गेहूँ के दानों में चमक बढ़ाने के लिए क्या उपाय करें?

What measures should be taken to increase the glow in wheat grains?
  • गेहूँ की फसल में यदि दानों का आकार एवं चमक अच्छी होती है तो उस फसल का बाजार भाव बहुत अच्छा मिलता है।
  • गेहूँ की फसल में दानो में चमक बेहतर करने के लिए दाना भरने की अवस्था के समय 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ के साथ प्रोपिकोनाज़ोल 25% EC@ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इन उत्पादों के उपयोग से गेहूँ के दानो में चमक के साथ-साथ कवक जनित रोगों से फसल की रक्षा होती है एवं पोषण सम्बन्धी आवश्यकता की भी पूर्ति हो जाती है।
Share

उपज के सुरक्षित भंडारण के समय इन बातों का रखें ध्यान

Insect pests attacks in storage crops
  • उपज के सुरक्षित भंडारण के समय इन बातों का रखें ध्यान
  • फसल के कटाई के बाद सबसे जरूरी काम उपज भंडारण का होता है।
  • उपज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाने की जरूरत होती है, इससे अनाज को लम्बे समय तक भंडारित करके रखा जा सकता है।
  • उपज में भंडारण के समय लगने वाले मुख्य कीटों में अनाज का छोटा बेधक, खपड़ा बीटल, आटे का लाल भृंग, दालों का भृंग, अनाज का पतंगा, चावल का पतंगा आदि शामिल हैं।
  • यह सभी कीट भंडारण के दौरान अनाज को खाकर खोखला कर देते हैं।
  • इन कीटों से अनाज को सुरक्षित रखने के लिए भंडारण करने के पहले भण्डार गृह की सफाई अच्छे से जरूर कर लें।
  • इसके साथ ही अनाज को अच्छी तरह से सुखाकर ही भंडारित करें।
Share

पौधों के विकास में उपयोगी जिंक बैक्टीरिया का ऐसे करें उपयोग

How to use zinc solubilizing bacteria
  • ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया एक बहुत ही महत्वपूर्ण बैक्टीरिया कल्चर है।
  • यह बैक्टीरया मिट्टी में मौजूद अघुलनशील ज़िंक को घुलनशील रूप में पौधों को उपलब्ध कराता है। यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • इसका उपयोग मिट्टी उपचार, बीज़ उपचार एवं छिड़काव के रूप में भी कर सकते हैं।
  • मिट्टी उपचार करने के लिए 1 किलो/एकड़ की दर से 50-100 किलो पकी हुई गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट में मिलाकर बुआई के पहले खेत में भुरकाव करें।
  • बीज़ उपचार के लिए 5-10 ग्राम/किलो बीज़, बीज़ उपचार के लिए उपयोग करें।
  • बुआई के बाद छिड़काव के रूप में 500-1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Share

प्याज की फसल में बेसल रॉट का प्रबंधन कैसे करें?

How to manage onion basal rot
  • बेसल रॉट रोग एक कवक जनित रोग है और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव प्याज के कंद के आधार भाग पर दिखाई देता है।
  • इसके कारण कंद के आधार पर सफेद या गुलाबी रंग के कवक दिखाई देते हैं।
  • इससे प्याज की जड़ों के साथ-साथ कंद को भी बहुत नुकसान पहुँचता है।
  • इस रोग के निवारण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC@ 400 मिली/एकड़ की दर से जड़ों के पास से पौधे को दें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ जड़ों के पास दें।
Share

टिप ब्लाइट से प्याज की फसल को होगा नुकसान, ऐसे करें बचाव

Management of Tip blight in onion
  • टिप ब्लाइट प्याज की फसल में लगने वाला प्रमुख कवक जनित रोग है।
  • इस रोग के कारण प्याज की पत्तियों के ऊपरी किनारे यानी शीर्ष सूखने लगते हैं।
  • इसके कारण कई बार पत्तियों के ऊपरी किनारे भूरे रंग के हो जाते हैं।
  • इस रोग के निवारण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Share

