एक वेस्टर्न डिस्टरबेंस पहाड़ों पर पहुंच चुका है जिसके प्रभाव से ऊंचे पर्वतों पर हल्की बर्फबारी और हल्की बारिश हो सकती है। इसके प्रभाव से एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पाकिस्तान और पंजाब के ऊपर है। इसके कारण उत्तर भारत में हवाओं की दिशा बदली है तथा हवा की गति कम होने से कोहरा छाया हुआ है। दिल्ली का प्रदूषण आती खतरनाक श्रेणी में पहुंच चुका है। 2 दिन बाद उत्तर पश्चिम दिशा से हवाएं चलेंगी जिससे सर्दी बढ़ेगी तथा कोहरा छटेगा। निम्न दबाव का क्षेत्र अब तमिलनाडु के पास है इसके प्रभाव से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और उड़ीसा के कई जिलों में तेज बारिश की संभावना है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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यह भिंडी की फसल में आने वाली एक प्रमुख समस्या है जो सफ़ेद मक्खी नामक कीट के कारण होती है।
यह समस्या भिंडी की सभी अवस्था में दिखाई देती है और फसल वृद्धि एवं उपज को प्रभावित करती है।
इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती हैं एवं बाद में पत्तियां पीली होकर मुड़ने लग जाती हैं।
इससे प्रभावित फल हल्के पीले, विकृत और सख्त हो जाते हैं।
प्रबंधन:
वायरस से ग्रसित पौधों और पौधे के भागों को उखाड़ के नष्ट कर देना चाहिए।
कुछ किस्में जैसे मोना, वीनस प्लस, परभणी क्रांति, अर्का अनामिका इत्यादि विषाणु के प्रति सहनशील होती हैं। इनकी बुआई कर सकते हैं।
पौधों की वृद्धि अवस्था में उर्वरकों का अधिक उपयोग न करें।
जहाँ तक हो सके भिंडी की बुवाई समय से पहले कर दें।
फसल में उपयोग होने वाले सभी उपकरणों को साफ रखें ताकि इन उपकरणों के माध्यम से यह रोग अन्य फसलों में ना पहुंच पाए।
जो फसलें इस बीमारी से प्रभावित होती हैं उन फसलों के साथ भिंडी की बुवाई ना करें।
यांत्रिक विधि से सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए 10 चिपचिपे प्रपंच/एकड़ की दर से उपयोग कर सकते हैं।
रासायनिक नियंत्रण के लिए डाइफेंथियूरॉन 50% WP @ 250 ग्राम या एसिटामिप्रिड 20% SP @ 100 ग्राम या इमिडाइक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिली/एकड़ की दर से स्प्रे करें।
कृषि प्रक्रिया एवं किसानों से सम्बंधित ऐसी ही जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख प्रतिदिन जरूर पढ़ें। इस लेख को नीचे दिए शेयर बटन से अपने मित्रों के साथ साझा करना ना भूलें।
पहाड़ों के ऊपर एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ को पहुंचने वाला है। इसके प्रभाव से ऊंचे पहाड़ों पर हल्की बर्फबारी और हल्की बारिश हो सकती है। मैदानी इलाकों में तापमान गिर रहे हैं। हरियाणा और राजस्थान के कुछ भागों में तापमान शून्य के आसपास आ गए हैं। बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव का क्षेत्र बनने वाला है जो तमिलनाडु की तरफ आगे बढ़कर भारी बारिश दे सकता है। देश के अधिकांश भागों में दिन और रात के तापमान में हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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सरसों के मंडी भाव में तेजी देखने को मिल रही है। देखिये मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं सरसों के भाव!
