- छोटे दाने की फसलों, सब्जियों, बड़े बीज़ एवं कंद वाली फसलें जैसे आलू, लहसुन, प्याज़ आदि में बीज जनित रोंगो के नियंत्रण हेतु बीज उपचार बहुत प्रभावकारी होता है।
- मृदा जनित कवक, जीवाणु व सूत्रकृमि से बीज व तरुण पौधों को बचाने के लिए बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं। बीज उपचार करने से रसायन बीज के चारों ओर रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है।
- बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती है, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है और भण्डारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है।
- भंडार में रखने से पूर्व बीज को किसी उपयुक्त कीटनाशक से उपचारित कर देने से भंडारण के दौरान एवं बुआई के बाद मिट्टी भी बीजों को सुरक्षित रखता है। कीटनाशक का चयन संबंधित फसल बीज के प्रकार और भंडारण अवधि के आधार पर किया जाता है।
मिर्च की फसल में सफेद ग्रब का प्रबंधन कैसे करें?
- सफ़ेद ग्रब सफेद रंग का कीट है जो खेत में सुप्तावस्था में ग्रब के रूप में रहता है।
- आमतौर पर प्रारंभिक रूप में ये जड़ों में नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद ग्रब के प्रकोप मिर्च के पौधे एकदम से मुरझा जाते हैं, पौधे की बढ़वार रूक जाती है और बाद में पौधा मर जाता है।
- इस कीट के नियंत्रण हेतु मेट्राजियम (kalichakra) 2 किलो + 50-75 किलो FYM/कम्पोस्ट के साथ मिलाकर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें।
- लेकिन यदि मिर्च की फसल की अपरिपक्व अवस्था में भी इस कीट का प्रकोप दिखाई दे रहा हो तो सफेद ग्रब के नियंत्रण के लिए रासायनिक उपचार भी किया जा सकता है।
- इसके लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 500 मिली/एकड़, क्लोथियानिडिन 50.00% WG @ (डोन्टोटसु) 100 ग्राम/एकड़ को मिट्टी में मिला कर उपयोग करें।
मध्यप्रदेश के कई जिलों में होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
आने वाले कुछ दिनों में मध्यप्रदेश के कई जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है। मौसम विभाग के अनुसार मध्य प्रदेश के 6 जिलो में भारी बारिश हो सकती है और इसे लेकर अलर्ट भी जारी कर दिया गया है। राज्य के उमरिया, कटनी, जबलपुर, पन्ना, दमोह, सागर जिले में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है। इन जिलों में गरज-चमक के साथ अति भारी बारिश होने का साथ बिजली गिरने की संभावना है।
इसके अलावा रीवा संभाग के जिलों के साथ-साथ 10 अन्य जिलों में भी गरज-चमक के साथ तेज बारिश होने का अनुमान मौसम विभाग ने जताया गया है। इसके अलावा इन क्षेत्रों में बिजली गिरने की भी चेतावनी दी गई है।
मध्यप्रदेश के अनुपपुर, डिंडोरी, शहडोल, सिवनी, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, मंडला, बालाघाट, छतरपुर, टीकमगढ़ में भी भारी वर्षा तथा गरज चमक के साथ बिजली चमकने और गिरने की संभावना जताई गई है। इन जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।
स्रोत: ज़ी न्यूज़
Shareसोयाबीन की फसल में पीलेपन की समस्या का क्या है समाधान?
- सोयाबीन की फसल में बहुत अधिक मात्रा में पीलेपन की शिकायत होती है।
- सोयाबीन के पत्तों का पीलापन सफ़ेद मक्खी के कारण होने वाले वायरस एवं मिट्टी के पीएच और अन्य पोषक तत्वों की कमी, कवक जनित बीमारियों सहित कई अन्य कारकों के कारण हो सकता है।
- सोयाबीन की फसल को एवं इसकी उपज को कोई नुकसान पहुँचाये बिना इस समस्या के प्रबंधन के उपाय करना बहुत आवश्यक है।
- सोयाबीन की फसल में नए एवं पुराने पत्ते और कभी-कभी सभी पत्ते हल्के हरे रंग या पीले रंग के हो जाते हैं, टिप पर क्लोरोटिक हो जाती है एवं गंभीर तनाव में पत्तियां मर भी जाती है। इसकी वजह से पूरे खेत में फसल पर पीलापन दिखाई दे सकता है।
- इस समस्या में कवक जनित रोगों के समाधान लिए टेबुकोनाज़ोल 10% + सल्फर 65% WG @ 500 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ हेक्साकोनाज़ोल 5% SC @400 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के लिए ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- पोषण की कमी की पूर्ति के लिए 00:52:34 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- कीट प्रकोप के कारण यदि पीलापन हो तो एसिटामिप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़ या फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मिर्च के पौधों के पत्ती मुड़ने की समस्या और निवारण के उपाय
- सफेद मक्खी जैसे रस चूसक कीट मिर्च के पौधों में पत्ते मुड़ने की समस्या के वाहक होते हैं।
- सफेद मक्खी वायरस फैलाने का कार्य करती है जिससे चुरा-मुरा (लीफ कर्ल वायरस) के नाम से जाना जाता है। इस वायरस के कारण भी पत्तियाँ क्षतिग्रस्त होती हैं।
- इसके कारण परिपक्व पत्तियों पर उभरे हुऐ धब्बे बन जाते हैं एव पत्तियां छोटी कटी – फटी सी हो जाती हैं।
- इसके कारण पत्तियाँ सूख सकती हैं या गिर भी सकती हैं एवं मिर्च की फसल के विकास को भी अवरुद्ध कर सकती हैं।
- वायरस जनित इस समस्या के लिए प्रीवेंटल BV @ 100 ग्राम/एकड़ का उपयोग करें।
