मौसम परिवर्तन से फसलों में कवक जनित रोग का है खतरा, जानें सुरक्षा उपाय

Risk of fungal diseases in crops due to weather change

मौसम में लगातार होने वाले परिवर्तन के कारण प्याज़, लहसुन, आलू एवं सब्ज़ी वर्गीय फसलें बहुत अधिक प्रभावित होती हैं। इस प्रभाव के कारण सबसे पहले फसल में पत्ते पीले दिखाई देते हैं और किनारों से सूखने लग जाते हैं। आलू एवं सब्जी वर्गीय फसलों में छेती अंगमारी, पत्ती धब्बा रोग, डाउनी मिल्डू जैसे रोगों का प्रकोप होता है। मौसम की विपरीत परिस्थिति के कारण फसल को होने वाले नुकसान से फसल को बचाने के लिए निम्न उत्पादों का उपयोग बहुत आवश्यक होता है।

प्रबंधन:

  • कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़
  • या मैनकोज़ेब 64% + मेटालैक्सिल 4% WP @ 500 ग्राम/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC @ 300 मिली/एकड़
  • या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/P@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसी के साथ हर छिड़काव के साथ स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस को कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP के साथ उपयोग ना करें।
Share

मौसम परिवर्तन से होने वाले इल्लीवर्गीय कीटों के प्रकोप से फसलों का ऐसे करें बचाव

मौसम में अचानक हुए परिवर्तन के कारण रबी सीजन की सब्जी वर्गीय फ़सलों के साथ साथ आलू, गेहू, चना आदि फसलों में इल्लियों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होने की सम्भावना रहती है। कम तापमान एवं अधिक नमी वाले मौसम में इल्लियां अंडो से बाहर निकलती है एवं इनके शिशु फसलों की पत्तियों, तने, फलों, फूलों आदि को कुतर कर फसलों को बहुत नुकसान पहुँचाती है।

इस तरह के मौसम में हरी इल्ली, तम्बाकू की इल्ली, फल छेदक आदि इनके नियंत्रण के लिए निम्र उत्पादों का उपयोग बहुत प्रभावशाली होता है।

नियंत्रण: इन इल्ली वर्गीय कीटों के निवारण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।

हर छिड़काव के साथ जैविक उपचार रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से अवश्य उपयोग करें।

Share

टमाटर की फसल में थ्रिप्स के प्रकोप की रोकथाम जरूर करें

Thrips management in Tomato crop
  • थ्रिप्स: ये छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते है, जो पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
  • ये अपने तेज मुखपत्र के साथ पत्तियों, कलियों एवं फूलो का रस चूसते हैं। इसके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों की तरफ से भूरी हो जाती हैं।
  • प्रभावित पौधे की पत्तियां सुखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं या फिर पत्तियां विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदला बदली करके ही उपयोग करना आवश्यक है।
  • प्रबंधन: थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

अपनी फसल में करें नैनो उर्वरक का उपयोग, मिलेंगे कई फायदे

Use Nano fertilizer in your crop, you will get many benefits
  • नैनो फर्टिलाइजर एक ऐसा उत्पाद है जो नैनोकणों के साथ बनाया जाता है।
  • इन्हें पोषक तत्वों की दक्षता में सुधार करने के लिए तैयार किया गया है।
  • यह उर्वरक उत्पादन दर और उपज में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।
  • यह उर्वरक अपशिष्ट उत्पादन को भी कम करते हैं।
  • यह उर्वरक फसलों को पोषक तत्व प्रदान करता है।
  • नैनो उर्वरक अघुलनशील पोषक तत्वों को बेहतर रूप से घुलनशील रूप में परिवर्तित करने में सहायक होता है।
Share

फलविक एसिड के उपयोग से फसलों को मिलते हैं कई फायदे

Crops benefit from the use of fulvic acids
  • फलविक एसिड का सबसे महत्वपूर्ण काम ये है कि ये मिट्टी को भुरभुरा बनाने में मदद करता है।
  • इससे जड़ों का विकास अधिक होता है। ये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को तेज करता है।
  • जिससे पौधे में हरापन और शाखाओं में वृद्धि होती है। ये पौधे की तृतीयक जड़ों का विकास करता है जिससे की जमीन से पोषक तत्वों का अवशोषण अधिक हो सके।
  • यह पौधे में फलों और फूलों की वृद्धि करता है। मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि करता है।
  • पौधे की चयापचयी क्रियाओं में वृद्धि करता है। इससे उपज में भी वृद्धि होती है।
Share

