- यह उत्पाद तीन प्रकार के बैक्टीरिया ‘नत्रजन फिक्सेशन बैक्टीरिया, PSB और KMB’ से बना है।
- यह मिट्टी और फसल में तीन प्रमुख तत्वों नत्रजन, पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है।
- एन पी के बैक्टीरिया की मदद से पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं, विकास अच्छा होता है, फसल उत्पादन बढ़ता है और साथ ही मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता भी बढ़ती है।
- इसका उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है
- मिट्टी उपचार: इसका उपयोग बुआई के पहले मिट्टी उपचार के रूप में 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिलाकर उपयोग करें।
- बुआई के समय: यदि मिट्टी उपचार नहीं कर पाए हैं तो बुआई के समय 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिलाकर उपयोग करें।
- बुआई के 20-25 दिनों में: बुआई के 20-25 दिनों में NPK का उपयोग पुनः भुरकाव के रूप में 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में सुझाई गयी मात्रा को मिला कर उपयोग करें।
- इसका उपयोग बुआई के बाद ड्रैंचिंग एवं छिड़काव के रूप भी किया जा सकता है।
मायकोराइज़ा का उपयोग कब और कैसे करें
- यह पौधों को मज़बूती प्रदान करता हैं जिससे कई प्रकार के रोग, पानी की कमी आदि के प्रति पौधे सहिष्णु हो जाते हैं।
- फसल की प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करता है जिसके परिणाम स्वरूप उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है।
- माइकोराइजा पौधे के जड़ क्षेत्र को बढ़ाता है और इसके कारण जड़ों में जल अवशोषण की क्षमता बढ़ जाती है।
माइकोराइजा का उपयोग तीन प्रकार से किया जा सकता है
- मिट्टी उपचार: 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में मिला दें।
- भुरकाव: बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में माइकोराइजा को 50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में मिलाकर @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुआई/रोपाई से पहले मिट्टी में बुरकाव करें।
- ड्रिप सिंचाई द्वारा: माइकोराइजा को ड्रिप सिचाई के रूप में बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
ग्रामोफ़ोन एप ने की खंडवा के किसान की मुश्किलें आसान, 91% बढ़ गई प्रॉफिट
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार है और किसान इस आधार को मज़बूती देने के लिए सालों भर खेतों में अपना पसीना बहाते हैं। खेती के दौरान एक किसान को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है और इन्हीं समस्याओं को दूर करने में काफी मददगार साबित हो रहा है ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप। इसी एप की मदद से खंडवा जिले के किसान पवन जी ने कपास की खेती में 91% तक प्रॉफिट बढ़ा लिया।
पवन जी की ग्रामोफ़ोन एप से जुड़ने के बाद की खेती और पहले की खेती में काफी फर्क आया है। प्रॉफिट तो बढ़ी ही साथ ही साथ कृषि लागत में भी कमी आई है। पहले जहाँ पवन जी की कृषि लागत 25000 रूपये तक पहुँच जाती थी वो अब घट कर 17500 रूपये हो गई है। वहीं बात करे मुनाफ़े की तो पहले के 132500 रूपये की तुलना में अब यह 252500 रूपये हो गया है।
पवन जी की ही तरह आगे अन्य किसान भाई भी अपनी कृषि समस्याओं को दूर करते हुए अपनी आय बढ़ाना चाहते हैं तो ग्रामोफ़ोन एप तुरंत अपने मोबाईल के इंस्टॉल करें या फिर हमारे टोल फ्री नंबर 1800-315-7566 पर मिस्डकॉल कर के कृषि विशेषज्ञों से अपनी समस्याएं बताएं।
Shareप्याज़ की नर्सरी की तैयारी कैसे करें?
- खेत में प्याज़ के पौध की रोपाई से पूर्व इसके बीजों की बुआई नर्सरी में की जाती है।
- नर्सरी में बेड का आकार 3’ x 10’ और 10-15 सेमी ऊंचाई में रखा जाता है साथ ही दो बेड के बीच लगभग 70 सेमी की दूरी रखी जाती है।
- जब प्याज़ की नर्सरी तैयार की जा रही हो तब इस बात का ध्यान रखें की निराई सिंचाई आदि कार्य आसानी से हो सके।
- जिस खेत में भारी मिट्टी होती है वहाँ पर जल भराव की समस्या से बचने के लिए बेड की ऊंचाई अधिक रखी जानी चाहिए।
- बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
- नर्सरी की बुआई के पूर्व नर्सरी में मिट्टी उपचार करना भी बहुत आवश्यक होता है। यह उपचार मिट्टी जनित रोगों की रोकथाम के लिए किया जाता है।
- इसके लिए फिप्रोनिल 0.3% GR@ 10 किलो/नर्सरी और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 25 ग्राम/नर्सरी और सी वीड + एमिनो + मायकोराइज़ा@ 25 ग्राम/नर्सरी से उपचारित करें।
- इस प्रकार बीजों को पूरी तरह से उपचारित करके ही लगाना चाहिए एवं बुआई के समय भूमि में पर्याप्त नमी होना चाहिए।
पावडरी मिल्ड्यू एवं डाउनी मिल्ड्यू के लक्षण एवं प्रबंधन
- पावडरी मिल्ड्यू एवं डाउनी मिल्ड्यू एक कवक जनित रोग हैं जो मिर्च की फसल की पत्तियों को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। इसके प्रकोप से होने वाले रोग को भभूतिया रोग के नाम से भी जाना जाता है।
- पावडरी मिल्ड्यू के कारण मिर्च के पौधे की पत्तियों की ऊपरी सतह पर सफेद पावडर दिखाई देता है।
- डाउनी मिल्ड्यू रोग पत्तियों की निचली सतह पर पीले धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं और कुछ समय बाद यह धब्बे बड़े होकर कोणीय हो जाते हैं एवं भूरे रंग के पाउडर में बदल जाते हैं।
- जो भूरा पाउडर पत्तियों पर जमा होता उसके कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया बहुत प्रभावित होती है।
- इस रोग के नियंत्रण के लिए एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% SC@ 300 मिली/एकड़ या एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 23% SC@ 200 मिली/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मंडी भाव: जानें मध्य प्रदेश की अलग अलग मंडियों में क्या चल रहा है भाव?
