प्याज की रोपाई के 65 दिनों बाद किये जाने वाले आवश्यक छिड़काव

Important tips to be done after 65 days of onion transplanting

  • प्याज की फसल से अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए उर्वरक एवं पोषण प्रबंधन की जानकारी होना बेहद जरूरी है। संतुलित मात्रा में खाद, उर्वरकों एवं कृषि रसायनों के प्रयोग से उच्च गुणवत्ता के साथ रोग एवं कीट रहित फसल प्राप्त की जा सकती है। 

  • यदि आपकी प्याज की फसल रोपाई के बाद लगभग 65 दिनों की हो गई है तो निम्न सिफारिशें उपयोग में लायी जा सकती हैं। 

  • जल घुलनशील उर्वरक 00:52:34 @ 1 किलो + एबामेक्टिन 1.9% ईसी [अबासीन] 150 मिली + किटाज़िन 48% ईसी 400 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • इस छिड़काव के मदद से फसल को मकड़ी एवं बैंगनी धब्बा रोग जैसी समस्याओं से सुरक्षित रखा जा सकता है l 00:52:34 जल घुलनशील उर्वरक का प्रयोग करने से कंद निर्माण में मदद मिलती है।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

प्याज की रोपाई के 75 दिनों बाद करें ये जरूरी छिड़काव

Important tips to be done after 75 days of onion transplanting
  • किसान भाइयों प्याज की अच्छी फसल बढ़वार प्राप्त करने के लिए उर्वरक एवं पोषण प्रबंधन की जानकारी होना बेहद जरूरी है। संतुलित मात्रा में खाद, उर्वरक एवं कृषि रसायनों के प्रयोग से आप उच्च गुणवत्ता के साथ रोग एवं कीट रहित फसल प्राप्त कर सकेंगे। 

  • यदि आपकी प्याज की फसल रोपाई के बाद 75 दिनों के लगभग है तो निम्न सिफारिशें उपयोग में ला सकते हैं। 

  • जल घुलनशील उर्वरक 00:00:50 @ 1 किलोग्राम + फोलिक्योर (टेबुकोनाज़ोल 25.9% ईसी) @ 200 मिली + बेनेविया (सायंट्रानिलिप्रोल 10.26% ओडी) @ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें l 

  • उपर्युक्त छिड़काव के साथ सिलिकोमैक्स (सिलिकॉन आधारित स्टिकर) @ 5 मिली 15 लीटर पानी के साथ मिला कर छिड़काव अवश्य करें l

  • जैविक नियंत्रण के लिए मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास )@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते है। 

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

कद्दू वर्गीय फसलों में मधुमक्खी होता है एक अच्छा पोलिनेटर, जानें कैसे?

Honeybee is a good pollinator in cucurbits
  • किसान भाइयों जायद के मौसम में कद्दू वर्गीय फसलें जैसे लौकी, गिलकी, तोरई, कद्दू, परवल, तरबूज, खरबूज आदि बहुत अधिक क्षेत्र में लगायी जाती है। 

  • मौसम एवं तापमान में परिवर्तन के कारण कद्दू वर्गीय फसलों में फूल आने के बाद फल विकास में बहुत समस्या आती है। 

  • मधुमक्खियां कद्दू वर्गीय फसलों में प्राकृतिक रूप से परागण के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 

  • कद्दू वर्गीय फसलों में मधुमक्खी के द्वारा परागण की क्रिया को 80% तक पूरा किया जाता है।

  • मधुमक्खियों के शरीर में बाल अधिक संख्या में पाए जाते है जिनमें पराग कण चिपक जाते हैं इसके बाद जब मधुमक्खियां दूसरे मादा पुष्पों पर जाकर बैठती हैं तो पराग कणों को छोड़ देती है। 

  • मधुमक्खियों से फसलों को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है।

  • उपर्युक्त क्रिया के बाद निषेचन की क्रिया पूरी हो जाती है। इसके बाद पौधे में फूल से फल बनने की क्रिया शुरू हो जाती है।

कृषि से जुड़े ऐसे भी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण के ये हैं सटीक उपाय

Weed management in Green gram crop
  • किसान भाइयों मूंग प्रमुख दलहनी फसलों में शामिल है एवं कम समय में अच्छा उत्पादन देने वाली फसल है। 

  • फसल की शुरुआती अवस्था में बुवाई के 15 से 45 दिन के मध्य फसलों को खरपतवारों से मुक्त रखना बेहद जरूरी होता है। 

  • सामान्यत: खरपतवारों को निराई-गुड़ाई कर निकाल देना चाहिए। इसके लिए पहली निराई-गुड़ाई बुवाई के 15-20 दिन के अंदर व दूसरी निराई-गुड़ाई बुवाई के 30-35 दिनों पर करने से खरपतवारों का नियंत्रण प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।  

