- आलू की फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए ग्रामोफोन लेकर आया है आलू समृद्धि किट।
- यह किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है। इस किट में चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक हैं, जो मिट्टी में NPK की पूर्ति करके फसल के विकास में मदद करते हैं।
- ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।
- इस किट में जैविक फफूंदनाशक ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मृदा जनित रोगजनकों को मारता है जिससे जड़ सड़न, तना गलन आदि जैसी गंभीर बीमारियों से पौधे की रक्षा होती है।
- इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करेगा, साथ ही मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में मदद करेगा।
- ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके आलू की फसल के बेहतर वानस्पतिक विकास में सहायता करता है।
- कम्पोस्टिंग बैक्टेरिया खेत में पड़े पिछली फसल अवशेषों को सड़ा कर एवं गला कर डिकम्पोस्ट कर देता है एवं लाभकारी खाद में बदल देता है यह उत्पाद लाभकारी जीवाणु की संख्या में वृद्धि करता है।
निमेटोड का नियंत्रण कैसे करें?
- निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।
- निमाटोड मिट्टी के अंदर रहकर फसल की जड़ों में गाठ बनाकर रहता है एवं फसल को नुकसान पहुँचाता है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे अच्छा समाधान होता है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए मिट्टी उपचार करना सबसे अच्छा उपाय है।
- रासायनिक उपचार के रूप में कारबोफुरान 3% GR @ 10 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
- फसल की बुआई के पूर्व 50-100 किलो FYM में पेसिलोमायसीस लिनेसियस (नेमेटोफ्री) @ 1 किलो/एकड़ की दर से मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
- जब भी इस उत्पाद का उपयोग किया जाये तब इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।
मध्य प्रदेश के 34 हजार किसानों को प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ मिलेगा
सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत इस साल मध्यप्रदेश में 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इससे करीब 34 हजार किसान लाभान्वित होंगे। यह जानकारी उद्यानिकी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार श्री भारत सिंह कुशवाहा ने दी। इस विषय पर हुई बैठक में श्री कुशवाहा ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के हितग्राहियों के लिए निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने पर विशेष ध्यान दें।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में फल-फूल एवं सब्जी के उत्पादन को प्रोत्साहन देने के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं में स्थानीय किसानों की मांग के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित किए जाएं। राज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में इस वर्ष 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचित करने का लक्ष्य है। योजना में 34 हजार कृषक लाभाविन्त होंगे।
स्रोत: कृषक जगत
Shareलहसुन की फसल में मिट्टी उपचार कैसे करें
- लहसुन की फसल में बुआई से पहले मिट्टी उपचार करने से मिट्टी जनित रोगों का नियंत्रण हो जाता है। मिट्टी उपचार के पहले 50-100 किलो FYM के साथ मेट्राजियम @ 1 किलो कल्चर को मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें।
- इसके अलावा दूसरे आवश्यक तत्व यूरिया @ 40 किलो/एकड़ + डीएपी @ 20 किलो/एकड़ + एसएसपी @ 60 किलो/एकड़ + पोटाश @ 40 किलो/एकड़ की दर से बुआई से पूर्व खेत में भुरकाव करें।
- यह सभी तत्व लहसुन की बुआई के समय अच्छे अंकुरण के लिए बहुत आवश्यक होते हैं।
- इसके साथ ही ग्रामोफ़ोन लेकर आया है लहसुन समृद्धि किट, इस किट में कई उत्पाद संलग्न हैं, जैसे एनपीके बैक्टीरिया का कंसोर्टिया, ज़िंक सोलुब्लाइज़िंग बैक्टीरिया, ट्राइकोडर्मा विरिडी, ह्यूमिक एसिड, समुद्री शैवाल, अमीनो एसिड एवं मायकोराइज़ा।
- इन सभी उत्पादों को मिलाकर इस किट को तैयार किया गया है। इस किट का कुल वज़न 3.2 किलो है जो एक एकड़ के खेत के लिए पर्याप्त है।
- इसे बुवाई के पहले 50-100 किलो FYM के साथ मिलाकरखाली खेत में भुरकाव करें।
- यह किट लहसुन की फसल को सभी जरूरी पोषक तत्व प्रदान करती है।
लहसुन की फसल में बीज़ उपचार कैसे करें?
