जानें आखिर क्यों सिंगल सुपर फास्फेट को कृषि के लिए कहा जाता है वरदान?
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सिंगल सुपर फास्फेट (एसएसपी) कम लागत में अधिक पैदावार लेने के लिए कृषि के लिए वरदान साबित होगा। किसान डीएपी उर्वरक के बजाय अब सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक का प्रयोग कर सकते हैं।
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सिंगल सुपर फास्फेट एक फॉस्फोरस युक्त उर्वरक है जिसमें कि 16 प्रतिशत फॉस्फोरस, 11 प्रतिशत सल्फर एवं 21% कैल्शियम की मात्रा होती है l दानेदार एसएसपी में सूक्ष्म तत्वों के रूप में जिंक और बोरॉन भी पाया जाता है। इसमें उपलब्ध सल्फर के कारण यह उर्वरक तिलहनी एवं दलहनी फसलों के लिये अन्य उर्वरकों की अपेक्षा अधिक लाभदायक होता है।
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सिंगल सुपर फास्फेट में उपलब्ध सल्फर जो तिलहनी फसलें जैसे सरसों की फसल में तेल की मात्रा एवं दलहनी फसल जैसे चना, मूंग, उड़द आदि में प्रोटीन की मात्रा बढ़ाता है।
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इसीलिए किसानों को अधिक से अधिक सिंगल सुपर फास्फेट का प्रयोग करना चाहिए। रबी मौसम में सरसों एवं चना में सिंगल सुपर फास्फेट का उपयोग कर कम लागत में अधिक पैदावार ले सकते हैं।
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कृषक सिंगल सुपर फास्फेट ही क्यों खरीदें: सिंगल सुपर फास्फेट उर्वरक डीएपी की अपेक्षा सस्ता है एवं बाजार में आसानी से उपलब्ध है l प्रति बैग डीएपी में 23 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 9 किलोग्राम नत्रजन होता है l
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यदि डीएपी के विकल्प के रूप में 3 बैग सिंगल सुपर फास्फेट एवं 1 बैग यूरिया का प्रयोग किया जाता है तो इससे भी कम मूल्य पर अधिक नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस प्राप्त किया जा सकता है l इसके अतिरिक्त फसल को सल्फर और कैल्शियम भी अलग से नहीं डालना पड़ता जिससे फसल लागत कम लगती है l
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मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रों में आज होगी बारिश, कल से मानसून की विदाई होगी शुरू
मानसून की विदाई शुरू हो चुकी है। अब पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात सहित उत्तर प्रदेश और बिहार में वर्षा की गतिविधियां थम जाएंगी। दक्षिणी मध्यप्रदेश में तथा महाराष्ट्र में बारिश जारी रहेगी। 8 या 9 अक्टूबर को मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से भी मानसून विदा हो जाएगा।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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प्याज भाव में तूफानी तेजी, जानें इंदौर मंडी में 6 अक्टूबर को क्या रहे भाव?
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 6 अक्टूबर के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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ग्रामोफ़ोन संग स्मार्ट खेती से किसान ने खरीदा नया घर नई गाड़ी
भारत की पावन भूमि को कई प्रकार के अनाज, दाल, तिलहन, मसाले, सब्जियां तथा फल आदि की भरपूर उपज प्राप्त करने का वरदान प्राप्त है। यह उपज सिर्फ देश तक ही सिमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी लम्बे अरसे से इनका बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा रहा है। विश्वविख्यात सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत में किसान को अन्नदाता का दर्जा दिया गया है। अब हमारे देश के अन्नदाता आधुनिक भारत की ओर कदम बढ़ाने के साथ ही धीरे-धीरे आधुनिक खेती को भी अपना रहे हैं और इसमें किसानों की हर कदम पर मदद कर रहा है ग्रामोफ़ोन। पिछले पांच साल में ग्रामोफ़ोन से 8 लाख किसान जुड़ें हैं और स्मार्ट खेती की तरफ अग्रसर हुए हैं। ऐसे ही एक किसान की कहानी हम आज आपके समक्ष लेकर आए हैं।
खातेगांव तहसील के ग्राम इकलेरा के सत्यनारायण मीणा खरबूज की खेती करते हैं। पिछले कुछ साल से वे ग्रामोफ़ोन के मार्गदर्शन में खेती कर रहे हैं और इस विषय पर वे कहते हैं, “ग्रामोफोन जब से मेरे जीवन में आया है, मेरा खेती करने का नजरिया पूरी तरह से बदल गया है। अपनी तीन एकड़ जमीन में मैंने 2 एकड़ में ग्रामोफोन के खरबूज समृद्धि किट का उपयोग किया और 1 एकड़ में साधारण पद्धति से उत्पादन किया। ग्रामोफोन टीम के सदस्य हर 8 दिन में इसका निरिक्षण करते रहे और आवश्यक दवाइयों का छिड़काव करवाते रहे। इसका अंजाम यह रहा कि मेरे द्वारा साधारण पद्धति से की गई उपज से मुझे 45 क्विंटल फल प्राप्त हुआ, जबकि ग्रामोफोन की सलाह से किए गए 2 एकड़ की उपज से मुझे 150 क्विंटल फल की प्राप्ति हुई।”
