Land Preparation of Cotton

कपास के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम,भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|
  • फास्फोरस एवं  पोटाश की पुरी मात्रा और नाइट्रोजन की 25 से 33 प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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Land Preparation of Coriander

धनिया के लिये खेत की तैयारी:-

  • दो बार गहरी जुताई करने के बाद दो या तीन बखर से भूमि को भुरभुरी एवं ज़रुरी हो तो पाटा चला कर समतल बना लेना चाहिए|
  • खेत की तैयारी के समय अंतिम बखर करने से पहले 25 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से मिलाना चाहिए|
  • धनिया की बुवाई समतल ज़मीन पर की जाती है |
  • नीम केक एवं पोल्ट्री फार्म खाद का उपयोग करने से पौधों की वृद्धि, गुणवत्ता एवं उत्पादन में बढ़ोत्तरी होती है साथ ही उर्वरकों की मात्रा को कम किया जा सकता है|

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Red Pumpkin Beetle in Bitter Gourd

करेला में लाल कीट का नियंत्रण:-

  • अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उन्है खाता है|
  • उसके बाद ग्रसित जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्वफल व लताएँ सुख जाती है|
  • इसमें ग्रसित फल उपयोग करने हेतु अनुपयुक्त होते है|
  • बीटल पत्तियों को खाकर छेद कर देते है |
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |

नियंत्रण:-

  • गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
  • बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
  • बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
  • साईपरमेथ्रिन (25 र्इ.सी.) 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी + डायमिथोएट 30% ईसी. 2  मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% WP 3 ग्राम प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। पहला छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 7 दिन बाद करें|

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Land Preparation of Chilli

मिर्च  के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम,भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना  चाहिये |
  • फास्फोरस  एवं  पोटाश की पुरी मात्रा  और नाइट्रोजन की 25 से 33  प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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Suitable Soil for Chilli Production

मिर्च उत्पादन के लिए उपयुक्त मृदा (भूमि):-

  • सभी प्रकार की मिट्टी जहां से जल  निकास की व्यवस्था अच्छी हों की जा सकती हैं |
  • रेतीली दोमट मिट्टी सर्वोत्तम हैं |
  • अधिक क्षारीय व् अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं  हैं |  
  • भूमि का पी.एच. मान 6- 7 होना चाहिये |
  • अधिक लवणीय भूमि अंकुरण एवं बढवार को कम करता हैं |   

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Suitable Climate for Chilli

मिर्च के लिए उपयुक्त जलवायु :-

  • गर्म आद्र जलवायु में उष्णकटिबंधीय एवं क्षेत्रो  में ऊगाई जाती हैं |
  • 15-30  डिग्री से तापमान,मिर्च की खेती के लिए उपयुक्त है |
  • जहां पर औसत वार्षिक वर्षा- 1200 मि.मि. होते हे  वहा पर यह वर्षा आधारित फसल के रूप में उगाई जाती है |
  • अधिक गर्मी में फूल एवं फल झड जाते है |
  • प्रतिदिन 9-10 घंटे की धूप रहने पर फसल उत्पादन 21-24% तक बढ़ जाती हैं |

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Nutrient Management in Brinjal

बैगन में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • उर्वरक की मात्रा भूमि की उर्वरकता एवं फसल को दी गई कार्बनिक खाद की मात्रा पर निर्भर करती है|
  • फसल के अच्छे उत्पादन के लिए 20-25 टन पुर्णतः पकी हुई गोबर की खाद को खेत करते समय मिला देना चाहिए|
  • प्रायः खेत को तैयार करते समय 50 किलो यूरिया 350 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं 100 किलो म्यूरेट ऑफ पोटाश को प्रति हेक्टेयर की दर से डालना चाहिए|
  • बची हुई 100 किलो यूरिया मात्रा को एक महीने के अंतराल से रोपाई के 3-4 सप्ताह बाद डालना चाहिए|
  • संकर किस्मों के लिए 200 किलो नाईट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस एवं 100 किलो पोटाश की मात्रा अनुमोदित की गई है|

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Land Preparation For Tomato

टमाटर  के लिए खेत की  तैयारी:-

  • खेत की चार-बार जुताई करने के पश्चात पाटा चलाकर भूमि को नरम, भुरभुरी एवं समतल कर लेना चाहिये |
  • भूमि को तैयार करते समय 25 टन प्रति हेक्टेयर गोबर या कम्पोस्ट की पकी हुई खाद का प्रयोग करना चाहिये |
  • फास्फोरस एवं  पोटाश की पुरी मात्रा  और नाइट्रोजन की 25 से 33  प्रतिशत मात्रा का प्रयोग करना चाहिये |

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Nutrient Management in Watermelon

तरबूज में पोषक तत्व प्रबंधन:-

  • खेत की तैयारी करते समय 25-30 टन गोबर की खाद में मिलना चाहिये|
  • अंतिम जुताई के समय 75 किलो यूरिया, 200 किलो SSP एवं 75 किलो पोटाश की मात्रा खेत में मिलाये|
  • शेष बचे हुए 75 किलो यूरिया की मात्रा को खेत में दो से तीन बार में बराबर भागों में बांटकर डाले|
  • फास्फोरस, पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा को बनाये गए|

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Time of sowing of Bottle Gourd

लौकी की बुआई का समय:-

  • लौकी फसल को जनवरी से मार्च एवं सितम्बर एवं दिसम्बर के मध्य सफलतापूर्वक लगाया जाता है|
  • बारिश आधारित वाले क्षेत्रों में लौकी की बुआई मई से जून माह के प्रथम सप्ताह में बारिश के पहले कर देना चाहिए|

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