निमेटोड का नियंत्रण कैसे करें?

What is Nematode
  • निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।
  • निमाटोड मिट्टी के अंदर रहकर फसल की जड़ों में गाठ बनाकर रहता है एवं फसल को नुकसान पहुँचाता है।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे अच्छा समाधान होता है।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए मिट्टी उपचार करना सबसे अच्छा उपाय है।
  • रासायनिक उपचार के रूप में कारबोफुरान 3% GR @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
  • फसल की बुआई के पूर्व 50-100 किलो FYM में पेसिलोमायसीस लिनेसियस (नेमेटोफ्री) @ 1 किलो/एकड़ की दर से मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
  • जब भी इस उत्पाद का उपयोग किया जाये तब इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
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लहसुन की फसल में मिट्टी उपचार कैसे करें

  • लहसुन की फसल में बुआई से पहले मिट्टी उपचार करने से मिट्टी जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है। मिट्टी उपचार के पहले 50-100 किलो FYM के साथ मेट्राजियम @ 1 किलो कल्चर को मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
  • इसके अलावा दूसरे आवश्यक तत्व यूरिया @ 40 किलो/एकड़ + डीएपी @ 20 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 60 किलो/एकड़ + पोटाश @ 40 किलो/एकड़ की दर से बुआई से पूर्व खेत में भुरकाव करें।
  • यह सभी तत्व लहसुन की बुआई के समय अच्छे अंकुरण के लिए बहुत आवश्यक होते हैं।
  • इसके साथ ही ग्रामोफ़ोन लेकर आया है लहसुन समृद्धि किट, इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं, जैसे एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा।
  • इन सभी उत्पादों को मिलाकर इस किट को तैयार किया गया है। इस किट का कुल वज़न 3.2 किलो है जो एक एकड़ के खेत के लिए पर्याप्त है।
  • इसे बुवाई के पहले 50-100 किलो FYM के साथ मिलाकरखाली खेत में भुरकाव करें।
  • यह किट लहसुन की फसल को सभी जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है।
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लहसुन की फसल में बीज़ उपचार कैसे करें?

  • लहसुन की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक माना जाता है।
  • ऐसा करने से फसल को बहुत प्रकार की कवक जनित बीमारियों के प्रकोप से बचाया जा सकता है साथ ही फसल को एक अच्छी शुरुआत भी मिलती है।
  • हम बीज उपचार रासायनिक एवं जैविक दो विधियों से कर सकते हैं।
  • रासायनिक उपचार: बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
  • जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम + PSB बैक्टेरिया @ 2 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
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प्याज़ की नर्सरी में ऐसे करें मिट्टी उपचार

How to do soil treatment in Cotton crop?
  • जिस खेत या क्यारी में प्याज़ के बीज की बुआई की जानी उस खेत या क्यारी का बुआई पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
  • मिट्टी उपचार करने से मिट्टी जनित कीटों एवं कवकों से पौध की रक्षा हो जाती है।
  • आपको पता होगा की फसलों के जो अवशेष खेत में रह जाते है उन अवशेषों में हानिकारक कवकों एवं कीटों के उत्पन्न होने संभावना बनी रहती है।
  • इन्हीं कवकों एवं कीटों के नियंत्रण लिए बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है। मिट्टी उपचार हम रासायनिक एवं जैविक दो विधियों से कर सकते हैं।
  • रासायनिक उपचार: फिप्रोनिल 0.3% GR@ 25 ग्राम/नर्सरी उपचारित करना चाहिए।
  • जैविक उपचार: FYM @ 10 किलो/नर्सरी और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 25 ग्राम/नर्सरी और सीवीड, एमिनो, मायकोराइज़ा@ 25 ग्राम/नर्सरी उपचारित करें।
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प्याज़ की फसल में ऐसे करें बीज़ उपचार

Seed treatment in onion
  • जिस प्रकार बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के पूर्व बीज उपचार भी बहुत आवश्यक होता है।
  • बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है। साथ ही अंकुरण भी अच्छा होता है।
  • बीज उपचार रासायनिक और जैविक दो विधियों से किया जाता है
  • रासायनिक उपचार: बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करें।
  • जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो + PSB @ 2 ग्राम/किलो बीज़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
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कपास की फसल में फूल गिरने की समस्या का कैसे करें निदान

flower drop in cotton crop
  • कपास की फसल में फूल आने की अवस्था बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
  • इस समय तापमान, फसल में लगने वाले कीटों एवं कवकों के कारण भी फूल गिरने की समस्या हो जाती है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए समय पर उपाय करना बहुत जरुरी होता है।
  • यदि कपास की फसल में फूल गिरने की समस्या है तो होमोब्रेसिनोलाइड@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके उपयोग से कपास में फूल गिरने से रोका जा सकता है।
  • इसी के साथ एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ और जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करने से फूल निर्माण एवं डेंडू निर्माण को बढ़ाया जा सकता है।
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मिर्च की फसल में फल छेदक कीट का प्रबंधन