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में गेहूं का भाव 1900 रूपये प्रति क्विंटल का है। वहीं इस मंडी में प्याज़ का भाव 410 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। बात करें खरगोन मंडी की तो यहाँ गेहूं का भाव 1725 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है और मक्का का भाव 1150 रूपये प्रति क्विंटल है।
उज्जैन के बडनगर मंडी में गेहूं का मॉडल रेट 1943 रूपये प्रति क्विंटल, चना 3900 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 5845 रूपये प्रति क्विंटल, मटर 4301 रूपये प्रति क्विंटल, मेथीदाना 5781 रूपये प्रति क्विंटल, लहसुन 5090 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3674 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
इसके अलावा बात रतलाम के ताल मंडी की करें तो यहाँ गेहूं का भाव 1672 रूपये प्रति क्विंटल, सरसों 4000 रूपये प्रति क्विंटला और सोयाबीन का भाव 3505 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareप्याज़ और लहसुन समृद्धि किट के उपयोग की विधि
- ग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़/लहसुन समृद्धि किट का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
- इस किट की कुल मात्रा 3.2 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
- इसका उपयोग यूरिया, DAP में मिलाकर किया जा सकता है।
- इसका उपयोग 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, या कम्पोस्ट या मिट्टी में भी मिलाकर कर सकते हैं।
- इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
- अगर बुआई समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाएं है तो बुआई बाद 15 से 20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।
मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, जानें आपके क्षेत्र में कैसा रहेगा मौसम का हाल?
पिछले कई दिनों से देश के कई राज्यों में लगातार बारिश हो रही है जिससे जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, बिहार और उत्तरप्रदेश के भी कई क्षेत्रों में बारिश हो रही है। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में हुई बारिश के बाद नदियों का जल स्तर बढ़ने लगा है। इसी वजह से मौसम विभाग ने उत्तराखंड में 14 अगस्त को बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है।
उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश में भी भारी बारिश की संभावना मौसम विभाग की तरफ से जताई जा रही है। इसके अलावा मौसम विभाग ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बृहस्पतिवार को ज्यादातर राज्यों में मूसलाधार बारिश होने की संभावना है जबकि कुछ जगहों पर चमक व गरज के साथ बारिश हो सकती है।
आगामी 24 घंटों का मौसमी पूर्वानुमान पर नजर डालें तो संभावना जताई जा रही है की गुजरात, पूर्वी राजस्थान, कोंकण गोवा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़ और लहसुन समृद्धि किट के इस्तेमाल से फसल को मिलेगी बेहतर बढ़वार
- प्याज़ एवं लहसुन की अच्छी पैदावार के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है प्याज़/लहसुन समृद्धि किट।
- यह किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है।
- इस किट को चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक को मिलाकर बनाया गया है, जो मिट्टी में NPK की पूर्ति करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं एवं ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
- इस किट में जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मृदा जनित रोगजनकों को मारता है जिससे जड़ सड़न, तना गलन आदि जैसी गंभीर बीमारियों से पौधे की रक्षा होती है।
- इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करेगा, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करेगा।
- ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके प्याज़/लहसुन की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में सहायता करता है।
कपास की 90 से 110 दिनों की फसल में छिड़काव प्रबंधन
- कपास की फसल में बहुत अधिक मात्रा में अलग अलग प्रकार के रस चूसक कीटों एवं इल्लियों का प्रकोप होता है। इनमें गुलाबी सुंडी, एफिड, जैसिड, मकड़ी आदि शामिल होते हैं।
- इन कीटों के साथ-साथ कुछ कवक जनित बीमारियाँ भी कपास की फसल को बहुत अधिक प्रभावित करती है जैसे जीवाणु धब्बा रोग, जड़ गलन, तना गलन, अल्टेरनेरिया पत्ती धब्बा रोग आदि।
- गुलाबी इल्ली के प्रबंधन हेतु प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रस चूसक कीट के प्रबंधन हेतु डायफैनथीयुरॉन 50% WP @ 250 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कवक जनित रोगों के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% WP @300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @ 300 मिली/एकड़ या मैंकोजेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- जीवाणु जनित रोगों के लिए स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट + टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड @ 24 ग्राम/एकड़ या कसुंगामायसीन 3% SL @ 400 मिली/एकड़ का उपयोग करें
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन के लिए 00:00:50@ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।