- पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद चूर्ण दिखाई देते हैं जो बाद में हल्के रंग के सफेद धब्बेदार क्षेत्र में बदल जाते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाते हैं और निचली सतह को भी कवर करते हुए गोलाकार हो जाते हैं।
- गंभीर संक्रमण में, पर्णसमूह पीला हो जाता है जिससे समय से पहले पत्तियाँ झड़ जाती है। रोग संक्रमित पौधों में जल्दी परिपक्वता आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप उपज में भारी नुकसान होता है।
- शुरुआती रोग दिखाई देने पर 10 दिनों के अंतराल पर NSKE या नीम तेल 75 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर दो बार स्प्रे करें।
- पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 400 मिली या थियोफेनेट मिथाइल 70% WP या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23 SC का 200 मिली प्रति एकड़ 200 पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
बैंक देगी 65 प्रतिशत की सहायता राशि, डेयरी फार्म लगाकर शुरू कर सकते हैं अपना रोजगार
अगर आप रोजगार की तलाश में हैं और आपको डेयरी फार्म खोलने में दिलचस्पी है तो इसके लिए आपको बैंक से मदद मिल सकती है। डेयरी फार्म खोल कर आप ना सिर्फ अपना रोजगार स्वयं कर पाएंगे बल्कि साथ ही साथ इसमें आपको अच्छी कमाई होने की भरपूर संभावनाएं हैं।
डेयरी फार्म को छोटे स्तर पर खोला जा सकता है। इसके शुरुआत में ज्यादा लागत भी नहीं लगती है और इस काम को आरम्भ करने के लिए कई प्रकार की सरकारी एवं निजी संस्थाएं सहायता भी प्रदान कर रही है, जिसका फायदा छोटे या मध्यम श्रेणी के किसान उठा सकते हैं।
आप उन्नत नस्ल की 2 गायों के साथ लघु स्तर का डेयरी फार्म लगभग एक लाख रूपए के खर्च पर शुरू कर सकते हैं। इसमें बैंक सहायता स्वरुप दो गायों की ख़रीददारी के लिए 65 प्रतिशत राशि मुहैया करवाती है। वहीं 5 गायों के साथ मिनी डेयरी फार्म खोलने में लगभग 3 लाख रूपए खर्च होते हैं, जिस पर 65 प्रतिशत तक की सहायता बैंक देती है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareगन्ने की फसल में पायरिला कीट का प्रबंधन कैसे करें?
- गन्ने के खेत में 5 X 5 फीट का एवं 4 इंच गहरा गड्ढा बना लें एवं उसमें पॉलीथिन बिछा दें।
- इस गड्ढे में पानी भर कर आधा लीटर केरोसिन या 10-15 मिली मेलाथियान डालें।
- गड्ढे के ठीक ऊपर प्रकाश प्रपंच (ब्लब) लटका दें। पायरिल्ला व अन्य कीट प्रकाश प्रपंच से आकर्षित होंगे और गड्ढे में गिरकर मर जायेंगे।
- प्रकाश प्रपंच (ब्लब) रात्रि 8 से 10 बजे तक ही चालू रखे उसके बाद इन कीटों की क्रियाशीलता कम हो जाती है।
- 80 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या 80 मिली थायोमेथोक्सोम 25 WG प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
- पायरिला कीट के परजीवी एपीरिकेनिया मेलोनोल्यूका के 4-5 लाख अंडे प्रकोपित फसल पर छोड़े। इस परजीवी कीट की पर्याप्त उपस्थित में पायरिला कीट की स्वतः रोकथाम हो जाती है।
मंडी में नहीं मिल रहे किसानों को वाजिब दाम, जानें कब तक बढ़ सकते हैं मंडी के भाव?
