बंगाल की खाड़ी बनेगा नया निम्न दवाब का क्षेत्र, कई राज्यों में होगी भारी बारिश

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गुजरात के ऊपर बना हुआ डीप डिप्रेशन अब सौराष्ट्र और कच्छ के ऊपर आ गया है। आज भारी बारिश की गतिविधियां गुजरात के देवभूमि द्वारिका, खंभालिया, गिरी, सोमनाथ, पोरबंदर, जूनागढ़ आदि जिलों के साथ-साथ भुज और नालिया में हो सकती हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी भारी बारिश की संभावना है। गुजरात के पूर्वी जिलों में बारिश की गतिविधियां काफी कम हो जाएंगी। बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक दो निम्न दबाव के क्षेत्र बना रहे हैं जिनका प्रभाव कई राज्यों पर दिखाई देगा। बंगाल की खाड़ी के दक्षिण पश्चिम में भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना है जिसके प्रभाव से तटीय आंध्र प्रदेश सहित तमिलनाडु में बारिश की गतिविधियां बढ़ सकती है। दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में रुक रुक कर वर्षा संभव है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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टमाटर में अर्ली ब्लाइट प्रकोप के होंगे गंभीर परिणाम, जल्द करें रोकथाम

Early blight outbreak in tomato will have serious consequences
  • अर्ली ब्लाइट यानी शुरुआती झुलसा रोग के लक्षण आमतौर पर टमाटर के पौधों पर पहले फल आने के बाद शुरू होते हैं।

  • इसके लक्षण निचली पत्तियों पर कुछ छोटे, भूरे रंग के घावों के रूप में नजर आते हैं। जैसे-जैसे ये घाव बढ़ते हैं, ये छल्लों का आकार ले लेते हैं, जिनके बीच में सूखे, मृत पौधे के ऊतक होते हैं।

  • आसपास के पौधे के ऊतक भी इसके प्रकोप से पीले हो जाते हैं। आखिर में पत्तियां मरने लगती हैं पर मरने से पहले ये पौधे से गिरने से पहले भूरे हो जाते हैं।

  • हालांकि प्रारंभिक अवस्था में यह सीधे फलों को प्रभावित नहीं करता है, लेकिन सुरक्षात्मक पत्ते के नुकसान से सीधे सूर्य के संपर्क में आने से फलों को नुकसान हो सकता है। इस स्थिति की को सन-स्कैल्ड कहा जाता है।

  • इसके नियंत्रण के लिए नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC) @240-400 मिली/एकड़ या एम 45 (मैन्कोज़ेब 75% WP) @ 600-800 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

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राजस्थान मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में तेज बारिश की संभावना

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डीप डिप्रेशन का असर गुजरात के ऊपर आज बना रहेगा। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में भी अब भारी बारिश होने की संभावना है। कल 28 अगस्त से गुजरात में बारिश की गतिविधियां कम हो जाएगी। आज दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों सहित राजस्थान और मध्य प्रदेश में तेज बारिश की संभावना है। पश्चिम बंगाल, झारखंड और उड़ीसा के साथ-साथ महाराष्ट्र के उत्तरी जिलों में भी भारी बारिश संभव है। दक्षिण भारत में मानसून अभी सुस्त बना रहेगा। पूर्वोत्तर राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। बिहार में भी बारिश अभी हल्की ही रहेगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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फसलों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं निमेटोड, जानें नियंत्रण के उपाय?

Nematodes cause heavy damage to crops, know the control measures
  • निमेटोड जिसे आम भाषा में सूत्रकृमि भी कहते हैं, दरअसल पतले धागे के समान होते हैं। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।

  • निमेटोड, मिट्टी के अंदर फसल की जड़ों में गांठ बनाकर रहता है एवं फसल को नुकसान पहुँचाता है।

  • इसके नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे अच्छा समाधान होता है।

  • मिट्टी उपचार करना इसके नियंत्रण के लिए सबसे अच्छा उपाय है।

  • रासायनिक उपचार के रूप में, फुरी (कारबोफुरान 3% GR) @ 10 किलो/एकड़, की दर से मिट्टी को उपचारित करें।

