प्याज़ में लगने वाले बैंगनी धब्बा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण की विधि

Symptoms and control of purple blotch disease in Onion
  • अल्टरनेरिया पोरी की वजह से होने वाली यह बीमारी मिट्टी में पैदा होने वाली फंगस है।
  • शुरुआत में इस रोग के लक्षण प्याज की पत्तियों पर सफेद भूरे रंग के धब्बे बनाते हैं एवं उनका मध्य भाग बैंगनी रंग का होता है।
  • इस रोग का संक्रमण उस समय अधिक होता है, जब वातावरण का तापक्रम 27 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तथा आर्द्रता अधिक रहती है।

रासायनिक उपचार:
थायोफिनेट मिथाइल 70% W/P @ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्सकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली प्रति एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

जैविक उपचार:
जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।

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तरबूज़ की फसल में बुआई पूर्व खेत की तैयारी एवं मिट्टी उपचार की विधि

Field preparation and soil treatment in water melon before sowing
  • तरबूज की फसल हेतु अच्छे से भूमि की तैयारी जरूरी होती है इसीलिए आवश्यकता अनुसार जुताई करके खेत को ठीक प्रकार से तैयार कर लेना चाहिए।
  • खेत में मौजूद भारी मिट्टी को ढेले रहित करने के बाद ही बीज बोना चाहिए। रेतीली भूमि के लिये अधिक जुताइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस प्रकार से 3-4 जुताई पर्याप्त होती हैं।
  • तरबूज को खाद की आवश्यकता पड़ती है। मिट्टी उपचार के लिये बुआई से पहले मिट्टी समृद्धि किट के द्वारा मिट्टी उपचार किया जाना चाहिए।
  • इसके लिए सबसे पहले 50-100 किलो FYM या पकी हुई गोबर की खाद या खेत की मिट्टी में मिलाकर बुआई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें।
  • बुआई के समय DAP @ 50 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 75 किलो/एकड़ + पोटाश @ 75 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी भुरकाव करें।
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आलू की फसल में सफेद मक्खी की पहचान एवं नियंत्रण

Identification and control of white fly in potato crop
  • सफेद मक्खी के प्रकोप के लक्षण: इस कीट की शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
  • ये पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली सूटी मोल्ड नामक जमाव का कारण भी बनते हैं।
  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में आलू की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है।
  • फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
  • प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG@ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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मटर की फसल में फूल अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबंधन

Nutrition management at flowering stage in Pea crop
  • मटर की फसल में सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है फूल अवस्था।
  • इसी कारण मटर की फसल के फूल अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • बदलते मौसम एवं फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण मटर की फसल में फूल गिरने की समस्या होती है।
  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण मटर की फसल में फल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पेक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मटर की फसल में फल छेदक का प्रकोप एवं नियंत्रण

Control of fruit borer in pea crop
  • फल छेदक या पोड बोरर मटर की फसल का एक प्रमुख कीट है जो फसल को भारी नुकसान पहुंचाता है।
  • यह मटर की फसल की फलियों को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाता है। यह कीट मटर की फली में छेद करके उसके अंदर के दाने को खाकर नुकसान पहुँचता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 39.35% SC @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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लहसुन की फसल में 60-65 दिनों में जरूर करें पोषण प्रबंधन

Nutrition management in garlic crop 60-65 days
  • लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • सही समय पर पोषक तत्वों की पूर्ति करने से लहसुन की फसल में कंद का निर्माण बहुत अच्छा होता है।
  • लहसुन की फसल में 60-65 दिनों में पोषण प्रबंधन करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश @ 20 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • लहसुन की फसल में 60-65 दिनों में पोषण प्रबंधन करने के बाद खेत में सिंचाई अवश्य करें।
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जुगाड़ से बने इस मशीन से करें प्याज की रोपाई, घंटों का काम हो जायेगा मिनटों में

This machine made from jugaad will lead to transplanting of onions in a short time

जुगाड़ तकनीक से बनाये गए इस मशीन से प्याज के पौध की खेत में रोपाई का कार्य बड़ी ही आसानी से और बहुत ही कम समय में पूरा कर देता है। इस मशीन पर कुछ लोग बैठ जाते हैं और प्याज के पौध को मशीन में डालते हैं। मशीन एक ही बार में कई पौधे खेत में रोप देता है।

