Nursery preparation in brinjal

  • भारी मृदा में ऊँची क्यारियों का निर्माण करना जरूरी होता हैं ताकि पानी भराव की समस्या को दूर कर सके|
  • रेतीली भूमि में बीजों की बुवाई समतल सतह तैयार करके की जाती है।
  • प्रातः ऊँची क्यारियों का आकार 3 x1 मी. और ऊँचाई 10 से 15 से.मी. के लगभग होता है।
  • दो क्यारियों के बीच की दूरी प्रायः 70 से.मी. के लगभग होना चाहिये ताकि अंतरसस्य क्रियाएँ जैसे सिंचाई एवं निदाई आसानी से की जा सके।
  • पौधशाला क्यारियों की ऊपरी सतह साफ़ एवं समतल होना चाहिये ।
  • पूणतः पकी गोबर की खाद या पात्तियों की सड़ी हुई खाद को क्यारियों का निर्माण करते समय मिलाना चाहिये।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन से पौधों को मरने से रोकने के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से क्यारियों में ड्रेंचिंग करे|

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Boron deficiency in tomato

  • बोरॉन की कमी की वजह से पत्तिया हल्के हरे से पीले रंग की हो जाती हैं |
  • बोरॉन कमी के लक्षण कैल्शियम की कमी के लक्षण जैसे होते हैं|
  • पत्ते भंगुर हो जाते हैं और आसानी से टूट जाते हैं।
  • इसके अलावा पर्याप्त पानी देने के बाद भी पौधे में पानी की कमी के लक्षण दिखाई देते हैं|
  • बोरान 20% ईडीटीए @ 200 ग्राम/एकड़ का पत्तियों पर स्प्रे करने से बोरॉन की कमी दूर हो जाता हैं ।

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Irrigation management in cowpea

  • बरवटी में पानी का जमाव अधिक नुकसान पहुँचता हैं एवं इसे अन्य सब्जियों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • दाने वाली किस्मों को 2-3 सिंचाई फूल एवं फली बनते समय देनी चाहिए।
  • सब्जी वाली किस्मों को 4-5 दिन के अन्तराल से फूल एवं फली लगते समय सिंचाई करना चाहिए।
  • फूल लगने के पहले सिंचाई रोक देनी चाहिए।

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Soil preparation for makkhan grass

  • 2-3 बार गहरी जुताई करें।और खेत को समतल करें।
  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 6-8 टन/एकड़ की दर से डालें और मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।

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Staking practice in cowpea

  • चढने वाली किस्मों में बाँस की बल्ली पर जूट या प्लास्टिक रस्सी से सहारा देना चाहिये।
  • जब पौधों में बेल आने लगे तब लकड़ी से सहारा देना चाहिए।
  • अनावश्यक वृद्धि को तोड़कर अलग कर देना चाहिए, जिससे फूल व फल अच्छी तरह से लग सके।

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Weed management in brinjal

  • पौधे की प्रारंभिक अवस्था में हाथों के द्वारा निदाई-गुड़ाई करनी चाहिये ।
  • रोपाई के बाद खरपतवारनाशी पेंडीमेथलीन 30% EC @ 1.2 लीटर/एकड़ 72 घंटे के भीतर छिड़काव करें |
  • इसके बाद 30 दिन की फसल होने पर हाथ से निदाई करें|

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Control of fusarium wilt in watermelon

  • रेतीली मिट्टी में यह रोग अधिक पाया जाता है।
  • संक्रमित पौधो को नष्ट करें।
  • रोग मुक्त बीज का उपयोग करे।
  • बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम @ 2 ग्राम/किलोग्राम बीज के साथ बीजोपचार करें।
  • जब तरबूज के पौधे पर बीमारी दिखाई दे तो प्रोपिकोनाजोल @ 80-100 मिली/एकड़ का प्रयोग करें।

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Advantage of PSB in Sorghum

  • ये जीवाणु फास्फोरस के साथ साथ मैंगनीज, मैगनेशियम, आयरन, मॉलिब्डेनम, जिंक और कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों को भी पौधे में उपलब्ध करवाने में सहायक होते हैंं|
  • तेजी से जड़ों का विकास करने में सहायक होता हैंं जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते हैंं |
  • पीएसबी कुछ खास जैविक अम्ल बनाते हैंं जैसे मैलिक, सक्सेनिक, फ्यूमरिक, साइट्रिक, टार्टरिक एसिड और एसिटिक एसिड ये अम्ल फॉस्फोरस उपलब्धता बढ़ाते हैंं|
  • रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाता हैंं|
  • इसका उपयोग करने से  25 -30% फॉस्फेटिक उर्वरक की आवश्यकता कम होती हैंं।

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Weed control of cowpea

  • खरपतवार को नियंत्रित करने और जड़ों में हवा के आवागमन के सुधार हेतु कम से कम दो बार निंदाई करना चाहिए।
  • बुवाई के बाद 25 से 30 दिन तक निदाई-गुड़ाई आवश्यक है।
  • पेंडीमेथलीन 38.7% सीएस 700 मिली  /एकड़ या एलाक्लोर 50% ईसी 1 लिटर/एकड़ दर से छिड़काव, 30 दिनों तक निंदा नियंत्रण करता है।

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Fertilizer requirements in makkhan grass

  • भूमि की तैयारी के समय गोबर की खाद/कम्पोस्ट @ 6-8 टन/एकड़, यूरिया – 65 किग्रा प्रति एकड़, एसएसपी – 20 किलो प्रति एकड़, की दर से मिट्टी में अच्छी तरह से  मिलाएँ।
  • हर कटाई के बाद 65 किलो यूरिया प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें ।

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