मध्य प्रदेश की मंडियों में सरसों के ताजा मंडी भाव
जिला
कृषि उपज मंडी
किस्म
न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
शाजापुर
आगर
सरसों
5280
5280
अशोकनगर
अशोकनगर
सरसों
4141
5665
अशोकनगर
अशोकनगर
सरसों-जैविक
5450
5680
सीहोर
आष्टा
सरसों
5905
5955
सीहोर
आष्टा
सरसों(काला)
5401
5401
शिवपुरी
बदरवास
सरसों
5655
5655
रीवा
बैकुंठपुर
सरसों
5650
5650
राजगढ़
ब्यावरा
सरसों
5300
5570
सागर
बीना
सरसों
5400
6516
दमोह
दमोह
सरसों
5310
5310
देवास
देवास
सरसों
5870
5870
विदिशा
गंज बासौदा
सरसों
3750
5600
रीवा
हनुमना
सरसों
5300
5300
हरदा
हरदा
सरसों
5351
5401
इंदौर
इंदौर
सरसों
4650
4650
होशंगाबाद
इटारसी
सरसों
5385
5385
जबलपुर
जबलपुर
सरसों
5080
5080
कटनी
कटनी
सरसों
5435
6380
कटनी
कटनी
सरसों(काला)
5350
5690
सागर
खुरई
सरसों
6210
6210
शिवपुरी
कोलारस
सरसों
5000
5885
राजगढ़
कुरावर
सरसों
5320
5400
नीमच
मनसा
सरसों
5600
5600
मन्दसौर
मन्दसौर
सरसों
5610
5764
मुरैना
मुरैना
सरसों
5925
5950
सतना
नागोद
सरसों(काला)
5600
5600
राजगढ़
नरसिंहगढ़
सरसों
4900
4900
नीमच
नीमच
सरसों
4900
5780
दमोह
पथरिया
सरसों
5105
5105
मुरैना
पोरसा
सरसों(काला)
5855
5865
रीवा
रीवा
सरसों(काला)
5361
5423
सागर
सागर
सरसों
4900
5300
सतना
सतना
सरसों
5050
6100
सीहोर
सीहोर
सरसों(काला)
5370
5370
शाजापुर
शाजापुर
सरसों
5320
5320
श्योपुर
श्योपुरकलां
सरसों
5570
5760
स्रोत: एगमार्कनेट
खेती से सम्बंधित जानकारियों और ताजा मंडी भाव जानने के लिए पढ़ते रहें ग्रामोफ़ोन के लेख। आज की जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने मित्रों के साथ शेयर जरूर करें।
आमतौर पर शीतकाल की लंबी रातें बहुत ज्यादा ठंडी होती हैं और कई बार तापमान हिमांक पर या इससे भी नीचे चला जाता है। ऐसी स्थिति में जलवाष्प बिना तरल रूप में परिवर्तित हुए सीधे ही सूक्ष्म हिमकणों में परिवर्तित हो जाते हैं इसे पाला कहते हैं पाला फसलों और वनस्पतियों के लिए बहुत हानिकारक होता है।
पाले के प्रभाव से चने की फसल में पत्तियां एवं फूल झुलसे हुए दिखाई देते हैं एवं बाद में झड़ जाते हैं। यहां तक कि अधपके फल सिकुड़ भी जाते हैं, उनमें झुर्रियां पड़ जाती हैं एवं कलिया गिर जाती हैं। इन फलियों में दाने भी नहीं बनते हैं।
अपनी फसल को पाले से बचाने के लिए आप अपने खेत के चारो तरफ धुंआ करें। इससे तापमान संतुलित हो जाता है एवं पाले से होने वाली हानि से बचा जा सकता है।
जिस दिन पाला पड़ने की संभावना हो उस दिन फसल पर गंधक का 0.1 प्रतिशत घोल बनाकर छिड़काव करें।
ध्यान रखें कि पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह गिरे। छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है। यदि इस अवधि के बाद भी शीतलहर व पाले की संभावना बनी रहे तो गंधक का छिड़काव 15 से 20 दिन के अंदर से दोहराते रहें।
जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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पहाड़ों पर एक नया वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ रहा है। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव फिर बन गया है। इनकी वजह से ऊंचे पहाड़ों पर बर्फबारी होने की संभावना है। तमिलनाडु में भारी बारिश के आसार हैं। कर्नाटक, केरल, और आंध्र प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में चल रही भारी बारिश की गतिविधियों में कुछ कमी आएगी। पंजाब से लेकर हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सहित मध्य प्रदेश में शीतलहर के साथ पाला गिरने की संभावना है। राजस्थान, महाराष्ट्र सहित पूर्वी और उत्तर पूर्वी भारत मौसम शुष्क और सर्द बने रहेंगे।
स्रोत: स्काइमेट वेदर
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अंडे: इस कीट के अंडे आकार में गोलाकार होते हैं और क्रीम से सफेद रंग के होते हैं।
