- बीज जनित रोगों का नियंत्रण: छोटे दाने की फसलों, सब्जियों व कपास के बीज के अधिकांश बीज जनित रोगों के लिए बीज उपचार बहुत प्रभावकारी होता है।
- मृदा जनित रोगों का नियंत्रण: मृदा जनित कवक, जीवाणु व सूत्रकृमि से बीज व तरुण पौधों को बचाने के लिए बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि बीज उपचार रसायन बीज के चारो ओर रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है।
- अंकुरण में सुधार: बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती हैं, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है और भण्डारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है!
- कीटों से सुरक्षा: भंडार में रखने से पूर्व बीज को किसी उपयुक्त कीटनाशक से उपचारित कर देने से वह भंडारण के दौरान एवं बुआई के बाद भी बीजों को सुरक्षित रखता है। कीटनाशक का चयन संबंधित फसल बीज के प्रकार और भंडारण अवधि के आधार पर किया जाता है !
खाली खेत में ऐसे करें डिकम्पोज़र का उपयोग, जानें इसके फायदे
- जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब डिकम्पोज़र का उपयोग करना चाहिए। इसके छिड़काव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। छिड़काव के 10 -15 दिनों के बाद बुआई की जा सकती है।
- 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में इसका छिड़काव करें।
- डीकंपोजर का उपयोग खाली खेत में छिड़काव के रूप में करने से यह फ़सलों में लगने वाली विभिन्न प्रकार की बैक्टीरिया, फंगल और वायरल बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है।
- मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए कार्बनिक पदार्थ महत्वपूर्ण हैं और डिकम्पोज़र विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पौधों को प्रदान करता है इसके अलावा यह माइक्रोबियल आबादी के लिए उपयुक्त वातावरण मिट्टी को प्रदान करता है और मिट्टी की प्राकृतिक संरचना में बदलाव किये बिना मिट्टी के भौतिक-रासायनिक गुणों में सुधार करता है। जो की फसल उत्पादन में बहुत अधिक योगदान देता है।
- खरपतवार कम करके मिट्टी से कीटनाशकों के अवशेषों को घटाता है।
- बड़ी मात्रा में कम समय में कचरे को खाद में परिवर्तित करके श्रम और ऊर्जा दोनों की बचत करता है।
कृषि उड़ान योजना से किसानों की आय को मिलेगी दोगुनी रफ़्तार, जानें क्या होगा फायदा?
कृषि उड़ान योजना की घोषणा वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। इस योजना के माध्यम से किसानों को कृषि उत्पादों के परिवहन में सहायता दी जाएगी। इस योजना के माध्यम से जल्दी खराब होने वाले उत्पाद जैसे दूध, मछली, मांस आदि को सही समय पर हवाई माध्यम से बाजार पहुंचाया जाएगा। इससे किसानों को उनके उत्पादों के अधिक दाम मिल सकेंगे। इस योजना के लिए किसान भाई ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया
इस योजना में जुड़ने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए सबसे पहले बाग़वानी या खाद्य प्रसंस्करण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। यहाँ मौजूद कृषि उड़ान योजना के लिंक पर क्लिक करें। योजना के संबंध में दिए गये दिशा-निर्देशों को पढ़ें और आगे बढ़ें। फिर ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म खुलेगा। यहाँ दस्तावेज़ों की जानकारी भरें और आखिर में सब्मिट कर दें।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की फसल में ऐसे करें खरपतवार नियंत्रण
- कपास में पहली बारिश के बाद खरपतवार निकलने लगते हैं।
- इसके नियंत्रण के लिए हाथ से निदाई करें।
- क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ सकरी पत्ती के लिए।
