12 से 14 अगस्त तक इन राज्यों में हो सकती है भारी मानसूनी बारिश

Possibility of heavy rains in many states, Orange alert issued

आने वाले दिनों में मौसम एक बार फिर बदलने वाला है। पिछले दिनों महाराष्ट्र तथा बिहार में मूसलाधार बारिश देखने को मिली है। अब बताया जा रहा है की अगले दो दिनों में महाराष्ट्र में फिर से भारी बारिश हो सकती है। महाराष्ट्र के अलावा देश के उत्तरी भागों में भी आने वाले कई दिनों तक मानसून के सक्रिय रहने की संभावना है। उत्तर भारत के पर्वतीय राज्यों के साथ-साथ मैदानी क्षेत्रों में भी आने वाले दिनों में बारिश की संभावना है जिससे मौसम का मिज़ाज बदलेगा। मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान में भी आने वाले दिनों में मानसून की बारिश हो सकती है।

प्राइवेट मौसम एजेंसी स्‍काईमेट वेदर के मुताबिक, गुजरात में आने वाला हफ्ता बारिश से भरपूर रहेगा और 17 अगस्त तक गुजरात के कई क्षेत्र में अच्छी बारिश होगी। इसके अलावा दिल्ली-एनसीआर और नॉर्थ वेस्ट इंडिया में भी अब मानसून सक्रिय नजर आ रहा है। पूर्व राजस्थान, उत्तर मध्‍य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के कुछ हिस्सों में तेज बारिश होने की संभावना है।

स्रोत: कृषि जागरण

Share

सोयाबीन की फसल में तम्बाकू की इल्ली का नियंत्रण

Control of Tobacco caterpillar in soybean crop
  • इस कीट का लार्वा सोयाबीन की पत्तियों को खुरच कर क्लोरोफिल को खाता है, जिसके कारण खाए गए पत्ते पर सफेद पीले रंग के जालनुमा संरचना नजर आते हैं।
  • हल्की मिट्टी में, लार्वा जड़ों तक पहुँच कर नुकसान पहुँचा सकते हैं। दिन के वक़्त लार्वा आमतौर पर सोयाबीन की पत्तियों की निचली सतह पर छिपे रहते हैं या फिर पौधों के आधार के आसपास की मिट्टी में छिपे रहते हैं।
  • अत्यधिक संक्रमण होने पर पत्तियों को नुकसान पहुंचाने के बाद ये कीट सोयाबीन के कलियों, फूलों और फली को खा जाते हैं जिससे पौधे पर सिर्फ तना और डण्डीया दिखाई देती हैं।
  • इसके प्रबंधन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिलीग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC @ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

मिर्च की फसल में एन्थ्रेक्नोज रोग के लक्षण एवं निवारण की विधि

Symptoms and Measures of Anthracnose disease in chillies
  • मिर्च की फसल में इस बीमारी के लक्षण पौधे में पत्ती, तना और फल पर नजर आते हैं।
  • मिर्च के फल पर छोटे, गोलाकार धब्बे दिखाई देते हैं, जो बाद में धीरे-धीरे फैलकर आपस में मिल जाते हैं।
  • इसके कारण फल बिना पके ही गिरने लगते हैं, जिससे उपज में भारी नुकसान होता है।
  • यह एक कवक जनित रोग है जो सबसे पहले मिर्च के फल के डंठल पर आक्रमण करता है और बाद में पूरे पौधे पर फैल जाता है।
  • इस रोग के नियंत्रण के लिए टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC@ 250 मिली/एकड़ या कैपटान 70% + हेक्साकोनाज़ोल 5% WP@ 250 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन 48% EC@ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

8.55 करोड़ किसानों को पीएम किसान योजना से मिले 17,100 करोड़ रूपये

PM kisan samman

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) योजना के अंतर्गत 8.55 करोड़ से अधिक किसानों को 17,100 करोड़ रुपये की छठी किस्त जारी कर दी है।

किसानों के लिए इस बड़ी रकम को जारी करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “एक देश, एक मंडी के जिस मिशन को लेकर बीते 7 साल से काम चल रहा था, वो अब पूरा हो रहा है। पहले e-NAM के जरिए, टेक्नोलॉजी आधारित एक बड़ी व्यवस्था बनाई गई. अब कानून बनाकर किसान को मंडी के दायरे से और मंडी टैक्स के दायरे से मुक्त कर दिया गया। अब किसान के पास अनेक विकल्प हैं।”

ग़ौरतलब है की पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त के पहले हफ्ते में छठी क़िस्त आने वाली थी और तय वक़्त पर यह रकम किसानों के खातों में भेज भी दी गई है।

स्रोत: एबीपी लाइव

Share

मिर्च की फसल में फल छेदक कीट का प्रबंधन

  • मिर्ची के फल पर एक गोलाकार छेद पाया जाता हैं जिसके कारण फल और फूल परिपक्व होने से पहले ही गिर जाते हैं।
  • यह इल्ली छोटी अवस्था में मिर्च की फसल पर विकसित नए फल को खाती है तथा जब फल परिपक्व हो जाते हैं तब यह बीजों को खाना पसंद करती है।
  • इस दौरान इल्ली अपने सिर को फल के अंदर रख कर बीजों को खाती है एवं इल्ली का बाकी शरीर फल के बाहर रहता हैं।
  • इसके प्रबंधन के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