  • यदि यांत्रिक और भौतिक नियंत्रण उपायों को नहीं अपनाया जाता है तो बीज बुवाई के 0-3 दिनों के अंदर धानु टॉप सुपर (पेंडीमिथलीन 38.7%) @ 700 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं।  

  • मूंग की बीज बुवाई के 10-15 दिनों बाद खरपतवारों की 2-4 पत्ती अवस्था में वीडब्लॉक (इमाज़ेथापायर 10% एसएल + सर्फैक्टेंट) @ 300 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

जानिए, आखिर क्यों नहीं जलाना चाहिए हमें गेहूँ की फसल के अवशेष?

Why we should not burn the crop residues of wheat
  • गेहूँ की फसल काटने के बाद जो तने के अवशेष अथार्त डंठल (नरवाई) बचती है, उसे बहुत सारे किसान आग लगाकर नष्ट कर देते हैं। 

  • नरवाई में लगभग 0.5%, फास्फोरस 0.6% और पोटाश 0.8% पाया जाता है, जो आग में जलकर नष्ट हो जाता है।

  • गेहूँ की फसल में दाने से डेढ़ गुना भूसा होता है, यदि 1 हेक्टेयर में 40 क्विंटल गेहूँ का उत्पादन होता है तो भूसे की मात्रा 60 क्विंटल होगी।

  • इस भूसे से 30 किलो नाइट्रोजन, 36 किलो फास्फोरस और 90 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर प्राप्त किया जा सकता है। जो वर्तमान मूल्य के आधार पर लगभग 3,000 रुपये का होगा।

  • वहीं फसल के अवशेष जलाने से भूमि में उपस्थित सूक्ष्मजीव एवं केंचुआ आदि भी नष्ट हो जाते हैं। जिससे खेत की उर्वरता व जमीन की भौतिक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। 

  • इससे जमीन कठोर हो जाती है, जिसके कारण जमीन की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। जिस वजह से फसलें जल्द सूखती हैं। 

  • इससे जमीन में होने वाली रासायनिक क्रियाएं भी प्रभावित होती हैं, जैसे- कार्बन-नाइट्रोजन एवं कार्बन-फास्फोरस आदि का अनुपात बिगड़ जाता है। जिस कारण पौधों को पोषक तत्व उपलब्ध अवस्था में नहीं मिल पाते हैं।

कृषि से जुड़े ऐसे भी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

तरबूज बुवाई के 45 से 50 दिनों बाद किये जाने वाले आवश्यक छिड़काव

Necessary work to be done after 45-50 days of watermelon sowing
  • बुवाई करने के 45 दिन बाद तरबूज की फसल फूल से फल बनने वाली अवस्था में होती है। इस समय निम्न सिफारिशें उपयोग में ला सकते हैं –             

  • बुवाई के 45-50 दिन बाद उर्वरक प्रबंधन में 19:19:19 @ 50 किलो या 20:20:20 @ 50 किलो + MOP 50 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी के माध्यम से दें l

  • पौधों की इस अवस्था में ज्यादा फल लगने के लिए एवं इल्लियाँ, फल मक्खी, सफेद मक्खी, डाउनी मिल्डयू रोग आदि की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पायरिप्रोक्सीफेन 10% + बायफेंथ्रिन 10% ईसी [प्रुडेंस] @ 250 मिली + इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी [इमा नोवा] @ 100 ग्राम + जिब्रेलिक एसिड 0.001% एल [नोवा मैक्स]  @ 300 मिली +  एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाजोल 18.3% एससी  [कस्टोडिया] @ 300 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें l 

  • फल मक्खी से फसल के बचाव के लिए 10 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ की दर से आवश्यक रूप से उपयोग करें l

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

लहसुन में कंद फटने से होगा नुकसान, जानें बचाव के उपाय

the causes and control measures of bulb splitting in garlic

  • किसान भाइयों लहसुन की फसल इस समय परिपक्व अवस्था पर आ गई है। लहसुन की फसल में कंद फटने या कलियां खिलने के प्रथम लक्षण पौधे के आधार पर दिखाई देते हैं। 

  • इस समस्या का मुख्य कारण फसल में अनियमित रूप से सिंचाई करना होता है। 

  • खेत में ज्यादा सिंचाई के बाद एकदम कुछ दिन सिंचाई न करना और खेत का पूरी तरह से सूखा दिखाई देना एवं फिर से अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण से भी कंद फटने लगते हैं।

  • लहसुन के खेत में लगातार अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है।

  • एक समान सिंचाई और पर्याप्त उर्वरकों की मात्रा का उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।