- पाइरिथायोबैक सोडियम 10% EC + क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ पहली बारिश के 3-5 दिन
- बाद 400 मिली/एकड़।
- जब फसल छोटी हो तो इस समस्या से बचने के लिए मिट्टी की सतह पर स्प्रे करें।
- इसका उपयोग पंप के ऊपर हुक लगाकर करें।
बीज उपचार की प्रक्रिया
बीज उपचार निम्न में से किसी एक प्रकार से किया जा सकता है।
बीज ड्रेसिंग: यह बीज उपचार का सबसे आम तरीका है। बीज या तो एक सूखे मिश्रण या लुग्दी अथवा तरल घोल से गीले रूप में उपचारित किया जाता है। कम लागत के मिट्टी के बर्तन बीज के कीटनाशक के साथ मिश्रण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है या बीजों को एक पॉलिथीन शीट पर फैलाकर आवश्यक मात्रा में उसपर रसायन छिड़क कर हाथो से/ या शीट को कोनो से पड़कर हिलाकर मिलाया जाता है। हाथो में दस्ताने पहनकर सावधानी पूर्वक मिलाये।
बीज कोटिंग (लेप): बीज पर अच्छे तरीके से चपकाने के लिए मिश्रण के साथ एक विशेष बाइंडर का प्रयोग किया जाता है।
बीज पैलेटिंग: यह सर्वाधिक परिष्कृत बीज उपचार प्रौद्योगिकी है, जिससे बीज की पैलेटिबिलिटी तथा हैंडलिंग बेहतर करने के लिए बीज का शारीरिक आकार बदला जाता है। पैलेटिंग के लिए विशेष अनुप्रयोग मशीनरी तथा तकनीकों की आवश्यकता होती है और यह सबसे महँगा अनुप्रयोग है।
Shareअच्छी बारिश के बाद बदलते परिवेश में किसानों के लिए उपयोगी कृषि सलाह
पिछले दिनों अच्छी वर्षा हुई है जिसकी वजह से खेतों में खरपतवार उगने शुरू हो गए होंगे। अतः जब खरपतवार अच्छी तरह उग जाए तो सभी किसान भाई इन्हें ट्रैक्टर के माध्यम से मिट्टी में पलट दें। ये काम आप बुआई के 4 से 5 दिन पूर्व करें।
इसके अलावा जब आप ट्रैक्टर चलाएं तो उससे पहले वेस्ट डी कंपोजर जो स्पीड कम्पोस्ट के नाम से उपलब्ध है की 4 किलो प्रति एकड़ की मात्रा 10 किलो यूरिया के साथ मिला कर खेत में बिखेर दें और फिर कल्टीवेटर चला कर खेत में मिला दें।
इसके साथ आप ट्रायकोडरमा को भी 2 किलो के हिसाब से मिला लें। ये लगने वाली फसल को ना सिर्फ बीमारियों से बल्कि कीटों से भी बचाने में मदद करेगा। ऐसी फसल जिसमें नेमाटोड का आक्रमण हो सकता है यह उससे भी बचाव करेगा।
ख़ास कर के मिर्च की खेती करने वाले किसानों के लिए ये लाभ देने वाला कार्य होगा। इसके अलावा जिन्होंने ड्रिप लाइन बिछाई है वो पेराकवाट का स्प्रे कर ऊपर लिखे मिश्रण का उपयोग अवश्य करें।
Shareकीट प्रबंधन और वनस्पति विकास के लिए करें मिर्च की नर्सरी में दूसरा स्प्रे
- मिर्च की नर्सरी बुआई के 20-25 दिनों के बाद एवं रोपाई निकलने के 5 दिन पूर्व दूसरा छिड़काव किया जाता है।
- यह छिड़काव मकड़ी, थ्रिप्स एवं रस चूसक कीटों के प्रबंधन के लिए, एवं रोपाई के बाद बेहतर वनस्पति विकास के लिए एवं किसी भी प्रकार की कवक जनित बीमारियों के रोकथाम लिए किया जाना जरूरी होता है।
- कीट प्रबंधन लिए थियामेथोक्सम 12.6% + लैंबडा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC 10 मिली/पंप, यदि पत्तियों पर किसी भी प्रकार की फफूंद वृद्धि दिखाई दे तो इस स्प्रे में मेटलैक्सिल 4% + मैनकोज़ब 64% WP 60 ग्राम/WP पंप और बेहतर वनस्पति विकास के लिए इस स्प्रे में ह्यूमिक एसिड 10 ग्राम/पंप का छिड़काव करें।
जिंक के घुलनशील जीवाणुओं का मिट्टी में महत्व
- जिंक एक अनिवार्य सुक्ष्म पोषक तत्व है जो पौधों के विकास के लिए आवश्यक हैं। परन्तु यह मिट्टी में अनुपलब्ध रूप में रहता हैं जिसे पौधे आसानी से उपयोग नहीं कर पाते।
- भारत की कृषि योग्य भूमि में 50% तक ज़िंक की कमी पाई जाती है। धान में ‘खैरा रोग’ और मक्के की फसल में सफेद कली (चित्ती) रोग के नियंत्रण में यह सूक्ष्म तत्व सहायक है।
