मटर की रोगमुक्त एवं उत्तम फसल पाने में सहायक होगा मटर समृद्धि किट

Matar Samridhi Kit
  • मटर की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है मटर समृद्धि किट। 

  • यह किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है।  

  • इस किट में दो आवश्यक बैक्टीरिया PK मिश्रण है जो की मिट्टी में PK की पूर्ति  करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं। 

  • इस किट में जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मृदा जनित रोगजनकों को मारता है। इससे जड़ सड़न, तना गलन, उकठा रोग आदि जैसी गंभीर बीमारियों से पौधे की रक्षा होती है।

  • इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करता है। इसके अलावा मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करता है। ह्यूमिक  एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके मटर की फसल के बेहतर वानस्पतिक विकास में सहायता करता है।

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सोयाबीन की फसल में मिलीबग का ऐसे करें नियंत्रण

How to control mealybug in soybean crop
  • मिलीबग एक प्रकार का रस चूसक कीट है जो पत्तियों और टहनियों पर आक्रमण करके उसका रस चूसता है l

  • यह कीट सफ़ेद रुई के तरह का होता है। इस कीट के वयस्क बहुत अधिक संख्या में पौधों से आवश्यक पोषक तत्वों को चूसकर फसल या पौधे के वर्द्धि या विकास को प्रभावित करते हैं।

  • मिलीबग सोयाबीन के तने, शाखाओं एवं पत्तों के नीचे बड़ी संख्या में समूह बना कर एक मोम की परत बना लेते हैं।

  • यह बड़ी मात्रा में मधुस्राव छोड़ते हैं जिस पर काली फफूंद जमती है।

  • ग्रसित पौधे कमज़ोर दिखाई देते हैं जिससे फलन क्षमता कम हो जाती है।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • नीम तेल 10000 पीपीएम @ 200 मिली प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं।

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ऐसे करें बीज अंकुरण प्रतिशत का परीक्षण एवं जानें इसके लाभ

seed germination test method
  • रबी की बुवाई के पहले गेहूँ, चना, सरसों एवं दाल वाली फसलों में बीज़ परीक्षण किया जा सकता है।

  • बुवाई से पूर्व किसान स्वयं ही बीज अंकुरण परीक्षण करके अपनी फसल के उत्पादन को अच्छी किस्म की बुवाई करके बड़ा सकते है।

  • इसके लिए किसान पेपर विधि या सूती कपड़े की विधि का उपयोग कर सकते हैं।

  • पेपर विधि के लिए अख़बार को एन आकर में चार सामान रूप से मोड़ ले, पेपर के बीच वाली जगह पर बीजो को रखे, मुड़े हुए पेपर के दोनों हिस्सों को धागे से बांधे l

  • इसके बाद बीजों पर हल्का पानी डालकर गिला करें, एवं दो से पांच दिनों में अंकुरण की स्थिति देखकर अंकुरण प्रतिशत निकालें।

  • सूती कपड़ा विधि में 100 बीजों को गिनकर ले एवं कपड़े पर उनको फैला दें एवं हल्का पानी डाले एवं दो से पांच दिनों में अंकुरण की स्थिति देखकर प्रतिशत निकालें।

  • बीजों का परीक्षण करने से हमे बीज की उगने की क्षमता का पता चलता है कि हमारा बीज कितने प्रतिशत उगेगा जिससे की हम बीज दर घटा या बढ़ा सकते हैं।

  • बीज का परीक्षण करने से बीज में कीट व्याधि का पता चल जाता है। किसानों की आय बढ़ती है, लागत कम हो जाती है।

  • बीज परीक्षण से हमे स्वस्थ बीज मिल जाते हैं जिससे उपज बढ़ती है।

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आलू समृद्धि किट का ऐसे करें उपयोग और पाएं जबरदस्त उपज

How to use Potato Samriddhi Kit
  • ग्रामोफोन की पेशकश आलू समृद्धि किट का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।

  • इस किट की कुल मात्रा 6.7 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के खेत के लिए पर्याप्त है।

  • इसका उपयोग यूरिया, DAP में मिलाकर किया जा सकता है और 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, या कम्पोस्ट या मिट्टी में भी मिलाकर कर इसका उपयोग कर सकते हैं।

  • इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।

  • अगर बुआई के समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाए हैं तो बुआई के बाद 15 -20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।

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मिर्च की फसल में पौधे मुरझाने की समस्या का ऐसे करें निदान

Management of chilli wilt disease
  • मिर्च की फसल में विल्ट रोग के कारण पौधा सूखकर मुरझाने लगता है, पत्तियां ऊपर और अंदर की और मुड़ने लगती हैं और अंत में पत्तियां पीली पड़ कर मर जाती हैं।

  • इस रोग में तने और जड़ भी सूख कर मुरझाने लगते हैं साथ हीं पूरा पौधा कमजोर और झुलसा हुआ दिखाई देता है। आमतौर पर इस बीमारी के लक्षण खेत में एक ही क्षेत्र में दिखाई देते हैं और बाद में धीरे धीरे पूरे खेत के पौधों को संक्रमित कर देते हैं।

  • इसके प्रबंधन के लिए रोग प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें।

  • ट्राइकोडर्मा विरडी 4 ग्राम या कार्बेन्डाजिम 2 ग्राम प्रति किलो बीज के साथ बुवाई से पूर्व बीजोपचार करें।

  • बेसल खुराक के साथ 50 किलो FYM के साथ 2 किलो ट्राइकोडर्मा विरडी मिलाएं।

  • स्यूडोमोनस @ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।

  • थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम + कासुगामाइसिन 3% SL 400 मिली या कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से ड्रेंचिंग करें।