वीडियो स्रोत: एग्री टेक

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फसल से अच्छी उपज प्राप्ति के लिए ऐसे करें तापमान का नियंत्रण

Temperature control measures for good crop production

खेतों की सिंचाई जरूरी: जब भी तापमान कम होने की संभावना हो या मौसम विभाग ने पूर्वानुमान में पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर देनी चाहिए। इससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को तापमान कम होने से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। सिंचाई करने से 0.5–2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान में बढ़ोतरी हो जाती हैं।

पौधे को ढकें: तापमान कम होने का सबसे अधिक नुकसान नर्सरी में होता है। नर्सरी में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढकने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अन्दर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। इससे सतह का तापमान जमाव बिंदु तक नहीं पहुंच पाता। पॉलीथिन की जगह पर पुआल का इस्तेमाल भी किया जा सकता है। पौधों को ढकते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण पूर्वी भाग खुला रहे, ताकि पौधों को सुबह व दोपहर को धूप मिलती रहे।

वायु अवरोधक: ये अवरोधक शीत लहरों की तीव्रता को कम करके फसल को होने वाले नुकसान से बचाते हैं। इसके लिए खेत के चारों ओर ऐसी फसलों की बुआई करनी चाहिए जिनसे की हवा कुछ हद तक रोका जा सके जैसे चने के खेत में मक्का की बुआई करनी चाहिए। फलवृक्षों की पौध को पाले से बचाने के लिए पुआल या किसी अन्य वस्तु से धूप आने वाली दिशा को छोड़कर ढक देना चाहिए।

खेत के पास धुंआ करें: तापमान नियंत्रण के लिए आप अपने खेत में धुंआ पैदा कर दें, जिससे तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिरेगा और फसलों को नुकसान से बचाया जा सकेगा।

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प्याज़ की फसल में कंद बनते समय ऐसे करें पोषण प्रबधन

Nutritional management measures while tubers formation in the onion crop
  • प्याज की फसल में अंकुरण होने के बाद और जब तक पौधे में 3 पत्ती नहीं निकलती, तब तक फसल जमीन के ऊपर और जमीन के नीचे धीरे-धीरे बढ़ती है।
  • एक बार 3 पत्ती निकलने के बाद, फसल का विकास तेज हो जाता है। यह विकास जमीन के अंदर होता है।
  • इस दौरान पौधे प्रकाश संश्लेषण की गतिविधि को बढ़ाते है, बड़े पत्तों का उत्पादन करते हैं और बल्ब बनाने के लिए आवश्यक पदार्थों का भंडार करने लगते हैं।
  • इस स्तर पर पौधों में पोषण प्रबंधन बल्ब के गठन, फसल के विकास और अंतिम पैदावार की शुरुआत के लिए महत्वपूर्ण है।
  • इस समय छिड़काव के रूप में पैक्लोब्यूट्राजोल 40% SC@ 30 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कैल्शियम नाइट्रेट@ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
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गेहूँ की फसल में उर्वरकों के उपयोग में इन बातों का रखें ध्यान

Benefits of fertilizer management in wheat crop

सही समय एवं सही उर्वरकों के उपयोग के द्वारा गेहूँ की फसल में उत्पादन को बहुत अधिक मात्रा में बढ़ाया जा सकता है।

गेहूँ की फसल में तीन अवस्थाओं में उर्वरक प्रबंधन किया जाता है जो निम्नलिखित हैं।

1. बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन
2. बुआई के 20-30 दिनों में उर्वरक प्रबंधन
3. बुआई के 50-60 दिनों में उर्वरक प्रबंधन

  • बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन करने से गेहूँ की फसल का अंकुरण अच्छा होता है साथ ही सभी पौधों की एक समान वृद्धि होती है।
  • बुआई के 20-30 दिनों में उर्वरक प्रबंधन से जड़ों की अच्छी वृद्धि और कल्लों में सुधार होता है।
  • बुआई के 50-60 दिनों में उर्वरक प्रबंधन करने से बालियां अच्छे से निकलती है एवं बालियों के दानों में दूध अच्छे से भरता है साथ ही दानों का निर्माण भी बहुत अच्छा होता है।
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