ऐसे जानें मिट्टी का पी.एच मान, फ़सलों को होता है इसका लाभ

How to know the pH of soil and its benefits in crops
  • मिट्टी के पीएच द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है। इससे पता चलता है की यह सामान्य, अम्लीय या क्षारीय किस प्रकृति का है?

  • मिट्टी के पीएच मान के घटने या बढ़ने से फसलों की वृद्धि पर असर पड़ता है।

  • जिस जगह pH मान की समस्या होती है ऐसे क्षेत्रों में फसल की उन उपयुक्त किस्मों की बुआई की जाती है जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।

  • मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है।

  • पीएच मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।

  • अम्लीय भूमि के लिए चूने एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की सिफारिश की जाती है।

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सल्फर आपकी फ़सलों को कैसे पहुँचाता है लाभ?

Importance of Sulfur in crops
  • सल्फर फ़सलों में प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है साथ ही साथ यह पर्णहरित लवक के निर्माण में भी योगदान देता है जिसके कारण पत्तियां हरी रहती हैं तथा पौधों के लिए भोजन का निर्माण हो पाता है।

  • सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है।

  • दलहनी फ़सलों में गंधक का प्रयोग पौधों की जड़ों में अधिक गाठें बनाने में सहायक होता है और इससे पौधों की जड़ों में उपस्थित राइज़ोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक से अधिक नाइट्रोजन लेकर फ़सलों को उपलब्ध करने में सहायक होते है।

  • यह तम्बाकू, सब्जियों एवं चारे वाली फ़सलों की गुणवत्ता को बढ़ता है।

  • सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों फ़सलों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।

  • सल्फर आलू में स्टार्च की मात्रा को बढ़ाता है।

  • सल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच मान को कम करता है।

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नारियल के रेशों से कुछ इस प्रकार तैयार होता है कोकोपीट

This is how coco peat is prepared from coconut fibers
  • बहुत से आवश्यक पोषक तत्व नारियल के रेशों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और इन्ही नारियल के रेशों को कृत्रिम रूप से अन्य पोषक खनिज लवणों के साथ मिलाकर मिट्टी का निर्माण करने की प्रक्रिया को “कोकोपीट” कहते हैं।

  • यह नारियल उद्योग का एक उत्पाद है और समुद्री इलाकों के लोगों को एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी देता है।

  • नारियल के ऊपरी रेशे को सड़ाकर कर उसे छिलके निकाल कर बुरादा बनाकर इसे प्राप्त किया जाता है।

  • पीट मोस या कोकोपिट दोनों का उद्देश्य एक सा ही है, दोनों ही गमले की मिट्टी को हवादार बनाते हैं साथ ही उसमें नमी रोककर रखते हैं और यह बहुत हल्का भी रहता है।

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गर्मियों के मौसम में जब खेत खाली हो तब इन कार्यों को जरूर करें

Work to be done in the empty field in summer
  • गर्मियों के समय बहुत से किसानों के खेत खाली पड़े रहते हैं। इसीलिए ऐसे समय में खेत से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को कर लेना उपयुक्त होता है।

  • किसान गर्मी के मौसम में खाली पड़े खेतों में डिकम्पोज़र का उपयोग करके अपने खेत में पड़े फसल अवशेषों को उपयोगी खाद में बदल कर अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं।

  • पुराने पूरी तरह सड़ चुके गोबर को खेत में डालकर खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की जा सकती है।

  • खेत की अच्छे से गहरी जुताई करके खेत में उग रहे खरपतवारों के बीजों को नष्ट किया जा सकता है।

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मिर्च की बुआई के पहले खेत में डिकम्पोजर के उपयोग से पिछली फसल के अवशेषों का करें निपटारा

How to use Decomposer before sowing chilli
  • डिकम्पोजर एक प्रकार का बायोफर्टिलाइजर है जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति सुधारक के रूप में भी काम करता है।

  • जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए।

  • किसान भाई पाउडर के रूप में डिकम्पोज़र को 4 किलो प्रति एकड़ की दर खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव करें।

  • भुरकाव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। आप छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद मिर्च की फसल की रोपाई कर सकते हैं।

  • चूंकि ये सूक्ष्म जीव पुरानी फसलों के अवशेषों को खाद में बदलने का काम करते हैं, इसलिए इनकी पाचन प्रक्रिया एनएरोबिक से एरोबिक में बदल जाती है, जो रोगकारक एवं हानिकारक जीवों को नष्ट कर देती है।

  • जैव संवर्धन और एंजाइमी कटैलिसीस की सहक्रियात्मक क्रिया के द्वारा पुरानी अवशेषों को स्वस्थ, समृद्ध, पोषक-संतुलित खाद में बदल देती है।

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बुआई पूर्व मिर्च के बीजों का उपचार करने से पौध को बेहतर शुरुआती बढ़वार मिलेगी

Benefits of Chilli Seed Treatment
  • मिर्च के बीजों का उपचार करने से बीज को कीट जनित एवं कवक जनित रोगों से सुरक्षा मिल जाती है।

