वीडियो के माध्यम से देखें, मध्य प्रदेश के मंदसौर मंडी में आज क्या रहे प्याज और लहसुन के भाव?
वीडियो स्रोत: यूट्यूब
अब ग्रामोफ़ोन के ग्राम व्यापार से घर बैठे, सही रेट पर करें अपनी लहसुन-प्याज जैसी फसलों की बिक्री। भरोसेमंद खरीददारों से खुद भी जुड़ें और अपने किसान मित्रों को भी जोड़ें।
सरसों की फसल में अंकुरण के 25-30 दिन बाद आरा मक्खी बहुत अधिक नुकसान पहुंचाता है।
इस कीट के मादा वयस्क का पिछला भाग काफी विकसित एवं आरी के जैसा होता है जिसकी मदद से ये पत्तियों में छेद करके अंडे देती है। यह पौधे से रस को चूसती है और फूल को संक्रमित कर उड़ जाती है। अक्सर पुष्प क्रम के प्रमुख भाग को यह मक्खी चट कर जाती है, जिससे पौधे की बढ़वार भी रुक जाती है।
इस कीट का लार्वा सूर्यास्त के बाद एवं प्रातः काल के समय पत्तियों को खाता है एवं दिन में मिट्टी के अंदर छिपा रहता है।
आरा मक्खी का फसल पर अधिक प्रकोप होने पर पत्तियों के स्थान पर शिराओं का जाल ही शेष रह जाता है।
इसके नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 500 मिली या थियामेथॉक्साम 12.6% + लैम्ब्डा सिहलोथ्रिन 9.5% जेडसी @ 80 ग्राम या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें l
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ग्रामोफ़ोन परिवार की तरफ से सभी किसान भाइयों को किसान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। वैसे ग्रामोफ़ोन परिवार के लिए तो हर रोज ही किसानोत्सव होता है, हमारे टीम के सदस्य कभी फ़ोन कॉल के माध्यम से, कभी ऐप नोटिफिकेशन के माध्यम से, कभी वीडियोज के माध्यम से, कभी ग्रामोफ़ोन उदय अखबार के माध्यम से तो कभी खुद व्यक्तिगत तौर पर गांवों में किसानों के बीच पहुँचते रहते हैं और किसानों के साथ कदम से कदम मिला कर काम करते हैं।
टीम ग्रामोफ़ोन के सदस्यों के इसी समर्पण का नतीजा है की किसान भी हमें अपने परिवार का हिस्सा ही समझने लगे हैं। किसान जब ग्रामोफ़ोन को अपना साथी, दोस्त, भाई बताते हैं तब हमें ख़ुशी के साथ साथ जिम्मेदारी का भी एहसास होता है और हम अपने किसान भाइयों के लिए हर वो कार्य करने को हमेशा तैयार रहते हैं जिससे उनकी खेती आसान हो, कृषि लागत कम हो और आमदनी में इजाफा हो। किसान भाइयों और ग्रामोफ़ोन का ये साथ आगे भी ऐसे ही बना रहेगा और भारतीय कृषि नई ऊंचाइयों को छूती रहेगी। आप सभी को एक बार फिर किसान दिवस की हार्दिक शुभकामना। आप हैं तो हम हैं।
तरबूज़ की फसल में उर्वरक प्रबंधन करने से, पोषण से संबंधित समस्याओं का समाधान होता है एवं उच्च गुणवत्ता वाली उपज प्राप्त होती है।
बुवाई के पहले खेत जी तैयारी के समय DAP @ 50 किलो + बोरोनेटेड एसएसपी @ 75 किलो + पोटाश @ 75 किलो + जिंक सल्फेट @ 10 किलो + मैग्नीशियम सल्फेट @ 10 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से दें।
बुवाई के समय 20 किलो यूरिया के साथ समृद्धि किट [ट्राइकोडर्मा विरडी (राइज़ोकेयर) 500 ग्राम + एनपीके बैक्टीरिया का संघ (टीम बायो-3) 3 किलो + ZnSB (ताबा जी) 4 किलो + सीवीड एक्स्ट्रैक्ट, ह्यूमिक एसिड, अमीनो एसिड और माइकोराइजा (मैक्समायको ) 2 किलो] प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
इस प्रकार उर्वरक प्रबंधन करने से फसल एवं मिट्टी में फास्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन के साथ अन्य उर्वरक एवं पोषक तत्वों की पूर्ति आसानी से हो जाती है।
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अगले कुछ दिनों के दौरान पहाड़ी राज्यों में इस मौसम की सबसे भारी बर्फबारी होने वाली है। पूरे पहाड़ों पर सफेद बर्फ दिखाई देगी। मैदानी भागों में तेज बारिश के साथ ओले गिर सकते हैं।पूर्वोत्तर में भी बारिश संभव नहीं है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।
वीडियो के माध्यम से जानें आज यानी 22 दिसंबर के दिन इंदौर के मंडी में क्या रहे प्याज के मंडी भाव?
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इन दिनों एस्कोकाइटा ब्लाइट के लक्षण चने की फसल में आमतौर पर देखने को मिल रहे हैं। इस रोग से ग्रसित पौधों के लक्षण पत्तियों, तने और पेटीओल्स पर छोटे – छोटे गोलाकार भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।
अनुकूल परिस्थितियों में, ये धब्बे तेजी से बढ़ते हैं जो पत्तियों और कलियों को प्रभावित करते हैं।
गंभीर संक्रमण के समय पौधा अचानक से सूखने लगता है एवं संक्रमण के बाद वाली अवस्था में बीज सिकुड़ने लगते हैं।
ध्यान रखें की यह बीमारी बीज जनित होती है तथा पुरानी फसल के अवशेषों द्वारा अधिक फैलती है l
प्रबंधन:
रासायनिक नियंत्रण के लिए कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% डब्ल्यूपी @ 300 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम या क्लोरोथालोनिल 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें l
जैविक नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस @ 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें l
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22 दिसंबर से पहाड़ों पर हिमपात शुरू होगा जो 29 दिसंबर तक जारी रहेगा। 26 से 29 दिसंबर के बीच बीच भारी बर्फबारी संभव है। 26 दिसंबर से 29 दिसंबर के बीच पंजाब से लेकर बिहार तथा राजस्थान से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा हरियाणा में बारिश हो सकती है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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