सरसों में तेज फूल वृद्धि व माहू नियंत्रण के लिए जरुरी छिड़काव!

Necessary spray for more flowers and Aphids control in mustard crops!

सरसों की फसल में अधिक फूल धारण एवं माहू कीट नियंत्रण के लिए, न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम ट्रेस मात्रा में  5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + थियानोवा 25 (थियामेथोक्सम 25% डब्ल्यूजी) @ 20 – 40 ग्राम  या धनवान 20 (क्लोरोपायरीफॉस 20% ईसी) @ 200 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

न्यूट्रीफुल मैक्स के लाभ 

🌱इससे फूल अधिक आते है, एवं फलियों की रंग एवं गुणवत्ता को बढ़ाता है। 

🌱सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

🌱जड़ से पोषक तत्वों के परिवहन को भी बढ़ाता है।

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आपकी फसल में ट्राई डिजॉल्व मैक्स का उपयोग करेगा जबरदस्त असर

Using Tri Dissolve Maxx in your crop will give tremendous effect

👉🏻ट्राई डिजॉल्व मैक्स में ह्यूमिक, जैविक कार्बन, पोटैशियम, कैल्शियम एवं अन्य प्राकृतिक स्थिरक तत्व हैं। 

👉🏻यह पौधों की स्वस्थ एवं वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ावा देता है। 

👉🏻जड़ विकास में मदद करता है।

👉🏻साथ ही जैविक पोटैशियम एवं कैल्शियम फल की गुणवत्ता बढ़ाता है। 

प्रयोग विधि:- ट्राई डिजॉल्व मैक्स @ 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मिट्टी में भुरकाव करें या ट्राई डिजॉल्व मैक्स @ 200 ग्राम प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

इसका प्रयोग सभी फसलों जैसे- दलहनी, तिलहनी एवं सब्जी वर्गीय फसल में कर सकते हैं।

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मटर की फसल में माहू की पहचान एवं नियंत्रण के उपाय!

Symptoms and control measures of Aphid pest in pea crop

मटर की फसल में माहू कीट के प्रमुख रस चूसक कीट होते हैं। इस कीट के शिशु और प्रौढ़ दोनों ही टहनियों, कोमल पत्तियों, तना एवं पुष्पक्रम से रस चूसते हैं। इससे पत्तियां मुड़ कर विकृत हो जाती हैं और पौधों में बौनापन आ जाता है। यह कीट हनीड्यू स्राव करती हैं जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में बाधा उत्पन्न होती है। पत्तियां पीली पड़कर सूखने लगती हैं।

नियंत्रण के उपाय 

तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अनुसार इस कीट के नियंत्रण के लिए, रोगोर (डाइमेथोएट 30% ईसी) @ 15 मिली +  सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 5 मिली + नोवामैक्स @ 30 मिली प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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मटर में अधिक फूल वृद्धि व फली छेदक इल्ली से बचाव हेतू जरुरी छिड़काव!

Necessary spray for more flowers and pod borer control in pea crops

मटर की फसल में अधिक फूल 🌷धारण एवं फली छेदक इल्ली 🐛 के लिए, तुस्क (मैलाथियान 50.00% ईसी) @ 600 मिली +  न्यूट्रीफुल मैक्स (फुलविक एसिड का अर्क– 20% + कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटैशियम सूक्ष्म पोषक तत्व मात्रा में 5% + अमीनो एसिड) @ 250 मिली + सिलिकोमैक्स गोल्ड @ 50 मिली प्रति एकड़ 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

न्यूट्रीफुल मैक्स:

👉🏻इससे फूल अधिक लगते है, एवं फलों की रंग एवं गुणवत्ता बढ़ती है। 

👉🏻सूखे, पाले आदि के खिलाफ पौधों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

👉🏻जड़ से पोषक तत्वों की परिवहन क्षमता भी बढ़ती है।

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फसल को दें 2 डोज ट्राई-कोट मैक्स और पाएं जबरदस्त पैदावार

Get fast growth and bumper yield in cotton crop with Tri-Coat Maxx

👉🏻ट्राई कोट मैक्स में कार्बनिक कार्बन 3%, ह्यूमिक, फुलविक, कार्बनिक पोषक तत्वों का एक मिश्रण है।
👉🏻यह अच्छे बीज अंकुरण के लिए प्रभावी है।
👉🏻यह फसल में विभिन्न पोषक तत्वों के अवशोषण को बढ़ाता है।
👉🏻उर्वरक दक्षता बढ़ाता है और तीव्र जड़ विकास में मदद करता है।
👉🏻पौधों की वानस्पतिक विकास एवं प्रजनन क्षमता बढ़ाने में मदद करता है।
👉🏻इसके उपयोग से फसल हरी भरी एवं स्वस्थ रहती है।
👉🏻यह एक जैविक उत्पाद है इसलिए इसके उपयोग से मिट्टी की संरचना बेहतर होती है।

