- कपास में पहली बारिश के बाद खरपतवार निकलने लगते हैं।
- इसके नियंत्रण के लिए हाथ से निदाई करें।
- क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ सकरी पत्ती के लिए।
- पाइरिथायोबैक सोडियम 10% EC + क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ पहली बारिश के 3-5 दिन
- बाद 400 मिली/एकड़।
- जब फसल छोटी हो तो इस समस्या से बचने के लिए मिट्टी की सतह पर स्प्रे करें।
- इसका उपयोग पंप के ऊपर हुक लगाकर करें।
बीज उपचार की प्रक्रिया
बीज उपचार निम्न में से किसी एक प्रकार से किया जा सकता है।
बीज ड्रेसिंग: यह बीज उपचार का सबसे आम तरीका है। बीज या तो एक सूखे मिश्रण या लुग्दी अथवा तरल घोल से गीले रूप में उपचारित किया जाता है। कम लागत के मिट्टी के बर्तन बीज के कीटनाशक के साथ मिश्रण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है या बीजों को एक पॉलिथीन शीट पर फैलाकर आवश्यक मात्रा में उसपर रसायन छिड़क कर हाथो से/ या शीट को कोनो से पड़कर हिलाकर मिलाया जाता है। हाथो में दस्ताने पहनकर सावधानी पूर्वक मिलाये।
बीज कोटिंग (लेप): बीज पर अच्छे तरीके से चपकाने के लिए मिश्रण के साथ एक विशेष बाइंडर का प्रयोग किया जाता है।
बीज पैलेटिंग: यह सर्वाधिक परिष्कृत बीज उपचार प्रौद्योगिकी है, जिससे बीज की पैलेटिबिलिटी तथा हैंडलिंग बेहतर करने के लिए बीज का शारीरिक आकार बदला जाता है। पैलेटिंग के लिए विशेष अनुप्रयोग मशीनरी तथा तकनीकों की आवश्यकता होती है और यह सबसे महँगा अनुप्रयोग है।
Shareअच्छी बारिश के बाद बदलते परिवेश में किसानों के लिए उपयोगी कृषि सलाह
पिछले दिनों अच्छी वर्षा हुई है जिसकी वजह से खेतों में खरपतवार उगने शुरू हो गए होंगे। अतः जब खरपतवार अच्छी तरह उग जाए तो सभी किसान भाई इन्हें ट्रैक्टर के माध्यम से मिट्टी में पलट दें। ये काम आप बुआई के 4 से 5 दिन पूर्व करें।
इसके अलावा जब आप ट्रैक्टर चलाएं तो उससे पहले वेस्ट डी कंपोजर जो स्पीड कम्पोस्ट के नाम से उपलब्ध है की 4 किलो प्रति एकड़ की मात्रा 10 किलो यूरिया के साथ मिला कर खेत में बिखेर दें और फिर कल्टीवेटर चला कर खेत में मिला दें।
इसके साथ आप ट्रायकोडरमा को भी 2 किलो के हिसाब से मिला लें। ये लगने वाली फसल को ना सिर्फ बीमारियों से बल्कि कीटों से भी बचाने में मदद करेगा। ऐसी फसल जिसमें नेमाटोड का आक्रमण हो सकता है यह उससे भी बचाव करेगा।
ख़ास कर के मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए ये लाभ देने वाला कार्य होगा। इसके अलावा जिन्होंने ड्रिप लाइन बिछाई है वो पेराकवाट का स्प्रे कर ऊपर लिखे मिश्रण का उपयोग अवश्य करें।
Shareइस तारीख से 9 करोड़ किसानों को मिलेंगे PM Kisan Scheme की अगली क़िस्त के 2000 रुपए
कोरोना महामारी को लेकर लम्बे समय तक चले लॉक डाउन के बीच किसानों को सरकार की तरफ से कई प्रकार के राहत दिए गए। इन्हीं में एक थी प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत दी गई 2000 रूपये की पहली क़िस्त। अब इसी योजना के अंतर्गत मिलने वाली अगली क़िस्त की तारीख भी निश्चित कर दी गई है। केंद्र सरकार के द्वारा इस योजना की अगली किस्त किसानों के खाते में 1 अगस्त से जमा करवाई जायेगी। इस किस्त के तहत किसानों के खाते में 2000-2000 रुपए जमा किये जायेंगे। इसके अंतर्गत 9 करोड़ से अधिक किसानों को इस स्कीम का लाभ मिलेगा।
ग़ौरतलब है की कृषि को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत की है जिसके अंतर्गत किसानों के खाते में सीधे राशि जमा की जाती है। इस स्कीम के तहत किसानों को साल भर में 6000 रुपए प्रदान किए जाते हैं। बता दें की इस स्कीम से अभी तक 9.54 करोड़ किसानों का डाटा वेरिफाई हो चुका है। इसके चलते इस बार 9 करोड़ से ज्यादा किसानों को इस स्कीम का लाभ मिलेगा।
स्रोत: नई दुनिया
Shareकीट प्रबंधन और वनस्पति विकास के लिए करें मिर्च की नर्सरी में दूसरा स्प्रे
- मिर्च की नर्सरी बुआई के 20-25 दिनों के बाद एवं रोपाई निकलने के 5 दिन पूर्व दूसरा छिड़काव किया जाता है।