  • फसल की बुआई के पूर्व, नेमेटोफ्री (पेसिलोमायसीस लिनेसियस) @1 किलो/एकड़ की दर से, 50-100 किलो FYM में मिलाकर, खाली खेत में भुरकाव करें।

  • जब भी इस उत्पाद का उपयोग किया जाए तब इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।

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मिर्च में पाउडरी मिल्ड्यू व डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण एवं रोकथाम के उपाय

Symptoms and prevention measures of powdery mildew and downy mildew in chilli
  • पाउडरी मिल्ड्यू एवं डाउनी मिल्ड्यू एक कवक जनित रोग है जो मिर्च की फसल में पत्तियों को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं।

  • इसके प्रकोप से होने वाले रोग को भभूतिया रोग के नाम से भी जाना जाता है।

  • पाउडरी मिल्ड्यू के कारण मिर्च के पौधे की पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद पाउडर दिखाई देता है।

  • डाउनी मिल्ड्यू रोग में पत्तियों की निचली सतह पर पीले धब्बे बन जाते हैं और कुछ समय बाद ये धब्बे बड़े होकर कोणीय हो कर भूरे रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।

  • जो भूरा पाउडर पत्तियों पर जमा होता उसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बहुत प्रभावित होती है।

  • इस रोग को नियंत्रित करने के लिए, नोवाक्रस्ट (एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC) @ 240-400 मिली/एकड़ या टेसुनोवा (टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG) @ 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार के रूप में, ट्राइको शील्ड कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस) @ 250 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

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कम बारिश में सोयाबीन की फसल को पड़ती है विशेष देखभाल की जरूरत

How to take care of soybean crops in low rainfall
  • आजकल मौसम की असमानता हर तरफ देगी जा रही है। इसकी वजह से कहीं बहुत अधिक बारिश हो जाती है तो कहीं बारिश की कमी हो जाती है।

  • जहाँ जहाँ बारिश की कमी है उन क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर इसका बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है।

  • सूखे एवं अधिक तापमान के कारण सोयाबीन की फसल को बहुत नुकसान हो रहा है।

  • इसके कारण सोयाबीन की फसल पर म्लानि एवं पौधे के मुरझाने की समस्या देखने को मिल रही है।

  • इसके कारण पौधा तनाव में आ जाता है और पौधे की वृद्धि भी बहुत कम होती है।

  • इसके प्रबंधन के लिए नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001%)@ 180-200 मिली/एकड़ या मैक्सरूट (ह्यूमिक एसिड + पोटैशियम + फुलविक एसिड@ 100 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

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मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में भारी बारिश, देखें मौसम पूर्वानुमान

know the weather forecast,

निम्न दबाव का क्षेत्र जल्दी ही डिप्रेशन का रूप ले लेगा जिससे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, दक्षिणी राजस्थान, गुजरात के कई जिलों में भारी बारिश की आशंका है। इस दौरान उत्तर भारत और दक्षिण भारत में मानसून कुछ कमजोर हो जाएगा। दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार में रुक रुक कर वर्षा हो सकती है। 28 अगस्त से एक बार फिर बारिश की गतिविधियां उत्तर भारत में बढ़ जाएगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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सिर्फ आधे खर्च के साथ शुरू करें टिश्यू कल्चर लैब, सरकार दे रही बंपर सब्सिडी

National Agricultural Development Scheme

किसानों को खेती की नई तकनीकों का इस्तेमाल करने पर आमदनी में अच्छी खासी वृद्धि देखने को मिलती है। सरकार भी नई तकनीकों के इस्तेमाल को किसानों के बीच खूब बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार कई प्रकार की सब्सिडी योजनाएं भी चला रही है। इन्हीं योजनाओं में से एक है राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, जिसके अंतर्गत किसानों को टिश्यू कल्चर लैब शुरू करने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवाई जाती है। यह योजना बिहार सरकार द्वारा राज्य भर के किसानों के लिए चलाई जा रही है।

