कैसे करें अम्लीय भूमि की पहचान और क्या है इसके प्रबंधन का तरीका?

How to manage acidic land
  • यदि भूमि का पी एच मान 6.5 से नीचे हो तो इस प्रकार की मिट्टी अम्लीय भूमि कहलाती है।

  • मिट्टी जहाँ अत्यधिक अम्लीय होती है वहां अम्ल के प्रति संवेदनशील फसलें लगायी जा सकती है।

  • अधिक अम्लीय मिट्टी की स्थिति में लाइमिंग (Liming) की पद्धति अपनाना आवश्यक होता है।

  • लाइमिंग से बेस संतृप्तता (base saturation) और कैल्शियम एवं मैग्नीशियम की उपलब्धता बढ़ जाती है।

  • फास्फोरस (P) और मॉलिब्डेनम (Mo) का स्थिरीकरण करने से अभिक्रियाशील घटकों को निष्क्रिय किया जा सकता है।

  • लाइमिंग सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता को प्रेरित करती है और नाइट्रोजन स्थिरीकरण व नाइट्रोजन खनिजीकरण को बढ़ाती है। इस प्रकार लाइमिंग से फलीदार फसलों को बहुत लाभ होता है।

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तरबूज की फसल को नुकसान पहुंचाएगी फल मक्खी, जानें नियंत्रण विधि

How to control fruit fly in watermelon
  • फल मक्खी के मादा कीट तरबूज के कोमल फलों में अपने अंडे देती है।

  • इन अंडों से इल्ली बाहर निकलती है और फल में सुरंग बना कर फल के गुद्दे को खाती है जिससे फल सड़ने लगते हैं।

  • इससे फल टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं तथा कमजोर होकर बेल से अलग हो जाते हैं।

  • क्षतिग्रस्त फल पर अंडा दिए गए स्थान से तरल पदार्थ निकलता रहता है जो बाद में खुरंट बन जाता है।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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करेले की फसल को मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, जाने बचाव विधि

How to control mites in bitter gourd crop
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के कीट होते है जो करेले की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

  • करेले के जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उन पौधे पर जाले दिखाई देते हैं।

  • यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं इसकी वजह से अंत में पौधा मर जाता है।

  • रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 200 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपनी करेले एवं अन्य सभी प्रकार की फसलों को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जरूर जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें समय पूर्व कृषि सलाह। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों संग भी साझा करें।

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ग्रामोफ़ोन एप से खेत जोड़ कर मूंग की खेती करने से किसान का मुनाफ़ा 60% तक बढ़ा

Farmer Success story

अगर आप किसान हैं और आप या आपके घर में का कोई भी सदस्य स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करता है तो आप अपनी कृषि में कई क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। कुछ ऐसा ही बदलाव देवास जिले के निवासी प्रितेश गोयल जी भी अपनी खेती में लेकर आये हैं।

प्रितेश एक युवा किसान है और कृषि में तकनीक के महत्व को समझते हैं, इसीलिए जब उन्हें ग्रामोफ़ोन एप के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत इसे अपने स्मार्ट फ़ोन में इंस्टॉल किया और इसका लाभ उन्हें जल्द ही मिलने लग गया।

प्रितेश जब अपनी मूंग की फसल की बुआई कर रहे थे तभी उन्होंने अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के ‘मेरी खेत’ विकल्प से जोड़ दिया। खेत को एप से जोड़ने का फल प्रितेश को मुनाफे में 60% की वृद्धि के रूप में मिला। एप की मदद से खेती करने पर उनकी कृषि लागत भी पहले से कम रही और उपज में भी अच्छी खासी वृद्धि देखने को मिली। प्रितेश ने अपने 7 एकड़ के खेत में मूंग की खेती कर 38.5 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त किया। यह उत्पादन पहले की तुलना में 10% अधिक रहा।

बहरहाल अगर आपके पास स्मार्ट फोन नहीं है तब भी आप ग्रामोफ़ोन से जुड़ सकते हैं। इसके लिए आपको हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल करना होगा और फिर हमारे कृषि विशेषज्ञ आपको फ़ोन कर के आपकी समस्याओं का समाधान करेंगे।

आप भी अपने खेत ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ सकते हैं और पूरे फसल चक्र में पाते रहें समय पूर्व कृषि सलाह। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों संग भी साझा करें।

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करेले की फसल में फूल अवस्था आने तक ऐसे करें उर्वरक प्रबंधन

How to manage fertilizer till the flowering stage of bitter gourd crop
  • सब्जी वर्गीय फसलों में करेले की फसल को बहुत महत्वपूर्ण फसल माना जाता है।

  • करेले की फसल किसान भाई पूरे वर्ष लगाते है।

  • इसकी बुआई के समय यूरिया @ 40 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 100 किलो/एकड़ + MOP @ 35 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • यदि करेले की फसल को ड्रिप सिंचाई के तहत लगाया गया है तो यूरिया @ 1 किलो/एकड़ + 12:61:00 @ 1 किलो/एकड़ की दर से प्रतिदिन ड्रिप में चलाएं।

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ओमेगा 3 से भरपूर अलसी से मिलते हैं फायदे

linseeds provide healthy benefits
  • अलसी या तीसी समसीतोष्ण प्रदेशों का पौधा है।

  • रेशेदार फसलों में इसका महत्वपूर्ण स्थान है। इसके रेशे से मोटे कपड़े, डोरी, रस्सी और टाट बनाए जाते हैं।

  • इसके बीजों से तेल निकाला जाता है और तेल का प्रयोग वार्निश, रंग, साबुन, रोगन, पेंट तैयार करने में किया जाता है।