प्यूपा: प्यूपा भूरे रंग का होता है, जो मिट्टी, पत्ती, फली और पुरानी फसल के अवशेष में पाया जाता है।
वयस्क: हल्के पीले से भूरे पीले रंग का दिखाई देता है। इसके अग्र पंखों का रंग हल्के भूरे से गहरा भूरा होता है जिसके ऊपर वी के आकार की संरचना पाई जाती है। इसके पिछले पंख मटमैले सफेद रंग के होते हैं, जिनके बाहरी मार्जिन काले रंग के होते हैं।
क्षति के लक्षण:
इसका लार्वा पत्ती में उपस्थित हरे भाग (क्लोरोफिल) को खाना शुरू कर देता है, जिससे अंत में पत्ते की केवल शिराए ही दिखाई देती हैं। इसके बाद ये लार्वा फूलों और हरी फली को खाना शुरू कर देते हैं। लार्वा फली में छेद कर अंदर प्रवेश कर फली के अंदर उपस्थित सारे भाग को खा कर उसे खोखला कर देता है।
प्रबंधन:
रासायनिक नियंत्रण के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% एसजी @ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
“T” आकार की 20-25 खपच्चियाँ प्रति एकड़ की दर से खेत में लगाएं। यह खपच्चियाँ चने की ऊँचाई से 10-20 सेंटीमीटर अधिक ऊंची लगाना लाभदायक रहता है। इन खपच्चियो पर मित्र कीट जैसे चिड़िया, मैना, बगुले आदि आकर बैठते हैं जो फली छेदक का भक्षण कर फसल को नुकसान से बचाते हैं।
फेरोमोन ट्रैप हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा 10 प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें l
बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
फसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।
आजकल मौसम में हो रहे परिवर्तन के कारण गेहूँ की फसल में फॉल आर्मी वर्म का प्रकोप देखने को मिल रहा है।
यह कीट दिन में मिट्टी के ढेलों, पुआल के ढेर में छिपा रहता है और रात में गेहूँ की फसल को नुकसान पहुंचाता है।
यह कीट पत्तियों को खाकर उन पर खिड़कियों के समान छेद कर देते हैं। इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में पूरी फसल को खाकर खत्म कर देते हैं।
यह कीट गेहूँ की बालियों को भी नुकसान पहुंचाता है। पक्षी भी इस कीट को खा कर इसका नियंत्रण कर सकते हैं।
पक्षिओं को खेत में आकर्षित करने के लिए 4-5/एकड़ के ‘’T’’ आकार की खूँटी का उपयोग करें। इन खूँटियों पर बैठकर पक्षी कीटों को खाते हैं।
बहरहाल इस कीट का प्रबंधन/नियंत्रण आवश्यक है। जिन क्षेत्रों में सैनिक कीट की संख्या अधिक है उन क्षेत्रों में निम्नांकित किसी एक कीटनाशी का छिड़काव तत्काल किया जाना चाहिए।
नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ या क्लोरांट्रानिलप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या इमाबेक्टीन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ का इस्तेमाल करें।
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रबी मौसम के लिए दिसंबर का महीना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, इस महीने में अगेती फसलों की देखभाल से लेकर पछेती किस्मों की बुवाई तक का काम किया जाता है।
इस महीने तापमान में गिरावट आने लगती है, इसलिए फसल को पाले से बचाने के लिए बेहद सजगता बरतनी पड़ती है।
जिन किसान भाइयों ने गेहूँ की बुवाई अभी तक नहीं की है वो इस माह के प्रथम पखवाड़े तक बुवाई (पछेती किस्म) कर लें।
इस माह में सरसों में फूल आने का समय होता है इसलिए इस समय सिंचाई अवश्य करें।
जिन किसानों ने मटर लगाई है वह फूल आने के पहले हल्की सिंचाई कर दें एवं छाजया रोग के लिए उचित प्रबंध करें।
किसान भाई अगर मसूर की फसल लेना चाहते हैं तो पछेती किस्मों का चुनाव कर बुवाई कर सकते हैं।
आलू की फसल लेने वाले किसान भाइयों को झुलसा रोग एवं विषाणु जनित रोग से फसल बचाव का विशेष ध्यान रखना होगा।
बागवानी वाले किसान अपनी फसलों जैसे अमरूद आदि में फल मक्खी के प्रबंधन के लिए उपाय अपनाएं।
नींबू, संतरा, अमरूद की उचित समय पर तुड़ाई कर मंडी पहुंचाएं।
चारे के लिए बोई गई फसलें जैसे बरसीम आदि की कटाई कर सकते हैं।
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