बता दें की बिहार के किसानों को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 2024-25 के माध्यम से 50% तक की शानदार सब्सिडी दी जाएगी। जिसकी मदद से किसान सिर्फ आधे खर्च में ही अपना टिश्यू कल्चर लैब शुरू कर सकते हैं। टिश्यू कल्चर लैब किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होगी। इससे पौधे रोग मुक्त रहेंगे और कम कृषि खर्च में ज्यादा उपज मिल सकेगी। बहरहाल बता दें की राज्य सरकार इस सब्सिडी का लाभ सिर्फ वैसे छोटे एवं सीमांत किसानों को उपलब्ध करवाएगी जो आर्थिक दृष्टि से कमजोर होंगे।

अगर आप भी बिहार सरकार की इस सब्सिडी का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसके लिए आप “उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार” की आधिकारिक वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं। इसी वेबसाइट से आप आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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लहसुन के भाव में तेजी का दौर, 34900 रुपये तक पहुंचे उच्च भाव

garlic Mandi bhaw,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम आलोट लहसुन 12000 12500
उज्जैन बड़नगर लहसुन 14700 27000
धार बदनावर लहसुन 4250 30500
भोपाल भोपाल लहसुन 13000 29050
मन्दसौर दलौदा लहसुन 9601 29401
सागर देवरी औसत 6515 7500
इंदौर गौतमपुरा लहसुन 9200 22080
इंदौर इंदौर लहसुन 500 27400
रतलाम जावरा लहसुन 8121 34000
शाजापुर कालापीपल लहसुन 4900 25000
नीमच मनसा लहसुन 11000 26501
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन 2350 31252
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 6500 31400
नीमच नीमच औसत 6370 27702
नीमच नीमच लहसुन 15700 34900
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 4100 33100
मन्दसौर पिपल्या लहसुन-जैविक 6200 28501
धार राजगढ़ लहसुन 11400 23400
रतलाम रतलाम देसी 21003 27001
रतलाम रतलाम लहसुन 8000 28500
रतलाम सैलाना औसत 20400 20400
रतलाम सैलाना देसी 21531 26700
रतलाम सैलाना लहसुन 14000 29351
सीहोर सीहोर लहसुन 2900 26900
शाजापुर शाजापुर लहसुन 9100 24400
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 12500 23000
शाजापुर शुजालपुर देसी 5000 28600
मन्दसौर सीतामऊ देसी 18800 26100
मन्दसौर सीतामऊ लहसुन 11510 22000
शाजापुर सोयतकलां लहसुन 13800 13800
उज्जैन उज्जैन लहसुन 500 27127

स्रोत: एगमार्कनेट

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बैंगन की पत्तियों में गंभीर संक्रमण पैदा करेगा पत्ती धब्बा रोग, जानें बचाव के उपाय

Leaf spot disease will cause severe infection in brinjal leaves
  • बैंगन के पौधों में पत्ती धब्बा रोग का संक्रमण शुरुआत में पुरानी पत्तियों पर दिखाई देते हैं। ये धब्बे छोटे, क्लोरोटिक गोलाकार से अंडाकार आकृति के होते हैं जो ऊपरी पत्ती की सतह पर भूरे से भूरे और निचली पत्ती की सतह पर हल्के भूरे रंग में बदल जाते हैं।

  • जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, धब्बों के केंद्र में स्पोरुलेशन के साथ रोगग्रस्त ऊतकों के संकेंद्रित छल्ले विकसित हो सकते हैं। घाव सूख सकते हैं, जिससे ऊतकों में दरारें पड़ सकती हैं और शॉट होल का विकास हो सकता है।

  • इस रोग में बैंगन के फलों पर संक्रमण नहीं फैलता है लेकिन पत्तियों पर गंभीर संक्रमण होने के कारण पैदावार में भारी कमी देखने को मिल सकती है।

  • इस रोग के नियंत्रण के लिए नोवाफेनेट (थियोफिनेट मिथाइल 75% wp) @ 300 ग्राम/एकड़ + मोनास-कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरेसेंस 1% w.p.) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ का उपयोग करें।

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