डीएपी के दाम कम होने की संभावना

डीएपी के दाम कम होने की संभावना:-

पिछले दिनों में डीएपी उर्वरक के दाम उछाल सब्सिडी नीति न्यूट्रीएंट बेस्ड योजना में फास्फेट पर अनुदान में लगभग 27% की वृद्धि करना पड़ी थी | हालांकि केंद्र ने पोटाश पर अनुदान में लगभग 10% की कमी कर दी | केंद्र शासन के उर्वरक विभाग नई उर्वरक अनुदान नीति के क्रियान्वयन के लिए गाईड लाईन्स जारी करते हुए यह भी स्पष्ट किया है कि बोरोन तथा जिंक कोटेड फास्फोटिक अथवा पोटेशिक उर्वरकों पर क्रमशः 300 रु. व 500 रु. प्रति टन की दर से अतिरिक्त सब्सिडी दी जाएगी| जिससे किसानों में इन सूक्ष्म तत्वों के उपयोग को भी बढ़ावा मिले| उर्वरक विभाग ने यह भी निर्देश दिए है कि इन उर्वरकों के निर्माता उर्वरक के बैग पर अनुदान राशि दर्शाते हुए एम आर पी आवश्यक रूप से प्रिंट करें| प्रिंटेड एम आर पी से अधिक दर पर उर्वरक बेचना दंडनीय अपराध होगा|

Source:- www.krishakjagat.org

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Field preparation for Soybean

सोयाबीन के लिए भूमि की तैयारी:-

  • खेत में 3-4 बार हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर पाटा चलाकर समतल करना चाहिए|
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|

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Nutrient Management of Bitter Gourd

करेले में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • खेत की तैयारी करते समय 25-30 टन गोबर की खाद खेत में मिलाना चाहिये  |
  • अंतिम जुताई के समय 75 कि.ग्रा. यूरिया, 200 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट एवं 75 कि.ग्रा. पोटाश की मात्रा खेत में मिलाये |
  • शेष बचे हुये 75 कि.ग्रा. यूरिया की मात्रा को दो से तीन बार में बराबर भागों में बाँट कर डाले |
  • फोस्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा एवं नाइट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बोये गये बीज से 8 से 10  से.मी. के पूरी पर डाले |
  • खेत में नाइट्रोजन पोषक तत्व की कमी होने पर पत्तियाँ एवं लताए  पीले रंग की हों जाती हैं,साथ ही पौधों की वृद्धि रुक जाती है |
  • अधिक नाईट्रोजन देने से वानस्पतिक वृद्धि अधिक होती हैं और फलन कम होता हैं नर फूलों की संख्या बढ़ जाती हैं |
  • यदि भूमि में पोटेशियम की कमी होती, तब पौधे की बढ़वार और पत्तियों का क्षेत्रफल कम हों जाता हैं और फूल झड़ने लगते है व फल लगने बंद हों जाते है |

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Irrigation in Cauliflower

फूलगोभी में सिंचाई प्रबंधन:-

  • अच्छी फसल के लिए पर्याप्त नमी को बनाए रखना बहुत आवश्यक हैं|
  • रोपाई के बाद हल्का पानी दे |
  • उचित नमी बनाये रखने के लिए आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करे |
  • अगेती एवं मिड सीजन की फसल की सिंचाई मानसून पर निर्भर रहती है|
  • फूल बनते और बढ़ते समय उचित नमी बनाये रखना बहुत आवश्यक हैं |

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Germination before sowing in bitter gourd

करेला में बुआई पूर्व अंकुरण:-

  • करेले के बीज का आवरण कड़ा होता है, इसलिए 2-3माह पुराने बीजों को रात भर के लिए ठन्डे पानी में भिगोया जाता है|
  • बीजों को अच्छे अंकुरण के लिए 1-2 दिन तक नम कपड़े में लपेट कर रखा जाता हैं |
  • बीजों में अंकुरण के तुरंत बाद ही बो दिया जाता है |
  • बीजों को 2 सेमी. गहराई में बोना चाहिये |

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Season of planting of Cauliflower

फूलगोभी के रोपाई का समय

  • अगेती किस्मों की बुवाई मई से जून माह में की जाती हैं |
  • मध्यम किस्मों की बुवाई जून माह के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई माह के मध्य की जाती हैं |
  • मध्य पछेती किस्मों की बुवाई अगस्त माह में की जाती हैं|
  • पछेती किस्मों की बुवाई सितम्बर से अक्टूबर माह के मध्य की जाती हैं|

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Field preparation of Cabbage:-

पत्तागोभी में भूमि की तैयारी:-

  • खेत में 3-4 बार हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी कर पाटा चलाकर समतल करना चाहिए|
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|
  • बुवाई मौसम व भूमि के प्रकार के अनुसार मेढ़ व नाली में करनी चाहिए|

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Nutrient Management in Coriander

धनिया में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • 25 टन सड़ी गोबर की खाद, एजोस्पिरिलियम और पीएसबी कल्चर 2-2 kg प्रति हेक्टेयर बुआई के पहले दे |
  • 100 किलो नाईट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 50 पोटाश प्रति हेक्टेयर दो भागो में आधा बुआई से पहले तथा आधा बुआई के 30 दिन बाद दे |
  • 50 किलो मैग्नीशियम सल्फेट प्रति हेक्टयर बुआई के पहले देना चाहिए |

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Control of White fly in Green Gram

मुंग में सफ़ेद मक्खी का नियंत्रण:-

  • शिशु एवं वयस्क पत्तियों के निचले सतह से रस चूसते है एवं मधु स्त्राव के उत्सर्जन से प्रकाश संश्लेषण में बाधा आती है|
  • पत्तियाँ रोगग्रस्त दिखती है सुटी मोल्ड से ढक जाती है | यह कीट पत्ति मोड़क विषाणु रोग व पीला शिरा विषाणु रोग का वाहक होकर इसे फैलाता है|
  • नियंत्रण:- पीले रंग वाले चिपचिपे प्रपंच खेत में कई जगह लगाए|
  • डायमिथोएट 30 मिली./पम्प या थायमेथोक्जोम 5 ग्राम/पम्प या एसीटामीप्रिड 15 ग्राम/ पम्प का स्प्रे 4-5 बार 10 दिन के अंतराल पर करे|

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Land preparation for Ginger/Turmeric

अदरक/हल्दी के लिए खेत की तैयारी:-

  • जमीन की 20 सेमी. गहराई तक जुताई करे |
  • ढ़ेलों को तोड़े |
  • इसके बाद एक और जुताई क्रास में करें |
  • लगभग 25 टन गोबर की खाद प्रति हे. की दर से मिलाये |
  • खाद मिलाने के लिए दो बार बखर करें |
  • फिर लेवलर की सहायता से जमीन समतल करे |

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