देश के प्रमुख मंडियों में 3 जून को क्या रहे लहसुन के भाव?

Indore garlic Mandi bhaw

लहसुन भाव में कितनी तेजी या मंदी देखने को मिल रही है? वीडियो के माध्यम से देखें अलग अलग मंडियों में क्या चल रहा है लहसुन का भाव !

स्रोत: ऑल इनफार्मेशन

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कपास की फसल में खरपतवार प्रबंधन के उपाय

👉🏻किसान भाइयों कपास में पहली बारिश के बाद खरपतवार निकलने लगते हैं।

👉🏻इसके नियंत्रण के लिए हाथ से निराई गुड़ाई करें।

👉🏻रासायनिक प्रबंधन में संकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए टरगा सुपर (क्विज़ालोफॉप एथिल 5% ईसी) @ 400 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

👉🏻पहली बारिश के 3-5 दिन बाद या 2-3 पत्ती अवस्था में हिटविड मैक्स (पाइरिथायोबैक सोडियम 10% + क्विजालीफॉप इथाइल 4% ईसी) @ 400 मिली/एकड़ की दर से उपयोग कर सकते हैं। 

👉🏻जब फसल छोटी हो तो इस समस्या से बचने के लिए मिट्टी की सतह पर छिड़काव करें। खरपतवारनाशी का उपयोग नोजल के ऊपर हुड लगाकर उपयोग करें।

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धान की यह उन्नत किस्में लगाएं बंपर पैदावार पाएं

👉🏻किसान भाइयों धान, खरीफ की प्रमुख फसलों में से एक फसल है, इसकी बुवाई के लिए उन्नत किस्मों का चयन कर किसान भाई उच्च उपज प्राप्त कर सकते है। आइये जानते हैं धान की उन्नत किस्मों के बारे में –

👉🏻अराइज तेज:- मध्य अवधि 125-130 दिनों में तैयार होने वाली किस्म, खाने के लिए अच्छी गुणवत्ता वाला लंबा पतला दाना, 70% से अधिक उच्च मिलिंग प्रतिशत। 

👉🏻अराइज 6444 गोल्ड:- 12-15 प्रति पौधा कल्लों की संख्या, सीधी बुवाई के लिए उपयुक्त, फसल अवधि 135 -140 दिन, बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति प्रतिरोधी किस्म। 

👉🏻अराइज धानी:- बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट रोग प्रतिरोधी किस्म, 140-145 दिनों में तैयार होने वाली किस्म, गैर सुगंधित, मध्यम पतला दाना, उच्च उपज संकर किस्म, व्यापक अनुकूलन क्षमता l 

👉🏻अराइज AZ 8433 DT:-  भूरा पौध फुदका (BPH) और बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट के प्रति सहिष्णु, मध्यम अवधि 130-135 दिनों में पककर तैयार होने वाली किस्म। मध्यम पतला दाना, 13-15 प्रति पौधा कल्लों की संख्या, 70% से अधिक मिलिंग l 

👉🏻पायनियर P27P31:- उच्च उपज देने वाला हाइब्रिड किस्म, बारिश की स्थिति में अत्यधिक प्रभावी, तनाव सहिष्णु, मध्यम परिपक्वता (128-132 दिन), मध्यम मोटे अनाज, प्रति वर्ग मीटर अधिक पौधों की संख्या (40-42 पौधे/वर्ग मी.)

👉🏻एडवांटा पीएसी 837:- फसल अवधि 120 -125 दिनों में तैयार होने वाली किस्म, वजनदार दाने, उच्च उपज l 

👉🏻एमपी 3030:- प्रारंभिक अवधि 120-125 दिनों में तैयार होने वाली किस्म, प्रति पौधा अधिक कल्लों की संख्या, कम पानी में आवश्यकता के साथ व्यापक अनुकूलन क्षमता।

👉🏻एमसी13:– खरीफ मौसम में फसल अवधि 115-120 दिन और रबी में 130-135 दिन, मोटा और भारी अनाज, उच्च उपज फसल रोटेशन के लिए उपयुक्त l 

👉🏻पीबी 1121:- यह भारत के बासमती उत्पादक क्षेत्रों में 140-145 दिनों में पक जाती है। इसकी उपज क्षमता 5.5 टन प्रति हेक्टेयर तक है।

