आ गई है कोरोना की दूसरी लहर, जानें बचाव के उपाय, अन्य लोगों को भी जागरूक करें

preventive measures from Corona

कोरोना एक वायरस है जिसके संक्रमण की वजह से करीब एक साल से भी ज्यादा समय से वैश्विक महामारी फैली हुई है। इसने पूरी दुनिया को अपने गिरफ्त में ले लिया है। यह महामारी भारत में भी फैली हुई है और फिलहाल यह भारत के लगभग सभी राज्यों में असर दिखा रहा है। हालांकि इसकी वैक्सीनेशन भी अब शुरू हो चुकी है परन्तु इसके बाद भी आपको इससे सम्बंधित हर जानकारी और बचाव के उपाय पता होने चाहिए। 

कैसे होता है कोरोना का संक्रमण?

कोरोना एक वायरस है और इसके संक्रमण में आये व्यक्ति के माध्यम से ही यह दूसरे व्यक्तियों को संक्रमित करता है। 

संक्रमण से बचने के लिए क्या करें?

  • कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए आपको अपने हाथ को साबुन से धोना चाहिए। 

  • साबुन न हो तो आप 60% अल्कोहल वाले सेनेटाइजर से भी अपने हाथ साफ़ कर सकते हैं। 

  • आपके मुंह, आँख और नाक से ही कोरोना वायरस आप में प्रवेश कर सकता है इसलिए अपने हाथों से अपने मुंह, आँख और नाक को छूने से बचना चाहिए।

  • इसका संक्रमण संक्रमित व्यक्ति से होता इसलिए जब तक इस पर काबू ना पाया जा सके तब तक आपको किसी भी व्यक्ति से 6 फिट की दूरी पर रहना चाहिए साथ ही मास्क भी जरूर पहनना चाहिए। 

  • शुरूआती दिनों में संक्रमित व्यक्ति को भी यह पता नहीं होता है की वो संक्रमित है पर उससे यह संक्रमण दूसरे में फैलता रहता है इसलिए सरकार सोशल डिस्टेंसिंग यानी लोगों से दूर दूर रहने को कह रही है। 

देश के सभी लोगों  वैक्सीनेशन होने में समय लगेगा इसलिए अभी भी इसके फैलाव को रोकने के लिए सरकार मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, लॉकडाउन और कर्फ्यू का पालन करने को कह रही है। अतः सरकार के द्वारा उठाये जा रहे क़दमों में अपनी सहभागिता दर्ज करवाएं और कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकें।

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अगले 24 घंटे में मध्य प्रदेश के इन क्षेत्रों में होगी हल्की बारिश, जाने मौसम पूर्वानुमान

Weather report

अगले 24 घंटों में मध्य प्रदेश के साथ साथ छत्तीसगढ़, विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र के कई इलाकों में बारिश होने की संभावना है। हालांकि इन सभी जगहों पर बारिश रुक रुक कर होगी। मध्य प्रदेश के पूर्वी, पश्चिमी और दक्षिणी जिलों में बारिश की गतिविधियां हल्की रहेगी। वहीं मध्य प्रदेश के उत्तरी जिले शुष्क बने रहने की संभावना है।

स्रोत : स्काईमेट वीडियो

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

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जीवाणु अंगमारी के फसलों पर ऐसे होते हैं लक्षण, जानें बचाव के उपाय

Crops will be harmed due to bacterial blight
  • इस रोग की वजह से फसल की पत्तियों के सतह पर भूरे, सूखे और उभरे हुए धब्बे बन जाते हैं।

  • पत्तियों की सतह पर ये धब्बे लाल रंग के सदृश्य पाए जाते हैं।

  • जब रोग का प्रकोप बढ़ता है तो ये धब्बे आपस में मिल जाते हैं, पत्तियां पीली पड़ जाती हैं और आखिर में ये पत्तियां समय से पहले झड़ जाती हैं।

  • इससे नियंत्रण हेतु स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट आईपी 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% w/w @ 20 ग्राम प्रति एकड़ या कसुगामाइसिन 3% SL @ 300 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

  • या फिर कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 250 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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लहसुन के भंडारण के समय जरूर बरतें ये सावधानियां

What are the precautions to be taken for storing of garlic
  • आजकल सभी स्थानों पर लहसुन की कटाई लगभग पूर्ण हो चुकी है और किसान लहसुन को भंडारित करके रख रहे हैं।

