक गढ्ढे में चार से पाँच बीजों को बोया जाता है।
  • बीजों के अंकुरण के दो सप्ताह के बाद अस्वस्थ एवं छोटी वृद्धि वाले पौधों को उखाड़कर अलग कर देना चाहिये, ताकि प्रत्येक गढ्ढे में 2 से 3 स्वस्थ पौधे ही रहे।
  • संकर एवं प्राइवेट कम्पनी के किस्मों की बीज दर 300-500 ग्राम/एकड़ होती हैं| बीजदर किस्मों एवं लगाने के तरीकों पर निर्भर करती हैं|

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Seed Treatment in Bottle gourd

  • अच्छी गुणवत्ता एवं बीमारी और कीट से बचाव के लिए बुआई के पहले बीज उपचार जरूर करना चाहिए|
  • उपचार के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% फफूँदनाशक का उपयोग 2 ग्राम/किलोग्राम बीज की दर से करते है| या कार्बोक्सिन 37.5% + थाइरम 37.5%  2 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करें|
  • रस चूसक कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 600 एफ. एस. (48%) 1 एम.एल/कि.ग्रा से उपचारित कर सकते है|

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Soil preparation for Bottle gourd cultivation

  • प्रारंभिक तैयारी में खेत को डिस्क हेरो के द्वारा जोतने के बाद क्रास जुताई करनी चाहिये।
  • जुताई के समय 20 से 25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टयर की दर से भूमि में मिलाना चाहिये ।  
  • अंतिम जुताई करने के समय खेत को पाटा चलाकर भूरभूरी एवं समतल कर लेना चाहिए।  
  • यदि खेत में नेमाटोड एवं सफेद चिंटी का प्रकोप हो तो 10 किलो प्रति एकड़ की दर से कार्बोफ्यूरान कीटनाशक पावडर का छिड़काव करें।  
  • खेत को समतल करने के बाद 40 से 50 से.मी. चौड़ी नालियाँ लगभग 2 से 2.5 से.मी. की दूरी पर बनाये।  

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Suitable Climate and Soil Condition For Bottle Gourd

लौकी की खेती के लिए वातावरण एवं मिट्टी की उपयुक्त दशा:-

वातावरण –

  • लौकी एक उपोष्णकटिबंधीय सब्जी है इसके जल्दी विकास और उच्च उपज के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
  • अर्द्ध शुष्क पारिस्थितिक इस फसल के लिए उपयुक्त है।
  • रात और दिन का तापमान क्रमशः 18-22 °C और 30-35 °C इसके उचित विकास के लिए इष्टतम है।
  • 25-30°C तापमान पर बीज का अंकुरण जल्दी और अच्छा होता है |
  • इष्टतम तापमान पर उगाई गई फसल में मादा फूल और फल / पौधे का उच्च अनुपात होता है।

मिट्टी –

  • लौकी सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है लेकिन बहुत अधिक अम्लीय,लवणीय और क्षारीय भूमि मे इसकी खेती नहीं करना चाहिए|
  • बलुई या रेतीले लोम मिट्टी लोंकी के लिए सबसे उपयुक्त है।
  • अच्छी जल निकासी वाली कार्बनिक मिट्टी लोंकी की खेती के लिए उपयुक्त होती है |

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Suitable Soil for Bottle Gourd Cultivation

लौकी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी

  • लौकी को सभी प्रकार की भूमि पर आसानी से उगाया जा सकता है, परन्तु भूमि अधिक अम्लीय या क्षारीय या लवणीय नही होना चाहि्ये।
  • लौकी के लिये दोमट या बालुई दोमट मृदा सबसे उपयुक्त होती है।
  • मृदा को कार्बनिक पदार्थो से युक्त होना चाहिये, साथ ही उस भूमि में अच्छी, जल निकास की व्यवस्था हो।
  • इस फसल को मृदा जनित बीमारियों से बचाने के लिये एक ही खेत में कम से कम दो साल का फसल चक्र अपनाना चाहिये।

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Time of sowing of Bottle Gourd

लौकी की बुआई का समय:-

  • लौकी फसल को जनवरी से मार्च एवं सितम्बर एवं दिसम्बर के मध्य सफलतापूर्वक लगाया जाता है|
  • बारिश आधारित वाले क्षेत्रों में लौकी की बुआई मई से जून माह के प्रथम सप्ताह में बारिश के पहले कर देना चाहिए|

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