मिट्टी और उसकी तैयारी: – विभिन्न मृदाओ पर लहसुन उगाया जा सकता है। लेकिन रेतीली दोमट, चिकनी दोमट और गहरी भुर भूरी मिट्टी लहसुन की फसल के लिए सबसे उपयुक्त हैं। 5-6 जुताई के द्वारा भूमि तैयार की जाती है। अधिकतम पीएच श्रेणी 5.8 और 6.5 के बीच हो। पीएच स्तर को बनाए रखने के लिए प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम जिप्सम का उपयोग करें। (मिट्टी पीएच स्तर के अनुसार) भूमि को ऐसे तरीके से तैयार किया जाना चाहिए कि अत्यधिक पानी आसानी से बाहर निकाला जा सकता है और खरपतवार मुक्त बन सके| आखरी जुताई से पहले 15-20 टन अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद खेत में देनी है |
ShareFertilizer application for Chickpea
चने की फसल दलहनी होने के कारण इसको नाइट्रोजन की कम आवश्यकता होती है क्योंकि चने के पौधों की जड़ों में ग्रन्थियां पाई जाती है। ग्रन्थियों में उपस्थित जीवाणु वातावरण की नाइट्रोजन का जड़ों में स्थिरीकरण करके पौधे की नाइट्रोजन की पूर्ति कर देती है। लेकिन प्रारम्भिक अवस्था में पौधे की जड़ों में ग्रंन्थियों का पूर्ण विकास न होने के कारण पौधे को भूमि से नाइट्रोजन लेनी होती है। अतः नाइट्रोजन की आपूर्ति हेतु 20 कि.ग्रा. नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर की आवश्यकता होती है। इसके साथ 40 कि.ग्रा. फॉस्फोरस प्रति हैक्टेयर की दर से देना चाहिये। नाइट्रोजन की मात्रा यूरिया या डाई अमोनियम फास्फेट (डीएपी) तथा गोबर खाद व कम्पोस्ट खाद द्वारा दी जा सकती है। जबकि फास्फोरस की आपूर्ति सिंगल सुपर फास्फेट या डीएपी या गोबर व कम्पोस्ट खाद द्वारा की जा सकती है। एकीकृत पोषक प्रबन्धन विधि द्वारा पोषक तत्वों की आपूर्ति करना लाभदायक होता है। एक हैक्टेयर क्षेत्र के लिए 2.50 टन गोबर या कस्पोस्ट खाद को भूमि की तैयारी के समय अच्छी प्रकार से मिट्टी में मिला देनी चाहिये। बुवाई के समय 22 कि.ग्रा. यूरिया तथा 125 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट या 44 कि.ग्रा. डीएपी में 5 किलो ग्राम यूरिया मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से पंक्तियों में देना पर्याप्त रहता है।
ShareSubsidy for Fruit Planting
प्रदेश की भूमि, जलवायु, तथा सिंचाई सुविधा की उपलब्धता के आधार पर यह योजना प्रदेश में संचालित है | योजना में कृषकों को आम, अमरुद, संतरा, मोसम्बी, सीता फल, बेर, चीकू एवं अंगूर, टिशु कल्चर पध्दति से उत्पादित अनार, स्ट्राबेरी एवं केला, संकर बीज से उत्पादित मुनगा एवं पपीता तथा बीज से उत्पादित नीम्बू के उच्च एवं अति उच्च सघनता के ड्रिप सहित फल पौध रोपण पर कृषकों को इकाई लागत का 40% अनुदान 60:20:20 के अनुपात में तीन वर्षो में देय है| योजना के अंतर्गत प्रत्येक कृषक को 0.25 से 4.00 हेक्टेयर तक फल पौध रोपण पर अनुदान देय है|
अधिक जानकारी के लिए उधानिकी विभाग में वरिष्ठ उधान विकास अधिकारी से संपर्क करे |
स्त्रोत:- http://www.mphorticulture.gov.in/schemes.php
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
ShareManagement of Purple Blotch in Onion
प्याज में बैगनी धब्बा रोग का प्रबंधन:
शुरुआत में छोटे, अंडाकार घाव ओर धब्बे जो आगे चल कर बैगनी भूरे हो जाते है पीले किनारों के चारो ओर दिखाई देते है | जब धब्बे बड़े होने लगते है पीले किनारे फ़ैल कर ऊपर नीचे घाव बनाते है| घाव पत्ति के बीच में बने होते है जिससे वो गिर जाता है | घाव पुरानी पत्तियों के सिरे से शुरू होते है |