मध्यप्रदेश के कुछ जिलों (भोपाल, इंदौर, उज्जैन) को छोड़ कर सभी जिलों में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से चल रही है पर सरसों आदि फ़सलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी होनी अभी बाकी है। गेहूं की खरीदी की रफ़्तार भी खरीदी केंद्रों पर काफी धीमी है। इस धीमी रफ्तार की वजह है कोरोना संक्रमण के कारण अपनाई जा रही सामाजिक दूरी। इस सामाजिक दूरी की वजह से खरीदी केंद्रों पर महज 20 किसान ही आ पाते हैं। ऐसे में किसान अपनी उपज मंडी में औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों में चल रही खरीदी की धीमी रफ़्तार के कारण किसानों को अपनी सरसों व गेहूं की उपज कम दाम पर बेचनी पड़ रही है। इसके कारण गेहूं पर किसानों को दो से ढाई सौ रुपए तथा सरसों पर लगभग पांच सौ रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि यह उम्मीद जताई जा रही है की 3 मई को जब लॉकडाउन की अवधि खत्म होगी तब मध्यप्रदेश के कम कोरोना संक्रमित क्षेत्रों के मंडियों में भाव बढ़ने की संभावना है।
स्रोत: नई दुनिया
Shareमिट्टी परीक्षण में जैविक कार्बन का महत्व
- यह मृदा में कार्बनिक पदार्थ विच्छेदन व संश्लेषण प्रतिक्रियाओं द्वारा ह्यूमस बनाता है, जो मृदा स्वास्थ्य में सुधार के साथ मृदा की उर्वरता भी बनाये रखता है।
- भूमि में इसकी अधिकता से मिट्टी की भौतिक और रासायनिक गुणवत्ता बढ़ती है। भूमि की भौतिक गुणवत्ता जैसे मृदा संरचना, जल ग्रहण शक्ति आदि जैविक कार्बन से बढ़ती है।
- इसके अतिरिक्त पोषक तत्वों की उपलब्धता स्थानांतरण एवं रुपांतरण और सूक्ष्मजीवी पदार्थों व जीवों की वृद्धि के लिए भी जैविक कार्बन बहुत उपयोगी होता है।
- यह पोषक तत्वों की लीचिंग (भूमि में नीचे जाना) को भी रोकता है।
इन तत्वों की कमी से होते है पशुओं में रोग
कॉपर/तांबा
- यह ऐसे एंजाइम के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है जो कोशिकाओं की क्षति को रोकते या कम करते हैं।
- इसकी कमी से पशु की हड्डियों में मज़बूती कम हो जाती हैं जिससे विकृति उत्पन्न होती है।
- इसकी कमी से बालों का रंग असामान्य हो जाता है जैसे कि लाल गाय का रंग पीला हो जाता है एवं काले रंग की गाय का रंग मटमैला या स्लेटी हो जाता है।
कोबाल्ट
- कोबाल्ट जुगाली करने वाले पशुओं के लिये अति आवश्यक है क्योंकि यह शरीर में बहुत ही सीमित मात्रा में पाया जाता है।
- कोबाल्ट की कमी मुख्यत: पशुओं के खाद्य पदार्थों में इसलिये होती है क्योंकि जिस मिट्टी में खाद्य पदार्थों को उगाया गया उस मिट्टी में ही इसकी कमी थी।
- यह तत्व विटामिन बी12 के संश्लेषण में मदद करता है जिससे लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण एवं वृद्धि में मदद मिलती है।
- कोबाल्ट की कमी से भूख न लगना, कमजोरी, पाइका, दस्त लगना तथा बांझपन जैसी समस्याएं पशुओं को हो सकती हैं।
जिंक
- जिंक कई एंजाइम्स के निर्माण में मदद करता है, इसकी कमी से प्रोटीन संश्लेषण में कमी एवं कार्बोहाइड्रेट के उपापचय में बाधा उत्पन्न होने लगती है।
- इसके अलावा इसकी कमी से त्वचा संबंधी विकार जैसे त्वचा रूखी, कड़ी एवं मोटी हो जाती है।
विटामिन ई एवं सेलेनियम
- यह पशु के शारीरिक वृद्धि एवं प्रजनन के लिये बहुत ही आवश्यक खनिज है।
- विटामिन ई एवं सेलेनियम दोनों ही शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं और इसकी कमी के कारण कई रोग हो जाते हैं।
मैगनीज
- इसकी कमी से पशुओं में गर्भाधान की दर में कमी आ जाती है।
- इसके अलावा इसकी कमी से हीट में नहीं आना, बांझपन एवं मांसपेशियों में विकृति जैसे रोग भी हो सकते हैं।
आयरन/लौह
- आयरन दरअसल हिमोग्लोबिन का अच्छा स्त्रोत होता है, और इसकी कमी से नवजात बछड़ें एवं सुअरों में एनीमिया (खून की कमी) हो जाता है।
