गर्मियों में खाली खेत में करें वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग

How to use vermicompost in summer in farm
  • आजकल जैविक खाद के रूप में वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग बहुत सारे किसान भाई कर रहे हैं।

  • यह आसानी से उपलब्ध होती है एवं कम खर्च में अधिक लाभ प्रदान करती है।

  • गर्मियों में वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग से पहले खेत में गहरी जुताई करें एवं मिट्टी को ऊपर नीचे जरूर कर लें।

  • वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करने से पहले वर्मीकम्पोस्ट में पर्याप्त नमी अवश्य बनाए रखें।

  • इसके पश्चात पूरे खेत में वर्मीकम्पोस्ट का अच्छे से भुरकाव करें।

  • वर्मीकम्पोस्ट के उपयोग के बाद खेत में हल्की सिचाई अवश्य करें।

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मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी से फसलों में दिखाई देंगे ये लक्षण

nitrogen deficiency in soil
  • विशेष रूप से फल और बीज विकास के लिए पौधों द्वारा नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है।

  • इसके अलावा नाइट्रोजन पत्ती के आकार और गुणवत्ता को भी बढ़ाता है और पौधे की परिपक्वता को भी बढ़ाता है।

  • इसकी कमी के कारण पूरे पौधे का सामान्य क्लोरोसिस एक हल्के हरे रंग का हो जाता है और इसके बाद पुरानी पत्तियों का पीलापन युवा पत्तियों की ओर बढ़ने लगता है।

  • इसके कारण पत्तियां पर्याप्त क्लोरोफिल बनाने में असमर्थ हो जाती हैं। इस अवस्था में पत्तियों को क्लोरोटिक कहा जाता है। निचली पत्तियों (पुरानी पत्तियां) पर सबसे पहले इसके लक्षण दिखते हैं।

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गेहूँ की कटाई के बाद घर पर ही करें सुरक्षित भंडारण, देखें वीडियो

safe wheat storage

गेहूँ की फसल की कटाई बहुत सारे किसान भाइयों ने कर ली है। कटाई के बाद कई किसान उपज को भरोसेमंद खरीददारों के पास सही रेट पर बेचना चाहते हैं। इसके लिए तो ग्रामोफ़ोन का ग्राम व्यापार मददगार सिद्ध हो सकता है। यहाँ आप कई भरोसेमंद खरीददारों से संपर्क कर सकते हैं और घर बैठे सौदा तय कर सकते हैं। हालाँकि कई किसान अपनी गेहूँ की उपज को घर पर ही भंडारित कर के रखते हैं। तो घर पर घरेलू नुस्खों के साथ गेहूँ के सुरक्षित भंडारण हेतु देखें वीडियो।

वीडियो स्रोत: ग्रीन टीवी

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गेहूँ की पराली से खेत में ही बनाएं घरेलू खाद, जानें पूरी प्रक्रिया

Make domestic fertilizer in the field with wheat straw

किसानों के बीच फ़सल अवशेषों के निपटारे को लेकर अव्यवस्था की स्थिति बनी रहती है। अक्सर फसल की कटाई के बाद फ़सल अवशेषों को जलाये जाने की खबर आती है जिसके कारण प्रदूषण का स्तर भी काफी बढ़ जाता है। फसल अवशेषों को खेत में जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। इसीलिए फ़सल अवशेषों के बेहतर निपटारे हेतु किसानों को कार्य करना चाहिए और इसके लिए सबसे बेहतर युक्ति है इन अवशेषों का डिकम्पोजर की मदद से घरेलू खाद बनाना। ऐसा करके वे ना सिर्फ फ़सल अवशेषों का निपटारा कर पाएंगे बल्कि डिकम्पोजर की मदद से तैयार घरेलू खाद से खेतों की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा पाएंगे।

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इन उपायों से मिर्च की नर्सरी को डंपिंग ऑफ रोग से बचाएं

damping off disease in chilli nursery,
  • डम्पिंग ऑफ मिर्च की नर्सरी में लगने वाला एक प्रमुख रोग है।

  • इस रोग के कारण मिर्च की फसल नर्सरी अवस्था में बहुत अधिक प्रभावित होती है।

  • डम्पिंग ऑफ रोग के कारण अंकुरण के तने पानी से लथपथ और पतले, लगभग धागे जैसे हो जाते। हैं।

  • संक्रमित पत्तियाँ भूरे से हरे रंग की हो जाती हैं और युवा पत्तियां मुरझाने लगती हैं।

  • प्रबंधन हेतु थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालेक्सिल + मेंकोजेब @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से उपयोग करें।

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ऐसे जानें मिट्टी का पी.एच मान, फ़सलों को होता है इसका लाभ

How to know the pH of soil and its benefits in crops
  • मिट्टी के पीएच द्वारा मिट्टी की अभिक्रिया का पता चलता है। इससे पता चलता है की यह सामान्य, अम्लीय या क्षारीय किस प्रकृति का है?