- यह छिड़काव मकड़ी, थ्रिप्स एवं रस चूसक कीटों के प्रबंधन के लिए, एवं रोपाई के बाद बेहतर वनस्पति विकास के लिए एवं किसी भी प्रकार की कवक जनित बीमारियों के रोकथाम लिए किया जाना जरूरी होता है।
- कीट प्रबंधन लिए थियामेथोक्सम 12.6% + लैंबडा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC 10 मिली/पंप, यदि पत्तियों पर किसी भी प्रकार की फफूंद वृद्धि दिखाई दे तो इस स्प्रे में मेटलैक्सिल 4% + मैनकोज़ब 64% WP 60 ग्राम/WP पंप और बेहतर वनस्पति विकास के लिए इस स्प्रे में ह्यूमिक एसिड 10 ग्राम/पंप का छिड़काव करें।
जिंक के घुलनशील जीवाणुओं का मिट्टी में महत्व
- जिंक एक अनिवार्य सुक्ष्म पोषक तत्व है जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक हैं। परन्तु यह मिट्टी में अनुपलब्ध रूप में रहता हैं जिसे पौधे आसानी से उपयोग नहीं कर पाते।
- भारत की कृषि योग्य भूमि में 50% तक ज़िंक की कमी पाई जाती है। धान में ‘खैरा रोग’ और मक्के की फसल में सफेद कली (चित्ती) रोग के नियंत्रण में यह सूक्ष्म तत्व सहायक है।
- जिंक घुलनशील जीवाणु को मिट्टी में मिलाने से अनेक फायदे होते है जैसे- उपलब्ध जस्ता की सतत आपूर्ति, उर्वरक उपयोग दक्षता में सुधार, फसल की उपज, उपज की गुणवत्ता, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और हार्मोन की सक्रियता को बढ़ाने का कार्य करता है।
- जिंक घुलनशील जीवाणु मिट्टी में कार्बनिक अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे अनुपलब्ध अवस्था में पड़े जिंक के तत्व पौधों को उपलब्ध रूप में बदल देते है इसके अलावा ये मिट्टी के pH का संतुलन बनाए रखते हैं।
- अंतिम जुताई के समय या बुआई के समय 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 2-4 किलो जिंक घुलनशील जीवाणु की फ़सलों में निर्धारित मात्रा मिलाकर एक एकड़ खेत में बिखेरकर उपयोग किया जाना चाहिए।
बहुत आसान है किसान क्रेडिट कार्ड बनाना, मोबाइल से भी किसान बना सकते हैं KCC
किसानों को सरकार द्वारा दिए जाने वाले किसान क्रेडिट कार्ड से करोड़ों किसान लाभ उठा रहे हैं। हालांकि अभी भी इससे बहुत सारे किसान नहीं जुड़ पाए हैं। ऐसे किसान बड़ी आसानी से किसान क्रेडिट कार्ड प्राप्त कर सकते हैं। किसान घर बैठे अपने मोबाइल से भी किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
मोबाइल से आवेदन की विधि
मोबाइल की मदद से किसान क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने हेतु सबसे पहले किसानों को मोबाइल के ब्राउजर को खोलना होगा। इसके बाद कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट https://eseva.csccloud.in/KCC/Default.aspx पर जाना होगा। यहाँ पहुँचने पर आपको ‘APPLY NEW KCC’ मेनू पर जाना होगा। इस मेनू में जाने पर आपसे CSC ID और Password पूछा जाएगा, जिसे आपको भरना होगा। इसे भरने के बाद एकबार फिर ‘APPLY NEW KCC’ पर क्लिक करना होगा और फिर आपको ‘Aadhaar’ नंबर भरना होगा। यहाँ आपको उसी आवेदक का नंबर भरना है जिसका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना से जुड़ा हो। आधार नंबर भरने के बाद PM Kisan Financial Detail संबंधी जानकारी सामने आ जाएगी। यहां आपको ‘Issue of fresh KCC’ पर क्लिक करना है और इसके बाद Loan Amount और Beneficiary Mobile Number भरना होगा। इसके बाद गांव का नाम खसरा नंबर आदि की जानकारी भरनी होगी। सभी जानकारियों को भरने के बाद ‘Submit Details’ पर क्लिक कर देना है।
जानकारियों को सबमिट करने के बाद आपके सामने एक नया विंडो खुलेगा जिसमे आपको पेमेंट करने के लिए कहा जाएगा। इसको सीएससी आईडी के बैलेंस से Submit करना होगा और इस तरह आपका किसान क्रेडिट कार्ड बनकर तैयार हो जाएगा।
स्रोत: कृषि जागरण
जानें अजोला के फायदे
- अजोला एक जलीय फर्न है जो सामन्यतः धान के खेत या उथले पानी में उगाया जाता है।
- अजोला में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल जाति का एक सूक्ष्म जीव होता है जो सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में वायुमण्डलीय नत्रजन का स्थरीकरण करता है और इसमें 3.5 प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
