चने की फसल से अच्छी उपज प्राप्ति हेतु चना समृद्धि किट का करें उपयोग

Use Gram Samriddhi Kit to get good yield from gram crop
  • यह समृद्धि किट दरअसल खेत की मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • मिट्टी में पाए जाने वाली हानिकारक कवकों को खत्म करके यह पौधे को होने वाले नुकसान से बचाती है।
  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है। इससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती हैं, और फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती हैं।
  • मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी यह कम नहीं होने देता है। यह जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार से जड़ विकास को बढ़ावा देता है।
  • जड़ों के द्वारा यह मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है, मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
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पशुपालन क्षेत्र में विकास हेतु मध्यप्रदेश में बनेगी गौ कैबिनेट

Gau-Cabinet to be developed in MP for development in animal husbandry

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के द्वारा गौधन के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु गौ-कैबिनेट बनाने का फैसला किया है। इस कैबिनेट के अंतर्गत पशुपालन, वन, पंचायत तथा ग्रामीण विकास, राजस्व, गृह और कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग को शामिल किया जायेगा। बता दें कि इस कैबिनेट की पहली बैठक आने वाले 22 नवम्बर को प्रस्तावित है। इसी दिन गोपाष्टमी का पावन पर्व भी मनाया जाता है।

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ने इससे पहले कृषि कैबिनेट भी बनाया था। इस कैबिनेट के निर्णयों पर अमल किया गया जिसका परिणाम कृषि क्षेत्र में उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के रूप में मिला। इसके अलावा किसानों को शासन की योजनाओं का लाभ भी इससे मिला जिससे उन्हें आर्थिक लाभ हुआ। अब ठीक इसी प्रकार गौ-कैबिनेट के निर्माण से गौ-सेवकों, पशु पालकों और किसानों को लाभ होगा।

स्रोत: द हिंदू

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चने में लगने वाली हरी इल्ली के नियंत्रण के उपाय

Management to control the green caterpillar in the gram crop
  • चने की फसल कीट प्रकोप के प्रति बहुत अधिक संवेदनशील होती है क्योंकि यह रबी के कम तापमान वाले मौसम में लगायी जाती है।
  • चने की फसल में हरी इल्ली का बहुत अधिक प्रकोप होता है, यह इल्ली हरे और भूरे रंग की हो सकती है। यह इल्ली चने की फसल की पत्तियों के पर्णहरित को खुरच कर खा जाती है।
  • इसके प्रकोप के कारण चने की पत्तियों को बहुत अधिक नुकसान होता है एवं अविकसित फलों एवं फूलों को भी यह कीट बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
  • इस कीट के निवारण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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बैगन में फल सड़न के कारण एवं बचाव के उपाय

Causes and Prevention for fruit rot in brinjal crops
  • अधिक नमी के कारण यह रोग बैगन की फसल को अधिक संक्रमित करता है।
  • कवक के संक्रमण के कारण बैगन के फलों पर सूखे हुए धब्बे दिखाई देते हैं जो बाद में धीरे धीरे दूसरे फलों में भी फैल जाते हैं।
  • संक्रमित फलों की बाहरी सतह भूरे रंग की हो जाती है जिस पर सफ़ेद रंग के कवक का निर्माण हो जाता है।
  • इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियों एवं अन्य भागों को तोड़कर नष्ट कर देना चाहिए ताकि रोग के प्रसार को रोका जा सके।
  • इस रोग के निवारण के लिए फसल पर मेंकोजेब 75% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
  • 15-20 दिनों बाद आवश्यकतानुसार छिड़काव दवा बदल कर करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर दें।
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मध्य प्रदेश: डेढ़ रुपए की जगह अब देने होंगे महज 50 पैसे मंडी टैक्स

mandi tax

मध्यप्रदेश के मंडियों में लगने वाले टैक्स पर सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए टैक्स को घटा दिया है। इस निर्णय के बाद अब मंडी टैक्स के रूप में डेढ़ रुपए के बदले महज 50 पैसे ही देने होंगे। यह जानकारी प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने दीपावली पर्व के पावन अवसर पर दी।

कृषि मंत्री ने बताया कि “मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम अंतर्गत मंडियों में होने वाले विक्रय पर लगने वाले टैक्स में प्रदेश सरकार ने व्यापारियों के हित में कमी करने का निर्णय लिया था। दीपावली के दिन उसको अमली जामा पहना दिया गया है।” श्री पटेल ने बताया कि मंडियों में लगने वाले 20 पैसे निराश्रित निधि टैक्स को भी समाप्त कर दिया गया है।