  • लहसुन का भंडारण करने की स्थिति में किसान को कुछ सावधानियां बरतनी बहुत जरूरी होती है।

  • भंडारण के पहले लहसुन को धूप में अच्छे से सुखा लें। ऐसा करने से लहसुन में नमी बिलकुल खत्म हो जाएगी। दरअसल थोड़ी भी नमी होने से लहसुन के ख़राब होने की सम्भावना बढ़ जाती है।

  • यदि आपके पास पर्याप्त जगह हो और आप लहसुन को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखना चाहते हों तो तने से कंद को न काटें, जब जरूरत हो तभी काटें। उन्हें एक गुच्छे में बांध कर फैला कर रख दें।

  • यदि कटाने की आवश्यकता हो तो सबसे पहले उन्हें 8-10 दिन तक तेज धूप में सूखने दें।

  • लहसुन के कंद की जड़ को तब तक सूखने दें जब तक जड़े बिखर न जाए।

  • इसके बाद कंद से तने के बीच में 2 इंच की दूरी रख कर ही काटें ताकी उनकी परत हटने पर कली ना बिखरे और कंद ज्यादा समय तक सुरक्षित रहे।

  • कई बार कुदाली या फावड़े से कंद को चोट लग जाती है। लहसुन के कंद की छटाई करते वक्त दाग लगे हुए कंद को अलग निकाल दें, बाद में इन्हीं दागी कंदो में सड़न पैदा हो कर अन्य दूसरे कंदों में भी सड़न फैल जाती है।

कृषि, फसल भंडारण एवं फसल बिक्री से संबंधित हर जानकारी आपको मिलती रहेगी ग्रामोफ़ोन एप पर। अपनी फसल बिक्री के लिए ग्राम व्यापार पर जाएँ और बिक्री सूची बनाएं।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 71 से 80 दिनों में- कटाई अवस्था

परिपक्वता आने पर पूरी फसल को उखाड़ दें या काट लें। सुखाने के लिए 6 से 7 दिनों तक धूप में फसल को रहने दे| 

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 46 से 55 दिन बाद – वृद्धि और इल्ली प्रबंधन करने के लिए

वृद्धि और इल्ली प्रबंधन के लिए जिब्रेलिक एसिड (मैक्सिल्ड) 300 मिली + 00:52:34 1 किलो + स्पिनोसैड 45% एससी (स्पिंटर) 75 मिली + बवेरिया बेसियाना (बेवकर्ब) 500 ग्राम प्रति एकड़ स्प्रे करें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 41 से 45 दिनों में- सिंचाई की क्रांतिक अवस्था

सिंचाई की क्रांतिक अवस्थाओं में फूल और फली गठन महत्वपूर्ण चरण हैं। इसलिए इस अवस्था में पर्याप्त सिंचाई करें। खेत में पानी जमा न होने दें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 36 से 40 दिन बाद – फली ‘छेदक और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए

फली छेदक और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए अमीनो एसिड (प्रो एमिनोमैक्स) 250 ग्राम + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी (कोराजन) 60 मिली + हेक्साकोनाज़ोल (नोवाकोन) 400 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 26 से 30 दिन बाद- इल्ली और चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए एवं फूल आने में सुधार करने के लिए

फली छेदक और चूसने वाले कीटों के प्रबंधन एवं फूल आने में सुधार करने के लिए होमोब्रासिनोलाइड (डबल) 100 मिली + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.4% एसएल (कोराजन) 60 मिली +बायफेनथ्रिन 10% ईसी (मार्कर) 300 मिली +बवेरिया बेसियाना (बेवकर्ब) 500 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

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आपकी मूंग फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के बाद 21 से 25 दिनों में – रस चूसक किट के नियंत्रण के लिए एवं जड़ों के विकास के लिए

जड़ विकास को बढ़ावा देने के लिए और रस चूसक कीट और इल्ली के प्रबंधन के लिए ह्यूमिक, सीवीड, फुल्विक (वीगरमेक्स जेल) 400 ग्राम + थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन (नोवालक्सम) 80 मिली + एमेमेक्टिन बेंजोएट (इमानोवा) 100 ग्राम + थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी (मिल्ड्यूविप) 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।

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