- वर्तमान में कई किसान तरबूज की खेती कर रहे हैं और फसल अभी अंकुरण की शुरूआती अवस्था में है जिसके कारण फसल में कीट प्रकोप अधिक मात्रा में होती है।
- शुरुआती वृद्धि अवस्था में लीफ माइनर, रस चूसक कीटों का प्रकोप अधिक मात्रा में होता है।
- इसके नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
मध्य प्रदेश के इस जिले में होगी सूरन की खेती, कम समय में होगा ज्यादा लाभ
सूरन जिसे जिमीकंद भी कहते हैं को दरअसल मकान की बाड़ी या बागीचे बगैरह में ज्यादातर लगाया जाता है। पर अब मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में इसकी खेती करने की शुरुआत की जा रही है। ऐसा कर के अन्य किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जाएगा।
बता दें की सूरन कम कृषि लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल है। इसीलिए इसकी खेती किसानों के लिए लाभ का सौदा साबित हो सकती है। बालाघाट जिले के कटंगी तहसील के तीन गांवों के 20 किसानों द्वारा इसकी खेती की शुरुआत की जा रही है। ये किसान करीब 10 एकड़ क्षेत्र में इसकी खेती करेंगे।
बता दें की सूरन एक नकदी फसल है और इसकी बुआई फरवरी से जून महीने तक होती है। करीब नौ से दस महीने में इसकी फसल तैयार होती है और बाजार में इसका भाव 40-50 रुपये प्रति किलोग्राम से भी अधिक मिलता है। इसकी फसल को ज्यादा सिंचाई नहीं लगती और किसान को बहुत अधिक मेहनत भी नहीं करना पड़ता है।
स्रोत: नई दुनिया
Shareदक्षिणी मध्य प्रदेश समेत मध्य भारत के इन क्षेत्रों में जारी रहेगा गर्मी का दौर
मध्य भारत में भीषण गर्मी का प्रकोप जारी है, कई स्थानों पर तापमान 40 डिग्री के आसपास बना हुआ है। आने वाले दिनों में तापमान में और ज्यादा वृद्धि देखने को मिल सकती है। ख़ास कर के दक्षिणी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र में गर्मी से कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareतरबूज की फसल में कवक रोगों से होगा नुकसान, ऐसे करें निदान
- गर्मियों के मौसम की फसलों में तरबूज की फसल को बहुत सारे किसान प्राथमिकता देते हैं।
- हालांकि इसकी फसल में अंकुरण के पश्चात कई प्रकार की समस्याएं सामने आती हैं जिनमें पत्तियों में पीलापन, जड़ों में गलन, तना सड़न जैसी समस्याएं शामिल होती हैं।
- इसके निवारण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
मध्यप्रदेश के मंडियों में 8 मार्च को क्या रहा अलग अलग फसलों का भाव
| मंडी | फसल | मॉडल भाव प्रति क्विंटल |
| पिपरिया | गेहूँ | 1401-1730 |
| पिपरिया | चना | 3600-4710 |
| पिपरिया | मक्का | 1100-1254 |
| पिपरिया | मुंग | 4400-7500 |
| पिपरिया | सोयाबीन | 4000-4480 |
| पिपरिया | तुवर | 4700-6800 |
| पिपरिया | धान | 1900-2705 |
| धामनोद | गेहूँ | 1680-1756 |
| धामनोद | डॉलर चना | 3650-6850 |
| धामनोद | मक्का | 1230-1380 |
| धामनोद | सोयाबीन | 4300-4310 |
| तिमरनी | सोयाबीन | 3300-4676 |
| तिमरनी | सरसो | 4551 |
| तिमरनी | गेहूँ | 1725-1788 |
| तिमरनी | चना | 3824-4231 |
| तिमरनी | तुवर | 3551 |
| तिमरनी | मक्का | 1052-1150 |
| तिमरनी | मुंग | 3140-8223 |
| तिमरनी | उड़द | 3500-6201 |
| खरगौन | गेहूँ | 1676-1941 |
| खरगौन | चना | 4557-5178 |
| खरगौन | मक्का | 1270-1334 |
| खरगौन | कपास | 4650-6450 |
| खरगौन | सोयाबीन | 4891-5066 |
| खरगौन | तुवर | 5757-6441 |
| रतलाम | गेहूँ लोकवान | 1600-1973 |
| रतलाम | इटालियन चना | 4801-5140 |
| रतलाम | पीला सोयाबीन | 3910-5125 |
| रतलाम सेलाना उपज मंडी | ||
| रतलाम | पीला सोयाबीन | 3800-5500 |
| रतलाम | गेहूँ लोकवान | 1551-2202 |
| रतलाम | चना | 4603-5151 |
| रतलाम | डॉलर चना | 4802-4951 |
| रतलाम | मटर | 4091 |
| रतलाम | मेधी दाना | 6150 |
| रतलाम | कपास | 7650-8000 |
| अलोट | सोयाबीन | 4665-5151 |
| अलोट | गेहूँ | 1600-1700 |
| अलोट | मोसमी चना | 4650-4880 |
| अलोट | मक्का | 1175 |
| अलोट | सरसो | 4650-4700 |
| अलोट | धनिया | 5454-6000 |
| खंडवा | सोयाबीन | 3701-5001 |
| खंडवा | सरसो | 4500-4571 |
| खंडवा | गेहूँ | 1500-1691 |
| खंडवा | चना | 3701-4780 |
| खंडवा | तुवर | 4751-6100 |
| खंडवा | मक्का | 1249-1300 |
| खंडवा | मुंग | 6100 |
| खंडवा | उड़द | 2600-5001 |
कद्दू की फसल में क्यों फलों एवं फूलों का आकार रह जा रहा है छोटा?
