Control of fusarium wilt in muskmelon

  • फ्यूजेरियम विल्ट के पहले लक्षण पुरानी पत्तियो पर दिखाई देते हैं। पत्तिया पीलापन लिए हुए सुख जाती हैं। इस बीमारी के लक्षण दिन में गर्मी के समय स्पष्ट रूप से दिखाई देते है।
  • तने में  भूरे रंग की दरारें दिखाई देती हैं, जिसमे से लाल-भूरे रंग का गाढ़ा रिसाव निकलता हैं।
  • बुवाई के लिए स्वस्थ बीजो का प्रयोग करें।
  • खेत की गहरी जुताई, खरपतवार प्रबंधन, तथा उचित जलनिकास आवश्यक हैं |
  • फ्यूजेरियम विल्ट के प्रभावी नियंत्रण के लिए प्रोपिकोनाजोल 25% ईसी @ 200 मिली / एकड़ या थियोफैनेट-मिथाइल 500 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करें।

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Control of damping off in tomato

  • प्रायः फंगस का आक्रमण अंकुरित बीजों के द्वारा शुरू होता है, जो धीरे-धीरे नई जड़ से फैलकर तनों के निचले भागों एवं विकसित हो रही मूसला जड़ों पर होता है।
  • इससे संक्रमित पौधों के तनों के निचले भाग पर हल्के-हरे, भूरे एवं पानी के रंग के जले हुये धब्बे दिखाई देते है।
  • पौधशाला की सतह कम से कम 10 से.मी. ऊँची बनना चाहिये।
  • बीज को कार्बेन्डाजिम 50% WP @ 2 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से उपचारित करें।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन के नियंत्रण के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम/एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से जड़ो के पास ड्रेंचिंग करे।

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Fertilizer and manure in Sorghum

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 4-5 टन/एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • ज्वार के लिए यूरिया की 40 किलोग्राम/एकड़ का प्रयोग करें। बोने से पहले आधी मात्रा का प्रयोग करें। यदि बेसल डोज संभव नहीं है तो बुवाई के समय और बुवाई के 30 दिन बाद प्रयोग करें। और सिंचाई करें।
  • डी ए पी की 45 किग्रा प्रति एकड़ मात्रा का प्रयोग करें।
  • एम.ओ.पी. की  40 – 60 किलो ग्राम प्रति एकड़ मात्रा  प्रयोग करें।
  • 10 किलो ग्राम जिंक सल्फेट प्रति एकड़ का प्रयोग करें। 

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Nursery preparation in brinjal

  • भारी मृदा में ऊँची क्यारियों का निर्माण करना जरूरी होता हैं ताकि पानी भराव की समस्या को दूर कर सके|
  • रेतीली भूमि में बीजों की बुवाई समतल सतह तैयार करके की जाती है।
  • प्रातः ऊँची क्यारियों का आकार 3 x1 मी. और ऊँचाई 10 से 15 से.मी. के लगभग होता है।
  • दो क्यारियों के बीच की दूरी प्रायः 70 से.मी. के लगभग होना चाहिये ताकि अंतरसस्य क्रियाएँ जैसे सिंचाई एवं निदाई आसानी से की जा सके।
  • पौधशाला क्यारियों की ऊपरी सतह साफ़ एवं समतल होना चाहिये ।
  • पूणतः पकी गोबर की खाद या पात्तियों की सड़ी हुई खाद को क्यारियों का निर्माण करते समय मिलाना चाहिये।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन से पौधों को मरने से रोकने के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से क्यारियों में ड्रेंचिंग करे|

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Boron deficiency in tomato

  • बोरॉन की कमी की वजह से पत्तिया हल्के हरे से पीले रंग की हो जाती हैं |
  • बोरॉन कमी के लक्षण कैल्शियम की कमी के लक्षण जैसे होते हैं|
  • पत्ते भंगुर हो जाते हैं और आसानी से टूट जाते हैं।
  • इसके अलावा पर्याप्त पानी देने के बाद भी पौधे में पानी की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं|
  • बोरान 20% ईडीटीए @ 200 ग्राम/एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करने से बोरॉन की कमी दूर हो जाता हैं ।

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Irrigation management in cowpea

  • बरवटी में पानी का जमाव अधिक नुकसान पहुँचता हैं एवं इसे अन्य सब्जियों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • दाने वाली किस्मों को 2-3 सिंचाई फूल एवं फली बनते समय देनी चाहिए।
  • सब्जी वाली किस्मों को 4-5 दिन के अन्तराल से फूल एवं फली लगते समय सिंचाई करना चाहिए।
  • फूल लगने के पहले सिंचाई रोक देनी चाहिए।

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Soil preparation for makkhan grass

  • 2-3 बार गहरी जुताई करें।और खेत को समतल करें।
  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 6-8 टन/एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।

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Staking practice in cowpea

  • चढने वाली किस्मों में बाँस की बल्ली पर जूट या प्लास्टिक रस्सी से सहारा देना चाहिये।
  • जब पौधों में बेल आने लगे तब लकड़ी से सहारा देना चाहिए।
  • अनावश्यक वृद्धि को तोड़कर अलग कर देना चाहिए, जिससे फूल व फल अच्छी तरह से लग सके।

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Weed management in brinjal

  • पौधे की प्रारंभिक अवस्था में हाथों के द्वारा निदाई-गुड़ाई करनी चाहिये ।
  • रोपाई के बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथलीन 30% EC @ 1.2 लीटर/एकड़ 72 घंटे के भीतर छिड़काव करें |
  • इसके बाद 30 दिन की फसल होने पर हाथ से निदाई करें|

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Control of fusarium wilt in watermelon

  • रेतीली मिट्टी में यह रोग अधिक पाया जाता है।
  • संक्रमित पौधो को नष्ट करें।
  • रोग मुक्त बीज का उपयोग करे।
  • बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें।
  • जब तरबूज के पौधे पर बीमारी दिखाई दे तो प्रोपिकोनाजोल @ 80-100 मिली/एकड़ का प्रयोग करें।

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