लौकी की फसल को फल छेदक से कैसे बचाएं?

How to avoid fruit borer in Bottle Gourd
  • एक ही खेत में लगातार एक जैसी फसल न लेते हुये फसल चक्र अपनाएं।
  • वयस्क मक्खी फूलों में अंडे देती है। अंडे मैगट में जाते हैं, जो फलों के अंदर खिलते हैं और सड़ने का कारण बनते हैं।
  • कीट के प्रभावी रोकथाम के लिए कीटनाशक के छिड़काव के पूर्व छेद किये गये फलों की तुड़ाई कर लें।
  • संक्रमित फलों का आकार बिगड़ जाता है और काटने पर दुर्गंध आती है।
  • कीटों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए बचाव के तौर पर फेरोमोन ट्रैप @ 4 जाल/एकड़ लगाए।
  • कीट रोकथाम के लिए इमामेक्टीन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम + बिवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें। या
  • क्लोरोपाईरिफोस 20% EC 300 मिली प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी के साथ छिडकाव करें। या
  • बाइफेंथ्रीन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से स्प्रे करें।

 

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लौकी में एल्टरनेरिया ब्लाइट नामक रोग का नियंत्रण

image source -https://www.exportersindia.com/saravana-enterprises/fresh-bottle-gourd-dindigul-india-1371932.htm
  • बीमारी की रोकथाम करने हेतु खेतों की सफाई करें एवं फसल चक्र अपनाएँ।
  • फफूंदनाशक 10 दिनों के अंतराल से मेंकोजेब 75% डब्ल्यू पी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ या
  • कीटाजिन 48.0 w/w @ 400 मिली/एकड़ का स्प्रे करें। 
  • क्लोरोथालोनिल 75 डब्ल्यू पी @ 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर भी छिड़काव किया जा सकता है।
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लौकी में एल्टरनेरिया ब्लाइट नामक रोग की पहचान

  • पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे बन जाते है जो भूरे रंग से परिवर्तित होकर आखिर में काले रंग के हो जाते हैं।
  • ये धब्बे किनारों से शुरू होते हैं जो बाद में संकेन्द्रीय रूप धारण कर लेते हैं।
  • अत्यधिक ग्रसित लताओं के अंदर चारकोलनुमा पावडर जमा हो जाता है।
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गिलकी एवं तुरई की फसल के लिए खेत की तैयारी के समय पोषक तत्व प्रबंधन:

image source -https://d2yfkimdefitg5.cloudfront.net/images/stories/virtuemart/product/nurserylive-sponge-gourd-jaipur-long.jpg
  • खेत की तैयारी के समय 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें
  • 30 किलोग्राम यूरिया 70 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को अंतिम जुताई के समय डालें
  • अन्य बचे हुये 30 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा को 8-10 पत्ती वाली अवस्था में तथा आधी मात्रा को फूल आने के समय डालें
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Control of Aphid in Bottle gourd

  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुड़कर मुड जाते है अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सुख जाती है व धीरे-धीरे पौधा सुख जाता है|
  • एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम / एकड़ या
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली / एकड़ या 
  • एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम ग्राम / एकड़ की दर से छिड़काव करे|

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Aphid in Bottle gourd

  • शिशु एवं वयस्को का समूह पत्तियों की निचली सतह पर चिपके हुये होते है, जो इनके ऊतको से रस चूसते है । 
  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुडकर मुड जाते है। अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती है व धारे-धीरे पौधा सूख जाता है। 
  • फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है। 
  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर या पौधे के भागों के ऊपर मधुरस का स्त्राव किया जाता है, जिन पर सूटी फंगस का विकास हो जाता है,जिसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, अंततः पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
  • सूटी फंगस द्धारा ग्रसित फल अनाकर्षक होते है, जिनका मूल्य कम हो जाता है । 

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Management of fruit fly in bottle gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है।
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है।
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे  हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में  मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों  को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये लौकी के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की  मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
  • डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करे | या 
  • लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली/एकड़। या
  • प्रोफेनोफॉस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ | 

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Symptoms of Fusarium wilt

  • इस रोग का  रोग कारक फ्यूसेरियम ऑक्सीस्पोरम एफ.एस.पी. हैं 
  • कपास में होने वाले सभी रोगो में यह एक मुख्य रोग के रूप में देखा जाता हैं ।
  • इस रोग में पत्तिया किनारो से मुरझाना शुरू करती हैं तथा मुख्य शिरा की ओर मुरझाती चली जाती हैं | 
  • पत्तियों की शिराये गहरी, संकरी और धब्बे वाली हो जाती हैं। तथा अंत में पौधा सुख कर मर जाता हैं
  • इस  रोग का मुख्य लक्षण जड़ो के पास वाले तने का अंदर से क्षतिग्रस्त होना हैं।

 

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Sowing method and seed rate of Bottle gourd

  • अच्छे अकुरण के लिये बीजों को बुवाई के पहले 24-48  घंटे पानी में डूबा कर रखे।
  • एक एकड़ भूमि के लिये उन्नत किस्म के 1 से 1.5 कि. ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
  • एक गढ्ढे में चार से पाँच बीजों को बोया जाता है।
  • बीजों के अंकुरण के दो सप्ताह के बाद अस्वस्थ एवं छोटी वृद्धि वाले पौधों को उखाड़कर अलग कर देना चाहिये, ताकि प्रत्येक गढ्ढे में 2 से 3 स्वस्थ पौधे ही रहे।
  • संकर एवं प्राइवेट कम्पनी के किस्मों की बीज दर 300-500 ग्राम/एकड़ होती हैं| बीजदर किस्मों एवं लगाने के तरीकों पर निर्भर करती हैं|

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How to increase flowering in Bottle gourd?

  • लोकी के पोधे में मादा फूलो से अधिक फल बनते हे  जिससे उत्पादन ज्यादा होता है
  • जब पोधे पर 6-8 पत्तीया आ जाए तब, इथेलीन या जिब्रेलिक अम्ल  0.25-1ml प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर लोकी के बेलों और फूलो पर छिडकाव करे , जिससे मादा फूलो एवं फलो की संख्या बढ़ जाती है और दुगुनी हों सकती  है

इस छिडकाव का असर पोधो पर 80 दिनों तक रहता है

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