स्रोत: कृषक जगत

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मटर की फसल में बुआई के 15-20 दिनों में फसल वृद्धि के उपाय

Measures for crop growth in 15-20 days of sowing in pea crop
  • मटर दलहनी फसल में आती है, इसलिए मटर की फसल को अधिक नाइट्रोज़न उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
  • मटर की फसल में 15-20 दिनों की अवस्था सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति बहुत आवश्यक होती है इसी के साथ कवक रोग एवं कीट से फसल की रक्षा करना बहुत आवश्यक है।
  • इन सभी व्याधियों से मटर की फसल की सुरक्षा के लिए सूक्ष्म पोषक मिश्रण @ 8 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 5 किलो/एकड़ + जिंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ की दर मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • कीटों के नियंत्रण के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कवक रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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फेरोमोन ट्रैप के उपयोग के तरीके एवं लाभ

Methods and benefits of using pheromone trap
  • फेरोमोन एक प्रकार का कीट जाल होता है जो कीड़ों को लुभाने के लिए उपयोग किया जाता है।
  • अलग अलग प्रकार के कीटों के लिए अलग अलग फेरोमोन का उपयोग किया जाता है।
  • इसे खेत के चारो कोने पर लगाया जाता है, हर फेरोमोन में एक कैप्सूल लगा होता है जिसमें नर वयस्क कीट कैद हो जाता है।
  • इस नई तकनीक का लाभ यह है कि किसान अपने खेतों पर कीड़ों की संख्या का आंकलन कर इसका उपयोग कर सकता है।
  • फल मक्खी एवं इल्ली वर्गीय कीट से छुटकारा पाने का सबसे सस्ता जैविक तरीका है कीटों के वयस्क का नियंत्रण, इससे कीट के जीवन चक्र को नियंत्रित किया जा सकता है।
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रस चूसक कीटों का इस प्रकार करें प्रबंधन

Management of sucking pests
  • मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण रबी के मौसम में लगायी गयी सभी फसलों में रस चूसक कीटों का प्रकोप देखने को मिल सकता है।
  • थ्रिप्स, एफिड, जैसिड, मकड़ी, सफ़ेद मक्खी जैसे कीट फसलों की पत्तियों का रस चूसकर फसल को बहुत नुकसान पहुँचाते हैं।
  • थ्रिप्स नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP @ 300 ग्राम/एकड़ लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 300 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • एफिड/जैसिड नियंत्रण के लिए एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • मकड़ी के नियंत्रण मैच प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पायरोमैसीफेन 22.9% SC @ 250 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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पशुओं के लिए उपयोगी आहार रिजका घास

Razaka grass
  • प्रोटीन और विटामिन से भरपूर राजका घास पशुओं के लिए एक उत्तम आहार की जरूरत को पूरा करता है।
  • दुधारू पशुओं को लगातार यह घास खिलाने से दूध उत्पादन में भी वृद्धि के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
  • इस घास का बीज अत्यंत छोटा होता है, इसलिए इसकी खेती करने के लिए भूमि की गहरी जुताई कर भुरभुरी मिट्टी वाला, समतल व खरपतवार रहित खेत तैयार करें।
  • इस घास के उपयोग से दुधारू पशुओं में दूध की मात्रा बढ़ती है एवं वर्ष भर पशुओं को हरा चारा उपलब्ध होता रहता है।
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फसल की बुआई के बाद अच्छे अंकुरण के लिए क्या उपाय करें?

What measures taken to increase germination after sowing the crop
  • अधिकतर क्षेत्रों में रबी के मौसम की फसल बुआई लगभग पूरी हो चुकी है।
  • मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण कई जगहों पर फसल का अंकुरण बहुत अच्छे से नहीं हो पा रहा है।
  • किसान कुछ सरल उपाय अपनाकर फसल के अंकुरण प्रतिशत को बहुत हद तक बढ़ा सकते हैं।
  • बुआई के समय खेत में अंकुरण के लिए पर्याप्त नमी होना बहुत आवश्यक होता है। पर्याप्त नमी में पौधे का अंकुरण अच्छा होता है और पौधों में नई जड़ें बनने लगती हैं।
  • जड़ों के अच्छे विकास एवं बढ़वार के लिए बुआई के 15 -20 दिनों के अन्दर जैविक उत्पाद मैक्समायको 2 किलो/एकड़ का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में करें।
  • इसी के साथ सी वीड @ 300 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • यदि मिट्टी में किसी भी प्रकार के कवक जनित रोगों का प्रकोप दिखाई देता है तो उचित कवकनाशी का उपयोग करें।
  • इन उपायों को अपनाकर फसलों का अंकुरण बहुत हद तक बढ़ाया जा सकता है।
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