रोग को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए स्वस्थ बीज का उपयोग किया जाना चाहिए। गैर-संबंधित फसलों के साथ 2-3 साल का फसल चक्र का पालन करना चाहिए। फफुदीनाशक का छिड़काव, मैन्कोज़ेब 75% WP @ 45 ग्राम/ 15 लीटर पानी या हेक्साकोनोजोल 5% एससी @ 20 मिलीलीटर / 15 लीटर पानी या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ईसी @ 15 मिलीलीटर / 15 लीटर पानी 30 दिन से 10-15 दिनों के अंतराल पर रोपण के बाद या जैसे ही बीमारी दिखाई देती है करना चाहिए |
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
ShareThrips management in Onion
थ्रिप्स (तैला) प्याज का सबसे ज्यादा नुकसान करने वाला कीट है | यह देश सभी क्षेत्रो जहा प्याज उगाया जाता है पाया जाता है | थ्रिप्स (तैला) से ग्रसित प्याज की पत्तियों पर धब्बे रस चूसने के कारण विकसित होते हे जो पीले सफेद के क्षेत्रो में बदलते है | थ्रिप्स के कारण कभी कभी 50-60% उपज में कमी देखी गई है| थ्रिप्स के हमले के कारण बीज की जीवन क्षमता सहित बीज उत्पादन में बाधा आती है।यह कीट बहुत छोटा पीले से गहरे भूरे रंग का होता है| इसका जीवन काल 8-10 दिन होता है| यह हरी पत्तियों के जोड़ पाए जाते जहा यह नई निकलती पत्तियों का रस चूसते है| व्यस्क प्याज के खेत में जमीन में, घास पर और अन्य पौघो पर सुसुप्ता अवस्था में रहते है | सर्दियों में थ्रिप्स (तैला) कंद में चले जाते है और अगले वर्ष संक्रमण के स्त्रोत का कार्य करते है | वे मार्च-अप्रैल के दौरान भारत के उत्तरी हिस्सों में बीज उत्पादन और प्याज कंद पर बड़ी संख्या में प्रजननते हैं| ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है जिनकी पत्तियाँ घूमी हुई होती है | यदि प्रकोप वृद्धि की छोटी अवस्था में लगता है तो कंद निर्माण पुरी तरह बंद हो जाता है और पौधा धीरे धीरे मर जाता है| भंडारण के दोरान भी इसका प्रकोप कंदों पर रहता है| प्रोफेनोफोस @ 45 मिली. / पम्प या एमामेक्टीन बेंजोएट 15 ग्राम/पम्प या स्पिनोसेड @ 10 मिली. का स्प्रे करे| छिडकाव सिलिकोन आधारित साल्वेंट मिला कर करे और जमीन से फिप्रोनिल 0.03% GR @ 5 किलो प्रति एकड़ या फोरेट 10 G @ 4 किलो प्रति एकड़ या कार्बोफ्युरोन 3% G @ 4 किलो प्रति एकड़ देने की अनुशंसा है|
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
ShareControl of Powdery mildew in Tomato
यह रोग फफूंद लेवीलुलाटोरिका के कारण होता है प्रारंभ में हल्के हरे रंग से हल्के पीले रंग के धब्बे पत्तियों की ऊपरी सतह पर दिखाई देते हैं। पत्ते पर एक हल्का पाउडर आवरण दिखाई देता है और हरे पत्ते पीले और सड़ने लगते है। प्रभावी नियंत्रण के लिए, हेक्साकोनोजोल 5% एससी @ 30 मिलीलीटर / 15 लीटर पानी या सल्फर 80% डब्लूडीजी @ 50 ग्रा / 15 लीटर पानी का स्प्रे करे |
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
ShareIdeal soil and its preparation for growing Onion
प्याज के लिए मिट्टी एवं उसकी तैयारी:-
- विभिन्न मृदाओ पर प्याज उगाया जा सकता है। लेकिन रेतीली दोमट, चिकनी दोमट और गहरी भुर भूरी मिट्टी प्याज की फसल के लिए सबसे उपयुक्त हैं।
- 5-6 जुताई के द्वारा भूमि तैयार की जाती है।
- अधिकतम पीएच श्रेणी 5.8 और 6.5 के बीच हो। पीएच स्तर को बनाए रखने के लिए प्रति हेक्टेयर 50 किलोग्राम जिप्सम का उपयोग करें। (मिट्टी पीएच स्तर के अनुसार)
