दाने वाली फ़सलों जैसे मक्का, ज्वार, बाजरा, जई आदि को साईलेज बनाने के लिए जब दाने दूधि्या अवस्था में हो तो 2-5 सेंटीमीटर छोटे टुकड़ों में काट लें।
काटे गए हरे चारे के टुकड़ों को जमीन पर कुछ घंटे के लिए फैला देना चाहिए ताकि अधिक पानी की कुछ मात्रा उड़ जाए।
अब कटे हुए चारे को पहले से तैयार साइलोपिट या साइलेज गड्ढों में डाल दें।
गड्ढे में चारे को पैरों या ट्रैक्टर से अच्छे से दबाकर भरे जिससे चारे के बीच की हवा निकल जाए।
गड्ढे को पूरी तरह भरने के बाद उसे ऊपर से मोटी पॉलिथीन डालकर अच्छी तरह से सील कर दें।
इसके बाद पॉलीथिन कवर के ऊपर से मिट्टी की लगभग एक फीट मोटी परत चढ़ा दें जिससे हवा अंदर ना जा सके।
साइलोपिट या साइलेज गड्ढों में भंडारित किए गए हरे चारे के टुकड़ों से साइलेज बनने लगता है, क्योंकि हवा और पानी के न होने से दबाए गए चारे में लैक्टिक अम्ल बनता है, जिस से चारा लंबे समय तक खराब नहीं होता है।
चारे की आवश्यकता अनुसार गड्ढों को कम से कम 45 दिनों के बाद पशुओं को खिलाने के लिए खोलें।