- लहसुन की उन्नत खेती के लिए बुआई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक माना जाता है।
- ऐसा करने से फसल को बहुत प्रकार की कवक जनित बीमारियों के प्रकोप से बचाया जा सकता है साथ ही फसल को एक अच्छी शुरुआत भी मिलती है।
- हम बीज उपचार रासायनिक एवं जैविक दो विधियों से कर सकते हैं।
- रासायनिक उपचार: बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम + PSB बैक्टेरिया @ 2 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
मंडी भाव: मध्य प्रदेश के मंडियों में क्या है गेहूं, मक्का, सोयाबीन का भाव
इंदौर के गौतमपुरा मंडी में प्याज़ का भाव 450 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है। वहीं खरगोन मंडी की बात करें तो यहाँ गेहूं, चना और मक्का का भाव क्रमशः 1680, 4070, 1170 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
उज्जैन के बडनगर मंडी में गेहूं का मॉडल रेट 1660 रूपये प्रति क्विंटल, सरसों 4490 रूपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 5499 रूपये प्रति क्विंटल, मटर 4000 रूपये प्रति क्विंटल, मेथीदाना 3871 रूपये प्रति क्विंटल, लहसुन 6500 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3550 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
इसके अलावा बात रतलाम के ताल मंडी की करें तो यहाँ गेहूं का भाव 1700 रूपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन का भाव 3580 रूपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareप्याज़ की नर्सरी में ऐसे करें मिट्टी उपचार
- जिस खेत या क्यारी में प्याज़ के बीज की बुआई की जानी उस खेत या क्यारी का बुआई पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
- मिट्टी उपचार करने से मिट्टी जनित कीटों एवं कवकों से पौध की रक्षा हो जाती है।
- आपको पता होगा की फसलों के जो अवशेष खेत में रह जाते है उन अवशेषों में हानिकारक कवकों एवं कीटों के उत्पन्न होने संभावना बनी रहती है।
- इन्हीं कवकों एवं कीटों के नियंत्रण लिए बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार करना बहुत आवश्यक होता है। मिट्टी उपचार हम रासायनिक एवं जैविक दो विधियों से कर सकते हैं।
- रासायनिक उपचार: फिप्रोनिल 0.3% GR@ 25 ग्राम/नर्सरी उपचारित करना चाहिए।
- जैविक उपचार: FYM @ 10 किलो/नर्सरी और ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 25 ग्राम/नर्सरी और सीवीड, एमिनो, मायकोराइज़ा@ 25 ग्राम/नर्सरी उपचारित करें।
प्याज़ की फसल में ऐसे करें बीज़ उपचार
- जिस प्रकार बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार बुआई के पूर्व बीज उपचार भी बहुत आवश्यक होता है।
- बीज उपचार करने से बीज जनित रोगों का नियंत्रण होता है। साथ ही अंकुरण भी अच्छा होता है।
- बीज उपचार रासायनिक और जैविक दो विधियों से किया जाता है
- रासायनिक उपचार: बुआई से पहले प्याज़ के बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 17.5% + थायरम 17.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो + PSB @ 2 ग्राम/किलो बीज़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर बीज उपचार करें।
भारी बारिश की वजह से देश के इन इलाकों में बाढ़ का खतरा, अगले दो-तीन दिन होती रहेगी बारिश
मौसम के बदले मिज़ाज और भारी बारिश के कारण देश के कई राज्यों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। मौसम विभाग के अनुसार अभी मौसम बदलने की संभावना नहीं है और ख़ास कर के मध्य-भारत में अगले कुछ दिन भारी बारिश होने की संभावना है।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, पश्चिम मध्यप्रदेश के आस-पास के क्षेत्रों और राजस्थान व दक्षिण गुजरात के कुछ हिस्सों में बाढ़ का मध्यम खतरा बना हुआ है। इसके अलावा मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले दिनों में पूर्वी उत्तराखंड और राजस्थान में भारी होने की संभावना जताई है।
मौसम विभाग के अनुसार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश के बाकी हिस्सों, पूर्वी राजस्थान, ओडिशा के कुछ हिस्सों, आंध्रप्रदेश और केरल के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। आने वाले 24 घंटों में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, झारखंड और उत्तरी मध्य महाराष्ट्र में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की फसल में फूल गिरने की समस्या का कैसे करें निदान
- कपास की फसल में फूल आने की अवस्था बहुत महत्वपूर्ण अवस्था होती है।
- इस समय तापमान, फसल में लगने वाले कीटों एवं कवकों के कारण भी फूल गिरने की समस्या हो जाती है।
- इस समस्या के निवारण के लिए समय पर उपाय करना बहुत जरुरी होता है।
- यदि कपास की फसल में फूल गिरने की समस्या है तो होमोब्रेसिनोलाइड@ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। इसके उपयोग से कपास में फूल गिरने से रोका जा सकता है।
- इसी के साथ एमिनो एसिड @ 300 मिली/एकड़ और जिब्रेलिक एसिड@ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करने से फूल निर्माण एवं डेंडू निर्माण को बढ़ाया जा सकता है।
