चने को फूल अवस्था में दें बेहतर पोषण तो मिलेगा बम्पर उत्पादन

Nutrition management at flowering stage in gram crop
  • चने का पौधा एवं उसमें लगने वाले फल दोनों का ही सब्ज़ी के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • इसी कारण से चने की फसल में फूल अवस्था में पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • बदलते मौसम के कारण कई बार फसल में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और चने की फसल में फूल गिरने की समस्या शुरू हो जाती है।
  • अधिक मात्रा में फूल गिरने के कारण चने की फसल में फल उत्पादन बहुत प्रभावित होता है।
  • इस समस्या के निवारण के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • फूल गिरने से रोकने के लिए होमब्रेसिनोलाइड @ 100 मिली/एकड़ या पिक्लोबूट्राज़ोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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फसलों के लिए काफी लाभदायक होता है जैविक उत्प्रेरक का उपयोग

Use of organic catalysts is very beneficial for crops
  • जैविक उत्प्रेरक दरअसल ऐसे उत्पाद होते हैं जो फसलों में होने वाली वृद्धि एवं विकास की क्रिया को उत्तेजित करने का कार्य करते हैं।
  • फसलों में फूल अवस्था या फल अवस्था के समय यदि किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न होता है तो इन उत्प्रेरको के उपयोग से इसका निवारण करने में सहायता मिलती है।
  • यह फसलों में चयापचय की क्रिया को बढ़ने में मददगार साबित होते है।
  • बहु वर्षीय फसलों एवं पौधों में कोशिका विभाजन एवं ऊतकों को भोजन बनाने की प्रक्रिया में सहायता करते हैं।
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लीफ माइनर कीट की ऐसे करें पहचान एवं नियंत्रण

How to identify and control leafminer
  • लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट बहुत ही छोटे होते हैं। ये पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं। इससे पत्तियों पर सफेद लकीरें दिखती हैं।
  • लीफ माइनर का वयस्क कीट हलके पीले रंग का एवं शिशु कीट बहुत छोटा एवं पैर विहीन पीले रंग का होता है।
  • कीट का प्रकोप पत्तियों पर शुरू होता है। यह कीट पत्तियों में सर्पिलाकार सुरंग बनाता है।
  • यह पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया में बाधा पैदा करता है जिससे अततः पत्तियां गिर जाती है।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC@ 150 मिली/एकड़ या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 8.8% + थायोमेथोक्जाम 17.5 SC @ 200 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
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प्याज़ की फसल में कंद फटने की समस्या का कारण एवं निदान

Control of bulb splitting In Onion
  • कंद फटने के प्रथम लक्षण पौधे के आधार पर दिखाई देते हैं।
  • प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है।
  • खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पूरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते हैं।
  • एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।
  • धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते हैं।
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कैसा रहने वाला है मध्य प्रदेश का अगले 24 घंटे का मौसम?

Weather Forecast

देश भर में अब तक की बारिश के बारे में बात करें तो इस साल बारिश के सीजन में सामान्य  4% अधिक वर्षा हुई है। हालांकि मध्य प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भागों में सामान्य से कम वर्षा इस सीजन में दर्ज की गई है। 

मध्य भारत के अगले 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो मौसम सामान्य रहेगा और सामान्य हवाएं चलेंगी। 

वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर

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बीज उपचार में ट्रायकोडर्मा का करें उपयोग, मिलेंगे कई फायदे

Benefits of seed treatment with Trichoderma
  • ट्राइकोडर्मा एक फफूंद है, जो सामान्यत: मृदा में पायी जाती है।
  • इसका उपयोग सभी प्रकार की फसलों व सब्जियों जैसे कपास, तंबाकू, सोयाबीन, गन्ना, शकरकंद, बैंगन, चना, अरहर, मूंगफली, मटर, टमाटर, मिर्च, गोभी, आलू, प्याज, लहसुन, बैंगन, अदरक और हल्दी आदि फसलों में बीज़ उपचार के रूप में किया जाता है।
  • सब्ज़ी वर्गीय फसल में बीज़ उपचार करने से फसलों में लगने वाले फफूंद जनित रोग तना गलन, उकठा आदि रोगों से सुरक्षा मिल जाती है। इसका उपयोग फलदार वृक्षों पर भी लाभदायक है।
  • यह पौधे की बढ़वार में भी सहायक है इससे उत्पादन में वृद्धि होती है।
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आलू की फसल में हो रहा है थ्रिप्स का प्रकोप, जानें बचाव की विधि

How to prevent potato crop from thrips
  • थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते है, यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
  • यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं और इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरे रंग की हो जाती हैं।
  • इसके कारण प्रभावित आलू के पौधे की पत्तियां सूखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं या फिर विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर कर्ल (मुड़ जाना) हो जाती हैं।
  • थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदल-बदल करके ही उपयोग करना आवश्यक होता है।
  • प्रबंधन: थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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गोभी की फसल में डाउनी मिल्ड्यू को कैसे करें नियंत्रित?

Symptoms and How to control Downy Mildew in Cauliflower
  • गोभी के तने पर भूरे धब्बे दिखाई देते हैं जिन पर सफेद फफूंदी मृदुरोमिल होती है।
  • पत्तियों की निचली सतह पर बैगनी भूरे रंग के धब्बे दिखाई देते हैं। 
  • इस रोग के प्रभाव से फूलगोभी का शीर्ष संक्रमित होकर सड़ जाता है।
  • उचित जल प्रबंधन करें ताकि मिट्टी की सतह पर अतिरिक्त नमी न रहे।
  • कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या मेटालैक्सिल 8% + मैनकोज़ेब 64% WP @ 600 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें
  • एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% SC @ 200 मिली/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें  
  • फसल चक्र अपनाएं एवं खेत में साफ़ सफाई बनाये रखें।
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गेहूँ की बुआई के 40-45 दिनों में छिड़काव करने से मिलेंगे कई लाभ

Benefits of spray in wheat crop in 40-45 days of sowing
  • गेहूँ की 40-45 दिनों की अवस्था दरअसल फसल वृद्धि की बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
  • इस समय कवक जनित एवं कीट जनित रोगों से भी फसल की सुरक्षा की जाने की जरुरत होती है।
  • कीट नियंत्रण के लिए: इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @ 60 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • कवक रोगों के लिए: हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 400 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • वृद्धि विकास के लिए: होमोब्रेसीनोलाइड 0.04% @ 100 मिली/एकड़ या जिब्रेलिक एसिड @ 300 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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तरबूज़ की फसल में बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन

How and why to manage fertilizer at the time of sowing in watermelon crops
  • तरबूज़ की फसल में बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन करने से फसल में पोषण से संबंधित समस्याओं से सुरक्षा होती है।
  • उर्वरक प्रबंधन करने से पोषक तत्वों की पूर्ति होती है एवं फसल में पोषक तत्वों की कमी से सुरक्षा होती है।
  • बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन करने के लिए DAP @ 50 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 75 किलो/एकड़ + पोटाश @ 75 किलो/एकड़ + जिंक सल्फ़ेट @ 10किलो/एकड़ + मैगनेशियम सल्फ़ेट @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • इस प्रकार उर्वरक प्रबंधन करने से फसल एवं मिट्टी में फॉस्फोरस, पोटाश, नाइट्रोजन जैसे उर्वरकों की पूर्ति आसानी से हो जाती है।
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