- भूमि को ऐसे तरीके से तैयार किया जाना चाहिए कि अत्यधिक पानी आसानी से बाहर निकाला जा सकता है और खरपतवार मुक्त बन सके|
- आखरी जुताई से पहले 15-20 टन अच्छी तरह से सड़ी गोबर की खाद खेत में देनी है |
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
ShareApplication and Dose of Sulphur in Chickpea
सल्फर चना के लिए सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों में से एक है। 20 किलो सल्फर / हेक्टर का उपयोग इष्टतम पाया गया है। सल्फर के विभिन्न स्रोत जैसे 90% डब्लूडीजी, जिप्सम, पाइराइट, सिंगल सुपर फॉस्फेट के समान रूप से प्रभाव मिले है।
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
Share
Irrigation management in Onion
प्याज की सिंचाई आवश्यकता मौसम, मिट्टी के प्रकार, सिंचाई की विधि और फसल की उम्र पर निर्भर करती है। आमतौर पर, रोपाई के समय, रोपाई के तीन दिन बाद सिंचाई की आवश्यकता होती है और बाद में मिट्टी की नमी के आधार पर 7-10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। सामान्य तौर पर, खरीफ फसल को 5-8 सिंचाई की जरूरत होती है, पिछेती खरीफ फसल को 10-12 सिंचाई की आवश्यकता होती है और रबी की फसल को 12-15 सिंचाई की आवश्यकता होती है। प्याज एक उथले जड़ों वाली फसल होने के कारण, अच्छी वृद्धि और कंद के विकास के लिए इष्टतम मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए लगातार हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है। जब फसल पक जाए (खुदाई के 10-15 दिन पहले ) और उसकी गर्दन गिरने लगे तब सिंचाई बंद कर देने से भण्डारण के दौरान सडन को कम करने में मदद मिलता है|
नीचे दिए गए बटन पर क्लिक करके अन्य किसानों के साथ साझा करें।
ShareSubsidy in Balram Taal Yojana
योजना
इस योजना का लक्ष्य सतही तथा भूमिगत जल की उपलब्धता को सम्रध्द करना है| ये तालाब किसानो द्वारा स्वयं के खेतो पर बनाये जाते हैं जो की फसलो में जीवन रक्षक सिंचाई में उपयोगी साबित होते हैं| बलराम तालाब भू जल संवर्धन तथा पास के कुओं और नलकूपों को चार्ज करने के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिध्द हुए है|
किसे लाभ मिलेगा ?
योजना सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में संचालित है, जिसमे सभी वर्ग के किसानो को ताल निर्माण के लिए अनुदान दिया जाता है योजना का लाभ चयनित कृषक केवल एक बार ही ले सकते है |
कैसे लाभ ले सकते है ?
इच्छुक कृषकों द्वारा क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी को ताल बनाने हेतु दिए गए आवेदन के आधार पर उनका पंजीयन किया जाता है| ताल की तकनीकी स्वीकृति जिला पंचायत/ जनपद पंचायत द्वारा प्रदान की जाती है| अनुदान हेतु ताल निर्माण होने पर प्रथम आये- प्रथम पाए के आधार पर वरीयता दी जाती है |
क्या लाभ मिलेगा ?
बलराम ताल के निर्माण कार्य की प्रगति एवं मूल्यांकन के आधार पर पात्रतानुसार निम्न वित्तीय सहायता का प्रावधान है:
अनुदान
- सामान्य वर्ग के कृषको को लागत का 40% अधिकतम 80,000/-
- लघु सीमान्त कृषको के लिए लागत का 50% अधिकतम 80,000/-
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति हितग्राहियों को लागत का 75% अधिकतम 1,00,000/-
Source:-http://mpkrishi.mp.gov.in/hindisite/suvidhaye.aspx
नीचे दिए शेयर बटन को दबाकर वाटसएप व् फेसबुक से अन्य किसान भाइयों में भी शेयर करें
Share