  • अलसी में ‘ओमेगा-3’ पाया जाता है जिस के उपयोग से हृदय को रक्त पहुंचाने वाली वाहिनी सिकुड़ती नहीं है।

  • अलसी रक्त के कोलेस्ट्रॉल को 9 से 18 प्रतिशत कम करती है। इससे गठिया की समस्या से भी आराम मिलता है।

  • इससे ‘ट्राईग्लिसराइड’ का प्रमाण कम होता है साथ ही इसके सेवन से कर्करोग नहीं होता है।

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रोगों से बचाने के साथ साथ पौधों को पोटेशियम से मिलते हैं कई और लाभ

Potassium contributes to plant nutrition
  • पोटेशियम पत्तियों में शर्करा और स्टार्च के निर्माण में सहायता करता है।

  • यह दोनों के आकार तथा भार को बढ़ाता है साथ ही नाइट्रोजन की दक्षता को भी बढ़ाता है।

  • पोटेशियम कोशिका पारगम्यता में सहायक होता है कार्बोहाइड्रेट के स्थानांतरण में सहायता करता है।

  • पोटेशियम पौधों में रोगों के प्रति प्रतिरोधिता को बढ़ाता है और प्रोटीन संक्ष्लेषण को बढ़ाता है।

  • पौधे की सम्पूर्ण जल व्यवस्था को नियंत्रित करने में भी पोटेशियम सहायक होता है।

  • इसके अलावा यह पौधों के तने को कठोरता प्रदान करता है और गिरने से बचाता है।

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फसलों में फास्फोरस की कमी के सामान्य लक्षण को पहचानें

What are the common symptoms of phosphorus deficiency
  • फास्फोरस की कमी से पौधों की पत्तियों का रंग बैंगनी या गहरा हो जाता है।

  • पुरानी पत्तियां शुरुआत में पीली और बाद में लाल-भूरी पड़ हो जाती हैं।

  • पत्तियों के सिरे सूखने लगते हैं और पौधों की वृद्धि लगातार कम होने लग जाती है।

  • इसकी वजह से पौधे बौने, कमजोर एवं कम पत्तियों वाले हो जाते हैं और जड़ों का फैलाव भी कम होता है।

  • इससे पौधों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

  • दलहनी फसलों में जीवाणुओं द्वारा नाइट्रोजन का स्थिरीकरण कम होता है।

आधुनिक और स्मार्ट खेती से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहे ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

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बैटरी पंप की मदद से फसलों में जल छिड़काव करने से मिलेंगे कई लाभ

Importance of water spraying by a battery-based pump
  • आजकल किसान अपनी खेती को आधुनिक बनाने के लिए बहुत से यंत्रों का उपयोग करते हैं।

  • इनमें बैटरी आधारित जल छिड़काव यंत्र भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

  • यह एक प्रकार का छिड़काव यंत्र ही है जिसका उपयोग कीटनाशक छिड़काव में भी किया जा सकता है।

  • इसके उपयोग ऐसे किसानों के लिए लाभकारी है जिनके पास पानी की कमी होती है क्योंकि इससे पानी बर्बाद नहीं होता है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उपर्युक्त बताये गए बैटरी पंप की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

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मिर्च की इन उन्नत किस्म के बीजों का करें चयन, मिलेगा बंपर उत्पादन

Advanced varieties of chilies and their properties

एडवांटा AK-47: इस किस्म में पौधा आधा सीधा होता है, पहली फल परिपक्वता 60-65 दिनों में होती है, फल का रंग गहरा लाल एवं गहरा हरा होता है, लंबाई 6-8 सेंटीमीटर एवं मोटाई 1.1-1.2 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है, इसके फल को गिला एवं सुखाकर दोनों प्रकार से बेचा जा सकता है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है।

BASF आर्मर: इस किस्म में पौधा आधा सीधा व मजबूत होता है। इसकी पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में होती है, फल का सतह भाग अर्द्ध झुर्रीदार होते हैं, ताज़े हरे फल की तुड़ाई 8-10 दिनों के अंतराल से होती रहती है एवं फल की मोटाई लंबाई 9X1 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन बहुत अधिक होता है, यह लाल सुर्ख करके बेची जाती है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए प्रतिरोधी होती है।

दिव्या शक्ति (शक्ति-51): इस किस्म में पौधा मजबूत और अधिक शाखाओं वाला होता है। इस किस्म की पहली फल परिपक्वता 42-50 दिनों में हो जाती है, फल का रंग गहरा हरा होता है, लंबाई 6-8 सेंटीमीटर व मोटाई 0.7-0.8 सेंटीमीटर होती है। इस किस्म में तीखापन अधिक होता है, यह अत्यधिक गर्म और गहरे लाल रंग की होती है। इसके फल सूखने पर इसे बाजार में अच्छी कीमत मिलती है। यह किस्म लीफ कर्ल वायरस के लिए 100% प्रतिरोधी होती है।

हु वाज सानिया 03: इस किस्म में पौधा सीधा एवं पहली फल परिपक्वता 50-55 दिनों में हो जाती है। इसके परिपक्व फल लाल एवं अपरिपक्व फल पीले-हरे होते हैं। फल की लम्बाई 15-17 सेंटीमीटर एवं मोटाई 0.3 MM होती है। इस किस्म में तीखापन अधिक होता है और यह किस्म सुखाने के लिए उपयुक्त होती है।

कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उपर्युक्त बताये गए बीजों की खरीदी के लिए एप के बाजार विकल्प पर जाएँ।

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