Control of Red Spider Mites in Okra

भिन्डी में लाल मकड़ी का नियंत्रण:-

  • लाल रंग के शिशु एवं वयस्क दोनो पौधे का रस चूसते है, जिसके  कारण पत्तियों पर सफेद रंग के धब्बे बन जाते है।
  • इस कीट से ग्रसित पत्तियाँ चितकबरी होकर धीरे-धीरे भूरे रंग की हो जाती है और बाद में गिर जाती है।
  • भूमि में कम सापेक्ष आर्द्रता माइटस के फैलाव हेतु अनुकूलित होती है।
  • माइटस के द्वारा पत्तियों की निचली सतह पर सफेद रंग के धागे नुमा गुच्छे का निर्माण करते है।

नियंत्रण:-

  • माइटस के प्रभावशाली नियंत्रण के लिए,  घुलनशील सल्फर का 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से पानी में घोल बनाकर  छिड़काव करें।
  • अधिक प्रकोप होने पर प्रोपरजाईट 57% का  400 मिली. प्रति एकड़ के अनुसार 7 दिन के अंतराल से दो बार छिड़काव करें |
  • इस कीट को फैलने से रोकने के लिये ग्रसित सभी प्रभावित भागों को इकट्ठा करके जला कर नष्ट कर देना चाहिये।  खेत की सफाई एवं उचित सिंचाई इस कीट की वृद्वि को नियंत्रित करती है।

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Suitable climate for pea cultivation

मटर के लिए उपयुक्त जलवायु:-

  • मटर को अलग-अलग मौसम में विभिन्न कृषि जलवायु में उत्पादन कर सकते है।
  • मटर को ठंडे व सूखे मौसम की आवश्यकता होती है।
  • ज्यादा समय तक ठंड रहने पर इसकी उपज बढ़ जाती है|
  • 15-20 डिग्री से. तापमान  मटर की फसल के लिये अच्छा है।

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Control Of Downy Mildew in Cauliflower

फूलगोभी में आसिता रोग का नियंत्रण:-

  • तनो पर भूरे दबे धब्बे दिखाई देते हैं जिन पर फफूदी की सफेद मृदुरोमिल वृद्वि होती है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते है जिनमे मृदुरोमिल फफूदी की वृद्वि होती है।
  • फूलगोभी के शीर्ष पर संक्रमण होकर उसे सड़ा देती है।

नियंत्रण:-

  • गर्म पानी(50 OC) व थायरम (3 ग्रा./ ली.) में बीज को आधे घंटे तक उपचारित करें।
  • संक्रमित भागों को काटकर अलग करें व कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (3 ग्राम/ली.) को कटे हुए भाग पर लगाये।
  • फसल पर मैन्कोजेब 75 % @ 400 ग्रा/ एकड़ का 10-15 के अन्तराल से छिड़काव करें।
  • फसल चक्र अपनाये एवं खेत में साफ़ सफाई रखे।

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Intercultural Practices in Cucumber

खीरा में किये जाने वाले कार्य:-

  • खीरा एक उथली जड़वाली फसल है इस कारण इसमें अधिक गहरी अन्तर शस्य क्रियाएँ आवश्यक नही होती है।
  • वर्षा के मौसम में निदाई गुड़ाई के द्वारा जड़ो में मिट्टी डालकर ढकना आवश्यक होता है।
  • छँटाई करने हेतु सभी द्वितीयक शाखाओं को पाँच गाँठों के साथ काट देने से फलों की गुणवत्ता में सुधार होता हैं एवं उपज बढ़ती हैं|
  • खरीफ के मौसम में पौधे को सहारा देकर उगाया जाता है। इसके कारण फलों की सड़न कम हो जाती है।

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Season of Planting of Cabbage

पत्तागोभी की रोपाई का समय:-

  • पत्तागोभी की रोपाई का समय किस्म एवं कृषि जलवायु परिस्थितियों पर निर्भर करता हैं|
  • अगेती किस्मों की बुवाई मई से जून माह में की जाती है ।
  • मध्यम किस्मों की बुवाई जून माह के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई माह के मध्य की जाती है ।
  • मध्य पछेती किस्मों की  बुवाई अगस्त माह में की जाती है ।
  • पछेती किस्मों की बुवाई  सितम्बर से अक्तूबर माह के मध्य की जाती है ।

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Disease Free Nursery Raising For Tomato

टमाटर के लिए रोग मुक्त नर्सरी बनाना:-

  • बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें|
  • बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशंसित फफूंदनाशक से करना चाहिए|
  • एक ही प्लाट में बार-बार नर्सरी नहीं लेना चाहिये|
  • नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिये तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/ लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिये|
  • मृदा सोर्यकरण जिसमे गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है, करना चाहिए|
  • आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव-नियंत्रण के लिए ट्रायकोड्रमा विरिडी 1.2 किलोग्राम/ हे. के अनुसार देना चाहिए|

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Control of Fruit fly in Sponge Gourd

गिल्की में फल मक्खी:-

हानि:-

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते है|
  • इनसें ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है|
  • मक्खी प्राय: कोमल फलों पर अंडे देती है|
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेद करके उन्है हानि पहुचाती है| इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है|
  • अन्तत: छेद ग्रसित फल सड़ने लगते है|
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है|

