गेहूँ की कटाई के बाद खेत में ऐसे करें डीकम्पोजर का उपयोग

How to use decomposer after harvesting wheat
  • किसान भाइयों गेहूँ कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं।

  • इन अवशेषों के कारण लगायी जाने वाली अगली फसल में फफूंदी एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप होने की सम्भावना रहती है। 

  • फफूंदी एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नयी फसल में ना हो इसके लिए गेहूँ की कटाई के बाद खाली खेत में या फिर नई फसल की बुवाई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोजर का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है। इसके उपयोग से पूर्व गेहूँ के अवशेषों को रोटावेटर की मदद से मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाएं।

  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते है तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकंपोजर का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं। 

  • इसके अलावा ग्रामोफोन ऐप के बाजार सेक्शन पर उपलब्ध डीकम्पोजर ‘स्पीड कपोस्ट’ की 4 किलो मात्रा 10 किलो यूरिया एवं 50-100 किलोग्राम मिट्टी में मिलाकर खेत में प्रति एकड़ की दर से भुरकाव कर सकते हैं।

  • ध्यान रखें जब डीकम्पोजर का उपयोग किया जा रहा हो तो खेत में पर्याप्त नमी होना अनिवार्य है।

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तरबूज के पौधों में भयंकर कॉलर रॉट रोग की समस्या

Collar rot disease problem in watermelon
  • किसान भाइयों कॉलर रॉट तरबूज की फसल का एक प्रमुख और भयंकर रोग है जो खेत में अत्यधिक पानी जमा होने के कारण होता है।

  • इस रोग में तने के आधार पर गहरे भूरे हरे रंग के जल रहित धब्बों का निर्माण हो जाता है। जिसके कारण अंत में पूरा पौधा सड़ कर मर जाता है। 

  • रोग से बचाव के लिए बीजों को बुवाई से पहले करमनोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी) @ 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज उपचार कर बुवाई करना चाहिए।  

  • कोनिका (कासुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45 डब्ल्यूपी) @ 300 ग्राम या संचार (मैनकोज़ेब 64%+ मेटलैक्सिल 8% डब्ल्यूपी) @ 600 ग्राम प्रति एकड़ की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें।

  • जैविक नियंत्रण के लिए, राइजोकेयर (ट्राईकोडर्मा विरिडी) @ 1 किलोग्राम + फसल रक्षक (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस) @ 1 किलोग्राम का घोल 200 लीटर पानी में बनाये और एक एकड़ खेत में इस घोल से ड्रेंचिंग करें।

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मूंग समृद्धि किट से पाएं मूंग की जबरदस्त उपज, जानें इसके लाभ

Get tremendous yield of Moong with Moong Samridhi Kit
  • मूंग की उन्नत खेती के लिए ग्रामोफ़ोन का ‘मूंग समृद्धि किट’ एक जांचा परखा नुस्खा है जिसकी मदद से पिछले 3 साल से किसान बेहतरीन उपज प्राप्त कर रहे हैं।

  • इस किट का उपयोग बुवाई के समय मिट्टी में मिलाकर या बुवाई के बाद 15-20 दिनों में मिट्टी में बिखेरकर किया जा सकता है।

  • इस किट में आपको वो सब कुछ एक साथ मिलेगा जिसकी जरुरत मूंग की फसल को होती है। इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार द्वारा उर्वरा शक्ति बढाने के लिए किया जाता है।

मूंग समृद्धि किट में निम्नलिखित उत्पादों को शामिल किया गया है

  • पी के बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स): यह मिट्टी और फसल में दो प्रमुख तत्वों पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है। जिसके कारण पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं, विकास अच्छा होता है, फसल उत्पादन बढ़ता है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है।

  • राइज़ोबियम कल्चर (जैव वाटिका-आर):- यह वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सरल रूप में परिवर्तित करता है जिसे पौधे द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है। यह पौधों के विकास, श्वसन आदि जैसी विभिन्न जीवन प्रक्रियाओं में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद करता है। 

  • ट्राइकोडर्मा विरिडी (कॉम्बैट):- यह मिट्टी में लाभकारी कवक की संख्या को बढ़ाता है और जड़ के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है, जो कि कवक के द्वारा होने वाले नुकसान से पौधे की रक्षा करता है।

  • ह्यूमिक एसिड, सीवीड एक्स्ट्रैक्ट, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा (मैक्समाइको):- यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है, मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है। यह पौधे के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्व प्रदान करती है और जड़ों के सतह क्षेत्र को बढ़ाती है।

