आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 16 से 20 दिन बाद – मिट्टी के माध्यम से पोषक तत्व प्रदान करने के लिए

बेहतर वृद्धि और विकास के लिए सल्फर 5 किलो + जिंक सल्फेट 5 किलो + सूक्ष्म पोषक मिश्रण (एग्रोमिन) 8 किलो प्रति एकड़ मिलाएं और मिट्टी पर प्रसारित करें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 15 से 20 दिनों में – पत्ती धब्बा रोग और एफिड्स जैसे कीटों के प्रबंधन के लिए

पत्ती धब्बा रोग एवं एफिड (माहु) जैसे कीटों के प्रबंधन के लिए और जड़ की वृद्धि के लिए 19:19:19 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड (मैक्सरूट) 100 ग्राम + कार्बेन्डेज़िम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 300 ग्राम + एसिटामिप्रिड 20% एसपी (नोवासेटा) 100 ग्राम प्रति एकड़ प्रति एकड़ छिड़काव करे|

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 3 से 5 दिनों में- पूर्व उद्भव खरपतवारो के नियंत्रण के लिए

खरपतवार प्रबंधन के लिए अंकुरण से पहले पेण्डामैथलीन 38.7%CS ( स्टोम्प एक्स्ट्रा) 700 मिली को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ का छिड़काव करें| अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 1 से 2 दिनों में -फसल को प्राथमिक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- डीएपी 40 किग्रा, एमओपी 20 किग्रा + पीके बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स) 1 किग्रा + राइजोबियम (जैवटिका आर) 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड + समुद्री शैवाल + अमीनो + माइक्रोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा प्रति एकड़ की दर से इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में फैलाएं|

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 0 से 3 दिन पहले-बीज़ों को कवक जनित रोगो से बचने के लिए

बीज को फफूंद से बचाने के लिए बीजों को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% ( विटावैक्स पावर) 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% (साफ) 2.5 ग्राम /किलो बीज या थियामेथोक्सम 30% एफएस (रेनो) 4 मिली प्रति किलो बीज या राइजोबियम (जैवाटिका आर) 5 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 5 से 7 दिन पहले- पोधो के बिच योग्य दुरी रखने के लिए

1.5 फीट की दूरी कुंड और मेढ़ तैयार करें। दो बीजों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर बोयें। अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|

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मध्य भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू, रुक रुक कर होगी बारिश

Weather report

मध्य भारत में प्री-मानसून की गतिविधियां शुरू हो गई हैं। चक्रवातीय प्रवाह से महाराष्ट्र के कुछ इलाकों, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और विदर्भ में हल्की बारिश होने की संभावना है। इन इलाकों में बादल छाए रहेंगे। हालांकि इन इलाकों में मौसम गर्म रहेगा लेकिन रुक रुक कर बारिश मध्य प्रदेश के पूर्वी और दक्षिणी जिलों में हल्की और छिटपुट बारिश होगी।भी जारी रहने की संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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मूंग की फसल में इन उपायों को अपनाने से होगी फूल वृद्धि

What are the preventions to follow for flower growth in green gram crop
  • मूंग की फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण फूल गिरने की समस्या होती है।

  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण फसल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।

मूंग में अधिक फूल वृद्धि के लिए निम्र उत्पादों का छिड़काव करें

  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमोब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में अगले 3-4 दिन हो सकती है बारिश

Weather report

मध्य भारत के दक्षिणी- पूर्व मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ के दक्षिणी और मध्य जिलों में आने वाले दिनों में बारिश की गतिविधियां बढ़ेगी। अगले 24 घंटों में इन इलाकों में 1-2 घंटे तक बारिश होगी और कुछ समय बाद थम जाएगी। यह गतिविधियां इन सभी इलाकों में देखने को मिलेगी और अगले 3-4 दिनों के दौरान इन इलाकों में तापमान कम ही रहेंगे।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

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तरबूज की फसल में मकड़ी के प्रकोप का ऐसे करें नियंत्रण

How to control mites in watermelon crop
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के कीट होते है जो तरबूज की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, कली एवं टहनियों आदि पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

  • तरबूज के जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उन पौधे पर जाले दिखाई देते हैं।

  • यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं जिसके कारण अंत में पौधा मर भी जाता है।

रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

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