वानस्पतिक अवस्था के दौरान फसल को दूसरी सिंचाई दें। जड़ सड़न, विल्ट जैसी बीमारियों से बचाव के लिए अतिरिक्त पानी को बाहर निकालें। मिट्टी की नमी के आधार पर 7 से 10 दिनों के अंतराल पर अगली सिंचाई दें। अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|
Shareखीरे की फसल में लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) का करें नियंत्रण
- इसका वयस्क रूप एक हल्के पीले रंग की मक्खी होती है जो पत्तियों पर अंडे देती है।
- इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है तथा अधिक प्रकोप होने पर पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।
- लीफ माइनर से प्रभावित पौधों में फलन की समस्या आती है जिससे उपज में कमी आ जाती है।
- इसके नियंत्रण हेतु एबामेक्टिन 1.8% EC @ 160 मिली या साइपरमैथ्रिन 4% EC + प्रोफेनोफॉस 40% EC 400 मिली के साथ जैविक बिवेरिया बेसियाना 5% WP 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
पीएम किसान योजना के शुरुआत से अब तक किसानों को दिए गए कुल 71,000 करोड़ रुपए
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के आंकड़े पेश करते हुए बुधवार को बताया की “जब से इस योजना की शुरुआत हुई है, तब से लगभग 9.39 करोड़ किसान परिवार को 71,000 करोड़ रुपये से इस योजना का लाभ पहुंचाया जा चुका है। इससे पहले किसानों के लिए ऐसा कोई काम नहीं किया है और न ही इतनी रकम किसान सहायता के लिए दी गई है।”
कृषि मंत्री श्री तोमर ने इस दौरान कहा कि “कोरोना वायरस के चलते प्रभावी तालाबंदी के दौरान सरकार किसानों की हर संभव मदद कर रही है। अकेले प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत 24 मार्च से 27 अप्रैल तक किसानों के खातों में 17,986 करोड़ रुपए भेजे जा चुके हैं।”
स्रोत: कृषि जागरण
Shareआंतरिक परजीवियों से ग्रसित पशुओं के लक्षण
- पेट के परजीवियों से प्रभावित पशु प्रायः बेचैन रहते हैं। पर्याप्त दाना-पानी खिलाने पर भी उनका समुचित शारीरिक विकास नहीं हो पाता और उसकी उत्पादकता कम हो जाती है।
- प्रभावित पशु सुस्त एवं कमजोर हो जाते हैं। उनका वजन कम हो जाता है और हड्डियाँ दिखने लगती हैं।
- पशु का पेट बड़ा हो जाता है और दस्त की समस्या भी होती है जिसमें कभी कभी रक्त और कीड़े भी दिखते हैं।
- प्रभावित पशु मिट्टी खाने लगता है। पशु के शरीर की चमक कम हो जाती है और बाल खुरदरे दिखते हैं।
- कई बार अत्यधिक चरने के कारण घास एवं खरपतवारों की लम्बाई काफी कम हो जाती है जिसके कारण उनकी जड़ों में बसने वाले परजीवी जानवरों के पेट में पहुँच जाते हैं।
- परजीवी पशुओं के पेट में रहकर उनका भोजन और रक्त चूसते रहते हैं जिनके कारण पशुओं में दुर्बलता आ जाती है।
मध्यप्रदेश: फसल बीमा के अंतर्गत 1493171 किसानों को 2990 करोड़ रूपये की ऑनलाइन भुगतान
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान आज यानी एक मई को दोपहर 3 बजे प्रदेश के 14 लाख 93 हजार 171 किसानों को फसल बीमा के अंतर्गत कुल 2990 करोड़ रूपये का ऑनलाइन भुगतान करेंगे।