    कृषि एवं कृषि उत्पादों से सम्बंधित ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए रोजाना पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। उन्नत कृषि उत्पादों की खरीदी के लिए ग्रामोफ़ोन के बाजार विकल्प पर जाना ना भूलें।

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तरबूज की फसल को लीफ माइनर कीट से ऐसे बचाएं

Save the watermelon crop from leaf miner attack
  • किसान भाइयों पर्ण सुरंगक कीट का प्रकोप जब तरबूज की फसल दो पत्ती अवस्था में रहती है तब अधिक देखने को मिलता है। 

  • इस कीट के कारण पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है। यह धारियाँ, इल्ली के पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण बनती है। 

  • इस कीट के आक्रमण से तरबूज के पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते है। 

  • कीट से ग्रसित पौधों की फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत प्रभाव पड़ता है।

  • इसके नियंत्रण के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग आवश्यक होता है –

  • रासायनिक में अबासीन (एबामेक्टिन 1.9 % ईसी) @ 150 मिली या ट्रेसर (स्पिनोसैड 45% एससी) @ 60 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • जैविक में बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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मूंग की बुवाई का उचित समय एवं खेत तैयार करने की विधि

Right time of sowing moong and field preparation
  • किसान भाइयों जायद के मौसम में किसानों के लिए कम अवधि वाली फसल मूंग एक बेहतर विकल्प है।

  • ग्रीष्मकालीन मूंग फसल की बुवाई का उचित समय फरवरी से मार्च एवं खरीफ  मूंग बुवाई का उचित समय जून-जुलाई माह रहता है।

  • मूंग की खेती के लिए दोमट से बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है। इसके लिए मिट्टी का आदर्श पी एच मान 6.5 से 7.5 माना जाता है। 

  • ग्रीष्मकालीन मूंग खेत की तैयारी के लिये रबी फसलों की कटाई के बाद खेत की जुताई कर 4-5 दिन छोड़कर पलेवा करना चाहिए।

  • पलेवा के बाद 2-3 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से कर पाटा लगाकर खेत को समतल एवं भुरभुरा कर लेना चाहिए। इससे उसमें नमी संरक्षित हो जाती है व बीजों से अच्छा अंकुरण होता है।

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आइये जानते हैं बीज उपचार करने की अलग अलग विधियां

Types of Seed treatments and its methods

बीज उपचार एक प्रमुख प्रक्रिया है, जिसमें पौधों को बीमारियों और कीटों से मुक्त रखने के लिए रसायन, जैव रसायन या ताप से उपचारित किया जाता हैं। पोषक तत्व स्थिरीकरण हेतु जीवाणु कल्चर से भी बीज उपचार किया जाता है। 

बीज उपचार की विधियां

  • भीगा बीज उपचार विधि:

बीज को पॉलीथिन या पक्की फर्श पर फैलाये, हल्का पानी का छिड़काव करें रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा को बीज के ढेर पर डालकर, उसे दस्ताने पहनकर हल्के हाथों से अच्छी तरह मिलाकर छाया में सुखा कर बुवाई करें।

  • सुखा बीज उपचार विधि:

बीज को एक बर्तन या पॉलीथिन पर रखें। उसमें रसायन या जैव रसायन को अनुशंसित मात्रा को मिलाएं और बर्तन को बंद कर अच्छी तरह हिलाये फिर उपचारित बीज को छांव में सुखाकर बुवाई करें। 

  • स्लरी बीज उपचार विधि:

स्लरी (घोल) बनाने हेतु रसायन या जैव रसायन की अनुशंसित मात्रा को 10 लीटर पानी में किसी टब या बड़े बर्तन में अच्छी तरह मिला लें। इस घोल में बीज को 10 से 15 मिनट तक डालकर रखें, फिर छाया में बीज को सुखाकर बुवाई करें।

  • गर्म पानी बीज उपचार विधि:

सर्वप्रथम धातु के बर्तन में पानी को 52 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करें। बीज को 30 मिनट तक उस बर्तन में डालकर छोड़ दें, ध्यान रखे उपरोक्त तापक्रम पूरी प्रक्रिया में बना रहना चाहिए। बीज को छाया में सुखाकर  बुआई करें।

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प्याज की रोपाई के 45 दिनों बाद किये जाने वाले आवश्यक कार्य

Important tips to be done after 45 days of onion transplanting
  • प्याज की रोपाई के बाद विभिन्न विभिन्न चरणों में फसल की विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है l आज हम प्याज की रोपाई के 45 दिनों बाद फसल के अच्छे विकास और पौध संरक्षण के बारे में बात करेंगे l  