- वायरस के वाहक कीटों के नियंत्रण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP @ 400 ग्राम/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 250 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
किसानों को बैंकों ने दी बड़ी राहत, नहीं चुकाना पड़ेगा अवधिपार लोन का 50% ब्याज
किसानों को राहत देने के लिए सरकार की तरफ से एक बड़ा निर्णय किया गया है। सहकारी भूमि विकास बैंकों से लोन लेने वाले किसानों के हित में एक मुश्त समझौता योजना की स्वीकृति दी गई है।
इसके अंतर्गत लोन लेने वाले अवधिपार श्रेणी के किसानों के अवधिपार ब्याज एवं दंडनीय ब्याज को 50% तक माफ कर दिया गया है। इस निर्णय के बाद अब किसानों को ब्याज के रूप में करीब 239 करोड़ रुपए कम देने होंगे।
इसके साथ ही ऐसे अवधिपार ऋणी किसान जिनकी मृत्यु हो चुकी है, उनके परिवार को किसान की मृत्यु की तारीख से सम्पूर्ण बकाया ब्याज, दंडनीय ब्याज एवं वसूली खर्च को पूरी तरह से माफ कर दिया गया है।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareकपास की फसल में सफेद मक्खी के लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय
- यह कीट शिशु एवं वयस्क दोनों ही अवस्था में कपास की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुँचाते हैं।
- यह पत्तियों का रस चूसकर पौधे के विकास को बाधित कर देते हैं।
- यह कीट पौधे पर उत्पन्न होने वाली काली कवक नामक हानिकारक कवक के संक्रमण का कारण भी बनती है।
- इसके अधिक प्रकोप की स्थिति में कपास की फसल पूर्णतः संक्रमित हो जाती है।
- फसल के पूर्ण विकसित हो जाने पर भी इस कीट का प्रकोप होता है और इसके कारण कपास के पौधों की पत्तियां सूख कर गिर जाती हैं।
- प्रबंधन: इस कीट के नियंत्रण के लिए डायफैनथीयुरॉन 50% WP @250 ग्राम/एकड़ या फ्लोनिकामिड 50% WG @ 60 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ या पायरीप्रोक्सीफैन 10% + बॉयफैनथ्रिन 10% EC @ 250मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
प्याज़ की नर्सरी में छिड़काव प्रबंधन
- प्याज़ की नर्सरी में बुआई के सात दिनों के अंदर छिड़काव प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- यह छिड़काव कवक जनित बीमारियों, कीट के नियंत्रण, एवं पोषण प्रबंधन लिए किया जाता है।
- इस समय छिड़काव करने से प्याज़ की नर्सरी को एक अच्छी शुरुआत मिलती है।
- कवक जनित रोगों लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% @ 30 ग्राम/पंप की दर छिड़काव करें।
- कीट प्रबंधन के लिए थियामेंथोक्साम 25% WG@ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
- पोषण प्रबंधन के लिए ह्यूमिक एसिड@ 10 ग्राम/पंप की दर से छिड़काव करें।
1.22 करोड़ किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना का मिला लाभ
कोरोना महामारी से किसानों को बहुत ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा है। इस दौरान किसानों को पैसे की कमी ना हो इसका ख्याल सरकार की तरफ से रखा गया और केंद्र सरकार के तरफ से जारी आकड़ों के अनुसार 17 अगस्त 2020 तक देश भर में 1.22 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गये।
इन सभी किसान कार्ड धारी को 1,02,065 करोड़ रूपये की ऋण सीमा के साथ स्वीकृति भी दी गई है। सरकार का ऐसा मानना है कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने और कृषि क्षेत्र के विकास की गति तेज करने में काफी मदद मिलेगी |
स्रोत: किसान समाधान
Shareमिट्टी समृद्धि किट का महत्व
- ग्रामोफोन लेकर आया है रबी फसलों के लिए मिट्टी समृद्धि किट।
- यह किट मिट्टी में पाए जाने वाले आवश्यक पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में परिवर्तित करके पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- यह किट मिट्टी को अघुलनशील रूप में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को घुलनशील रूप में बदल कर पौधे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
- मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक कवकों को खत्म करके पौधे को होने वाले नुकसान से बचाती है।
- यह उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक अवयवों से बना है और यह मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है।
- मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है और जड़ों को एक अच्छी शुरुआत प्रदान करता है, ताकि जड़ पूरी तरह से विकसित हो जाए। ऐसे होने से फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है।
- यह किट मिट्टी की संरचना में सुधार करके मिट्टी में पोषक तत्वों की उपलब्धता को कम नहीं होने देता है। यह जड़ प्रणाली द्वारा पोषक तत्वों में सुधार करता है और जड़ के विकास को बढ़ावा देता है।
- जड़ों के द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों के अवशोषण में भी यह किट मदद करता है और मिट्टी में सूक्ष्म जीवों की गतिविधि को बढ़ावा देता है।
- खेत में पड़ी पुरानी फसलों के अवशेषों को नष्ट करके उपयोगी खाद में बदल कर फसलों के विकास में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।