फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों से सुरक्षित रखता है जैविक कीटनाशक

Organic insecticide protects crops
  • जैविक कीटनाशक फफूंद एवं बैक्टीरिया, विषाणु तथा वनस्पति पर आधारित उत्पाद है।
  • यह फसलों, सब्जियों एवं फलों को कीटों से सुरक्षित रखते हैं।
  • साथ ही यह फसलों के उत्पादन को बढ़ाने में सहयोग प्रदान करते हैं।
  • जीवों एवं वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद होने के कारण जैविक कीटनाशक भूमि में अपघटित हो जाते हैं।
  • जैव कीटनाशक से स्वास्थ्य एवं पर्यावरण को कोई क्षति नहीं होती है।
  • इनका कोई भी अंश मिट्टी अवशेष के रूप नहीं रहता है। यही कारण कि उन्हें पारिस्थितिकी मित्र के रूप में जाना जाता है।
  • जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों को ही नियंत्रित करते हैं।
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किसानों के खातों में पहुँचने लगी है पीएम किसान की आठवीं क़िस्त, चेक करें अपना स्टेटस

8th installment of PM Kisan has started reaching the accounts of farmers

1 अप्रैल से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में 8वीं किस्त के 2000 रुपये आने शुरू हो गए हैं। गौरतलब है कि पीएम किसान योजना के तहत केंद्र सरकार देश के किसानों को आर्थिक मदद करने के लिए हर साल 6,000 रुपये प्रदान करती है। ये पैसे किसानों के खाते में तीन किस्तों में भेजे जाते हैं। सरकार अभी तक किसानों के खातों में सात किस्तों का पैसा भेज चुकी है। इसकी आठवीं किस्त अब किसानों के खातों में जा रही है।

अगर किसी किसान ने इस योजना से रजिस्ट्रेशन करवाया है पर उसके खाते में रकम नहीं पहुंची है तो वो अपना स्टेटस ऑनलाइन माध्यम से चेक कर सकता है।

अपना स्टेटस चेक करने के लिए :

  • योजना की अधिकारिक वेबसाइट ? pmkisan.gov.in पर जाएँ और फार्मर कॉर्नर पर क्लिक करें। इसके बाद आपको लाभार्थी की स्थिति दिखाई देगी। अब आप उस पर क्लिक कर दें।

  • लाभार्थी की स्थिति पर क्लिक करने के बाद आपको अपना आधार नंबर, खाता नंबर और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा।

  • इतना करने के बाद आपको इस बात की जानकारी मिल जाएगी कि आपका नाम पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थियों की सूची में है या नहीं।
  • अगर आपका नाम इस लिस्ट में है और उसमें किसी प्रकार की गलती नहीं है, तो आपको योजना का लाभ जरूर मिलेगा।

स्रोत : कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में बढ़ेगा तापमान, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather Update Hot

मध्य भारत में धीरे धीरे अब तापमान बढ़ने लगा है। ख़ास कर के पश्चिमी राजस्थान, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य प्रदेश के दक्षिणी जिलों में हिट वेव कंडीशन आने की संभावना है। आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में गर्मी और ज्यादा बढ़ेगी, और फिलहाल गर्मी से राहत मिलने की कोई संभावना नहीं है।

स्रोत : स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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नीम लेपित यूरिया के उपयोग से फसलों को मिलेंगे कई लाभ

Crops will get many benefits from the use of Neem Coated Urea
  • नीम लेपित यूरिया ऐसा यूरिया होता है जिस पर नीम को लेपित करके तैयार किया जाता है।
  • नीम लेपित या कोटेड यूरिया बनाने के लिए यूरिया के ऊपर नीम के तेल का लेप कर दिया जाता है।
  • यह लेप नाइट्रीफिकेशन अवरोधक के रूप में काम करता है। नीम लेपित यूरिया धीमी गति से प्रसारित होता है।
  • इसके कारण फसलों की आवश्यकता के अनुरूप नाइट्रोजन पोषक तत्व की उपलब्धता होती है और फसल उत्पादन में भी वृद्धि होती है।
  • नीम लेपित यूरिया सामान्य यूरिया की तुलना में लगभग 10% कम लगता है, जिससे 10% तक यूरिया की बचत की जा सकती है।

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टमाटर की फसल में लीफ माइनर रोग का नियंत्रण कैसे करें?