- जिंक घुलनशील जीवाणु को मिट्टी में मिलाने से अनेक फायदे होते है जैसे- उपलब्ध जस्ता की सतत आपूर्ति, उर्वरक उपयोग दक्षता में सुधार, फसल की उपज, उपज की गुणवत्ता, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और हार्मोन की सक्रियता को बढ़ाने का कार्य करता है।
- जिंक घुलनशील जीवाणु मिट्टी में कार्बनिक अम्ल उत्पन्न करते हैं जिससे अनुपलब्ध अवस्था में पड़े जिंक के तत्व पौधों को उपलब्ध रूप में बदल देते है इसके अलावा ये मिट्टी के pH का संतुलन बनाए रखते हैं।
- अंतिम जुताई के समय या बुआई के समय 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में 2-4 किलो जिंक घुलनशील जीवाणु की फ़सलों में निर्धारित मात्रा मिलाकर एक एकड़ खेत में बिखेरकर उपयोग किया जाना चाहिए।
जानें अजोला के फायदे
- अजोला एक जलीय फर्न है जो सामन्यतः धान के खेत या उथले पानी में उगाया जाता है।
- अजोला में एनाबिना नामक नील हरित शैवाल जाति का एक सूक्ष्म जीव होता है जो सूर्य प्रकाश की उपस्थिति में वायुमण्डलीय नत्रजन का स्थरीकरण करता है और इसमें 3.5 प्रतिशत नत्रजन तथा कई तरह के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो भूमि की ऊर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं।
- अजोला को खाद के रूप में उपयोग से धान की फसल में 5 से 15 प्रतिशत उत्पादन वृद्ध संभावित रहती है।
- अजोला के उपयोग से प्रोटीन, एमिनो एसिड, विटामिन, कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहे की पूर्ति होती है जिससे पशुओं का शारीरिक विकास अच्छा है।
- अजोला चारे का उपयोग कर पशुओं से 20% अधिक दूध उत्पादन बढ़ता है और इसके दूध में वसा व वसा रहित पदार्थ अधिक पाया जाता है।
- वर्तमान में पशुओं हेतु उपयोगी पोषक तत्वों की उपलब्धता को देखते हुए अजोला को दुधारू जानवरों, मुर्गियों व बकरियों के लिए सस्ता, सुपाच्य एवं पौष्टिक पूरक पशु आहार कहा जा सकता है।
सोया समृद्धि किट में उपस्थित जैविक उत्पाद और इसके उपयोग का तरीका
- सोयाबीन की उपज बढ़ाने में सोया समृद्धि किट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सोया समृद्धि किट में ट्राइकोडर्मा विरिडी, पोटाश एवं फास्फोरस के जीवाणु, राइज़ोबियम बैक्टीरिया, ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा जैसे जैविक उत्पाद है।
- इस किट में उपस्थित ट्राइकोडर्मा विरिडी मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। यह 4 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 2 किलो प्रति एकड़ मिट्टी उपचार में काम आता है।
- इस किट का दूसरा उत्पाद दो अलग अलग सूक्ष्म जीवाणुओं का मिश्रण है जो सोयाबीन की फसल में पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है एवं उत्पादन वृद्धि में भी सहायक है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है।
- इस किट का तीसरा उत्पाद में राइज़ोबियम बैक्टीरिया होते है जो सोयाबीन की फसल में जड़ों में गांठे बनाता है जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर हो कर फसल को उपलब्ध होती है। यह 5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 1 किलो की मात्रा प्रति एकड़ काम में ली जाती है।
- किट का अंतिम उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा तत्वों का खजाना होता है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है।
- सोया समृद्धि किट की 7 किलो (जिसमें उपरोक्त सभी जैविक उत्पाद सम्मलित है) को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में अंतिम जुताई के समय या बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला देना चाहिए ताकि फसल को इसका पूरा लाभ मिल सके।
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