इस उत्पाद के संघटकों को जानें
👉🏻इस उत्पाद में ह्यूमिक एसिड है जो बीज के अंकुरण को बढ़ाता है। मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है एवं सूखे की स्थिति के लिए फसल को सहनशील बनाता है। मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ाता है। जिससे यह एक उत्कृष्ट जड़ उत्तेजक बन जाता है।

👉🏻इस उत्पाद में फुलविक एसिड भी है जो प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है और मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व को अवशोषित करने में मदद करता है।

उपयोग का समय एवं मात्रा: ट्राई कोट मैक्स @ 4 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से भूमि की तैयारी या खाद के साथ जमीन में भुरकाव करें, एवं बुआई के 30 दिन बाद ट्राई कोट मैक्स 4 किग्रा प्रति एकड़ के हिसाब से एक बार फिर से उसी फसल में भुरकाव कर सिंचाई करें, और पाएं बेहतरीन उत्पादन।

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खरपतवारों से गेहूँ को होगा 25 से 35% तक का नुकसान, जानें बचाव के उपाय

Weeds will cause 25 to 35% damage to the wheat crop, learn preventive measures

🌾गेहूँ की फसल में खरपतवार एक सबसे बड़ी समस्या है। खरपतवारों के कारण फसल उत्पादन में 25 से 35% तक की कमी देखी गई है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो पोषक तत्व फसलों को दिए जाते हैं, वे खरपतवार के द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं। जिससे मुख्य फसल कमजोर हो जाती है।

🌾गेहूँ में मुख्यतः दो तरह के खरपतवारों की समस्या होती है और ये होते हैं सकरी पत्ती वाले खरपतवार (मोथा, कांस, जंगली जई, गेहूंसा (गेहूँ का मामा) आदि) तथा चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार (बथुआ, सेंजी, कासनी, जंगली पालक,  कृष्णनील, हिरनखुरी आदि)। 

🌾इनसे बचाव के लिए बुवाई के 30 से 35 दिन के अंदर जब खरपतवार 2 से 5 पत्तों की अवस्था में होते हैं तब खरपतवारनाशक का छिड़काव करें। छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होनी चाहिए। छिड़काव के लिए फ्लैट फैन या फ्लड जेट नोजल का इस्तेमाल करें। 10 से 12 टंकी प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।  

👉🏻सकरी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए झटका (क्लोडिनाफॉप प्रोपरगिल 15% डब्ल्यूपी) @ 160 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए, वीडमार सुपर (2,4-डी डाइमिथाइल अमीन साल्ट 58% एसएल) @ 300-500 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

👉🏻सकरी एवं चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों के लिए वेस्टा (क्लॉडिनाफोप प्रोपेरजील 15% + मेटसुल्फुरोन मिथाइल 1 % डब्ल्यूपी) @ 160 ग्राम या सेंकोर (मेट्रिब्यूजिन 70% डब्ल्यूपी) @ 100 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

👉🏻छिड़काव के समय सावधानी जरूर बरतें, मुंह पर मास्क और हाथों में दस्ताने पहन कर हीं छिड़काव करें तथा जब हवा का बहाव ज्यादा हो तब छिड़काव बिल्कुल न करें।

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लहसुन में बढ़िया पौध बढ़वार के लिए जरूर करें ये छिड़काव

For better plant growth in garlic do this spray

लहसुन की फसल में इस अवस्था में अच्छे जड़ों के विकास एवं पौधों की स्वस्थ वृद्धि के लिए, मैक्सरूट (ह्यूमिक एसिड + पोटेशियम + फुलविक एसिड) 10 ग्राम + 19:19:19 @ 75 ग्राम + रीजेंट (फिप्रोनिल 05% एससी) @ 30 मिली, प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

प्याज एवं लहसुन अनुसंधान निदेशालय के अनुसार 

  • 19:19:19 इसमें नत्रजन, फास्फोरस एवं पोटैशियम तत्व पाया जाता है, जो फसल की इस अवस्था में वानस्पतिक वृद्धि को बढ़ाता है, साथ ही फसल को स्वस्थ बनाता है।