फसलों के लिए जैविक NPK का महत्व

  • जैविक NPK में नाईट्रोज़न, फॉस्फोरस, पोटाश शामिल होते हैं।
  • यह तीन मुख्य पोषक तत्व हैं जो फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण होते हैं।
  • जैविक NPK मिट्टी की सरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाता है।
  • जैविक NPK पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में सहायक की भूमिका निभाता है।
  • मिट्टी में उपस्थित अघुलनशील फॉस्फोरस एवं पोटाश को घुलनशील रूप में परिवर्तित करता है और वायुमंडलीय नाइट्रोज़न को सरल रूप में परिवर्तित करता है।
  • यह फसलों में दाना भरने एवं दाना पकने की क्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • जैविक NPK फसल सुधारक की तरह कार्य करता है।
Share

निमेटोड क्या है?

What is Nematode
  • निमेटोड यानी सूत्रकृमि पतले धागे के समान होते है। इनका शरीर लंबा बेलनाकार व बिना खंडों का होता है।
  • फसल के लिए यह परजीवी की तरह होता है, यह मिट्टी में या पौधों के ऊतकों में रहते हैं एवं पौधे की जड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • इसके प्रकोप के कारण पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं एवं पौधा मुरझा जाता है जिसके कारण पौधे में फल नहीं लगते हैं।
  • इसके प्रकोप का सबसे मुख्य लक्षण पौधों की जड़ में देखने को मिलता है और जड़ें सीधी ना होकर आपस में गुच्छा बना लेती हैं एवं जड़ों में गांठे दिखाई देती हैं।
  • इसका प्रकोप सभी फसलों पर होता है और इसके नियंत्रण के लिए जैविक उपचार ही सबसे कारगर उपाय माना जाता है।
Share

फसलों में एमिनो एसिड का महत्व

  • यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाला एक प्राकृतिक अवयव है, यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक होता है।
  • यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, जिससे जड़ पूरी तरह से विकसित होती है, जो फसल के अच्छे उत्पादन का कारण बनती है।
  • यह मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है।
  • यह जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में मदद करता है।
  • यह पौधों के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण सूक्ष्म पोषक तत्वों में से एक है।
  • एमिनो एसिड पौधों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को बढ़ावा देता है।
Share

हेलिकोवरपा आर्मीजेरा का नियंत्रण कैसे करें?

  • हेलिकोवरपा आर्मीजेरा एक बहुत ही हानिकारक एवं बहुभक्षीय कीट है जिसे फल व फली छेदक कीट के रूप में भी जाना जाता है।
  • इस कीट का प्रकोप सभी फसलों पर होता है, मुख्य रूप से इसका प्रकोप चना, मटर, कपास, अरहर, भिन्डी, टमाटर व गोभी में अधिक देखा गया है।
  • हेलिकोवरपा आर्मीजेरा (फल व फली छेदक कीट) की केवल सुण्डियां ही नुकसान पहुंचाती हैं। इस कीट का प्रकोप फसल की शुरूआती अवस्था से ही शुरू हो जाता है।
  • यह कीट पहले पौधे के नरम भागों को और बाद में फल एवं बीज को खाता है।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ या फ्लूबेण्डामाइड 20% WG @ 100 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ या नोवालूरान 5.25% + इमामेक्टिन बेंजोएट 0.9% SC@ 600 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
Share

बवेरिया बेसियाना का फसलों में महत्व

Beauveria bassiana
  • बवेरिया बेसियाना एक जैविक कीटनाशक है। यह दरअसल एक प्रकार का फफूंद है जिसका उपयोग सभी फसलों में लगने वाले सभी प्रकार के कीटों के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  • बवेरिया बेसियाना का उपयोग विभिन्न प्रकार की लेपिडोप्टेरा वर्ग की सुंडियों जैसे चने की सुंडी, बालदार सुंडी, रस चूसने वाले कीट, एफिड, फुदको, सफेद मक्खी, दीमक तथा मकड़ी आदि के नियंत्रण के लिए किया जाता है।
  • यह कीटों की सभी अवस्थाएं जैसे अण्डे, लार्वा, प्यूपा, ग्रब और निम्फ इत्यादि पर आक्रमण करके उनको ख़त्म कर देता है।
  • बवेरिया बेसियाना का उपयोग छिड़काव के रूप में किया जा सकता है क्योंकि यह फसल की पत्तियों पर चिपक कर वहाँ पर अपनी क्रिया द्वारा पत्तियों पर उपस्थित रस चूसक कीटों एवं सुंडी वर्गीय कीटों को खत्म करने का काम करता है।
  • इसका उपयोग मिट्टी उपचार में भी किया जा सकता है क्योंकि यह मिट्टी में जाकर वहाँ उपस्थित मिट्टी जनित कीटों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
Share