जल्दी पकने वाली मटर की किस्में

मास्टर हरिचंद्र PSM-3 एवं सीडएक्स PSM-3

यह मटर की दो मुख्य किस्में हैं जिनको PSM-3 किस्म के नाम से भी जाना जाता है। इनकी फसल अवधि 60 दिनों की होती है और तुड़ाई 1 बार होती है। PSM-3 एक जल्दी पकने वाली किस्म है जिसे आर्केल एंड जीसी 141 के क्रॉस से विकसित किया गया है। इस किस्म के पौधे बौने होते हैं तथा पत्ते गहरे हरे होते हैं। इस किस्म की फली 6-8 बीजों से भरी होती है। इसकी पैदावार 3 टन/एकड़ तक होती है।

मास्टर हरिचंद्र AP3

इस किस्म की फसल अवधि 60-70 दिनों की होती है तुड़ाई 1 बार होती है। इसकी फली 6-8 बीजों से भरी होती है। यह एक जल्दी पकने वाली किस्म है और बुआई के 70 दिनों के बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। अगर यह अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में बोई जाए तो यह औसतन 2 टन/एकड़ की पैदावार देगी।

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मटर की इन दो अर्केल किस्मों का करें चुनाव और पाएं उच्च उत्पादन

  • मालव सुपर अर्केल
  • मालव अर्केल
  • यह मटर की दो मुख्य किस्मे है जिनको अर्केल किस्म के नाम से भी जाना जाता है। 
  • इनकी फसल अवधि 60-70 दिनों की होती है।
  • इनकी तुड़ाई 2-3 बार की जा सकती है।
  • इनके बीजों की संख्या (फली में) 6-8 रहती है। 
  • इस किस्म के पौधे बौने होते हैं एवं उच्च उत्पादन देते हैं। इनकी फलियां गहरे हरे रंग की होती है।
  • यह किस्में पाउडरी मिल्डयू के लिए प्रतिरोधी होती है।
  • इस किस्म की पहली तुड़ाई 55-60 दिनों में की जा सकती है एवं इसकी उपज 2 टन/एकड़ तक रहती है।
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बेहतर उपज के लिए उपयोगी मटर की तीन पेंसिल किस्में

  • मालव वेनेज़िया
  • यूपीएल / एडवांता / गोल्डन जीएस – 10
  • मालव MS10
  • यह मटर की तीन मुख्य किस्में है जिनको पेंसिल किस्म के नाम से भी जाना जाता है। 
  • यह खाने में मीठी होती हैं।  
  • इनकी फसल अवधि 75-80 दिनों की होती है।
  • इनकी तुड़ाई 2-3 बार की जा सकती है।
  • इसके बीजों की संख्या (फली में) 8-10 रहती है। 
  • इस किस्म का पौधा मध्यम आकार का होता है एवं शाखाएँ फैली हुई होती हैं।  
  • यह 4 टन प्रति एकड़ उपज देती है एवं पाउडरी मिल्डयू के लिए प्रतिरोधी होती है।
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रबी की इन तीन प्याज किस्मों की बुआई कर बेहतर उपज की तरफ कदम बढ़ाएं

These three advanced onion varieties of Rabi
  • यह प्याज़ की मुख्य तीन किस्में हैं जो रबी सीजन की किस्म के नाम से जानी जाती हैं। 
  • ओनियन | इल्लोरा | गुलाब :- इस किस्म का आकार अंडाकार गोल तथा रंग आकर्षक गुलाबी होता है। इसकी परिपक्वन अवस्था 120-130 दिनों की होती है और बीज़ दर 2-3 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 7 माह तक की होती है।
  • ओनियन | मालव | रुद्राक्ष :-  इस किस्म का आकार गोल तथा रंग हल्का लाल होता है। इसकी परिपक्वन अवस्था 100-110 दिनों की होती है तथा बीज़ दर 2.5-3  किलो/एकड़ है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 6-8 माह की होती है।
  • ओनियन | मालव | रुद्राक्ष | प्लस :-  इस किस्म का आकार गोल तथा रंग हल्का लाल होता है। इसकी परिपक्वन अवस्था 90-100 दिनों की होती है तथा बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 6-8 माह की होती है।