वे आगे कहते हैं, “वास्तव में ग्रामोफोन किसी सपने को साकार करने जैसा है। जब से यह मेरे जीवन में आया है, खेती को लेकर समस्या क्या होती है, यह मैं भूल गया हूँ। पिछले वर्ष, जब कहीं भी बीज, खाद तथा दवाई आदि नहीं मिल पा रहे थे, उस समय इसने सच्चे मित्र की तरह मेरा साथ दिया, और एक मिस कॉल पर मुझे मेरी जरुरत की हर एक वस्तु के साथ ही भरपूर सलाह की भी प्राप्ति हुई। इसका परिणाम यह रहा कि आज मैं 7 एकड़ की जमीन पर खेती करता हूँ। वर्षों से मैं और मेरा परिवार कच्चे घर में रह रहे थे, लेकिन आज मेरे पास पक्का मकान होने के साथ ही खुद की गाड़ी भी है। सबसे खास बात यह है कि पहले मैं अकेले ही खेती करता था, लेकिन आज मेरी वजह से 5 से 7 मजदूरों का भी भरण-पोषण हो रहा है।”
अपनी 45 क्विंटल प्रति एकड़ की उपज को 75 क्विंटल प्रति एकड़ में परिवर्तित करने वाले सत्यनारायण देश के सभी किसानों को यह संदेश देना चाहते हैं की, “यदि आपकी 10 एकड़ की जमीन है, तो शुरुआती तौर पर 1 एकड़ में ही सही, ग्रामोफोन की सलाह से खेती करें, अंतर स्वयं आपके सामने आएगा। आधुनिक खेती के इस दौर में ग्रामोफोन हमारा सबसे बड़ा सलाहकार है।”
Shareइस सस्ते जुगाड़ यंत्र से करें लहसुन, आलू, मटर जैसी फसलों की आसान बुआई
मटर, लहसुन, आलू जैसी कई फसलों की बुआई में उपयोगी इस जुगाड़ यंत्र को बनाने में महज 150 रुपए का ही खर्च आता है। आइये इस वीडियो में जानते हैं यंत्र के बारे में विस्तार से।
स्रोत: यूट्यूब
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नए सोयाबीन के क्या चल रहे हैं भाव, देखें नीमच मंडी का आज का हाल
वीडियो के माध्यम से देखें आज नीमच मंडी में क्या चल रहे हैं सोयाबीन के मंडी भाव ?
स्रोत: यूट्यूब
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6 अक्टूबर को मंदसौर मंडी में क्या रहे क्वालिटी अनुसार लहसुन के भाव?
वीडियो के माध्यम से देखें, मध्य प्रदेश के मंदसौर मंडी में आज क्या रहे लहसुन के भाव ?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
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कम खर्च में फसल रोगों से पाएं छुटकारा, जरूर अपनाएँ बीजोपचार
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बीज उपचार करने से फसलों से लगभग 8-10 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। फसलों की उत्पादकता में बढोत्तरी करने हेतु आवश्यक है कि फसलों में कीड़े/बीमारियों का प्रकोप नहीं हो। इसके लिए सीड ड्रेसिंग ड्रम द्वारा भी बीजोपचार कर सकते हैं।
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फसलों की उत्पादकता में बढोत्तरी करने तथा फसलों में कीड़े/बीमारियों का प्रकोप कम से कम हो इस उद्देश्य से बुवाई से पहले शत प्रतिशत बीजोपचार किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
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बीजोपचार करते समय एफ. आई. आर. क्रम का अवश्य ध्यान रखें l बीज को सर्वप्रथम फफूंदनाशक फिर कीटनाशक और अंत में संवर्ध (कल्चर) से उपचारित करें।
फायदे:
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बीज उपचार एक कम लागत तकनीक है। इसे आसानी से किसान भाई अपना सकते हैं। बीजोपचार द्वारा पौधों की अंकुर उदय को सुनिश्चित किया जा सकता है ताकि पौधे के विकास में सुधार के साथ-साथ बीमारियों व कीटों द्वारा होने वाले नुकसान को भी नियंत्रित किया जा सके।
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पादप वृद्धि कारक हार्मोन का उपयोग कर पौधों की वृद्वि को बढ़ाया जा सकता है।
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राइजोबियम कल्चर द्वारा नत्रजन स्थिरीकरण क्षमता के बढ़ने के साथ फसल का उत्पादन भी बढ़ता है।
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बीजोपचार द्वारा पादप आबादी और इसकी उच्च उत्पादकता को बढ़ावा मिलता है।
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बीजोपचार करने के उपरान्त खड़ी फसल में सुरक्षा के अन्य उपायों की कम आवश्यकता पड़ती है।
सावधानियां:
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फसलों के बीजों को निर्धारित मात्रा में ही उपचारित करें।
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उपचारित बीज को छाया में सुखाने के तुरंत बाद बुवाई की जानी चाहिए।
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उपचारित बीज को ज्यादा देर ना रखें अन्यथा बीज खराब हो जाएगा।
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रसायनों के उपयोग से पहले अंतिम तिथि अवश्य देख लें।
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उपचार के उपरान्त डब्बों अथवा थैलों को मिट्टी में आवश्य दबा दें।
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रसायनों को बच्चों एवं मवेशियों से दूर रखें।
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मध्यप्रदेश में कुछ दिन और जारी रहेगी बारिश, जल्द होगी मॉनसून की विदाई
मानसून जल्द ही उत्तर पश्चिम और मध्य भारत को अलविदा कहेगा। बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में चक्रवाती हवाओं के बने हुए क्षेत्र दक्षिण भारत में भारी बारिश दे सकते हैं। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के सहित छत्तीसगढ़ में जारी रहेगी बारिश।
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