क्र. | फसल का नाम | प्रमुख किस्म के नाम (कम्पनी का नाम) |
1. | करेला | नागेश (हाइवेज),अमनश्री, US1315 (ननहेमस),आकाश (VNR) |
2. | लौकी | आरती |
3. | कद्दू | कोहीनूर (पाहुजा), VNR 11 (VNR) |
4. | भिंडी | राधिका, विंस प्लस (गोल्डन), सिंघम (ननहेम्स), शताब्दी (राशि) |
5. | धनिया | सुरभी (नामधारी), LS 800 (पाहुजा) |
मिर्च में मोजेक वायरस का प्रबंधन
- मोजेक वायरस से ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें।
- प्रतिरोधक किस्मों जैसे पूसा ज्वाला, पन्त सी-1, पूसा सदाबहार, पंजाब लाल इत्यादि को लगाएँ।
- वैक्टर को कम करने के लिए एसिटामिप्रीड 20% एसपी @ 130 ग्राम/एकड़ का नियमित अंतराल पर छिड़काव करें या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% डब्ल्यूजी @ 40 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
मिर्च में मोजेक वायरस की पहचान
- इस वायरस के संपर्क में आने से पत्तियों पर गहरे हरे और पीले रंग के धब्बे निकलते हैं।
- इसके कारण हलके गड्ढे और फफोले भी दिखाई पड़ते हैं।
- कभी-कभी पत्ती का आकार अति सुक्ष्म सूत्रकार हो जाता है।
- यह सफ़ेद मक्खी के माध्यम से फैलता है।
- इस वायरस से ग्रषित पौधों में फूल और फल कम लगते हैं।
- इसके कारण फल भी विकृत और खुरदुरे हो जाते हैं।
ऐसे करें सब्जियों के लिए रोग मुक्त नर्सरी का निर्माण
- बुआई के लिए स्वस्थ बीज का चयन करें।
- बुआई के पूर्व बीजों का उपचार अनुशासित फफूंदनाशक से करना चाहिए।
- एक ही प्लॉट में बार-बार नर्सरी नहीं बनाना चाहिए।
- नर्सरी की ऊपरी मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 5 ग्राम/वर्ग मी. से उपचारित करना चाहिए तथा इसी रसायन का 2 ग्राम/लीटर पानी का घोल बनाकर नर्सरी में प्रत्येक 15 दिन में ड्रेंचिंग करना चाहिए।
- मृदा सौर्यीकरण करना चाहिए जिसके अंतर्गत गर्मियों में फसल बुआई के पहले नर्सरी बेड को 250 गेज के पोलीथीन शीट से 30 दिन के लिए ढक दिया जाता है।
- आद्रगलन रोग के नियंत्रण के लिए जैव नियंत्रण एजेंट ट्राइकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ के अनुसार देना चाहिए।
गिलकी एवं तुरई की फसल के लिए खेत की तैयारी के समय पोषक तत्व प्रबंधन:
- खेत की तैयारी के समय 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की खाद का प्रयोग करें।
- 30 किलोग्राम यूरिया 70 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 35 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश को अंतिम जुताई के समय डालें।
- अन्य बचे हुये 30 किलोग्राम यूरिया की आधी मात्रा को 8-10 पत्ती वाली अवस्था में तथा आधी मात्रा को फूल आने के समय डालें।
मिश्रित खेती के अंतर्गत लगायी जाने वाली फसलें
क्र. | मुख्य फसल | अंतरसस्य फसले | |
1. | सोयाबीन | मक्का, अरहर |
|
2. | भिड़ी | धनियाँ, पालक | |
3. | कपास | मूँगफली, उड़द, हरी मूंग, मक्का | |
4. | मिर्ची | मूली, गाजर | |
5. | आम | हल्दी, प्याज |
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प्याज की फसल में कंद फटने की समस्या की रोकथाम कैसे करें?
- एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।
- धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते हैं।
- इसकी रोकथाम के लिए एक किलो 00:00: 50 प्रति एकड़ की दर से स्प्रे करें।
प्याज की फसल में कंद फटने की समस्या के कारणों की करें पहचान
- प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है।
- खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते हैं।
- कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है।
- प्रथम लक्षण कंद के फटने के बाद आधार पर दिखाई देते हैं।
- प्रभावित कंद फटे उभार के रूप में आधार वाले भाग में दिखाई देते हैं।
सिंचाई के अच्छे प्रबंधन से तरबूज की पैदावार में सुधार कैसे करें
- तरबूज अधिक पानी चाहने वाली फसल है लेकिन पानी का भराव इस फसल के लिए हानिकारक होता है|
- तरबूज की खेती खासकर गर्म मौसम में होती हैं इसलिए इसमें सिंचाई का अंतराल बहुत महत्तवपूर्ण होता हैं|
- तरबूज में 3-5 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहिए|
- फूल आने के पहले, फूल आने के समय एवं फल की वृद्धि के समय पानी की कमी से उत्पादन में बहुत कमी आ जाती है|
- फल पकने के समय सिंचाई रोक देना चाहिए ऐसा करने से फल की गुणवत्ता बढ़ती है और साथ ही फल फटने की समस्या भी नहीं आती है|
तरबूज की महत्वपूर्ण किस्मे
क्र. | किस्म का नाम | फल का आकार | फल का भार
(किलोग्राम ) |
फसल अवधि
(दिन ) |
फल का रंग |
1. | सागर किंग | अंडाकार | 3-5 | 60 – 70 | फल का रंग काला तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है |
2. | सागर किंग प्लस | अंडाकार | 3-5 | 60 – 70 | फल का रंग काला तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है |
3. | काजल | अंडाकार | 3- 3.5 | 60 – 70 | फल का रंग काला तथा गुदा गुलाबी रंग का दिखाई देता है |
4. | 2208 | अंडाकार | 2-4 | 70 – 80 | फल का रंग काला तथा गुदा लाल रंग का दिखाई देता है |