नियंत्रण:-

  • ग्रसित फलों को इकटठा करके नष्ट कर देना चाहिए|
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोथाम के लिए खेत में फेरोमेन ट्रेप लगाना चाहिये, इस फेरोमेन ट्रेप में मक्खी को मारने के लिए 1% मिथाईल इजीनोल या सिंत्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टिक अम्ल का घोल बनाकर रखा जाता है|
  • परागण की क्रिया के तुरंत बाद तैयार होने वाले फलों को पोलीथीन या पेपर से ढक देना चाहिए|
  • इन मक्खियों को नियंत्रण करने के लिए गिल्की के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को लगाना चाहिए, इन पौधों की उचाई ज्यादा होने से मक्खी पत्तो के नीचे अंडे देती है|
  • जिन क्षेत्रों में फल माखी का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है, वहां पर कार्बारिल 10% चूर्ण खेत में मिलाये|
  • डायक्लोरोवास कीटनाशक का 3 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अन्दर की मक्खी की सुप्तावस्था को नष्ट करना चाहिए|

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Management of Chilli Thrips

मिर्च में थ्रिप्स का प्रबंधन:-

लक्षण :-

  • रोग से ग्रस्तित पत्तिया ऊपर की और मुड़ती हुई दिखाई देती है|
  • कलिया नाज़ुक हो कर गिर जाती है|
  • शुरूआती अवस्था में फसल की वृद्धि और फूलो की मात्रा में कमी आती है |

प्रबंधन:-

  • ज्वार की फसल के बाद मिर्च की फसल नहीं लगाना चाहिए |
  • मिर्च और प्याज की मिश्रित खेती ना करें|
  • बीज का उपचार इमिडाक्लोप्रिड 70% डब्ल्यूएस @ 12 ग्राम / किग्रा  से करें|
  • कार्बोफुरन 3% जी @ 33 किलो / हेक्टेयर या फोरेट 10% जी @ 10 किलो / हेक्टेयर जमीन से दें |
  • इनमे से किसी एक कीटनाशक का छिड़काव करे |

 

           कीटनाशक मात्रा
इमिडाक्लोप्रिड 17.8 % एस.एल. 100 मिलि/एकड़
डायमिथोएट 30 % ईसी 300 मिलि/एकड़
इमामेक्टिन बेन्झोएट 5 % एसजी 100 ग्राम/एकड़
प्रोफेनोफोस  50% ईसी 500 मिली/एकड़
फिप्रोनिल 5 % एससी 500 मिलि/एकड़
स्पिनोसेड  45 % एससी 70 मिली/एकड़

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Control of Gram pod borer in Soybean

सोयाबीन में चने की ईल्ली का नियंत्रण:-

नुकसान के लक्षण: –

  • लार्वा नयी पत्तियों से क्लोरोफिल को भोजन के रूप में खाते है|  
  • वे शुरुआती चरण में पतियों से भोजन प्राप्त करते हैं,और बाद में वे फूलों और फली से भोजन प्राप्त करते है|

प्रबंधन :-

  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करे |
  • फेरोमेंन ट्रैप 5 प्रति हेक्टेयर स्थापित करे |
  • क्लोरोपायरीफोस 20% ईसी @750 मिली/एकड़ और क्विनालफॉस 25% ईसी @ 250 मिली/एकड़ का छिड़काव करें | या
  • डेल्टामैथ्रिन 2.8% ईसी @ 250 मिली/एकड़ और फ्लुबेंडीयामाइड 20% डब्लू जी @ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें |

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Contro of Diamondback Moth (DBM) in Cabbage

पत्ता गोभी की ईल्ली का नियंत्रण:-

पहचान

  • अंडे सफ़ेद-पीले व हल्के हरे रंग लिये होते है|
  • इल्लियाँ 7-12 मिमी. लम्बी, हल्के पीले- हरे रंग की व पुरे शरीर पर बारीक रोयें होते है|
  • वयस्क 8-10 मिमी. लम्बे मटमैले भूरे रंग के व हल्के गेहुएं रंग के पतले पंख जिनका भीतरी किनारा पीले रंग का होता है|
  • वयस्क मादा पत्तियों पर समूह में अंडे देती है|
  • इनके पखों के ऊपर सफेद धारी होती है जिन्हें मोड़ने पर हीरे जैसी आकृति दिखती है|

नुकसान:-

  • छोटी पतली हरी इल्लियाँ अण्डों से निकलने के बाद पत्तियों की बाहरी परत को खाकर छेद कर देती है|
  • अधिक आक्रमण होने पर पत्तियां पुरी तरह से ढांचानुमा रहा जाती है|

नियंत्रण:- डायमण्ड बैक मोथ की रोकथाम के लिये बोल्ड सरसों को गोभी के प्रत्येक 25 कतारों के बाद 2 कतारों में लगाना चाहिये। प्रोफेनोफ़ोस (50 र्इ.सी.) का 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। स्पाइनोसेड (25 एस. सी.) 0.5 मि.ली. प्रति ली. या ईंडोक्साकार्ब 1.5 मि.ली. प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 25 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।

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