  • धीमी वृद्धि करने वाले लहसुन की किस्मों का उपयोग करने से भी इस विकार को कम कर सकते हैं।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share

ऐसे करें मूंग की बुवाई करते समय उर्वरक प्रबंधन

Fertilizer management at the time of sowing in moong crop
  • मूंग की बुवाई के समय अच्छे अंकुरण और फसल के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इन तत्वों में फास्फोरस, पोटाश, जिंक, सल्फर प्रमुख होते हैं।

इनके लिए बुवाई के समय निम्न उत्पादों का उपयोग किया जा सकता है:

  • इसमें डीएपी 40 किलोग्राम + म्यूरेट ऑफ पोटाश 20 किलोग्राम + ज़िंक सल्फेट 5 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करना चाहिए।  

  • इसके साथ ही ग्रामोफ़ोन की ‘मूंग समृद्धि किट’ का उपयोग आवश्यक रूप से करें। इस किट में आपको मूंग की फसल की स्वस्थ बढ़वार के लिए उपयोगी सारे पोषक तत्व साथ मिल जाएंगे।

  • इस किट का प्रयोग उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किया जाता है। इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं, जिसमें – पी के बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स), राइज़ोबियम कल्चर (जैव वाटिका-आर), ट्राइकोडर्मा विरिडी (कॉम्बेट), ह्यूमिक एसिड, सीवीड एक्स्ट्रैक्ट, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा (मैक्समाइको) आदि शामिल हैं।

कृषि में उपयोगी ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

मार्च माह में किये जाने वाले कृषि कार्य

You can do this agricultural work in the month of March

किसान भाइयों मार्च का महीना फसल कटाई एवं नई फसल की बुवाई दोनों की ही दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। अतः इस माह में किसान भाई निम्न कृषि गतिविधियाँ अपनाकर उच्च उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। 

  • सरसों की कटाई 75% फलियों के सुनहरे होने पर करनी चाहिए। इस अवस्था में दानों में तेल की मात्रा अधिक रहती है।

  • चने के दानों में लगभग 15 प्रतिशत तक नमी होने पर फसल कटाई उपयुक्त होती है।

  • जब गेहूँ के दाने पककर सख्त हो जाएं और नमी की मात्रा 20 प्रतिशत से कम हो तब कटाई कर लेनी चाहिए।

  • वे किसान, जिन्होंने धान लगाईं हुई है, अपने खेत में जल का स्तर बनाए रखें। रोपाई के 25 से 30 दिनों बाद खरपतवार नियंत्रित कर यूरिया का भुरकाव करें।

  • जिस किसान के पास, सिर्फ एक या दो सिंचाई की सुविधा है, वे रबी की फसल काटने के बाद गर्मी की मूंग या उड़द की खेती कर सकते हैं।

  • अगर गन्ना या सूरजमुखी की बुवाई करना चाहते हैं तो यह कार्य 15-20 मार्च तक पूरा कर लें। गन्ने की दो कतारों के मध्य उड़द अथवा मूंग की दो-दो कतारें या भिंडी की एक कतार मिश्रित फसल के रूप में लगा सकते हैं।

  • गर्मी में पशुओं को सुगमता से चारा उपलब्ध कराने के लिए इस समय मक्का, लोबिया तथा चरी की कुछ खास किस्मों की बुवाई कर सकते हैं।  

  • सब्जियों में कद्दू वर्गीय फसलों की बुवाई कर सकते हैं एवं टमाटर, मिर्च, बैंगन की नर्सरी डाल सकते हैं।

कृषि क्षेत्र से जुड़ी ऐसी ही अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

ये उपाय अपनाएं और तरबूज में फूलों की संख्या बढ़ाएं

increase the number of flowers in the watermelon crop
  • किसान भाइयों इस समय तरबूज की फसल की बुवाई को लगभग एक माह पूरा हो चुका है। 

  • एक माह की अवस्था को पूर्ण करने के बाद तरबूज की फसल में फूल अवस्था शुरू हो जाती है। 

  • फूल लगने की अवस्था में अच्छे फूल उत्पादन एवं फूलों को गिरने से रोकने के लिए यह उपाय करना बहुत आवश्यक होता है। ये निम्न उपाय अपनाकर अच्छे फूल उत्पादन को बढ़ाया एवं गिरने से रोका जा सकता है। 

  • फूलों के अच्छे उत्पादन एवं फूलों को गिरने से बचाने के लिए डबल (होमोब्रेसिनोलाइड) @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  

  • इसी के साथ तरबूज के पौधे के अच्छे विकास एवं वृद्धि हेतु नोवामैक्स (जिब्रेलिक एसिड 0.001% एल) @ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।

Share