इस मसले पर प्रदेश के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने बताया कि “8 लाख 33 हजार 171 किसानों को खरीफ फसल की बीमा राशि के रूप में एक हजार 930 करोड़ रुपये प्रदान किये जा रहे हैं। इसी प्रकार, 6 लाख 60 हजार किसानों को रबी फसल की बीमा राशि के रूप में एक हजार 60 करोड़ का भुगतान किया जायेगा।”
मंत्री श्री पटेल ने आगे बताया कि प्रदेश में नई सरकार बनते ही फसल बीमा के अंतर्गत 2200 करोड़ रुपये की रकम का बीमा कंपनियों को प्रीमियम के लिए भुगतान किया गया था। अब इसी का परिणाम है की किसानों को फसल बीमा की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया जा रहा है।
स्रोत: जनसम्पर्क विभाग
Shareग्रामोफ़ोन की सलाह ने दिखाई खरगोन के कल्याण विष्णुले को मिर्च की खेती से बम्पर उत्पादन की राह
एक बड़ी प्रचलित कहानी है आपने भी ज़रूर सुनी होगी, जिसमे चींटी दाना लेकर चलती है, कई बार गिरती है, सम्हलती है और आखिरकार अपनी मंज़िल तक पहुँच जाती है। कुछ ऐसी ही कहानी है खरगोन जिले के गोगांवा तहसील के अंतर्गत आने वाले गांव बेहरामपुर टेमा के किसान श्री कल्याण विष्णुले जी की है। विष्णुले जी मिर्च की खेती करते थे पर उन्हें इसमें अच्छा उत्पादन नहीं मिल रहा था।
लगातार दो बार अच्छा उत्पादन पाने में असफल होने के बाद जब विष्णुले जी तीसरी बार मिर्च की खेती करने जा रहे थे तब वे ग्रामोफ़ोन के सम्पर्क में आये और ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर मिर्च की खेती की जिसका नतीजा यह हुआ की उत्पादन ज़बरदस्त हुआ और फसल की क्वालिटी इतनी अच्छी रही की आस पास के किसान उनके मिर्च को देख आश्चर्यचकित रह गए।
अगर आप भी विष्णुले जी की तरह किसी भी प्रकार की कृषि संबंधित समस्या का सामना कर रहे हैं तो तुरंत हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप डाउनलोड कर अपनी समस्याओं का समाधान पाएं।
Shareउड़द और मूंग की फसल को पाउडरी मिल्डयू रोग से कैसे बचाएं?
- पत्तियों और अन्य हरे भागों पर सफेद चूर्ण दिखाई देते हैं जो बाद में हल्के रंग के सफेद धब्बेदार क्षेत्र में बदल जाते हैं। ये धब्बे धीरे-धीरे आकार में बढ़ जाते हैं और निचली सतह को भी कवर करते हुए गोलाकार हो जाते हैं।
- गंभीर संक्रमण में, पर्णसमूह पीला हो जाता है जिससे समय से पहले पत्तियाँ झड़ जाती है। रोग संक्रमित पौधों में जल्दी परिपक्वता आ जाती है जिसके परिणामस्वरूप उपज में भारी नुकसान होता है।
- शुरुआती रोग दिखाई देने पर 10 दिनों के अंतराल पर NSKE या नीम तेल 75 मिली प्रति 15 लीटर पानी में मिलाकर दो बार स्प्रे करें।
- पंद्रह दिन के अंतराल से हेक्ज़ाकोनाजोल 5% SC 400 मिली या थियोफेनेट मिथाइल 70% WP या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23 SC का 200 मिली प्रति एकड़ 200 पानी में मिलाकर स्प्रे करें।
बैंक देगी 65 प्रतिशत की सहायता राशि, डेयरी फार्म लगाकर शुरू कर सकते हैं अपना रोजगार
अगर आप रोजगार की तलाश में हैं और आपको डेयरी फार्म खोलने में दिलचस्पी है तो इसके लिए आपको बैंक से मदद मिल सकती है। डेयरी फार्म खोल कर आप ना सिर्फ अपना रोजगार स्वयं कर पाएंगे बल्कि साथ ही साथ इसमें आपको अच्छी कमाई होने की भरपूर संभावनाएं हैं।