👉🏻पूसा बासमती -1:-  एक अर्ध-बौना पौधा है जिसमें क्षार सामग्री, अनाज बढ़ाव और समृद्ध सुगंध सहित पारंपरिक बासमती की लगभग सभी विशेषताएं शामिल हैं। इसका परिपक्वता समय – आम तौर पर लगभग 125 से 135 दिन एवं औसत उपज- 45 क्विंटल / हेक्टेयर रहती है l बिना पकाए अनाज का आकार- 7.2 मिमी और पकाने के बाद 13.91 मिमी रहता है l

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जानिए, धान की सीधी बुवाई (जीरो टिलेज) के फायदे

👉🏻धान की सीधी बुवाई उचित नमी पर यथासंभव खेत की कम जुताई करके व बिना जोते हुए खेतों में आवश्यकतानुसार नॉनसिलेक्टिव खरपतवारनाशी के प्रयोग द्वारा जीरो टिल मशीन से की जाती है।

👉🏻धान की बुवाई मानसून आने के पूर्व 15-20 जून तक अवश्य कर लेना चाहिए, ताकि बाद में अधिक नमी या जल भराव से पौधे प्रभावित न हो।

👉🏻इसके लिए सर्वप्रथम, खेत में हल्का पानी देकर उचित नमी होने पर आवश्यकतानुसार हल्की जुताई करें या बिना जोते जीरो टिल मशीन से बुवाई करनी चाहिए।

👉🏻इसकी मदद से धान की नर्सरी उगाने में होने वाला खर्च बच जाता है। इस विधि में जीरो टिल मशीन द्वारा 10-15 किग्रा. बीज प्रति एकड़ बुवाई के लिए पर्याप्त होता है।

👉🏻इस तरह से धान की बुवाई करने के पूर्व खरपतवारनाशी का उपयोग कर लेना चाहिएl

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कपास की फसल में इंटर क्रॉपिंग अपनाएं अधिक मुनाफा पाएं

👉🏻एक ही क्षेत्र में दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ अलग-अलग कतारों में एक ही समय में लेना इंटर क्रॉपिंग या अंतर-फसल पद्धति कहलाती है l

👉🏻कपास की पंक्तियों के बीच जो खाली जगह रहती है, उनके बीच उथली जड़ वाली और कम समय में तैयार होने वाली मूंग या उड़द जैसी फसल उगाई जा सकती है l

👉🏻इंटर क्रॉपिंग करने से अतिरिक्त मुनाफा भी बढ़ेगा और खाली जगह पर खरपतवार भी नहीं निकलेंगे l 

👉🏻इंटरक्रॉपिंग से बरसात के दिनों में मिट्टी का कटाव रोकने में मदद मिलती है।

👉🏻इस पद्धति द्वारा फसलों में विविधता से रोग व कीट प्रकोप से फसल सुरक्षित रहती है।

👉🏻यह पद्धति अधिक या कम बारिश में फसलों की विफलता के खिलाफ एक बीमा के रूप में कार्य करती है।

👉🏻क्योंकि एक फसल के नष्ट हो जाने के बाद भी सहायक फसल से उपज मिल जाती है, जिससे किसान जोखिम से बच जाते हैं।

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खेती में मेट्राजियम एनीसोपली अपनाएं, कीटों से छुटकारा पाएं

👉🏻मेटारीजियम एनीसोपली एक बहुत ही उपयोगी जैविक फफूंद है। 

👉🏻इसका उपयोग सफेद गोजालट, दीमक, टिड्डा, पौध फुदका, वुली एफिड, बग और बीटल आदि के करीब 300 कीट प्रजातियों के विरुद्ध किया जाता है।

👉🏻इसके उपयोग के पूर्व खेत में आवश्यक नमी का होना बहुत आवश्यक है।  

👉🏻इस फफूंदी के स्पोर पर्याप्त नमी में कीट के शरीर पर अंकुरित हो जाते हैं। 

👉🏻यह फफूंदी परपोषी कीट के शरीर को खा जाती है। 

👉🏻इसका उपयोग गोबर की खाद के साथ मिलाकर मिट्टी उपचार में किया जाता है। 

👉🏻इसका उपयोग खड़ी फसल में छिड़काव के रूप भी किया जा सकता है।

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मिर्च की नर्सरी में पौध गलन (आर्द्र गलन) एक बड़ी समस्या

👉🏻किसान भाइयों, भूमि मे अत्यधिक नमी एवं मध्यम तापमान इस रोग के विकास के मुख्य कारक होते है।  