  • मैक्सरूट – इसमें ह्यूमिक एसिड + पोटेशियम + फुलविक एसिड होता है। जो मिट्टी की जल धारण क्षमता एवं सफ़ेद जड़ के विकास में मदद करता है। एवं पौधो को पोषक तत्व ग्रहण करने में मदद करता है।

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मटर की फसल में ऐसे करें पाउडरी मिल्ड्यू का नियंत्रण

Prevention of Powdery Mildew in Pea crop
  • इस रोग के लक्षण सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर आते हैं और फिर धीरे धीरे पौधे के अन्य भाग पर दिखाई देते हैं ।

  • इसके कारण मटर की पत्तियों की दोनों सतहों पर पाउडर जमा हो जाता है। इसके बाद कोमल तनों, फली आदि पर चूर्णिल धब्बे बनते हैं। फल या तो लगते नहीं है या छोटे रह जाते हैं।

    रासायनिक उपचार:
    हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या सल्फर 80% WDG @ 500 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@500 ग्राम/एकड़ या मैक्लोबुटानिल 10% WP @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

    जैविक उपचार:
    जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम की दर छिड़काव करें।

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चने में बुवाई के 20-25 दिन में जरूर करें ये आवश्यक छिड़काव

Necessary spraying to be done in gram in 20 -25 days after sowing
  • चना भारत की सबसे महत्वपूर्ण दलहनी फसल है। इसका उपयोग मानव उपभोग के साथ-साथ जानवरों को खिलाने के लिए भी किया जाता है। ताजी हरी पत्तियों एवं छोले का उपयोग सब्जी के रूप में किया जाता है और भूसे का उपयोग मवेशियों के लिए एक उत्कृष्ट चारे के रूप में किया जाता है।

  • चने की फसल में बुवाई के 20-25 दिन में फसल को कीट व कवक जनित रोगों से बचाव के लिए पहला छिड़काव कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% 300 ग्राम + प्रोफेनोफॉस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC 400 मिली प्रति एकड़ की दर से करें।

  • फसल की वानस्पतिक वृद्धि एवं विकास के लिए समुद्री शैवाल 400 ग्राम या जिब्रेलिक अम्ल 0.001% 300 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • इन सभी छिड़काव के साथ सिलिकॉन आधारित स्टीकर 5 मिली प्रति 15 लीटर पानी का उपयोग अवश्य करें।

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सब्जी वर्गीय फसलों में मल्चिंग लगाने से मिलते हैं कई फायदें

Benefits of applying mulching in vegetable crops

मल्चिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें फसलों के स्वस्थ विकास को बढ़ावा देने के लिए मिट्टी की सतह को एक मोटी परत से ढक दिया जाता है। यह सब्जी वाली फसलों के स्वस्थ विकास के लिए एक उपयोगी तकनीक है। मल्चिंग के उपयोग से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

उन्नत पोषक तत्व प्रतिधारण: मल्चिंग से मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे वे पौधों को अधिक उपलब्ध होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप स्वस्थ और अधिक उत्पादक फसलें प्राप्त होती हैं।

जल संरक्षण: मल्चिंग वाष्पीकरण को कम करके, मिट्टी को अधिक समय तक नम रखने और सिंचाई की आवश्यकता को कम करके पानी के संरक्षण में मदद करता है।

खरपतवार नियंत्रण: मल्चिंग खरपतवार की वृद्धि को कम करता है, एक अवरोध प्रदान करता है जो खरपतवार के अंकुरों को बढ़ने से रोकता है और शाकनाशियों की आवश्यकता को कम करता है।

मृदा अपरदन नियंत्रण: मल्चिंग मिट्टी को एक जगह पर रोककर और मिट्टी पर वर्षा के प्रभाव को कम करके मिट्टी के कटाव को रोकने में मदद करता है।

बेहतर मृदा स्वास्थ्य: मल्चिंग कार्बनिक पदार्थ सामग्री को बढ़ाकर, मिट्टी की संरचना में सुधार, और लाभकारी माइक्रोबियल गतिविधि को बढ़ावा देकर मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।

फसल उत्पादकता में वृद्धि: मल्चिंग को ऐसा वातावरण प्रदान करके फसल उत्पादकता बढ़ाने के लिए दिखाया गया है जो पौधों की वृद्धि और विकास के लिए अनुकूल है।

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