कद्दुवर्गीय फसलों में लाल मकड़ी का ऐसे करें नियंत्रण

How to control red spider in cucurbits crops
  • लाल मकड़ी का सबसे ज्यादा प्रकोप मानसून के पूर्व होता है पर कई बार ये बाकी समय में भी फसल को नुकसान पहुँचा सकता है। आने वाले दिनों में भी इसके प्रकोप की संभावना है।
  • इस का प्रकोप पत्तियों की निचली सतह पर सबसे अधिक दिखाई देता है।
  • यह कीट पत्तियों की शिराओ के पास अंडे देती है।
  • इस कीट के अधिक प्रकोप की अवस्था में पत्तियां चमकीली पीली हो जाती हैं।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए प्रॉपरजाइट 57% EC@ 400 ग्राम/एकड़ या स्पैरोमेसीफेंन 22.9% SC@ 200 मिली/एकड़ या एबामेक्टिन 1.9% EC@ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • इसी के साथ जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
Share

गिलकी की फसल में बुआई पूर्व इन बातों का जरूर रखें ध्यान

Preparations before sowing of sponge gourd
  • गिलकी एक कद्दूवर्गीय फसल है एवं हर मौसम में आसानी से लगायी जा सकती है।
  • गिलकी की खेती शुरू करने से पहले जिस खेत में गिलकी की फसल लगाई जानी है उस खेत की अच्छे से जुताई जरूर करें।
  • इसके बाद FYM 50-100 किलो/एकड़ एवं जैविक कवकनाशी ट्रायकोडर्मा विरिडी 500 ग्राम/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
  • बीज़ की बुआई के पहले अच्छे से क्यारियाँ बनायें एवं बीजों का बीज़ उपचार करके ही बुआई करें।
  • बुआई के समय इस बात का ध्यान अवश्य रखें की बीज़ से बीज़ की दूरी बराबर होनी चाहिए।
Share

हल्दी, अदरक, केला एवं गन्ने की फसल में मिट्टी चढ़ाने में उपयोगी होता है ये यंत्र

Intercultivator
  • हल्दी, अदरक, केला, गन्ने आदि की फसल में मिट्टी चढ़ाना एक बहुत महत्वपूर्ण अंतःसस्य क्रिया है।

  • इस प्रक्रिया को किसानों के लिए आसान बनने हेतु ग्रामोफोन लेकर आया है कई खूबियों वाला इंटर कल्टीवेटर।

  • यह मशीन हल्दी, अदरक, केला, गन्ने की फसल में मिट्टी चढाने की प्रक्रिया में बहुत लाभकारी होता है।

  • इस मशीन में चार स्ट्रोक इंजन होता है एवं यह जमींन के अंदर 4 सेंटीमीटर से लेकर 5.7 सेंटीमीटर तक गहराई में जाकर मिट्टी पलटता है।

  • यह डीज़ल से चलने वाली मशीन होती है और इसका डीज़ल टैंक 3.5 लीटर तक का होता है।

Share

तरबूज की अंकुरण अवस्था में फसल का कवक रोगों से कैसे करें बचाव

How to protect watermelon crop against fungal diseases in the germination stage
  • तरबूज की बुआई के बाद 10 से 15 दिनों में फसल की अंकुरण अवस्था होती है।
  • अंकुरण की शुरूआती अवस्था में तरबूज की फसल में कवक रोगों का नियंत्रण बहुत आवश्यक होता है।
  • इस अवस्था में कवक रोगों के नियंत्रण के लिए जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड की दर से उपयोग करें।
  • रासायनिक उपचार के रूप में क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • अंकुरण अवस्था में तरबूज की फसल में पत्तियों के पीले होने व पौध के जलने की समस्या बढ़ने की संभावना होती है।
Share

मूँग की फसल में क्यों जरूरी है बीज उपचार, जानें इसका महत्व

Why seed treatment is so crucial in mung crops
  • बीज उपचार करने से बीज जनित तथा मिट्टी जनित बीमारियों को आसानी से नियंत्रित कर फसल के अंकुरण को भी बढ़ाया जा सकता है।
  • बीज उपचार के तौर पर कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से मिट्टी में पायी जाने वाली हानिकारक कवकों के नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
  • इसके जैविक उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें। या
  • जैविक उपचार के लिए सूडोमोनास फ्लोरोसेंस 5-10 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
Share