आपकी लहसुन फसल के लिए अगली गतिविधि

बुवाई के 25 से 30 दिन बाद- थ्रिप्स, एफिड्स और कवक रोगों का प्रबंधन

वानस्पतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए और थ्रिप्स एफ़िड्स और कवक रोग के प्रबंधन के लिए, हेक्साकोनाज़ोल 5% एससी (नोवाकोन) 400 मिली + लैम्ब्डा-साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस (लैमनोवा) 200 मिली + 19:19:19 (ग्रोमोर) 1 किलो प्रति एकड़ की दर से मिलाकर छिड़काव करें।

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बुवाई के 21 से 25 दिन बाद- डम्पिंग ऑफ का प्रबंधन

डम्पिंग ऑफ के प्रबंधन लिए राइजोकेयर 250 ग्राम या ट्राइकोशिल्ड कॉम्बेट 1 किग्रा या सांचर 60 ग्राम 200 लीटर पानी में मिलाकर और जड़ क्षेत्र के पास प्रति एकड़ में मिलाएं।

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बुवाई के 16 से 20 दिन बाद- उर्वरको का भुरकाव

बेहतर विकास के लिए और सूक्ष्म पोषक तत्व प्रदान करने के लिए यूरिया 25 किग्रा + जिंक सल्फेट 5 किग्रा + सल्फर 10 किग्रा मिलाएं प्रति एकड़ मिट्टी पर प्रसारित करें

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बुवाई के 11 से 15 दिन बाद- रस चूसक कीटो एवं कवक रोगो की रोकथाम

उचित वनस्पति विकास को बढ़ावा देने के लिए और रस चूसक कीटों और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए सीवीड एक्सट्रेक्ट (विगोरमैक्स जेल) 400 मिली + एसीफेट 75% एसपी (ऐसीमेन) 300 ग्राम + कार्बेन्डेज़िम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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बुवाई के 3 से 5 दिन बाद- पूर्व उद्धभव खरपतवार के लिए छिड़काव

पूर्व उद्धभव खरपतवार के प्रबंधन के लिए पेण्डीमेथलीन 38.7% CS (धानुटॉप सुपर) 700 मिली प्रति एकड़ की दर की दर से छिड़काव करे। घास उगने के बाद रोपाई के 20-25 दिन में प्रोपॅक्वीझाफॉप ५% + ऑक्सिफ्लूरोफेन (डेकल) @ 350 मिली या क्विजालोफ इथाइल 5% ईसी (टरगा सुपर) 350 मिली प्रति एकड़ मिलकर छिड़काव करें.

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बुवाई के 1 से 2 दिन बाद- बेसल डोज एवं प्रथम सिचाई

बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- यूरिया- 20 किलो, डीएपी- 30 किलो, एसएसपी- 50 किलो, एमओपी- 40 किलो, एनपीके बैक्टीरिया (एसकेबी फोस्टरप्लस बीसी-15)- 100 ग्राम, ज़िंक सोलुबलायज़िंग बैक्टीरिया (एसकेबी जेडएनएसबी)- 100 ग्राम, ट्राइकोडर्मा विराइड (राइजोकेयर) 500 ग्राम, समुद्री शैवाल, अमीनो, ह्यूमिक और माइकोराइजा (मैक्समाइको) 2 किलो प्रति एकड़

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बुवाई से 1 दिन पहले- बीज़ उपचार

मृदा जनित कवक रोगो से बीज की रक्षा के लिए, बीज को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करें। बुवाई से तीन दिन पहले खेत में हल्की सिंचाई करें।

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बुवाई से 8 से 10 दिन पहले- खेत की तैयारी

5 टन गोबर खाद में 7.5 किग्रा कार्बोफ्यूरन ग्रैन्यूल (फुरी) डालें। ठीक से मिलाएं और एक एकड़ क्षेत्र के लिए मिट्टी में फैलाएं। कार्बोफ्यूरान ग्रैन्यूल मिट्टी में मौजूद मिट्टी के कीड़ों को नियंत्रित करने में मदद करेगा

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मंदसौर मंडी में आज क्या रहे प्याज व लहसुन के भाव, देखें रिपोर्ट

Mandsaur Garlic and Onion Rates

वीडियो के माध्यम से देखें, मध्य प्रदेश के मंदसौर मंडी में आज क्या रहे प्याज और लहसुन के भाव?

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।

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दिसंबर में करें इन सब्जियों की खेती और कमाएं मोटा मुनाफा

Get good profit from the cultivation of these vegetables in December

आजकल अधिकतर सब्जियों की खेती पूरे वर्ष होने लगी है, बेमौसम फसल लेने से उत्पादन एवं गुणवत्ता में तो कमी आती ही है साथ ही फसल में बीमारी व कीट प्रकोप भी बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप बाजार में सब्जियों को अच्छे भाव नहीं मिल पाते हैं। वहीं जब आप उचित समय पर सब्जियों की फसल उगाते हैं तब इससे बेहतर उत्पादन के साथ भरपूर कमाई भी की जा सकती है।इसलिए हमें इस बात की जानकारी होना बेहद जरूरी है कि किस मौसम में कौन सी फसल हमें लेनी चाहिए।

आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं मध्य प्रदेश में दिसंबर माह में किन फसलों का चुनाव बुवाई के लिए कर सकते हैं।

  • टमाटर, बैंगन: सब्जियों में टमाटर, बैंगन प्रमुख फसल है, इनकी पौध तैयार करके खेत में रोपाई करने से अधिक उपज प्राप्त की जा सकती है।

  • मूली: इसके लिए ठंढी जलवायु उपयुक्त रहती है, अच्छे उत्पादन के लिए यह उपयुक्त समय है।

  • पालक: पालक को ठंढे मौसम की जरूरत होती है, बुवाई करते समय वातावरण का विशेष ध्यान रखना चाहिये। इसे खेत में सीधे पंक्तियों में या छिटक कर बो सकते है।

  • पत्ता गोभी: इसे हर तरह की मृदा में लगा सकते हैं पर अच्छे जल निकास वाली हल्की भूमि इसके लिए अच्छी होती है। इसकी पौध तैयार कर खेत में रोपाई करें।

  • तरबूज: तरबूज की अगेती बुवाई करने से इसका अच्छा बाजार भाव मिल सकता है।

फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

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