  • मिट्टी के पीएच मान के घटने या बढ़ने से फसलों की वृद्धि पर असर पड़ता है।

  • जिस जगह pH मान की समस्या होती है ऐसे क्षेत्रों में फसल की उन उपयुक्त किस्मों की बुआई की जाती है जो कि अम्लीयता और क्षारीयता को सहन करने की क्षमता रखती हो।

  • मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 की बीच होने पर पौधों द्वारा पोषक तत्वों का सबसे अधिक ग्रहण किया जाता है।

  • पीएच मान 6.5 से कम होने पर भूमि अम्लीय और 7.5 से अधिक होने पर भूमि क्षारीय होती है।

  • अम्लीय भूमि के लिए चूने एवं क्षारीय भूमि के लिए जिप्सम डालने की सिफारिश की जाती है।

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सल्फर आपकी फ़सलों को कैसे पहुँचाता है लाभ?

Importance of Sulfur in crops
  • सल्फर फ़सलों में प्रोटीन के प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होता है साथ ही साथ यह पर्णहरित लवक के निर्माण में भी योगदान देता है जिसके कारण पत्तियां हरी रहती हैं तथा पौधों के लिए भोजन का निर्माण हो पाता है।

  • सल्फर नाइट्रोजन की क्षमता और उपलब्धता को बढ़ाता है।

  • दलहनी फ़सलों में गंधक का प्रयोग पौधों की जड़ों में अधिक गाठें बनाने में सहायक होता है और इससे पौधों की जड़ों में उपस्थित राइज़ोबियम नामक जीवाणु वायुमंडल से अधिक से अधिक नाइट्रोजन लेकर फ़सलों को उपलब्ध करने में सहायक होते है।

  • यह तम्बाकू, सब्जियों एवं चारे वाली फ़सलों की गुणवत्ता को बढ़ता है।

  • सल्फर का महत्वपूर्ण उपयोग तिलहनों फ़सलों में प्रोटीन और तेल की मात्रा में वृद्धि करना है।

  • सल्फर आलू में स्टार्च की मात्रा को बढ़ाता है।

  • सल्फर को मिट्टी का सुधारक कहा जाता है क्योंकि यह मिट्टी के पीएच मान को कम करता है।

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नारियल के रेशों से कुछ इस प्रकार तैयार होता है कोकोपीट

This is how coco peat is prepared from coconut fibers
  • बहुत से आवश्यक पोषक तत्व नारियल के रेशों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं और इन्ही नारियल के रेशों को कृत्रिम रूप से अन्य पोषक खनिज लवणों के साथ मिलाकर मिट्टी का निर्माण करने की प्रक्रिया को “कोकोपीट” कहते हैं।

  • यह नारियल उद्योग का एक उत्पाद है और समुद्री इलाकों के लोगों को एक अतिरिक्त आय का स्रोत भी देता है।

  • नारियल के ऊपरी रेशे को सड़ाकर कर उसे छिलके निकाल कर बुरादा बनाकर इसे प्राप्त किया जाता है।

  • पीट मोस या कोकोपिट दोनों का उद्देश्य एक सा ही है, दोनों ही गमले की मिट्टी को हवादार बनाते हैं साथ ही उसमें नमी रोककर रखते हैं और यह बहुत हल्का भी रहता है।

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गर्मियों के मौसम में जब खेत खाली हो तब इन कार्यों को जरूर करें

Work to be done in the empty field in summer
  • गर्मियों के समय बहुत से किसानों के खेत खाली पड़े रहते हैं। इसीलिए ऐसे समय में खेत से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यों को कर लेना उपयुक्त होता है।

  • किसान गर्मी के मौसम में खाली पड़े खेतों में डिकम्पोज़र का उपयोग करके अपने खेत में पड़े फसल अवशेषों को उपयोगी खाद में बदल कर अपने खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ा सकते हैं।

  • पुराने पूरी तरह सड़ चुके गोबर को खेत में डालकर खेत की उर्वरा शक्ति में वृद्धि की जा सकती है।

  • खेत की अच्छे से गहरी जुताई करके खेत में उग रहे खरपतवारों के बीजों को नष्ट किया जा सकता है।

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मिर्च की बुआई के पहले खेत में डिकम्पोजर के उपयोग से पिछली फसल के अवशेषों का करें निपटारा

How to use Decomposer before sowing chilli
  • डिकम्पोजर एक प्रकार का बायोफर्टिलाइजर है जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति सुधारक के रूप में भी काम करता है।

  • जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब इसका उपयोग करना चाहिए।

  • किसान भाई पाउडर के रूप में डिकम्पोज़र को 4 किलो प्रति एकड़ की दर खेत की मिट्टी या गोबर में मिलाकर भुरकाव करें।

  • भुरकाव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। आप छिड़काव के 10 से 15 दिनों के बाद मिर्च की फसल की रोपाई कर सकते हैं।

  • चूंकि ये सूक्ष्म जीव पुरानी फसलों के अवशेषों को खाद में बदलने का काम करते हैं, इसलिए इनकी पाचन प्रक्रिया एनएरोबिक से एरोबिक में बदल जाती है, जो रोगकारक एवं हानिकारक जीवों को नष्ट कर देती है।

  • जैव संवर्धन और एंजाइमी कटैलिसीस की सहक्रियात्मक क्रिया के द्वारा पुरानी अवशेषों को स्वस्थ, समृद्ध, पोषक-संतुलित खाद में बदल देती है।

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