👉🏻मिर्च के पौधे में गलन को आर्द्र विगलन या डम्पिंग ऑफ के नाम से भी जाना जाता है।

👉🏻मुख्यतः इस रोग का प्रकोप नर्सरी अवस्था में देखा जाता है।

👉🏻बीज अंकुरण होने के बाद, रोगाणु मिट्टी की सतह पर अंकुरों के तने और जड़ के मध्य वाले क्षेत्र पर हमला करते हैं। जिससे यह हिस्सा सड़ जाता है और अंततः अंकुर गिरकर मर जाता है l

👉🏻इस रोग के निवारण के लिए बुवाई समय स्वस्थ बीज का चयन करना चाहिये। 

👉🏻कार्मानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63%) @ 30 ग्राम/पंप  या मिल्ड्यू विप (थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू /डब्ल्यू ) @ 50 ग्राम/पंप या संचार (मेटालेक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% डब्ल्यूपी) @ 60 ग्राम/पंप की दर से  छिड़काव करें l

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मिर्च की फसल में ड्रिप समृद्धि किट के फायदे

👉🏻किसान भाई मिर्च की फसल में ड्रिप सिंचाई के साथ समृद्धि किट का उपयोग कर सकते हैं। 

👉🏻ग्रामोफोन ने घुलनशील उत्पादों का मिर्च ड्रिप समृद्धि किट तैयार किया है। यह किट पूर्णतः घुलनशील एवं ड्रिप के लिए पूर्णतया उपयुक्त है।

👉🏻इस किट में निम्र उत्पाद है एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, मायकोराइज़ा, ह्यूमिक अम्ल, समुद्री शैवाल, फुल्विक अम्ल इत्यादि। 

👉🏻यह सभी उत्पाद नैनो तकनीक पर आधारित है। 

👉🏻यह उत्पाद मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी की जल धारण क्षमता में वृद्धि करते है और सफेद जड़ के विकास को बढ़ाते है। पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में मदद करते है जिसके कारण बेहतर वानस्पतिक विकास में मदद मिलती है।

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मिर्च की नर्सरी में पहला जरुरी छिड़काव

👉🏻किसान भाइयों, मिर्च की नर्सरी में बीज बुवाई के बाद 10-15 दिनों की अवस्था में छिड़काव करना बहुत आवश्यक होता है। 

👉🏻इस छिड़काव से पौध गलन जड़ गलन जैसे रोगों से मिर्च की फसल को सुरक्षित रखा जा सकता है, साथ ही नर्सरी की प्रारंभिक अवस्था में लगने वाले कीटों का आसानी से नियंत्रण भी किया जा सकता है।  

मिर्च की नर्सरी में 10-15 दिनों की अवस्था में उपचार :

👉🏻कीटों के प्रकोप से बचने के लिए थायोनोवा (थायमेथोक्साम 25 % डब्ल्यूपी) @ 10 ग्राम/पंप या बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 5 -10 ग्राम/लीटर की दर से छिड़काव करें, एवं किसी भी तरह की फफूंदी जनित बीमारियों की रोकथाम के लिए मिल्ड्यू विप (थायोफिनेट मिथाइल 70% डब्ल्यू /डब्ल्यू) @ 30 ग्राम/पंप या कॉम्बैट (ट्राइकोडर्मा विरडी) + मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस) @ 5-10 ग्राम/लीटर, नर्सरी की अच्छी बढ़वार के लिए मैक्सरुट (ह्यूमिक एसिड) @ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करना लाभप्रद रहता है।

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जानिए, कपास समृद्धि किट का उपयोग कैसे करें

👉🏻प्रिय किसान भाइयों, कपास एक महत्वपूर्ण रेशादार और नकदी फसल है।

👉🏻इसकी बुवाई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है। 

👉🏻कपास में बुवाई के पूर्व मिट्टी उपचार के लिए कपास समृद्धि किट का उपयोग करने से फसल का विकास बहुत अच्छा होता है। 

👉🏻अंतिम जुताई के बाद बुवाई के समय या मानसून की पहली बारिश के बाद ग्रामोफ़ोन की विशेष पेशकश

👉🏻कपास समृद्धि किट’ जिसकी मात्रा 4.2 किलो प्रति एकड़ है, उसे 50 किलो बढ़िया से सड़ी हुई गोबर की खाद में अच्छी तरह मिलाकर इसे खेत में भुरकाव करें और इसके बाद हल्की सिंचाई कर दें।

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