आयोडीन
- आयोडजीन थायरॉइड नामक हार्मोन के संश्लेषण के लिये अति आवश्यक है।
- आयोडीन की कमी से पशुओं में थायरॉइड ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है।
लॉकडाउन की अवधि में भी रिकॉर्ड स्तर पर हुई उर्वरकों की बिक्री
कोरोना संक्रमण की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान आवागमन पर बहुत अधिक प्रतिबंध लगा हुआ है। इसके बावजूद भी कृषि क्षेत्र में इस दौरान खूब काम हो रहा है। इसका सबूत मिलता है लॉकडाउन की अवधि में रिकॉर्ड स्तर पर हुई उर्वरकों की बिक्री के आंकड़े देखने से।
लॉकडाउन के दौरान 1 अप्रैल से 22 अप्रैल 2020 के मध्य किसानों ने 10.63 लाख मीट्रिक टन उर्वरक खरीदे हैं। अगर इस आंकड़े को पिछले साल इसी समय अवधि के उर्वरक बिक्री के आंकड़ों के साथ मिलान करें तो इनमें बड़ा अंतर नजर आता है। पिछले साल की इसी अवधि के 8.02 लाख मीट्रिक टन की तुलना में इस साल उर्वरकों की बिक्री में 32% का इज़ाफा हुआ है।
बता दें की भारत सरकार ने आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत देश में उर्वरक संयंत्रों के संचालन की अनुमति लॉकडाउन के दौरान भी प्रदान की हुई है जिससे कि लॉकडाउन के कारण कृषि क्षेत्र पर कोई बुरा प्रभाव ना पड़ सके।
स्रोत: कृषक जगत
ShareSBI किसानों को देगा कम ब्याज पर एग्री गोल्ड लोन, जानें लोन संबंधी पूरी जानकारी
कोरोना महामारी की वजह से चल रहे लॉकडाउन से लोगों को आर्थिक समस्याएं पेश आ रही हैं और इससे देश के किसान भी परेशान हैं। किसानों की इन्हीं परेशानियों को दूर करने के लिए एसबीआई ने शुरू किया है एग्री गोल्ड लोन स्कीम।
इस स्कीम के अंतर्गत किसान अपने घरों में रखे सोने के आभूषणों को देकर अपनी आवश्यकता अनुसार लोन ले सकते हैं। लॉकडाउन के दौरान एसबीआई के इस लोन स्कीम का लाभ 5 लाख से ज्यादा किसानों ने उठाया है।
एग्री गोल्ड लोन स्कीम से जुड़ी खास बातें
इस स्कीम में सोने के आभूषण जमा करवा कर आवश्यकता अनुसार लोन लिया जाता है। इसके लिए आवेदन देने वाले किसान को अपनी कृषि भूमि की फर्द की कॉपी बैंक में देनी होती है। इसके अंतर्गत मिलने वाले लोन पर 9.95% का वार्षिक व्याज लगेगा। अगर किसान भूमिहीन हो पर उसके नाम पर ट्रैक्टर हो तो उस ट्रैक्टर के आधार पर भी गहने जमा कर लोन लिया जा सकता है।
इस स्कीम से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए विजिट करें https://sbi.co.in/hi/web/agri-rural/agriculture-banking/gold-loan/multi-purpose-gold-loan#show
स्रोत: दैनिक भास्कर
Shareकैसे करें मूंग की फसल का पीले मोजेक रोग से बचाव?
- यह वायरस जनित रोग है जिसमें पत्तियां पीली पड़कर मुड़ जाती हैं।
- इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती है।
- यह रोग रसचूसक कीट सफेद मक्खी से फैलता है।
- इससे नियंत्रण हेतु डाइफेनथूरोंन 50% WP 200 ग्राम या पायरिप्रोक्सिफ़ेन 10% + बाइफेन्थ्रिन 10% EC 200 मिली या एसिटामिप्रिड 20% SP 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
वर्षाकालीन बैंगन में उर्वरक प्रबंधन कैसे करें?
- वर्षाकालीन बैंगन के लिए नर्सरी की बुआई फरवरी-मार्च में की जाती है।
- बैंगन की पौध 30-40 दिनों बाद मुख्य खेत में रोपाई हेतु तैयार हो जाती है।
- खेत में उर्वरक की मात्रा मिट्टी जाँच रिपोर्ट के अनुसार ही डालें या
- पौध रोपाई से पहले खेत में गोबर की खाद के साथ 90 किलो यूरिया, 250 किलो सिंगल सुपर फास्फेट (SSP) और 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश (MOP) डालें।
- 90 किलो यूरिया की मात्रा तीन भागों में बांट दें और यूरिया का पहला भाग पौध रोपाई के 30-40 दिनों बाद, दूसरा भाग अगले 30 दिन बाद तथा तीसरा भाग फूल आते समय टोप ड्रेसिंग के रूप में दें।