 

 

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नर्सरी में बुआई के लिए उपयुक्त है रबी सीजन की ये तीन उन्नत प्याज की किस्में

These three advanced onion varieties of Rabi
  • यह प्याज़ की मुख्य तीन किस्में हैं जो रबी सीजन की किस्म के नाम से जानी जाती हैं।   
  • ओनियन | जिंदल | पुना फुरसुंगी | अग्रिम :- यह किस्म गोल आकार की होती है और इसकी सतह पर मामूली लालिमा होती है। इसका रंग हल्का लाल होता है तथा इनकी परिपक्वन अवस्था 110-120 दिनों की होती है। इस किस्म की बीज़ दर  3 किलो/एकड़ होती है और भंडारण क्षमता 8-9 माह की होती है। 
  • ओनियन | पंच गंगा| पूना फुरसुंगी :-यह किस्म गोल आकार की होती है और इसकी सतह पर मामूली लालिमा होती है। इसका रंग हल्का लाल होता है तथा इनकी परिपक्वन अवस्था 80-90 दिनों की होती है। इस किस्म की बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ होती है तथा भंडारण क्षमता 4 माह की होती है।
  • ओनियन | प्रशांत | फुरसुंगी :- यह किस्म गोल आकार की होती है और इसकी सतह पर मामूली लालिमा होती है। इसका रंग हल्का लाल होता है तथा इनकी परिपक्वन अवस्था 110-120 दिनों की होती है। इस किस्म की बीज़ दर  3 किलो/एकड़ होती है और भंडारण क्षमता 5-6 माह की होती है।
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कई लाभकारी खूबियों वाली इन तीन प्याज की किस्मों का करें चयन

These three onion varieties of late kharif are suitable for sowing in nursery
  • यह प्याज़ की मुख्य तीन किस्में हैं जो सितम्बर माह में नर्सरी की तैयारी करने के लिए उपयुक्त हैं। ये तीनों हीं पछेती खरीफ की किस्म के नाम से भी जानी जाती हैं।   
  • ओनियन |  पंच गंगा | सरदार :- इस किस्म के फल का आकार ग्लोब की तरह होता है एवं रंग लाल होता है। इनकी परिपक्वन अवस्था 80 से 90 दिनों की होती है और बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता  5-6 माह की होती है एवं यह एक उच्च उत्पादन क्षमता वाली किस्म है। 
  • ओनियन |  पंच गंगा| सुपर :- इस किस्म के फल का आकार ग्लोब की तरह होता है एवं रंग लाल होता है। इनकी परिपक्वन अवस्था 100-110 दिनों की होती है तथा भंडारण क्षमता 2-3 माह की होती है।
  • ओनियन | प्राची |सुपर:- इस किस्म के फल का आकार अंडाकार गोल तथा रंग आकर्षक काला लाल होता है। इनकी परिपक्वन अवस्था 95-100 दिनों की होती है और बीज़ दर 2.5-3 किलो/एकड़ होती है। इस किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता  2 माह की होती है।
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नर्सरी में बुआई के लिए उपयुक्त हैं पछेती खरीफ की ये तीन प्याज किस्में