How to control leaf miner disease in tomato

टमाटर के पौधे पर लीफ माइनर रोग के लक्षण

? लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट बहुत ही छोटे होते हैं और पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं।

? इससे पत्तियों पर सफेद धारी जैसी लकीरें दिखती हैं। इसके वयस्क कीट हल्के पीले रंग के एवं शिशु कीट बहुत छोटे तथा पैर विहीन पीले रंग के होते हैं। कीट का प्रकोप पत्तियों पर शुरू होता है।

?यह कीट पत्तियों में सर्पिलाकार सुरंग बनाता है पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधा होती है। अंततः पत्तियां गिर जाती हैं।

क्या है उपचार के उपाय?

? रासायनिक प्रबंधन:  इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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तरबूज की फसल में उकठा रोग से बचाव के तरीके

Wilt management in Watermelon
  • यह रोग जीवाणु एवं कवक जनित है जो तरबूज की फसल को नुकसान पहुँचाता है।
  • बैक्टीरियल विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
  • इसके कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं, फिर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
  • तरबूज की फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
  • कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।

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मूंग की फसल में मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, ऐसे करें नियंत्रण

How to control mites in green gram crop

? यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते है होते है जो मूंग की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

? जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उस पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह किट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं जिससे अंत में पौधा मर भी जाता है।

? रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

? जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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बैगन की फसल में ऐसे करें सफेद मक्खी का नियंत्रण

White fly management in brinjal crop

? इस कीट के शिशु एवं वयस्क दोनों ही रूप बैगन की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं। ये पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली सूटी मोल्ड नामक जमाव का कारण भी बनते हैं। इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में बैगन की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है। फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।

? रासायनिक प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

? जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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गिलकी की फसल में वायरस के प्रबंधन के उपाय

Management of virus in the sponge gourd crop

गिलकी की फसल में कैसे फैलता है वायरस?
? अधिक गर्मी एवं मौसम परिवर्तन के कारण गिलकी की फसल में वायरस फैलता है।

? इस वायरस का वाहक सफेद मक्खी है।

? यह पत्तियों पर बैठती है और एक से दूसरे खेत में आती जाती रहती है।

? इससे सब्जियों में वायरस का प्रकोप होता है।

क्या होते हैं वायरस प्रकोप के लक्षण?
? वायरस प्रकोप के लक्षण पौधे की सभी अवस्था में देखे जाते हैं।

? इसके कारण पत्तियों की शिरा पीली पड़ जाती है एवं पत्तियों की पर जाल जैसी संरचना बन जाती है।

क्या हैं उपचार के उपाय?
? रासायनिक प्रबधन: इसके निवारण के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC@ 250 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

? जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें?

What measures should be taken to increase germination percentage in bitter gourd crops
  • जायद सीजन में कई किसान करेले की फसल लगाते हैं।
  • इस मौसम में तापमान में परिवर्तन होता है और तापमान बढ़ जाता है।
  • तापमान में बढ़ोतरी के कारण करेले की फसल में बीजो का पूरी तरह अंकुरण नहीं हो पाता है।
  • इसके कारण किसान की उपज बहुत प्रभावित होती है।
  • इस प्रकार की समस्या के निवारण के लिए करेले के बीज़ो को बीज उपचार करके ही बुआई करें।
  • बुआई के बाद 10-15 दिनों में करेले की फसल में फास्फोरस घोलक जीवाणु @ 500 ग्राम/एकड़ के साथ विगेरमैंक्स जेल @ 1 किलो/एकड़ की दर से जमीन से दें।
  • इन दोनों उत्पादों के उपयोग से करेले की फसल में अंकुरण प्रतिशत बढ़ता है।

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