- अजोला को खाद के रूप में उपयोग से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत उत्पादन वृद्ध संभावित रहती है।
- अजोला के उपयोग से प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहे की पूर्ति होती है जिससे पशुओं का शारीरिक विकास अच्छा है।
- अजोला चारे का उपयोग कर पशुओं से 20% अधिक दूध उत्पादन बढ़ता है और इसके दूध में वसा व वसा रहित पदार्थ अधिक पाया जाता है।
- वर्तमान में पशुओं हेतु उपयोगी पोषक तत्वों की उपलब्धता को देखते हुए अजोला को दुधारू जानवरों, मुर्गियों व बकरियों के लिए सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार कहा जा सकता है।
सोया समृद्धि किट में उपस्थित जैविक उत्पाद और इसके उपयोग का तरीका
- सोयाबीन की उपज बढ़ाने में सोया समृद्धि किट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सोया समृद्धि किट में ट्राइकोडर्मा विरिडी, पोटाश एवं फास्फोरस के जीवाणु, राइज़ोबियम बैक्टीरिया, ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा जैसे जैविक उत्पाद है।
- इस किट में उपस्थित ट्राइकोडर्मा विरिडी मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। यह 4 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 2 किलो प्रति एकड़ मिट्टी उपचार में काम आता है।
- इस किट का दूसरा उत्पाद दो अलग अलग सूक्ष्म जीवाणुओं का मिश्रण है जो सोयाबीन की फसल में पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है एवं उत्पादन वृद्धि में भी सहायक है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है।
- इस किट का तीसरा उत्पाद में राइज़ोबियम बैक्टीरिया होते है जो सोयाबीन की फसल में जड़ों में गांठे बनाता है जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर हो कर फसल को उपलब्ध होती है। यह 5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 1 किलो की मात्रा प्रति एकड़ काम में ली जाती है।
- किट का अंतिम उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा तत्वों का खजाना होता है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है।
- सोया समृद्धि किट की 7 किलो (जिसमें उपरोक्त सभी जैविक उत्पाद सम्मलित है) को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में अंतिम जुताई के समय या बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला देना चाहिए ताकि फसल को इसका पूरा लाभ मिल सके।
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ग्रामोफ़ोन से मिट्टी परीक्षण कराना खरगोन के किसान के लिए साबित हुआ वरदान
खेती के लिए जो सबसे अहम जरुरत होती है वो होती है मिट्टी की, इसीलिए मिट्टी का स्वस्थ होना किसी भी फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी तथ्य को समझा खरगोन जिले के भीकनगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पीपरी के रहने वाले किसान श्री शेखर पेमाजी चौधरी ने। शेखर पिछले कुछ सालों से करेले की खेती कर रहे थे जिसमें कभी नुकसान तो कभी थोड़ा फायदा भी होता था पर इस बार उन्होंने ग्रामोफ़ोन की सलाह अनुरूप करेला उगाया जिसमे उन्हें हर बार से कहीं अच्छा मुनाफ़ा मिला।
इस बार शेखर ने करेले की खेती से पहले ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से अपने खेतों का मिट्टी परीक्षण करवाया और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार मिट्टी उपचार भी करवाया। ऐसा करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति हो गई और वो फसल के लिए तैयार हो गया। इसके बाद शेखर ने करेले की खेती की और जब उत्पादन की बारी आई तो यह पहले से काफी अधिक रहा।
तो कुछ इस तरह मिट्टी परीक्षण ने शेखर को दिलाया करेले की फसल से अच्छा उत्पादन। अगर आप भी अपने खेतों के मिट्टी का परीक्षण करवाना चाहते हैं तो इसके लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर संपर्क कर सकते हैं। आपको मिट्टी परीक्षण से जुड़ी हर जानकारी यहाँ दी जायेगी। इसके अलावा आप ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर भी लॉगिन कर सकते हैं।
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