  • इसके साथ ही जड़ों की अच्छी वृद्धि एवं विकास मिलती है, सफ़ेद जड़ों की संख्या बढ़ती है एवं मिर्च की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है।

  • जैविक कीटनाशक से बीज़ उपचार करने से भूमि में दीमक एवं सफेद ग्रब आदि की रोकथाम हो जाती है।

  • कवकनाशकों से बीज़ उपचार करने से फसल की अंकुरण क्षमता बढ़ती है।

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मिर्च की नर्सरी बनाने से पहले मिट्टी उपचार जरूर करें

How to do soil treatment in chili nursery
  • नर्सरी में मिट्टी उपचार करके मिर्च के बीजों की बुआई करने से मिर्च की रोप बहुत अच्छी एवं रोग से मुक्त होती है।

  • मिट्टी उपचार के लिए 10 किलो FYM के साथ DAP 1 किलो और मैक्सरुट 100 ग्राम प्रति स्क़्वेर मीटर के हिसाब से बेड का मिट्टी उपचार करें।

  • बेड को चींटियों और दीमक से बचाने के लिए कार्बोफुरोन 15 ग्राम प्रति बेड के हिसाब से उपयोग करे और इसके पश्चात ही बुआई करें।

  • इस प्रकार मिट्टी उपचार करके मिर्च के बीज की बुआई करे और बुआई के बाद आवश्यकता अनुसार नर्सरी में सिंचाई करते रहे।

  • मिर्च के नर्सरी अवस्था में खरपतवार के निवारण के लिए आवश्यता अनुसार निदाई भी करते रहे।

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नर्सरी में बुआई से पहले मिर्च के बीजों का ऐसे करें उपचार

How to treat seed before sowing of chilli nursery
  • नर्सरी में मिर्च के बीजों की बुआई करने से पहले बीज उपचार किया जाना बहुत आवश्यक होता है इसलिए जहाँ तक संभव हो बीज उपचार करके ही बुआई की जानी चाहिए।

  • मिर्च में बीज उपचार रासायनिक एवं जैविक दोनों विधियों से किया जाता है।

  • रासायनिक उपचार: इस उपचार के अंतर्गत कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या थियामेथाक्साम 30% FS @ 6-8 मिली/किलो बीज की दर से बीज उपचार के लिए उपयोग करें।

  • जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5-10 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।

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अच्छे उपज के लिए ऐसे करें मिर्च की नर्सरी की तैयारी

How to prepare for chilli Nursery
  • मिर्च की उन्नत खेती के लिए सामान्य रूप से पहले नर्सरी तैयार की जाती है क्योंकि नर्सरी में पौध तैयार करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।

  • जुताई से पहले नर्सरी के लिए चयनित क्षेत्र को पहले साफ कर लें।

  • चयनित क्षेत्र अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए और जलजमाव से मुक्त होना चाहिए साथ ही वहां उचित धूप मिलनी चाहिए।

  • नर्सरी में पानी एवं सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि सिंचाई समय से हो सके।

  • इस क्षेत्र को पालतू और जंगली जानवरों से अच्छी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए।

  • कार्बनिक पदार्थ से भरपूर बालुई दोमट और दोमट मिट्टी नर्सरी हेतु उपयुक्त होती है।

  • स्वस्थ रोपाई के लिए मिट्टी रोगज़नक़ से मुक्त होनी चाहिए।

  • इसके बाद बेड की तैयारी से पहले हल से 2 बार खेत की जुताई करें। बीज बोने के लिए आवश्यकतानुसार उठी हुई क्यारियां (जैसे 33 फीट × 3 फीट × 0.3 फीट) बनायें।

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पॉलीहाउस में ऐसे करें मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन

How to manage soil health in polyhouses
  • पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस में वर्ष भर फसलों की अच्छी पैदावार हेतु अलग अलग प्रकार के खादों का प्रयोग निरंतर किया जाता है।

  • खादों के प्रयोग के कारण 3-4 वर्षों में ही पॉलीहाउस की मिट्टी का स्वास्थ्य ख़राब होने लगता है।

  • अच्छे बीज, उचित पोषक तत्व तथा सभी सावधानियों के बावजूद फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता में भरी कमी आनें लगी है।

  • अतः यह आवश्यक है कि वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिए किसान मिट्टी के स्वास्थ्य की लगातार जांच कराएं और उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी रखें।

  • मिट्टी की जांच के लिए सही तरीके से नमूना लेना बहुत महत्वपूर्ण है।

  • नमूना पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस के अंदर से अलग-अलग स्थानों से लिए जाता है, फिर इसे अच्छी तरह मिलाकर चार भागों में बाँट दिया जाता है।

  • इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक नमूना आधा किलोग्राम न रह जाए।

  • इस तरह से प्राप्त किये गये नमूने को जाँच केंद्र में भेज दिया जाता है।

  • परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार ही खेत में उर्वरक का उपयोग करना होता है।

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