- वर्तमान समय में ज्यादातर स्थानों पर कद्दू की फसल लगी हुई है।
- कई स्थानों पर ऐसा देखा जा रहा है की कद्दू की फसल में फल तो लग रहे हैं वो परंतु पूरी तरह विकसित नहीं हो रहे हैं और आकार में छोटे रह जा रहे हैं।
- यह समस्या मौसम परिवर्तन के कारण मधुमक्खियों की कार्यशीलता में कमी के कारण हो रही है।
- जैसा की आप सभी जानते हैं की मधुमक्खियाँ प्राकृतिक रूप से कद्दूवर्गीय फसलों में परागण के लिए सहयता करती हैं।
- यदि मधुमक्खियों की क्रियाशीलता में कमी होती है तो कद्दू की फसल में फलों का विकास अपूर्ण होता है या फल लगते ही नहीं हैं।
इंदौर जनपद पंचायत के अहिल्यामाता गौशाला के विकास हेतू सरकार देगी 173 लाख रुपये
मध्य प्रदेश सरकार इंदौर जिले के इंदौर जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पेडमी में अवस्थित अहिल्यामाता गौशाला को आदर्श गौशाला बनाने की तैयारी में है। दरअसल पिछले महीने प्रदेश के गौशालाओं के विकास के विषय पर चर्चा हेतु बैठक हुई थी जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी।
इस बैठक में यह निर्णय लिया गया था की प्रदेश के हर जिले में एक वृहद गौशाले का विकास किया जाएगा। अब इसी निर्णय का कार्यान्वयन हो रहा है और इंदौर के एक गौशाले को विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। गौशाला के विकास कार्यों में 173 लाख रूपये खर्च किये जाने हैंl बता दें की इस गौशाले में वर्तमान में 400 गौवंश है जिसे जल्द ही 900 से 1000 गौवंश तक बढ़ाने की योजना है। इन गौशालाओं के विकास कार्य के कारण नए रोजगार सृजन होंगे।
स्रोत: कृषक जगत
Shareमध्य भारत में गर्मी से कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है, जानें मौसम पूर्वानुमान
मध्य भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में गर्मी का दौर जारी है। कई क्षेत्रों में तो तापमान 40 डिग्री का आंकड़ा छूने के कगार पर है। गुजरात, मध्य प्रदेश के दक्षिणी क्षेत्र, महाराष्ट्र के कई क्षेत्र में तापमान बहुत अधिक है और आने वाले दिनों में तापमान के और अधिक बढ़ने की संभावना है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareप्याज की फसल में गुलाबी जड़ों की समस्या का निवारण कैसे करें?
- इस रोग का मुख्य लक्षण प्याज़ की जड़ों का गुलाबी हो जाना होता है।
- जैसे – जैसे इस रोग का प्रकोप बढ़ता है वैसे वैसे इसके प्रभाव से जड़ें काली होकर सूख जाती हैं।
- इसके कारण कंद का विकास बहुत अधिक प्रभावित होता है।
इसके निवारण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग करें
- कीटाजिन 48% EC@ 400 मिली/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें एवं स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
मध्यप्रदेश के मंडियों में क्या रहा अलग अलग फसलों का भाव
| मंडी | फसल | मॉडल भाव प्रति क्विंटल |
| रतलाम | लहसुन | 1500-6364 |
| रतलाम | लहसुन | 1600-5900 |
| पिपरिया | गेहूँ | 1401-1730 |
| पिपरिया | चना | 3600-4710 |
| पिपरिया | मक्का | 1100-1254 |
| पिपरिया | मूंग | 4400-7500 |
| पिपरिया | सोयाबीन | 4000-4480 |
| पिपरिया | तुअर | 4700-6800 |
| पिपरिया | धान | 1900-2705 |
| धामनोद | गेहूँ | 1680-1756 |
| धामनोद | डॉलर चना | 3650-6850 |
| धामनोद | मक्का | 1230-1380 |
| धामनोद | सोयाबीन | 4300-4310 |
| धामनोद | मौसमी चना | 4500-4735 |
| तिमरनी | सोयाबीन | 3300-4676 |
| तिमरनी | सरसों | 4551 |
| तिमरनी | गेहूँ | 1725-1788 |
| तिमरनी | चना | 3824-4231 |
| तिमरनी | तुअर | 3551 |
| तिमरनी | मक्का | 1052-1150 |
| तिमरनी | मूंग | 3140-8223 |
| तिमरनी | उरद | 3500-6201 |
| खरगौन | गेहूँ | 1676-1941 |
| खरगौन | चना | 4557-5178 |
| खरगौन | मक्का | 1270-1334 |
| खरगौन | कपास | 4650-6450 |
| खरगौन | सोयाबीन | 4891-5066 |
| खरगौन | तुअर | 5757-6441 |
| रतलाम | इटालियन चना | 4801-5140 |
| रतलाम | पीला सोयाबीन | 3910-5125 |