तरबूज की इन उन्नत किस्मों की खेती कर प्राप्त करें अच्छी उपज

Get good yield by cultivating these advanced varieties of watermelon
  • सागर किंग: यह एक उच्च उपज एवं जल्दी पकने वाली किस्म है जिसके बीज छोटे, फल का आकार अंडाकार, फल का वज़न 3 से 5 किलो, फल का ऊपरी रंग गहरा काला एवं अंदर के गूदे का रंग गहरा लाल होता है। यह 60-70 दिनों में पकने वाली किस्म है।
  • सीमन्स बाहुबली: इस किस्म के फल का आकार अंडाकार, वज़न 3 से 7 किलो, रंग गहरा काला एवं चमकीला होता है। यह 65-70 दिनों में पकने वाली किस्म है तथा यह किस्म उकठा रोग के प्रति प्रतिरोध शक्ति रखती है।
  • नेनेसम मैक्स: इस किस्म के फल का आकार अंडाकार, फल का वज़न 7 से 10 किलो, ऊपरी रंग गहरा काला एवं अंदर का गूदा चमकीला होता है। यह किस्म 70-80 दिनों में पक जाती है।
  • ऑगस्टा: इस किस्म के फल का आकार अंडाकार, वज़न 7 से 10 किलो, ऊपरी रंग गहरा काला एवं अंदर का गूदे चमकीला होता है। यह 85-90 दिनों में पकने वाली किस्म है।
  • मेलोडी F-1: यह किस्म उच्च यातायात गुणवत्ता और लंबी जीवन अवधि वाली है। इसके फल का आकार अंडाकार, रंग गहरा काला, वज़न 4-5 किलो होता है। यह 65-70 दिनों में पकने वाली किस्म है।
Share

प्याज़ में लगने वाले बैंगनी धब्बा रोग के लक्षण एवं नियंत्रण की विधि

Symptoms and control of purple blotch disease in Onion
  • अल्टरनेरिया पोरी की वजह से होने वाली यह बीमारी मिट्टी में पैदा होने वाली फंगस है।
  • शुरुआत में इस रोग के लक्षण प्याज की पत्तियों पर सफेद भूरे रंग के धब्बे बनाते हैं एवं उनका मध्य भाग बैंगनी रंग का होता है।
  • इस रोग का संक्रमण उस समय अधिक होता है, जब वातावरण का तापक्रम 27 से 30 डिग्री सेंटीग्रेड तथा आर्द्रता अधिक रहती है।

रासायनिक उपचार:
थायोफिनेट मिथाइल 70% W/P @ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्सकोनाज़ोल 5% SC @ 400 मिली प्रति एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।

जैविक उपचार:
जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।

Share

तरबूज़ की फसल में बुआई पूर्व खेत की तैयारी एवं मिट्टी उपचार की विधि

Field preparation and soil treatment in water melon before sowing
  • तरबूज की फसल हेतु अच्छे से भूमि की तैयारी जरूरी होती है इसीलिए आवश्यकता अनुसार जुताई करके खेत को ठीक प्रकार से तैयार कर लेना चाहिए।
  • खेत में मौजूद भारी मिट्टी को ढेले रहित करने के बाद ही बीज बोना चाहिए। रेतीली भूमि के लिये अधिक जुताइयों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस प्रकार से 3-4 जुताई पर्याप्त होती हैं।
  • तरबूज को खाद की आवश्यकता पड़ती है। मिट्टी उपचार के लिये बुआई से पहले मिट्टी समृद्धि किट के द्वारा मिट्टी उपचार किया जाना चाहिए।
  • इसके लिए सबसे पहले 50-100 किलो FYM या पकी हुई गोबर की खाद या खेत की मिट्टी में मिलाकर बुआई से पहले खाली खेत में भुरकाव करें।
  • बुआई के समय DAP @ 50 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 75 किलो/एकड़ + पोटाश @ 75 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी भुरकाव करें।
Share

आलू की फसल में सफेद मक्खी की पहचान एवं नियंत्रण

Identification and control of white fly in potato crop
  • सफेद मक्खी के प्रकोप के लक्षण: इस कीट की शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था आलू की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं।
  • ये पत्तियों का रस चूस कर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं एवं पौधे पर उत्पन्न होने वाली सूटी मोल्ड नामक जमाव का कारण भी बनते हैं।
  • इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में आलू की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है।
  • फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है। इसके कारण से फसलों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
  • प्रबंधन: इस कीट के निवारण के लिए डायफेनथुरोंन 50% SP@ 250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामाइड 50% WG@ 60 मिली/एकड़ या एसिटामेप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफेन 10% + बॉयफेनथ्रीन 10% EC 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

मटर की फसल में फूल अवस्था में जरूर करें पोषण प्रबंधन

Nutrition management at flowering stage in Pea crop
  • मटर की फसल में सबसे महत्वपूर्ण अवस्था होती है फूल अवस्था।
  • इसी कारण मटर की फसल के फूल अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • बदलते मौसम एवं फसल में पोषक तत्वों की कमी के कारण मटर की फसल में फूल गिरने की समस्या होती है।
  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण मटर की फसल में फल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पेक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Share