These three onion varieties of late kharif are suitable for sowing in nursery
  • ओनियन | जिंदल | एडवांस | एन 53
  • ओनियन | जिंदल | नासिक  लाल | एन 53
  • ओनियन | मालव | एन 53
  • उपर्युक्त तीन नाम दरअसल प्याज़ की मुख्य तीन किस्मों की हैं जो सितम्बर माह में नर्सरी की तैयारी करने के लिए उपयुक्त मानी जाती हैं।
  • ये तीनों किस्म पछेती खरीफ की किस्म के नाम से भी जानी जाती हैं। 
  • इसके फल का आकार ग्लोब की तरह होता है एवं इसका रंग ईट की तरह लाल होता है।
  • इनकी परिपक्वन अवस्था 90 से 100 दिनों की होती है।
  • इनकी बीज़ दर 3 किलो/एकड़ होती है। 
  • इन तीनों किस्म के प्याज की भंडारण क्षमता 5 से 6 माह की होती है एवं यह किस्में  थ्रिप्स तथा ब्लाइट के लिए प्रतिरोधी होती हैं।
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किसानों के एक-एक खेत का सर्वे कर, की जायेगी फसल क्षति की भरपाई

मध्यप्रदेश में जून माह में अच्छी बारिश हुई पर जुलाई माह में कई स्थानों में बारिश का अभाव रहा जिसके चलते फ़सलों में कीट-रोग के प्रकोप हो गया। इस वजह से सोयाबीन, उड़द जैसी फ़सलों को काफी नुकसान हुआ है। इसके बाद अगस्त में तेज बारिश के चलते कई जिलों में बाढ़ एवं जल भराव के कारण फसलें ख़राब हुई है। फसल क्षति की ख़बरों के बीच प्रदेश के सीएम श्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि एक-एक खेत का सर्वे ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ किया जाये, कोई भी प्रभावित सर्वे से न छूटे।

उन्होंने आगे कहा कि चाहे उन्हें कर्ज लेना पड़े, वे किसानों के नुकसान की भरपाई, राहत की राशि और फसल बीमा से करेंगे । मुख्यमंत्री ने जिला-प्रशासन को निर्देश दिए कि सर्वे का काम शीघ्र करें और किसी भी प्रकार की हड़बड़ी न हो इसका भी विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि कोई भी प्रभावित किसान फ़सलों के सर्वे के बाद राहत और बीमा राशि से वंचित नहीं रहे।

स्रोत: किसान समाधान

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कपास की फसल में कवक जनित रोगों का प्रकोप

Fungal Infection in Cotton Crop
  • वर्तमान में अति वर्षा की स्थिति बनी हुई है और इसी कारण से कपास की फसल में कवक जनित  एवं जीवाणु जनित रोगों का बहुत अधिक प्रकोप देखने को मिल रहा है।  
  • इन रोगों के कारण कपास के पत्ते पीले पड़ रहें हैं साथ ही पौधों में जड़ गलन एवं तना गलन जैसी  समस्या भी सामने आ रही है। 
  • इन रोगों के निवारण के लिए समय पर उचित प्रबंधन बहुत आवश्यक है क्योंकि कपास की फसल वर्तमान स्थिति में परिपक्वन की अवस्था में है और इस समय कपास की फसल में किसी भी  प्रकार के रोगों के कारण उत्पादन बहुत प्रभावित हो सकता है। 
  • कवक जनित रोगों के प्रबंधन के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@500 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG@ 150 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC @ 200 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • जीवाणु जनित रोगों के प्रबंधन लिए स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W@ 24 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।  
  • इसी के साथ जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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बीज उपचार करते समय बरती जाने वाली सावधानियां

Importance of seed treatment in agriculture
  • बीज़ उपचार करते समय प्रति एकड़ बीज की जितनी मात्रा की आवश्यकता हो उतनी ही मात्रा लें।
  • उपयोग किये जाने वाले कीटनाशक, कवकनाशक की सुझाई गयी मात्रा का ही उपयोग करें।
  • जिस दिन बुआई करनी हो उसी दिन बीज उपचार करें।
  • बीज उपचार करने के बाद बीज भडारित करके ना रखें।
  • दवाई की मात्रा या बीजों पर दवाई को लेपित करने के लिए आवश्यकता से अधिक पानी का उपयोग ना करें।
  • बीज उपचार करने के लिए फसल के अनुसार सुझाई गयी दवाई का ही उपयोग करें।
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