  • प्राय इस समय फसल पर रस चूसक कीटों में थ्रिप्स एवं कवक जनित रोगो में सड़न एवं बैंगनी धब्बा रोग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना रहती है l 

  • इनके प्रकोप से फसल को संरक्षित रखने के लिए निम्न सुझाव अपना सकते है- 

  • जिब्रेलिक अम्ल  [नोवामेक्स] 300 मिली + फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG [पोलिस] 40 ग्राम + टेबुकोनाज़ोल10% + सल्फर 65% WG [स्वाधीन] 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से पानी में मिलाकर छिड़काव करें l 

  • रोगों के जैविक नियंत्रण के लिए स्यूडोमोनास [मोनास कर्ब] 250 ग्राम/एकड़ एवं कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए बवेरिया बेसियाना [बवे कर्ब ] 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते है l

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जानिए, मूंग की खेती में बीज उपचार करने के फायदे!

Know the importance of seed treatment in summer moong
  • रबी फसलों की कटाई के बाद जायद मौसम में किसान भाई अपने खेत को खाली छोड़ने के बजाय मूंग फसल बुवाई कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते है। 

  • बुवाई के पहले बीज उपचार करने से बीज जनित तथा मृदा जनित बीमारियों को आसानी से नियंत्रित कर फसल अंकुरण को बढ़ाया जा सकता है।

  • बीज उपचार करने से बीजो में एक समान अंकुरण देखने को मिलता है l 

  • बीज उपचार के तौर पर करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% डब्ल्यूपी) @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से उपयोग करें।

  • इसके जैविक उपचार के लिए राइजोकेयर (ट्रायकोडर्मा विरिडी) @ 5-10 ग्राम/किलो बीज या मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस) @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।

  • कीट प्रकोप से बचाव के लिए रेनो (थायोमेथोक्साम एफएस) @ 4 मिली/किलोग्राम बीज की दर से उपयोग करें l 

  • अंत में बीज को विशेष जैव वाटिका -आर (राइजोबियम कल्चर) @ 5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार कर बुवाई करें।

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भंडारित अनाज में लगने वाले प्रमुख कीट एवं रोकथाम के उपाय

Major insect pests in stored crops
  • फसल कटाई के बाद सबसे आवश्यक कार्य अनाज भंडारण का होता है। 

  • वैज्ञानिक विधि द्वारा अनाज भंडारण करने से अनाज को लम्बे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है l प्राय: खाद्यान्नों में लगने वाले कीट कोलिओप्टेरा एवं लेपिडोप्टेरा गण के होते हैं जो भंडारित अनाज में अधिक नमी और तापमान की दशा में अधिक हानि पहुँचाते है। 

  • अनाज भंडारण के समय लगने वाले प्रमुख कीट अनाज का छोटा बेधक, खपड़ा बीटल, आटे का लाल भृंग, दालों का भृंग, अनाज का पतंगा, चावल का पतंगा आदि प्रकार कीट भंडारण के दौरान अनाज को नुकसान पहुंचाते है l 

  • यह सभी कीट भंडारण के दौरान अनाज को खाकर खोखला कर देते है। जिससे उपज का बाजार मूल्य प्रभावित होता है l 

  • इन कीटो से अनाज को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण करने के पहले गोदामों की अच्छी प्रकार से साफ-सफाई करें, एवं नीम की पत्तियां जलाकर, भण्डार गृह में धुआँ करें।

  • अनाज को अच्छी तरह से सुखाकर ही भंडारित करें एवं भंडारित करते समय रसायन ग्रेन गोल्ड 1 एम्पुल प्रति क्विंटल अनाज की दर से उपयोग करें l

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जाने क्या है जिंक सोल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया के कार्य?

Know what is the function of zinc solubilizing bacteria
  • किसान भाइयों ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया सबसे महत्वपूर्ण बैक्टीरिया कल्चर है।

  • यह बैक्टीरया मिट्टी में मौजूद अघुलनशील ज़िंक को घुलनशील रूप में पौधों को उपलब्ध कराता है। यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।

  • इसका उपयोग मृदा उपचार, बीज उपचार एवं छिड़काव के रूप में भी कर सकते है l

  • मृदा उपचार करने के लिए 4 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से 50-100 किलोग्राम पकी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर बुवाई के पहले खेत में भुरकाव करें। 

  • बीज़ उपचार के लिए 5-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीज उपचार करें। 

  • बुवाई के बाद छिड़काव के रूप में 500 ग्राम – 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें। 

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