  • मिर्ची में फसल में फल छेदक कीट काफी नुकसान पहुँचाते हैं अतः इनका नियंत्रण अति आवश्यक होता है।
  • चने की इल्ली और तम्बाकू की इल्ली के द्वारा यह नुकसान पहुँचाया जाता है।
  • यह इल्ली छोटी अवस्था से ही मिर्च की फसल पर नए विकसित फल को खाती हैं तथा जब फल परिपक्व हो जाते हैं तब यह बीजों को खाना पसंद करती है।
  • इस दौरान इल्ली अपने सिर की फल के अंदर रख कर बीजों को खाती है एवं इल्ली का बाकी शरीर फल के बाहर रहता है।
  • इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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बायो NPK का उपयोग कब और कैसे करें?

  • यह उत्पाद तीन प्रकार के बैक्टीरिया ‘नत्रजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, PSB और KMB’ से बना है।
  • यह मिट्टी और फसल में तीन प्रमुख तत्वों नत्रजन, पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है।
  • एन पी के बैक्टीरिया की मदद से पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं, विकास अच्छा होता है, फसल उत्पादन बढ़ता है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है।
  • इसका उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है
  • मिट्टी उपचार: इसका उपयोग बुआई के पहले मिट्टी उपचार के रूप में 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिलाकर उपयोग करें।
  • बुआई के समय: यदि मिट्टी उपचार नहीं कर पाए हैं तो बुआई के समय 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिलाकर उपयोग करें।
  • बुआई के 20-25 दिनों में: बुआई के 20-25 दिनों में NPK का उपयोग पुनः भुरकाव के रूप में 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिला कर उपयोग करें।
  • इसका उपयोग बुआई के बाद ड्रैंचिंग एवं छिड़काव के रूप भी किया जा सकता है।
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मायकोराइज़ा का उपयोग कब और कैसे करें

Mycorrhiza effect on chilli plant
  • यह पौधों को मज़बूती प्रदान करता हैं जिससे कई प्रकार के रोग, पानी की कमी आदि के प्रति पौधे सहिष्णु हो जाते हैं।
  • फसल की प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करता है जिसके परिणाम स्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
  • माइकोराइजा पौधे के जड़ क्षेत्र को बढ़ाता है और इसके कारण जड़ों में जल अवशोषण की क्षमता बढ़ जाती है।

माइकोराइजा का उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है

  • मिट्टी उपचार: 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में मिला दें।
  • भुरकाव: बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में माइकोराइजा को 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में बुरकाव करें।
  • ड्रिप सिंचाई द्वारा: माइकोराइजा को ड्रिप सिचाई के रूप में बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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प्याज़ की नर्सरी की तैयारी कैसे करें?

  • खेत में प्याज़ के पौध की रोपाई से पूर्व इसके बीजों की बुआई नर्सरी में की जाती है।
  • नर्सरी में बेड का आकार 3’ x 10’ और 10-15 सेमी ऊंचाई में रखा जाता है साथ ही दो बेड के बीच लगभग 70 सेमी की दूरी रखी जाती है।
  • जब प्याज़ की नर्सरी तैयार की जा रही हो तब इस बात का ध्यान रखें की निराई सिंचाई आदि कार्य आसानी से हो सके।
  • जिस खेत में भारी मिट्टी होती है वहाँ पर जल भराव की समस्या से बचने के लिए बेड की ऊंचाई अधिक रखी जानी चाहिए।
  • बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
  • नर्सरी की बुआई के पूर्व नर्सरी में मिट्टी उपचार करना भी बहुत आवश्यक होता है। यह उपचार मिट्टी जनित रोगों की रोकथाम के लिए किया जाता है।
  • इसके लिए फिप्रोनिल 0.3% GR@ 10 किलो/नर्सरी और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 25 ग्राम/नर्सरी और सी वीड + एमिनो + मायकोराइज़ा@ 25 ग्राम/नर्सरी से उपचारित करें।
  • इस प्रकार बीजों को पूरी तरह से उपचारित करके ही लगाना चाहिए एवं बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होना चाहिए।
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