डेयरी फार्म को छोटे स्तर पर खोला जा सकता है। इसके शुरुआत में ज्यादा लागत भी नहीं लगती है और इस काम को आरम्भ करने के लिए कई प्रकार की सरकारी एवं निजी संस्थाएं सहायता भी प्रदान कर रही है, जिसका फायदा छोटे या मध्यम श्रेणी के किसान उठा सकते हैं।
आप उन्नत नस्ल की 2 गायों के साथ लघु स्तर का डेयरी फार्म लगभग एक लाख रूपए के खर्च पर शुरू कर सकते हैं। इसमें बैंक सहायता स्वरुप दो गायों की ख़रीददारी के लिए 65 प्रतिशत राशि मुहैया करवाती है। वहीं 5 गायों के साथ मिनी डेयरी फार्म खोलने में लगभग 3 लाख रूपए खर्च होते हैं, जिस पर 65 प्रतिशत तक की सहायता बैंक देती है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareगन्ने की फसल में पायरिला कीट का प्रबंधन कैसे करें?
- गन्ने के खेत में 5 X 5 फीट का एवं 4 इंच गहरा गड्ढा बना लें एवं उसमें पॉलीथिन बिछा दें।
- इस गड्ढे में पानी भर कर आधा लीटर केरोसिन या 10-15 मिली मेलाथियान डालें।
- गड्ढे के ठीक ऊपर प्रकाश प्रपंच (ब्लब) लटका दें। पायरिल्ला व अन्य कीट प्रकाश प्रपंच से आकर्षित होंगे और गड्ढे में गिरकर मर जायेंगे।
- प्रकाश प्रपंच (ब्लब) रात्रि 8 से 10 बजे तक ही चालू रखे उसके बाद इन कीटों की क्रियाशीलता कम हो जाती है।
- 80 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL या 80 मिली थायोमेथोक्सोम 25 WG प्रति एकड़ की दर से 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने से भी इसका नियंत्रण किया जा सकता है।
- पायरिला कीट के परजीवी एपीरिकेनिया मेलोनोल्यूका के 4-5 लाख अंडे प्रकोपित फसल पर छोड़े। इस परजीवी कीट की पर्याप्त उपस्थित में पायरिला कीट की स्वतः रोकथाम हो जाती है।
मंडी में नहीं मिल रहे किसानों को वाजिब दाम, जानें कब तक बढ़ सकते हैं मंडी के भाव?
मध्यप्रदेश के कुछ जिलों (भोपाल, इंदौर, उज्जैन) को छोड़ कर सभी जिलों में समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से चल रही है पर सरसों आदि फ़सलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी होनी अभी बाकी है। गेहूं की खरीदी की रफ़्तार भी खरीदी केंद्रों पर काफी धीमी है। इस धीमी रफ्तार की वजह है कोरोना संक्रमण के कारण अपनाई जा रही सामाजिक दूरी। इस सामाजिक दूरी की वजह से खरीदी केंद्रों पर महज 20 किसान ही आ पाते हैं। ऐसे में किसान अपनी उपज मंडी में औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं।
समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्रों में चल रही खरीदी की धीमी रफ़्तार के कारण किसानों को अपनी सरसों व गेहूं की उपज कम दाम पर बेचनी पड़ रही है। इसके कारण गेहूं पर किसानों को दो से ढाई सौ रुपए तथा सरसों पर लगभग पांच सौ रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है। हालांकि यह उम्मीद जताई जा रही है की 3 मई को जब लॉकडाउन की अवधि खत्म होगी तब मध्यप्रदेश के कम कोरोना संक्रमित क्षेत्रों के मंडियों में भाव बढ़ने की संभावना है।
स्रोत: नई दुनिया
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