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समुद्री शैवाल आपकी फसल एवं खेत दोनों के लिए होता है महत्वपूर्ण

Seaweed Utility for Crops
  • समुद्री शैवाल बीज के जल्द अंकुरण एवं उच्च अंकुरण दर को बढ़ाने में मददगार होता है।यह फसल की जड़ विकास पर विशेष प्रभाव डालता है।

  • पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति के आधार पर, समुद्री शैवाल पौधे की ऊँचाई, तने के व्यास, पत्ती की संख्या आदि के वृद्धि में मदद करते हैं।

  • उच्च उत्पादन एवं फसल सुधार में भी ये सहायक होते हैं।

  • मिट्टी में प्राकृतिक रूप से उपस्थित तत्वों के संरक्षण में भी ये सहायक होते हैं।

  • अति सूक्ष्म जीवों के द्वारा कार्बन व नाइट्रोजन के अनुपात को नियंत्रित करने में भी ये सहायक होते हैं।

  • पोषक तत्वों के अपघटन की प्रक्रिया को संतुलित करने में सहायक होते हैं।

  • कृषि भूमि की सतत रूप से प्रबंधन करने में मदद करते हैं।

  • मिट्टी की संरचना सुधारक की तरह कार्य करते हैं।

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सोयाबीन की फसल को मकड़ी के प्रकोप से ऐसे बचाएं

Mites management in soybean crop
  • यह कीट छोटे एवं लाल रंग के होते है जो सोयाबीन की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल, फली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं। जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उनपर जाले दिखाई देते हैं।

  • यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं अंत में यह पौधे की बढ़वार पर प्रभाव डालते हैं।

  • रासायनिक प्रबंधन: सोयाबीन की फसल में मकड़ी कीट के नियंत्रण के लिए प्रॉपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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पत्ता गोभी की फसल में नरम सड़न रोग की ऐसे करें रोकथाम

How to control soft rot disease in cabbage crop
  • पत्ता गोभी का एक प्रमुख रोग है इरविनिया कैरोटोवोरा और इस बीमारी में पत्तियों पर छोटे, जलशक्त धब्बे बन जाते हैं जो बाद में तेजी से पूरी पत्ती पर फ़ैल जाते हैं।

  • इसके कारण ऊत्तक नरम और मुलायम हो जाते हैं साथ ही कुछ ही दिनों में प्रभावित पौधा गिर जाता है।

  • इस बीमारी के कारण प्रभावित जगह से दुर्गंध आती है। प्रभावित फूल पानी से भरे थैले की तरह पौधे से लटक जाते हैं।

  • इस बीमारी के प्रभावी नियंत्रण के लिए खेत में पौधे को उचित पंक्तियों में लगाएं जिससे उचित जल निकासी बनी रहे।

  • रासायनिक नियंत्रण के लिए वेलीडामाइसीन 3% SL @ 300 मिली/एकड़ या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम/एकड़ या कासुगामाईसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।

  • जैविक नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 250 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

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मिर्च की फसल में ऐसे करें जीवाणु पत्ती धब्बा रोग का नियंत्रण

How to control Bacterial leaf spot disease in chilli crops
  • इस रोग के कारण पत्तियों के ऊपर छोटे, वृत्ताकार या अनियमित, गहरे भूरे या काले रंग के धब्बे बन जाते हैं। जैसे-जैसे ये धब्बे आकार में बढ़ते हैं वैसे वैसे किनारे से हल्के और केंद्र से गहरे काले रंग के होते जाते हैं।

  • ये धब्बे अनियमित घावों का निर्माण करते हैं। गंभीर रूप से प्रभावित पत्तियां क्लोरोटिक हो जाती हैं और गिर जाती हैं।

  • तना संक्रमण के कारण शाखाओं में केंकर युक्त वृद्धि होती है और वे मुरझा जाते हैं। फलों पर, हल्के पीले रंग की सीमा वाले गोल, उभरे हुए पानी से लथपथ धब्बे बनते हैं।

  • ये धब्बे भूरे रंग में बदल जाते हैं जिससे केंद्र में एक अवसाद पैदा हो जाता है जिसमें जीवाणु की चमकदार बूंदें देखी जा सकती हैं।

  • नियंत्रण: पुरानी फसल के अवशेष को खेत से समाप्त कर देना चाहिए। साथ ही रोग मुक्त पौधों से बीज प्राप्त करना चाहिए।

  • नर्सरी को उस मिट्टी में लगाना चाहिए जहां मिर्च कई वर्षों से नहीं उगाई गई हो।

  • इसके रासायनिक नियंत्रण के लिए कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम प्रति एकड़ या स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट 90% + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W @ 24 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।

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प्याज व लहसुन समृद्धि किट से मिलेगी स्वस्थ फसल और बंपर उपज

Onion and garlic prosperity kit will get healthy crop and bumper yield
  • समृद्धि किट दरअसल मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

  • यह मिट्टी में पाए जाने वाली हानिकारक कवकों को खत्म करके प्याज और लहसुन के पौधे को होने वाले नुकसान से बचाता है।

  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।

  • मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में भी यह मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, ताकि जड़ पूरी तरह से विकसित हो सके, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।

  • यह मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है, जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार से जड़ विकास को बढ़ावा देता है।

  • जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में भी यह मदद करता है साथ ही मिट्टी में सूक्ष्म जीवो की गतिविधि को बढ़ावा देता है।

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